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पेट के इंजन के लिए कितना फायदेमंद है फाइबर?

पेट के इंजन के लिए कितना फायदेमंद है फाइबर?

जैसे गाड़ी के इंजन में कुछ अटक जाने पर वह रुक जाती है, ठीक उसी तरह हमारे पेट के इंजन में कुछ अटक जाने पर, वो भी रुक जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि हम पेट, गाड़ी और इंजन जैसे अटपटा मेल क्यों मिला रहे हैं। तो भइया बात यह है कि पेट का इंजन यानी आंतों में कुछ अटक जाने पर कब्ज (Constipation) की दिक्कत होती है और यह दिक्कत इतनी परेशान कर देती है कि एक दिन आपका पेट, दिमाग और यहां तक कि पूरा शरीर ही इससे परेशान हो सकता है। इस परेशानी से निपटने के लिए हमारे दादी-नानी के नुस्खों में कई फाइबर वाले फूड्स का जिक्र सुनने को मिलता है। लेकिन क्या सच में कॉन्स्टिपेशन की प्रॉब्लम (Constipation Problem) को खत्म करने के लिए फाइबर वाले फूड्स (Fiber foods) फायदेमंद हैं या फिर कोई ऐसा तरीका भी है, जो कब्ज का काम चुटकियों में तमाम कर सकता है? तो इसका जवाब पाने के लिए आखिर तक पढ़ें ये आर्टिकल और जान जाएं कब्ज का रामबाण इलाज। मगर सबसे पहले यह गुत्थी सुलझा लेते हैं कि फाइबर है क्या… 

सब साथ में बोलो ‘फ’ से फाइबर

फाइबर-Fiber
फाइबर युक्त खाना क्या है?

फाइबर खाने के फायदे जानने से पहले ये जान लेते हैं कि फाइबर क्या है? यह एक तरह का कार्बोहायड्रेट है, जो कि हमारे डायजेस्टिव सिस्टम के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है। समझ लीजिए जैसे कि दिल के लिए खून जरूरी होता है। लेकिन इसकी खासियत यह है कि दूसरे कार्बोहायड्रेट्स की तरह हमारा पेट इसे पचा नहीं सकता। इस वजह से यह पूरे डायजेस्टिव सिस्टम से होते हुए ये शरीर से बाहर वैसे का वैसा ही निकल जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, ये अपने साथ रास्ते में आने वाली सभी चीजों को भी शरीर से बाहर ले आता है। अगर आपको कब्ज की शिकायत रहती है, तो आपके लिए फाइबर और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है। फाइबर लेने के लिए आपको फल, सब्जियों, अनाजों, बीजों आदि को अपनी डायट का हिस्सा बनाना चाहिए। फाइबर खाने के फायदे सबसे ज्यादा पेट को मिलते हैं। फाइबर, कब्ज, बदहजमी, गैस जैसी परेशानियों में राहत देने वाला एक जरूरी न्यूट्रिशन है। लेकिन यह भी ध्यान रखें कि ज्यादा फाइबर लेना भी आपकी कब्ज की दिक्कत बढ़ा सकता है। अगर आप बिना किसी चिंता के कब्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आपको दवाओं का हाथ थामना चाहिए, जिसमें आप लैक्सेटिव का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये लैक्सेटिव सिर्फ एक ही रात में आपको कॉनस्टिपेशन की प्रॉब्लम से पूरी तरह छुटकारा दिला सकते हैं। इन लैक्सेटिव में स्टूल सॉफ्टनर, ऑस्मोटिक लैक्सेटिव, ल्युब्रिकेंट लैक्सेटिव और खास तौर पर स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव का इस्तेमाल किया जा सकता है।

ये तो हुई दवाओं की बात, चलिए अब फाइबर की बात करते हैं। फाइबर भी अलग-अलग तरह के होते हैं, जो हमारे शरीर को अलग-अलग तरह से फायदा पहुंचाते हैं। 

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जय और वीरू की तरह फाइबर भी हैं दो दोस्त…

जय और वीरू के किस्से तो सभी ने सुने होंगे! जैसे उन दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी न, उसी तरह फाइबर के भी दो टाइप्स के बारे में हम बात करने जा रहे हैं। लेकिन पहले जान लेते हैं एक्सपर्ट की बात। दिल्ली की न्यूट्रिशनिस्ट, वेट मैनेजमेंट सलाहकर और लेखिका कविता देवगन कहती हैं, फाइबर दो तरह के होते हैं – पहला सॉल्युबल फाइबर और दूसरा इनसॉल्युबल फाइबर।सॉल्युबल फाइबर पौधों की सेल्स में मौजूद होता है, जबकि इनसॉल्युबल फाइबर (Insoluble Fiber) पौधों की सेल्स वॉल में पाया जाता है। आइए, दोनों टाइप्स के बारे में डिटेल में जानते हैं।

फाइबर-Fiber
फाइबर के फायदे

सॉल्युबल फाइबर (Soluble Fiber) – ये तो सोशलाइज करने में यकीन रखता है!

कुछ लोग होते हैं न, जो सबसे घुलना-मिलना पसंद करते हैं, उसी तरह सॉल्युबल फाइबर शरीर के फ्ल्यूइड में आसानी से घुल जाता है और एक जेल में तब्दील हो जाता है। कविता देवगन के अनुसार, सॉल्युबल फाइबर हमारी बॉडी में एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करके ब्लड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद करता है। साथ ही सॉल्युबल फाइबर शरीर में सूजन को कम करने में भी मदद करता है और डायबिटीज के खतरे को भी कम करता है। कब्ज की परेशानी में सॉल्युबल फाइबर कुछ हद तक मदद करता है, जैसे वह स्टूल (पॉटी) में नमी को बनाए रखकर उसे मुलायम बनाने में मदद करता है। इस कारण स्टूल आसानी से शरीर से बाहर निकल जाता है। अब दूसरे टाइप के बारे में भी जान लीजिए।

शोले का जय, बोले तो इनसॉल्युबल फाइबर (Insoluble Fiber)

दूसरे दोस्त जय यानी इनसॉल्युबल फाइबर, जो किसी से मिलना-जुलना पसंद नहीं करता। ये फाइबर हमारे शरीर, पेट, आंतों और कोलन से जस के तस निकल जाते हैं। कविता देवगन के अनुसार, “इनसॉल्युबल फाइबर पानी के साथ शरीर में घुलता नहीं हैं, बल्कि पानी के साथ पूरे डायजेस्टिव सिस्टम से गुजरता चला जाता है। फिर ये शरीर के वेस्ट मटेरियल को स्टूल के रूप में रेक्टम (मलाशय) में एक साथ जमा करने में मदद करता है। जिसके बाद एक साथ स्टूल आसानी से शरीर के बाहर निकल जाता है। इसलिए इस टाइप के फाइबर को कब्ज में ज्यादा जरूरी माना जाता है। इनसॉल्युबल फाइबर खाने के साथ आपको पानी का काफी ध्यान रखना चाहिए। अगर आप कम पानी पीएंगे, तो आपकी कब्ज की प्रॉब्लम और भी ज्यादा बढ़ सकती है। मगर रुकिए, यहां आपके मन में एक सवाल जरूर आ सकता है कि आखिर कब्ज की परेशानी में दोनों में से कौन-से फाइबर का सेवन करें। तो चलिए आपको इसकी भी जानकारी देते हैं।

कब्ज के इलाज के लिए फाइबर का इस्तेमाल करते हुए यह सवाल सबसे पहले आता है और आपको इसके बारे में पता भी होना चाहिए। क्योंकि इस कंफ्यूजन के कारण फाइबर का गलत इस्तेमाल या ज्यादा इस्तेमाल आपके पेट का मामला और गड़बड़ कर सकता है। एक्सपर्ट कविता देवगन का कहना है, “कब्ज से परेशान व्यक्ति को दोनों तरह के फाइबर लेने चाहिए, क्योंकि दोनों ही फाइबर आपकी मदद कर सकते हैं। जहां एक तरफ सॉल्युबल फाइबर आपके शरीर में पानी के साथ घुल कर सोख लिया जाता है और डायजेस्टिव सिस्टम और स्टूल में नमी बनाए रखने में मदद करता है। वहीं, इनसॉल्युबल फाइबर पानी में घुले बिना, पूरे डायजेस्टिव सिस्टम से आसानी से गुजरता हुआ वेस्ट मटेरियल को बाहर निकालने में मदद करता है। जिससे व्यक्ति का पेट आराम से साफ हो जाता है और कब्ज में राहत मिलती है।” 

तो अब समझे कि कौन सा फाइबर अंदर जाकर कैसा काम करता है? आइए अब जानते हैं कि आपके डायजेस्टिव सिस्टम की बेहतरी के लिए कितना फाइबर जरूरी होता है। 

फाइबर

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इतना फाइबर खाओगे, तभी तो कब्ज (Constipation) से राहत पाओगे

कब्ज जैसी परेशानी से दूर रहने के लिए आपको रोजाना फाइबर की एक फिक्स्ड डोज की जरूरत होती है। हमारे शरीर को हर दिन 25 से 38 ग्राम तक फाइबर की चाहिए होता है। जहां पुरुषों को हर दिन 38 ग्राम फाइबर लेना चाहिए। वहीं, महिलाओं को रोजाना 25 ग्राम फाइबर लेना चाहिए। तभी फाइबर के फायदे मिलेंगे, लेकिन यहां एक दिक्कत हम लोगों के सामने आ जाती है और वो यह है कि हम हर दिन की जरूरत का आधा फाइबर की खा पाते हैं और हो जाती है कब्ज की गड़बड़। इसलिए आप एक बात अच्छी तरह गांठ बांध लीजिए कि फाइबर की कमी पूरी करने से पहले ही आपको जल्द से जल्द कब्ज का इलाज करना होगा। अब हम बात करते हैं फाइबरवाले फूड्स की, जिनका सेवन आपके शरीर को फाइबर पाने में मदद करता है। 

पेट की गुड़गुड़ का इलाज – वो भी स्वाद भरा!

फाइबर के फायदे के बारे में तो आप जान गए होंगे, अब आइए बात करते हैं फाइबर वाले फूड्स की। यह फूड्स आपके पेट की गुड़गुड़ का स्वाद भरा इलाज करेंगे। क्योंकि आपको पता होना चाहिए कि फाइबर का मेन सोर्स क्या है या आप ऐसा क्या खाएं, जिससे आपको भरपूर फाइबर मिल सके और कब्ज की छुट्टी हो जाए? तो इस सवाल का जवाब नीचे बताए गए फूड्स में है :

एक अनार (Pomegranate) – ठीक करे कई बीमार 

फाइबर के फायदे जानने हैं तो पढ़ें ये लेख
फाइबर क्या है?

एक अनार आपको कब्ज की परेशानी में मदद कर बीमार से तंदरुस्त बना सकते हैं। अनार से हमें खूब सारा विटामिन-सी और विटामिन के मिलता है। अगर आप लगभग 280 ग्राम अनार खाते हैं, तो इससे आपको 11 ग्राम फाइबर मिलता है। जो आपकी रोज की जरूरत का 30 से 40 प्रतिशत हैं, लेकिन यहां दिक्कत यह है कि इस उपाय में टाइम लग सकता है और आपके अनार के साइज और क्वालिटी के हिसाब से फाइबर के लेवल में भी कमी आ सकती है।

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एवोकैडो (Avocado) है बड़े काम की चीज! 

फाइबर क्या है?
फाइबर युक्त खाना क्या है?

इस लिस्ट में अनार के बाद नंबर आता है एवोकैडो का, इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैट भी काफी पाया जाता है। अगर हम हर दिन 150 ग्राम एवोकैडो खाते हैं, तो हमें लगभग 10 ग्राम फाइबर मिलेगा। इसलिए हमने इसे फाइबर के अच्छे सोर्स में शामिल किया है, क्योंकि एवोकैडो खाने से आपको कब्ज की दिक्कत में मदद मिल सकती है। लेकिन इसमें भी अनार की तरह ही साइज और क्वालिटी के फर्क का ध्यान रखें।

बाजरा (Bajra) – दाने-दाने में है पेट साफ करने का दम

फाइबर युक्त खाना क्या है?
फाइबर युक्त खाने के स्रोत

जैसा कि हमने आर्टिकल की शुरुआत में बताया था कि कब्ज के लिए दादी-नानी के नुस्खों में बाजरे का नाम भी आता है। क्योंकि बाजरे का सेवन करके भी हमें फाइबर मिल सकता है। इसके दाने-दाने में पेट साफ करने का दम है। अगर आप 200 ग्राम बाजरे का सेवन करते हैं, तो आपको उससे लगभग 17 ग्राम फाइबर मिलेगा। इसलिए बाजरे की खिचड़ी या रोटी बना कर लंबे समय तक खाने से कब्ज में आराम मिल सकता है।

… क्योंकि दाल के बिना दाल नहीं गलेगी 

फाइबर खाने के फायदे
फाइबर के फायदे और नुकसान

अमीर हो या गरीब, फाइबर पाने के लिए सब की दाल गलनी जरूरी है। मतलब यह है कि प्रोटीन के साथ फाइबर के लिए भी दाल का सेवन किया जा सकता है। आप फाइबर की कमी दाल खाकर कुछ हद तक पूरी कर सकते हैं। अगर आप 100 ग्राम मिक्स दाल (यानी तुअर, मूंग, मसूर, उड़द) खाएंगे, तो आपको लगभग 24 ग्राम फाइबर मिलेगा।

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दिमाग का ही नहीं, पेट का भी पूरा इलाज! 

फाइबर वाले फूड्स की बात करें और बादाम को भूल जाएं, ऐसा हो ही नहीं सकता। दिमाग के अलावा यह आपके पेट के लिए भी फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें विटामिन-ई के साथ ही फाइबर भी मौजूद होता है। अगर आप 100 ग्राम बादाम खाते हैं, तो आपको 11.20 ग्राम फाइबर मिलता है। लेकिन बादाम आपकी जेब पर भारी पड़ सकते हैं।

फाइबर के फायदे और नुकसान
फाइबर युक्त खाने के स्रोत

आप यहां तक फाइबर देने वाले फूड्स के बारे में जान गए होंगे। मगर क्या आप जानते हैं कि आपके हमेशा कुछ खाने की आदत और आपकी ये पसंद भी आपके पेट की गाड़ी खराब कर सकती है। तो चलिए पहले आपकी खाने की आदत के बारे में बात कर लेते हैं…

पिकी ईटिंग (Picky Eating) – क्या हमेशा जुगाली ही करते रहोगे?

पिकी ईटिंग के बारे में अगर आप नहीं जानते, तो जान लीजिए। क्योंकि यह अच्छी आदत बिल्कुल नहीं है और ऐसा करने वाले लोगों को कब्ज की परेशानी सबसे ज्यादा होती है। शालीमार बाग (दिल्ली) स्थित मैक्स सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डॉ. वी.के. गुप्ता बताते हैं कि “हमेशा कुछ न कुछ खाने वाले लोग पिकी ईटर कहलाते हैं। पिकी ईटर्स हमेशा खाना खाते रहने की आदत के चलते ऐसे फूड्स खा लेते हैं, जो कब्ज के लिए जिम्मेदार होते हैं। अगर आप पिकी ईटर हैं और कब्ज से परेशान हैं, तो अपने खाने की आदत में थोड़ा-सा बदलाव लाएं। पिकी ईटर्स को खाने में फल और सलाद ज्यादा खाना चाहिए, क्योंकि फल और सलाद में फाइबर काफी होता है।” अब जान लेते हैं आपकी उस पसंद के बारे में जो आपके पेट को नुकसान पहुंचा सकती है।

चावल? ना भाई ना!

 फाइबर खाने के फायदे क्या-क्या हैं?
फाइबर के फायदे और नुकसान

अगर आप साउथ या वेस्ट इंडिया से ताल्लुक रखते हैं, तो यह अच्छी तरह जानते होंगे कि खाने में चावल न मिले तो पेट नहीं भरता। लेकिन ‘ड्यूड इट्स नोट सो कूल’, क्योंकि चावल भी कब्ज का कारण बन सकते हैं। अगर आपको कोई फाइबर के फायदे बता कर चावल खाने की सलाह दे, तो आप आंख मूंदकर भरोसा न कर लें। चावल दो तरह के होते हैं, एक होता है सफेद चावल और दूसरा होता है भूरा चावल यानी ब्राउन राईस। सफेद चावल खाने से कब्ज हो सकता है, क्योंकि सफेद चावल में फाइबर बहुत कम होता है। उदाहरण के तौर पर अगर 100 ग्राम सफेद चावल का सेवन करते हैं, तो आपको 0.7 ग्राम फाइबर मिलता है। इसलिए कम फाइबर खाने से आपको कब्ज की शिकायत हो सकती है। इसलिए आपको ब्राउन राइस खाने की हिदायत दी जाती है।

डॉ. वी.के. गुप्ता बताते हैं कि “आजकल सफेद चावल पॉलिश कर के बाजारों में बेचा जाता है, जिससे वह देखने में तो अच्छा लगता है, लेकिन उसमें पोषण नहीं रहता है। वहीं, दूसरी तरफ जो चावल पॉलिश नहीं होते, वे फाइबर और पोषण से भरपूर होते हैं। चावल के ऊपरी भाग पर ही फाइबर पाया जाता है, जो पॉलिशिंग के दौरान निकाल दिया जाता है।” 

ये तो हुई खाने-पीने की बातें, लेकिन कब्ज में सिर्फ खाने-पीने में बदलाव करके ही राहत नहीं पाई जा सकती। फाइबर हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन ये अकेला कब्ज का काम-तमाम नहीं कर सकता। इसलिए जरूरी है कि हम कब्ज में दवाओं का इस्तेमाल भी करें। कब्ज कई बीमारियों को साथ लेकर आता है, इसलिए इन बीमारियों से बचाव करने के लिए आपको दवाइयों का सहारा लेना चाहिए। आइये जानते हैं, वो कौन सी दवाइयां हैं, जिससे कब्ज से पूरी तरह से राहत मिल सकती है। 

फाइबर के फायदे और नुकसान
फाइबर के फायदे

जरा पीछे हट जाइए! क्योंकि अब अखाड़े में कब्ज से दो-दो हाथ करने उतर रहा है ईसबगोल

अगर कब्ज के इलाज की बात करें, तो जमानों से भारत में ईसबगोल पर भरोसा किया जाता रहा है। यह इतना फायदेमंद है कि हमारे पूर्वज भी इसी का इस्तेमाल करते थे। ईसबगोल गेंहू की तरह दिखने वाली एक जड़ी-बूटी है, जिसे साइलिअम हस्क (Psyllium husk) कहते हैं। ईसबगोल के बीज और इसकी बाहरी त्वचा को पीसकर भूसी तैयार की जाती है। कई परेशानियों के इलाज के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसबगोल का बीज कब्ज के लिए फायदेमंद माना जाता है। डॉ. वी.के. गुप्ता के अनुसार, “ईसबगोल पूरी तरह से फाइबर ही है। ईसबगोल में 70% सॉल्युबल फाइबर और 30% इनसॉल्युबल फाइबर पाया जाता है। आप ईसबगोल को फलों के साथ खा सकते हैं, इससे आपको कब्ज में फायदा मिलेगा। ईसबगोल हमारे पेट में जाकर एक जेल बनाता है, जो कि स्टूल से जुड़कर, आसपास के फ्ल्यूइड को जमा करके स्टूल का आकार बड़ा बना लेता है।”

आपको बता दें कि ईसबगोल भी एक तरह का लैक्सेटिव है, जो पॉटी को मुलायम बना कर आसानी से पेट साफ करने में मदद करता है। आजकल बाजार में ईसबगोल से बनी टैबलेट भी मिल रही हैं, जो कि उतनी ही असरदार होती हैं। इस टैबलेट को रात में खाने से आराम मिलता है और सुबह-सुबह आपका पेट पूरी तरह साफ हो जाता है।

कब्ज को पवेलियन भेजना है? तो लैक्सेटिव को बॉलिंग करने दो! 

अगर कब्ज को आउट करके पवेलियन भेजना है, तो भाई बॉलर भी लैक्सेटिव जैसा चाहिए। लैक्सेटिव की गेंदबाजी इतनी धारदार है कि उसके सामने कब्ज की परेशानी एक पल भी नहीं टिक पाएगी। यही वह रामबाण इलाज भी है, जिसके बारे में हम इस आर्टिकल की शुरुआत में बात कर रहे थे। स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव कब्ज की दिक्कत के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह आपकी आंतों में कॉन्ट्रैक्शन बढ़ाता है और उसमें से पॉटी के बाहर निकलने का रास्ता आसान बनाता है। स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव के रूप में सबसे अच्छा ऑप्शन बिसाकोडिल हो सकता है। जो कि रात में एक बार लेने से सुबह-सुबह पूरी तरह आपका पेट साफ हो जाता है और आप कब्ज से आजादी पा जाते हैं। लेकिन लैक्सेटिव में सिर्फ स्टिम्युलेंट लैक्सेटिव ही एक टाइप नहीं है बल्कि इसके अलावा तीन और मेन टाइप हैं। आइए, थोड़ा उनके बारे में भी जान लेते हैं।

  • ल्यूब्रिकेंट लैक्सेटिव (Lubricant Laxative) पेट में पॉटी पर चिकनी परत बनाकर उसकी नमी खोने से बचाता है। जिससे वह आसानी से शरीर से बाहर निकल जाती है।
  • स्टूल सॉफ्टर्नस लैक्सेटिव (Stool Softener Laxative) पेट में मौजूद फ्ल्यूइड की मदद से स्टूल को मुलायम बनाता है और कब्ज की परेशानी से राहत मिलती है।
  • ऑस्मोटिक लैक्सेटिव (Osmotic Laxative) शरीर में मौजूद फ्ल्यूइड को पेट में लाकर पॉटी को मुलायम बनाने में मदद करता है। जिससे पेट साफ होने में आसानी हो जाती है।

तो भाई, जब आपके पास रात भर में राहत पाने का गैरेंटीड इलाज बिसाकोडिल (Bisacodyl) है, तो आप फाइबर के फायदों की राम कहानी में क्यों उलझना चाहते हैं। रात को सोने से पहले बिसाकोडिल लीजिए और सुबह बाथरूम से खुशी-खुशी बाहर निकालिए!

जाते-जाते ये तो पढ़ते जाओ…

कब्ज के लिए फाइबर खाने के फायदे तो आपने जान लिए, लेकिन हमेशा एक बात याद रखें कि किसी भी चीज का ज्यादा इस्तेमाल नुकसान भी पहुंचा सकता है। फाइबर को ज्यादा लेने से आपकी कब्ज की परेशानी कम होने की बजाय बढ़ जाती है। इसके अलावा कम फाइबर लेने से कब्ज की प्रॉब्लम जस की तस बनी रहेगी। वहीं, फाइबर वाले फूड्स खाने से कब्ज में राहत मिलने में भी टाइम लग सकता है। ऐसे में आप अगर कब्ज से परेशान हैं, तो परेशानी समय के साथ बढ़ती जाएगी। इसलिए आप डायट में फाइबर वाले फूड्स शामिल करने से पहले कब्ज का सही इलाज जरूर कर लें। तभी आपको फाइबर खाने के फायदे मिल सकेंगे। जिसमें दवाओं का सेवन मदद कर सकता है। जिस तरह सिरदर्द या गैस की प्रॉब्लम आपको परेशान कर देती है और आप घरेलू उपायों से लंबे समय में आराम पाने की जगह तुरंत राहत चाहते हैं। ठीक उसी तरह कब्ज की परेशानी में भी हम तुरंत आराम तो चाहते हैं, लेकिन दवा लेने से हिचकिचाते हैं। इस कारण आपकी कब्ज क्रॉनिक होकर बवासीर, फिशर आदि बड़ी बीमारियों का रूप ले लेती है। इसलिए जरूरी है कि कब्ज जैसी तकलीफ में परेशानी होने पर दवाओं की ओर रुख कर लिया जाए।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/29079312/Accessed on 11th December 2020

Current Version

23/08/2021

Manjari Khare द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/08/2021

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