तीसरी तिमाही की डायट के लिए कैल्शियम
बच्चे का विकास तीसरी तिमाही के दौरान लगभग हो चुका होता है। इस दौरान बच्चे का शरीर बढ़ रहा होता है। हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम युक्त पदार्थ लेना बहुत जरूरी है। आप खाने में संतरा, बैरीज, कीवी, आंवला, तिल, दूध, जीरा, रागी आदि को शामिल कर सकती हैं। डायट में कैल्शियम एड करना भी जरूरी है। कैल्शियम की उच्च मात्रा बादाम में पाई जाती है। इसमें प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में होता है । बादाम खाने से याद्दाश्त भी अच्छी होती है। कैल्शियम के लिए खाने में योगर्ट शामिल किया जाना चाहिए। योगर्ट में कैल्शियम रिच होता है। जिन महिलाओं को दूध पसंद नहीं है वो योगर्ट को ऑप्शन के तौर पर अपना सकती हैं।
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तीसरी तिमाही की डायट में आयरन रिच फूड
तीसरी तिमाही में महिलाओं में खून की कमी भी बड़ी समस्या के रूप में सामने आती है। आपको इस समस्या का सामना न करना पड़े, इसलिए खाने में आयरन के प्रमुख स्त्रोत वाले फूड लाल भाजी, पालक, ब्रोकली, मटर, अंडे, आलूबुखारा, बीटरूट आदि को खाने में शामिल करें। आप ये सभी चीजें हफ्ते के सात दिनों में बांट कर अपनी डायट में शामिल कर सकती हैं। स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने के लिए आयरन आवश्यक होता है। ये आपके शरीर के चारों ओर ऑक्सिजन ले जाने का काम करता है। पर्याप्त आयरन न होने से आपको थका हुआ महसूस हो सकता है। आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया भारत में आम है इसलिए यह पोषक तत्व पूरे गर्भावस्था में महत्वपूर्ण है।
अगर आपको पहले से किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या है तो प्रग्नेंसी डायट प्लान करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपको किसी चीज से एलर्जी तो नहीं है। अगर आपको डायबिटीज की समस्या है तो आपको पहले से निश्चित करना होगा कि कौन सा फूड अवॉयड करना है। हाइड्रेटेड रहने के लिए दिन में करीब आठ से 12 गिलास पानी जरूर पिएं।
तीसरी तिमाही की डायट में विटामिन ए रिच फूड करें शामिल
आपने सुना होगा कि आंखों के लिए विटामिन ए बहुत जरूरी होता है। तीसरी तिमाही में बच्चे का विकास लगभग हो चुका है उसकी आंखों की अच्छी सेहत के लिए आपको खाने में विटामिन ए से भरपूर फूड को खाने में शामिल करना चाहिए। आप गाजर, पीली या नारंगी सब्जियां, अंडा, दूध,पालक, स्वीट पोटेटो, पपीता, दही, सोयाबीन और दूसरी पत्तेदार सब्जियों को खाने में शामिल करें। इससे आपको उचित मात्रा में विटामिन ए मिलेगा। साथ ही विटामिन ए इम्यून सिस्टम के काम को बेहतर बनाने और हार्ट,फेफड़े, किडनी के साथ ही शरीर के दूसरे आवश्यक अंगों के कार्यों को भी सामान्य रखने के लिए जरूरी होता है।