गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy) को स्टमक बायोप्सी (Stomach Biopsy) भी कहा जाता है। यह वो प्रोसीजर हैं जिसका इस्तेमाल कई हेल्थ कंडिशंस के निदान के लिए किया जाता है जैसे स्टमक अल्सर। इस प्रोसीजर में स्टमक टिश्यू के सैंपल को रिमूव किया जाता है। सैंपल लेने के बाद उसे लैब में भेजा जाता है और इसमें उन बैक्टीरिया और अन्य परजीवियों की उपस्थिति को टेस्ट किया जाता है, जो हानिकारक हो सकते हैं। गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy) के परिणाम इस बात के बारे में बता सकते हैं कि रोगी को बैक्टीरियल इंफेक्शन, इन्फ्लेमेशन या स्टमक कैंसर जैसी समस्या है या नहीं। आइए जानें इस बायोप्सी के बारे में विस्तार से। सबसे पहले जानते हैं कि क्यों किया जाता है यह टेस्ट?
क्यों की जाती है गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy)?
जब कोई व्यक्ति पेट में दर्द, वजन का कम होना या स्टूल में असामान्य बदलाव का अनुभव करता है, तो डॉक्टर उसे इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं, ताकि इन लक्षणों के कारणों के बारे में जानने में मदद मिले। बायोप्सी के दौरान डॉक्टर रोगी के स्टमक टिश्यू का सैंपल लेते हैं और इसका टेस्ट करते हैं। ताकि, इंफेक्शन के बारे में जान सकें। इस टेस्ट को आमतौर पर हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) बैक्टीरिया के लिए किया जाता है, जो स्टमक अल्सर और डायजेस्टिव समस्याओं का सामान्य कारण है।
इन टिश्यूज को कैंसर के लिए भी टेस्ट किया जा सकता है। अगर डॉक्टर शुरुआती फिजिकल जांच, ब्रीद टेस्ट या ब्लड टेस्ट के बाद स्टमक प्रॉब्लम के कारणों को डिटेक्ट न कर पाएं, तो वो इस टेस्ट के लिए कह सकते हैं। इसके साथ ही अगर रोगी को निम्नलिखित समस्याएं हों, तो भी गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy) यानी स्टमक बायोप्सी (Stomach Biopsy) की सलाह दे सकते हैं:
- ब्लैक स्टूल (Black stools)
- भूख में कमी (Lack of appetite)
- पेट में दर्द और बेचैनी (Pain or discomfort in stomach)
- जी मिचलाना (Nausea)
- उल्टी आना (Vomiting)
- अस्पष्ट वजन का कम होना (Unexpected weight loss)
इसके अलावा कुछ अन्य कंडिशंस में भी इस टेस्ट के लिए कहा जा सकता है। अब जानते हैं कि क्या हैं इस बायोप्सी का प्रोसीजर?
और पढ़ें: कब्ज के कारण गैस्ट्रिक प्रॉब्लम से अटक कर रह गई जान? तो, ‘अब की बार, गैरेंटीड रिलीफ की पुकार!’
गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy) कैसे की जाती है?
गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy) के दौरान अपनाए जाने वाले प्रोसीजर को एंडोस्कोपी कहा जाता है। इसमें डॉक्टर एक पतली और फ्लेक्सिबल ट्यूब जो लाइट व कैमरे के साथ होती है, उसे रोगी के मुंह के माध्यम से पेट में इंसर्ट करते हैं या कई बार इसे अपर इंटेस्टाइन में भी इंसर्ट किया जाता है। एंडोस्कोप से एक और छोटा इंस्टूमेंट जुड़ा होता है, जिसका उपयोग पेट या अपर इंटेस्टाइन की लायनिंग के टिश्यू का एक सैंपल कलेक्ट करने के लिए किया जाता है। प्रोसीजर के बाद डॉक्टर निकाले सैंपल को एक पेट्री डिश (Petri dish) में डालते हैं। अगर इसमें कोई बैक्टीरिया होता है, तो वो डिश में ग्रो हो जाता है और डॉक्टर द्वारा आयडेंटीफाय किया जा सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर कैंसर और इंफ्लेमेशन के लिए भी इसकी जांच करते हैं।
कैसे करें गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy) की तैयारी?
गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy) से पहले रोगी का मानसिक रूप से तैयार होना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही डॉक्टर की सलाह का भी पालन करें। आमतौर पर रोगी को टेस्ट से बारह घंटे बाद तक कुछ भी न खाने-पीने के लिए कहा जाता है। इसके साथ ही इससे पहले रोगी को कुछ खास दवाइयां नहीं लेनी चाहिए जैसे ब्लड थिनर आदि। इसके बारे में डॉक्टर से बात अवश्य करें। इस प्रोसीजर से पहले रोगी को लूज-फीटेड डेन्चर या डेंटल वर्क को रिमूव कर देना चाहिए। रोगी को सेडेटिव या लोकलाइज्ड एनेस्थीसिया भी दिया जा सकता है।
और पढ़ें: Gastric Cancer: गैस्ट्रिक कैंसर का पता कैसे लगता है? जानें इसके लक्षण
कैसे किया जाता है यह टेस्ट?
इस टेस्ट को करने के लिए रोगी को ऑपरेशन टेबल पर लेटा दिया जाता है। डॉक्टर एंडोस्कोप को रोगी के मुंह में, फूड पाइप के नीचे और पेट में इंसर्ट करते हैं। वो एंडोस्कोप के साथ थोड़ी मात्रा में हवा पंप करेंगे, ताकि एरिया एक्सपैंड हो सके, जिससे डॉक्टर टिश्यू को बेहतर ढंग से देख सकें। डॉक्टर उन एरियाज की तलाश करेंगे, जो असामान्य दिखाई देते हैं औरटिश्यू के एक या अधिक सैम्पल्स कलेक्ट करते हैं। एंडोस्कोपी का यह प्रोसीजर लगभग पांच से बीस मिनट्स तक चलता है। इसके बाद इन टिश्यूज को एग्जामिनेशन के लिए भेज दिया जाता है।
गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy) यानी स्टमक बायोप्सी (Stomach Biopsy) के बाद मरीज की रिकवरी बहुत जल्दी हो जाती है। रोगी को उसी दिन छुट्टी दे दी जाती है। किंतु, इस टेस्ट के बाद कुछ लोग ब्लोटिंग या गैस का अनुभव कर सकते हैं। इसके साथ ही गले में खराश जैसी समस्या भी हो सकती है। यह कंडिशंस अस्थायी और माइल्ड होती हैं। इन स्थितियों में डॉक्टर की सलाह लें। अब जानते हैं इसके परिणामों के बारे में।
और पढ़ें: Gastritis: गैस्ट्राइटिस के लिए घरेलू उपाय में शामिल कर सकते हैं ये 6 उपाय!
गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy): क्या कहते हैं इसके परिणाम?
टिश्यू के सैम्पल्स को लैब में भेजने के बाद इसे एनालाइज किया जाता है। इसके रिजल्ट आने को दो से तीन दिन लग सकते हैं। लेकिन, अगर इसके सैंपल एक्सटेंसिव टेस्टिंग की जरूरत हो, तो सात से दस दिन भी लग सकते हैं। इसके परिणामों को दो भागों में बांटा गया है एक नार्मल और दूसरा एब्नार्मल। लैब से इस बायोप्सी के नार्मल रिजल्ट तब आते हैं, जब सैंपल से इंफेक्शंस, सेल्स का डैमेज होना, हेलिकोबैक्टर पाइलोरी इंफेक्शन, कैंसर का लक्षण या अन्य अब्नोर्मलिटीज जैसे अल्सर्स, गैस्ट्रिटिस जैसी किसी भी समस्या का संकेत नहीं मिलता है। किंतु अगर रोगी निम्नलिखित में से कोई भी समस्या हो तो रिजल्ट एब्नार्मल हो सकता है, जैसे:
- हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरियल इंफेक्शन (Helicobacter pylori Bacterial infection)
- गैस्ट्रिक कैंसर (Gastric cancer)
- स्टमक लायनिंग की सूजन या इंफ्लेमड होना, जिसमे गैस्ट्रिटिस भी कहा जाता है (Gastritis)
डॉक्टर से गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी(Gastric Tissue Biopsy) यानी स्टमक बायोप्सी (Stomach Biopsy) के रिजल्ट के बारे पूरी जानकारी पहले ही ले लें। अगर रिजल्ट नार्मल हों, तो डॉक्टर रोगी में लक्षणों के निदान के लिए अन्य टेस्ट्स के लिए कह सकते हैं। अगर रिजल्ट एब्नार्मल हों, तो डॉक्टर ट्रीटमेंट प्लान की सलाह देंगे। यह तो थी इस बायोप्सी के बारे में जानकारी। अब जानते हैं इस टेस्ट से जुड़े रिस्क्स के बारे में।
और पढ़ें: मायोकार्डियल बायोप्सी: हार्ट इंफेक्शन में इस तरह से किया जाता है यह टेस्ट!
गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy) के रिस्क
इस टेस्ट के बाद अधिकतर लोग किसी भी तरह का साइड-इफेक्ट का अनुभव नहीं करते हैं। अगर रोगी किसी भी तरह के असामान्य लक्षणों का अनुभव करता है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। लेकिन, इस टेस्ट के बाद प्रोसीजर वाले स्थान से थोड़ी ब्लीडिंग होना सामान्य है। यही नहीं, एंडोस्कोप से स्मॉल इंटेस्टाइन, स्टमक या अन्नप्रणाली को भी नुकसान हो सकता है, जो सामान्य नहीं है। कुछ लोग इस दौरान प्रयोग होने वाले सेडेटिव या पेन मेडिकेशन से साइड इफेक्ट्स का अनुभव कर सकते हैं। यह साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हो सकते हैं जैसे:
- लो ब्लड प्रेशर (Low blood pressure)
- हार्टबीट का स्लो होना (Slow heartbeat)
- सांस लेने में समस्या (Trouble breathing)
- अत्यधिक पसीना आना (Excessive sweating)
और पढ़ें: सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए की जाती है कोन बायोप्सी (Cone Biopsy), ऐसी होती है प्रॉसेस
यह तो थी गैस्ट्रिक टिश्यू बायोप्सी (Gastric Tissue Biopsy) के बारे में जानकारी। यह तो आप जान ही गए होंगे कि यह एक सामान्य प्रोसीजर है। न तो इस प्रोसीजर में अधिक समय लगता है और इससे अधिकतर लोग किसी भी तरह के साइड इफेक्ट्स का अनुभव भी नहीं करते हैं। अगर इस टेस्ट के बाद रिजल्ट्स सामान्य आते हैं , तो डॉक्टर रोगी को अन्य टेस्ट्स के लिए कह सकते हैं। किंतु, अगर यह परिणाम असामान्य होते हैं तो सही उपचार कराना बेहद जरूरी है। अगर आपके मन में इसके बारे में कोई भी सवाल है, तो इस बारे में डॉक्टर से अवश्य जानें।
[embed-health-tool-bmr]