सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज को साधारण तौर पर एसटीडी (STDs) कहते हैं। ये इंफेक्शन होता है जो STD ग्रस्त व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाता है। सेक्शुअल एक्टिविटी में यह इंफेक्शन माउथ, एनस या वजायना के द्वारा एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। प्रेग्नेंसी और STD का भी संबंध है। इसे सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (sexually transmitted infections) यानी STI भी कहते हैं। प्रेग्नेंसी और STD के कारण न सिर्फ महिला को परेशानी होती है बल्कि होने वाले बच्चे को बर्थ के बाद समस्या हो सकती है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि प्रेग्नेंसी और STD का क्या संबंध है, और इसके लक्षणों का पता कैसे चलता है।
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प्रेग्नेंसी में STD होने पर में निम्न बीमारियां होती हैं
- क्लैमाइडिया (Chlamydia)
- जननांग दाद (Genital herpes)
- सूजाक( Gonorrhea)
- हेपेटायटिस बी
- एचआईवी / एड्स
- एचपीवी
- जननांग मस्सा (Genital warts)
- उपदंश (Syphilis)
- त्रिचोमोनास वैजिनलिस (Trichomonas Vaginalis)
प्रेग्नेंसी में यूरिन इंफेक्शन: क्या बच्चे में भी फैल सकती है बीमारी?
प्रेग्नेंसी और STD का गहरा संबंध है। अगर महिला सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से ग्रसित है तो होने वाले बच्चे को भी इंफेक्शन हो सकता है। मां में ये इंफेक्शन उस व्यक्ति से आ सकता है जिसके साथ महिला ने शारीरिक संबंध बनाए थे। ये इंफेक्शन प्रेग्नेंसी से पहले, प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में भी हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान जब महिला डॉक्टर के पास फर्स्ट विजिट में जाती है तो डॉक्टर STDs चेकअप करते हैं। अगर महिला STDs से इंफेक्टेड है तो उसका इलाज किया जाता है। होने वाले बच्चे को किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से बचाने के लिए ट्रीटमेंट जरूरी है।
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प्रेग्नेंसी में STDs के लक्षण क्या हैं?
प्रेग्नेंसी के दौरान या फिर पहले इंफेक्शन के कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले चेकअप और टेस्ट में इंफेक्शन का पता चलता है। कई महिलाओं को कुछ लक्षण महसूस हो सकते हैं, जैसे
- वजायना के आस-पास घाव हो जाना।
- लिंग या योनि के पास सूजन या लालिमा।
- त्वचा में लाल चकत्ते।
- यूरिन पास करते समय दर्द होना।
- वजन में कमी, लूज मोशन, रात को पसीना आना।
- दर्द, बुखार और ठंड लगना।
- त्वचा का पीला पड़ना।
- लिंग या योनि से अजीब गंध आना।
- पीरियड्स के अलावा भी ब्लीडिंग होना।
- सेक्स के दौरान दर्द महसूस होना।
- लिंग या योनि के पास अधिक खुजली महसूस होना।
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प्रेग्नेंसी में STD के कारण होने वाले बच्चे में इफेक्ट
प्रेग्नेंसी में STD के कारण होने वाले बच्चे पर भी प्रभाव पड़ता है। बच्चे का डिलिवरी के समय वजन कम होने के साथ ही आंख में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। अगर सही समय पर प्रेग्नेंसी में STD की पहचान नहीं हो पाती है तो ये महिला और होने वाले बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। प्रेग्नेंसी में STD के कारण बच्चे में निम्न समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
- जन्म के समय कम वजन (5 पाउंड से कम)
- आंखों का संक्रमण
- निमोनिया का खतरा
- बच्चे के रक्त में संक्रमण
- ब्रेन डैमेज
- शरीर के कॉर्डिनेशन और बॉडी मूवमेंट में कमी
- अंधापन (Blindness)
- बहरेपन की समस्या (Deafness)
- तीव्र हेपेटाइटिस (Acute hepatitis)
- मस्तिष्कावरण शोथ
- क्रोनिक लिवर डिजीज (Chronic liver disease), जिससे लिवर सिरोसिस की संभावना रहती है।
- स्टिलबर्थ (stillbirth)
प्रेग्नेंसी में STD से होने वाले इंफेक्शन
प्रेग्नेंसी में STD का कारण क्लैमाइडिया (Chlamydia)
गर्भावस्था में क्लैमाइडिया इंफेक्शन के दौरान कुछ लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान ये इंफेक्शन बच्चे को इंफेक्टेड कर सकते हैं। होने वाले बच्चे को आंखों का इंफेक्शन या निमोनिया हो सकता है। इस इंफेक्शन से बचाने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक्स देते हैं।
प्रेग्नेंसी में यूरिन इंफेक्शन: प्रेग्नेंसी में STD का कारण जननांग दाद (Genital herpes)
जननांग में दाद होने से प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे को कोई समस्या नहीं होती। डिलिवरी के दौरान इंफेक्शन न फैले, इसलिए सी-सेक्शन का सहारा लिया जाता है। एंटीवायरल मेडिसिन के साथ ही सी-सेक्शन इसका इलाज है।
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प्रेग्नेंसी में STD का कारण गोनोरिया (Gonorrhea)
इस संक्रमण के कारण मुंह में छाले, बुखार और ब्लड सर्क्युलेशन इंफेक्शन हो सकता है। बच्चा आमतौर पर अप्रभावित रहता है। मां को संक्रमण होने से कई बार होने वाले बच्चे में आंखों का इंफेक्शन हो जाता है। एंटीबायोटिक की हेल्प से आंख के इंफेक्शन को सही किया जाता है।
प्रेग्नेंसी में यूरिन इंफेक्शन: प्रेग्नेंसी में STD का कारण हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B)
हेपेटाइटिस बी लीवर इंफेक्शन है। अगर ये इंफेक्शन महिला को है तो होने वाले बच्चे में भी इंफेक्शन की संभावना रहती है। अगर समय पर वैक्सीनेशन किया जाए तो होने वाले बच्चे को इंफेक्शन से बचाया जा सकता है।
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प्रेग्नेंसी में STD का कारण एचआईवी संक्रमण
एचआईवी संक्रमण से ग्रसित मां बच्चे को पूरी तरह से संक्रमित कर सकती है। अगर समय पर इस बीमारी का पता चल जाए तो पावरफुल मेडिसिन की हेल्प से इसके संचरण को रोका जा सकता है।
प्रेग्नेंसी में STD की पहचान के लिए प्रीनेटल केयर
प्रेग्नेंसी में STD से बचाव के लिए प्रीनेटल केयर बेहतर उपाय साबित हो सकता है। प्रीनेटल केयर के साथ ही प्रेग्नेंसी में STD और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को रोक सकते हैं। आपका डॉक्टर प्रेग्नेंसी में STD होने और जरूरत पड़ने पर बच्चे के जन्म के करीब परीक्षण करेगा। क्लैमाइडिया और गोनोरिया जैसे बैक्टीरिया के कारण होने वाले एसटीआई को एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक किया जा सकता है। कुछ एंटीबायोटिक्स गर्भावस्था के दौरान लेना सुरक्षित है। आपका डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान क्लैमाइडिया, गोनोरिया, सिफलिस और ट्राइकोमोनिएसिस के लिए एंटीबायोटिक्स लिख सकता है। वायरस, जैसे जननांग दाद और एचआईवी के कारण होने वाले एसटीआई का कोई इलाज करना मुश्किल होता है।
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प्रेग्नेंसी में यूरिन इंफेक्शन: प्रेग्नेंसी में STD से कैसे करें बचाव?
प्रेग्नेंसी में STD से बचने का एकमात्र तरीका है कि अगर आपके पार्टनर को सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज हैं तो वजायनल, एनल और ओरल सेक्स न करना। अगर आप सेक्शुअली एक्टिव हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत है।
- अगर आपको शंका है कि आपके पार्टनर को इंफेक्शन है तो एक बार डॉक्टर के पास जाकर चेकअप कराएं।
- अगर आपको इंफेक्शन के बारे में जानकारी नहीं मिली है तो सुरक्षित यौन संबंध बनाएं।
- बेहतर रहेगा कि आप कंसीव करने से पहले चेकअप कराएं।
- होने वाले बच्चे की सुरक्षा के लिए समय-समय पर चेकअप कराना बहुत जरूरी है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान आपको इंफेक्शन के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- डॉक्टर प्रेग्नेंसी के दौरान ही होने वाले बच्चे को इंफेक्शन से बचाने के लिए ट्रीटमेंट देंगे।
- प्रेग्नेंसी के दौरान शराब से दूरी बनाएं। अनसेफ सेक्स आपके लिए घातक साबित हो सकता है।
- STD के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें ताकि आप उससे निपट सकें।
प्रेग्नेंसी के दौरान पहली बार जब भी आप चेकअप के लिए जाएंगी, डॉक्टर आपकी पूरी तरह से जांच करेगा। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान इंफेक्शन के किसी भी तरह के लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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