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सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए की जाती है कोन बायोप्सी (Cone Biopsy), ऐसी होती है प्रॉसेस

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/02/2022

    सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए की जाती है कोन बायोप्सी (Cone Biopsy), ऐसी होती है प्रॉसेस

    कोन बायोप्सी (Cone Biopsy) एक प्रकार की सर्जरी है जिसमें सर्विक्स (Cervix) से एब्नॉर्मल टिशूज (Abnormal tissues) का सैम्पल लिया जाता है। सर्विक्स यूटेरस का लोअर पार्ट होता है जो वजायना के टॉप पर ओपन होता है। सर्विक्स के सरफेस पर होने वाले एब्नॉर्मल चेंजेस को सर्विकल डिसप्लासिया (Cervical dysplasia) कहा जाता है। कोन बायोप्सी सर्वाइकल बायोप्सी (Cervical Biopsy) का ही प्रकार है। इस बायोप्सी में लार्ज कोन शेप्ड टिशू पीस को निकाला जाता है इसलिए इसे ‘कोन बायोप्सी’ कहा जाता है। सर्वाइकल बायोप्सी प्री कैंसर और सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer) के बारे में पता करने के लिए की जाती है।

    कोन बायोप्सी की जरूरत कब-कब पड़ती है? (Cone Biopsy Uses)

    निम्न कंडिशन में कोन बायोप्सी (Cone Biopsy) की जरूरत होती है।

    • सर्वाइकल बायोप्सी (Cervical Biopsy) या कोन बायोप्सी तब की जाती है जब पेल्विक एग्जाम (Pelvic Exam) के दौरान किसी प्रकार की असमानता के बारे में पता चलता है।
    • पेप टेस्ट (Pap test) के दौरान किसी प्रकार की एब्नॉर्मल सेल्स के बारे में पता चलने पर भी कोन बायोप्सी की जाती है।
    • ह्यूमन पैपिलोमावायरस (Human papillomavirus) (HPV) टेस्ट पॉजिटिव आने पर भी कोन बायोप्सी की जाती है।
    • एचपीवी एक प्रकार का सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI) है। कुछ प्रकार के एचपीवी सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकते हैं। वहीं कुछ रेयर केस में ये जेनिटल कैंसर्स का भी कारण बन सकता है।
    • सर्वाइकल बायोप्सी कोलपोस्कॉपी (Colposcopy) के साथ भी की जाती है। कोपलोस्कॉपी में सर्वाइकल टिशूज को देखने के लिए स्पेशल लेंस के साथ एक इंस्ट्रूमेंट का उपयोग किया जाता है।
    • इसके साथ ही कोन बायोप्सी का उपयोग कैंसर और प्री कैंसर सेल्स (Pre cancer cells) का पता लगाने के लिए किया जाता है।
    • ऐसी कोशिकाएं जो असामान्य नजर नहीं आती, लेकिन कैंसरस नहीं होती हैं उन्हें प्री कैंसरस कहा जाता है। ये कोशिकाएं सर्वाइकल कैंसर का पहला लक्षण हो सकती हैं जो कि कुछ सालों के बाद डेवलप होगा।

    निम्न कंडिशन के बारे में पता करने के लिए भी कोन बायोप्सी (Cone biopsy) की जाती है।

    • सर्विक्स में होने वाली नॉनकैंसर्स ग्रोथ या लंप (Lump) का पता लगाने के लिए।
    • जेनिटल वार्ट्स (Genital Warts) के बारे में पता करने के लिए।
    • वार्ट्स इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको एचपीवी इंफेक्शन (HPV Infection) है जो सर्वाइकल कैंसर का जोखिम कारक है।
    • डॉक्टर अन्य कारणों के चलते भी सर्वाइकल बायोप्सी रिकमंड कर सकते हैं।

    और पढ़ें: एसटीडी और सर्वाइकल कैंसर में क्या संबंध है?

    कोन बायोप्सी से पहले क्या होता है? (Before cone Biopsy)

    कोन बायोप्सी की प्रॉसेस शुरू करने से पहले आपको डॉक्टर चेक करेगा कि आप जनरल एनेस्थीसिया (General anesthesia) के लिए कितने फिट है। जनरल एनेस्थीसिया का मतलब है कि आप कई घंटों तक कुछ खा या पी नहीं सकेंगे। आपको प्रॉसीजर शुरू होने के 6 घंटे पहले ही खाना बंद करना होगा। डॉक्टर इसके बारे में आपको और भी इंस्ट्रक्शन दे सकते हैं।

    • अगर आप प्रेग्नेंट या किसी दवा किसी एनेस्थेटिक दवा के प्रति सेंसटिव हैं तो डॉक्टर को इस बारे में बताएं।
    • अगर आप किसी भी प्रकार की प्रिस्क्राइब्ड, ओवर द काउंटर या हर्बल मेडिसिन का उपयोग कर रहे हैं तो भी प्रॉसीजर से पहले इस बारे में डॉक्टर को बताएं।
    • अगर किसी प्रकार के ब्लीडिंग डिसऑर्डर (Bleeding disorder) का सामना आप कर रही हैं तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं।
    • अगर आप खून को पतला करने वाली दवाओं का उपयोग कर रही हैं तो भी डॉक्टर को अवगत कराएं।

    कोन बायोप्सी/ Cone biopsy

    कोन बायोप्सी की प्रॉसेस (Cone Biopsy Process)

    कोन बायोप्सी (Cone Biopsy) की प्रॉसेस में डॉक्टर के क्लिनिक या हॉस्पिटल में हो सकती है। कुछ बायोप्सी प्रॉसीजर में लोकल एनेस्थीसिया की जरूरत होती है तो किसी में रीजनल या जनरल एनेस्थीसिया की। यह मरीज की कंडिशन और डॉक्टर पर डिपेंड करता है कि वह किसका यूज करता है। कोन बायोप्सी की प्रॉसेस निम्न प्रकार है।

    • मरीज को हॉस्पिटल गाउन पहनना होगा।
    • प्रॉसीजर से पहले डॉक्टर ब्लैडर खाली करने (यूरिन पास करने) के लिए कहेंगे।
    • एग्जाम टेबल पर वैसे ही लेटना होगा जैसे पेल्विक एग्जाम की प्रॉसीजर के दौरान लेटते हैं।
    • इसके बाद हेल्थकेयर प्रोवाइडर वजायना में स्पैकुलम को इंसर्ट करेंगे।
    • इससे वजायना की वॉल स्प्रेड हो जाएगी। जिससे सर्विक्स के पास पहुंचना आसान होगा।
    • इसके बाद डॉक्टर सर्विक्स से कोन शेप्ड टिशूज को निकालेंगे और इस पीस को लैब में भेज दिया जाएगा। इसके बाद इसका क्लोजली एग्जामिनेशन किया जाएगा।
    • एग्जामिनेशन के दौरान असामान्य सेल्स और कैंसर सेल्स की जांच की जाएगी
    • डॉक्टर वजायना के ऊपर एक पतली जाली का उपयोग करके उसे ढंक देंगे ताकि ब्लीडिंग को रोका जा सकें।

    कोन बायोप्सी के बाद क्या करें? (After Cone Biopsy)

    ऑपरेशन के बाद मरीज अपने वॉर्ड में वापस जा सकता है। नर्स ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल और टेम्प्रेचर को चेक करेगी। साथ ही वे ब्लीडिंग के लक्षणों पर भी ध्यान देगी।आपको कुछ घंटे बेड रेस्ट करना होगा जब तक कि ब्लीडिंग पूरी तरह से बंद नहीं हो जाती। कोन बायोप्सी के बाद 6 हफ्ते तक ब्लीडिंग होना सामान्य है। ब्लीडिंग के लिए डॉक्टर दवा देते हैं। प्रॉसीजर के बाद आपको पीरियड जैसा पेन हो सकता है। डॉक्टर को बताएं अगर आप दर्द का अनुभव कर रही हैं। वे कुछ पेन किलर्स दे सकते हैं। हालांकि, दर्द कुछ घंटों के लिए ही होगा। कुछ समय बाद आप खा पी सकती हैं।

    कोन बायोप्सी (Cone Biopsy) के बाद घर आने पर क्या करें?

    घर आने के बाद एक हफ्ते तक जितना हो सके उतना आराम करें। आपको बिस्तर पर नहीं रहना, लेकिन अत्यधिक सक्रिय नहीं होना है। भारी सामान को ना उठाएं। ज्यादातर महिलाएं एक से दो हफ्ते बाद काम पर जा सकती हैं। बायोप्सी के चार से छ: हफ्ते बाद तक कठिन एक्सरसाइज और सेक्शुअल इंटरकोर्स से दूर रहें

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    कोन बायोप्सी का रिजल्ट (Cone Biopsy result)

    हॉस्पिटल छोड़ने से पहले यह पता कर लेना चाहिए कि रिजल्ट कब मिलेगा। रिजल्ट लेने के लिए कुछ समय बाद हॉस्पिटल जाना पड़ सकता है। अगर एब्नॉर्मल सेल्स के लिए कोन बायोप्सी हुई तो 6 महीने के बाद फॉलो अप अपॉइंटमेंट के लिए जाना पड़ सकता है। कोन बायोप्सी के जरिए सभी असामान्य कोशिकाओं को हटा दिया जाता है इसलिए किसी अन्य ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती। रेगुलर सर्वाइकल स्क्रीनिंग टेस्ट जारी रहते हैं ताकि सर्विक्स हेल्दी है या नहीं इसका पता चल सके। अगर सर्वाइकल कैंसर का पता चलता है तो डॉक्टर कुछ और टेस्ट करने के लिए कहेंगे।

    कोन बायोप्सी के रिस्क क्या हो सकते हैं? (Risk of Cone Biopsy)

    हालांकि कोन बायोप्सी एक सुरक्षित प्रॉसीजर है और डॉक्टर रिस्क को टालने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन इसके कुछ संभावित जोखिम होते हैं जो निम्न हैं।

    ब्लीडिंग (Bleeding)

    कोन बायोप्सी के बाद हैवी ब्लीडिंग का रिस्क रहता है। डॉक्टर सर्जरी के बाद ब्लीडिंग के लक्षणों को मॉनिटर करते हैं। अगर घर जाने के बाद हैवी ब्लीडिंग होती है या आप क्लॉट को पास करती हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें। ब्लीडिंग को रोकने के लिए ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ सकती है।

    इंफेक्शन (Infections)

    कोन बायोप्सी के बाद इंफेक्शन का भी थोड़ा खतरा रहता है। निम्न कंडिशन दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें।

    • वजायनल डिस्चार्ज जिससे बदबू आए
    • पेट के नीचे हिस्से में दर्द जो काफी देर बाद भी ठीक न हो
    • तेज बुखार

    ऐसे में एंटीबायोटिक्स की जरूरत पड़ सकती है। इंफेक्शन से बचने के लिए बायोप्सी के बाद छ: हफ्ते तक सेक्स और टैम्पून का यूज न करें। इस दौरान स्विमिंग को भी अवॉयड करें।

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    सर्विक्स का संकरा होना (Narrowing Cervix)

    बायोप्सी के बाद सर्विक्स के नेरो होने का रिस्क भी होता है, हालांकि यह बेहद कम होता है। ऐसा होने पर आपको सर्वाइकल ओपनिंग सर्जरी करवाने की जरूरत पड़ सकती है।

    प्रेग्नेंसी में परेशानी (Pregnancy complications)

    अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो डॉक्टर तब तक बायोप्सी सजेस्ट नहीं करते हैं जब तक कि सर्वाइकल कैंसर की आशंका ना हो। कोन बायोप्सी सर्विक्स को कमजोर करने के साथ ही मिसकैरिज और अर्ली लेबर का रिस्क बढ़ा सकती है।

    उम्मीद है कि आपके लिए यह आर्टिकल उपयोगी साबित होगा और आपको कोन बायोप्सी से जुड़ी जानकारियां मिल गईं होगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें

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