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प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल का सेवन नुकसानदायक है या नहीं? जानिए यहां

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Mayank Khandelwal


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 03/05/2021

    प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल का सेवन नुकसानदायक है या नहीं? जानिए यहां

    प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल के सेवन की मनाही होती है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि पहले ट्राइमेस्टर में न्यूनतम मात्रा में इसका सेवन महिलाओं के लिए नुकसानदायक नहीं है। इसको लेकर कई अध्ययन भी किए जा चुके हैं। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह और कितनी भी मात्रा में एल्कोहॉल का सेवन करना सुरक्षित नहीं माना जाता। जर्नल ऑब्स्ट्रेटिक एंड गायनेकोलॉजी प्रकाशित तथ्यों के अनुसार पहले ट्राइमेस्टर में न्यूनतम मात्रा में एल्कोहॉल का सेवन करना कम नुकसानदायक होता है। इसमें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या और प्रीमैच्योर डिलिवरी का खतरा कम देखा गया है। साथ ही बच्चे का वजन कम होने के संकेत भी नहीं मिले हैं। “हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल का सेवन करना सही है या नहीं? क्या इसकी कुछ मात्रा निर्धारित है?

    प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल का सेवन कितना सही कितना गलत?

    गर्भवती महिला के ब्लड में एल्कोहॉल मिलकर गर्भनाल (umbilical cord) के माध्यम से शिशु तक पहुंचती है जो शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होती है। गर्भावस्था के दौरान शराब पीने से गर्भपात, स्टिलबर्थ (still birth) और आजीवन शारीरिक, व्यवहारिक और बौद्धिक अक्षमता हो सकती है। इन असामान्यताओं को भ्रूण एल्कोहॉल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (FASDs) के रूप में जाना जाता है। यह एक साइंटिफिक टर्म है जिसका उपयोग एल्कोहॉल की वजह से गर्भ में पल रहे शिशु के साथ होने वाली समस्याओं के लिए करते हैं। भ्रूण एल्कोहॉल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले शिशुओं में निम्नलिखित विशेषताएं और व्यवहार हो सकते हैं:

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  • असामान्य चेहरे की विशेषताएं,
  • सिर का आकार सामान्य से छोटा होना
  • औसत से कम ऊंचाई
  • शरीर का वजन कम होना
  • खराब कोऑर्डिनेशन
  • अतिसक्रिय व्यवहार
  • ध्यान लगाने में कठिनाई
  • कमजोर याददाश्त
  • विषयों में कठिनाई (खासकर गणित के साथ)
  • लर्निंग डिसेबिलिटी
  • बोलचाल में देरी
  • बौद्धिक विकलांगता या कम आईक्यू लेवल
  • खराब तर्क-वितर्क
  • देखने या सुनने की समस्या
  • हृदय, किडनी या हड्डियों की समस्या आदि।
  • एल्कोहॉल पीने से पड़ सकता है मामूली असर

    इस पर हावर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के चीफ मेडिकल एडिटर डॉक्टर फेरगस मेककेर्थी और आयरलैंड, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के उनके सहयोगियों ने एक अध्ययन किया। उन्होंने 2004 और 2011 के बीच पहली बार शिशुओं को जन्म देने वाली 5,628 महिलाओं के नतीजों का विश्लेषण किया। इनमें से ज्यादातर महिलाओं ने पहले ट्राइमेस्टर में एल्कोहॉल का सेवन किया था।

    19 प्रतिशत महिलाओं ने कभी- कभार एल्कोहॉल का सेवन किया। 25 प्रतिशत महिलाओं ने न्यूनतम मात्रा में एल्कोहॉल का सेवन किया या हफ्ते में तीन से सात ड्रिंक्स लीं। दूसरी 15 प्रतिशत महिलाओं ने एक सप्ताह में सात से ज्यादा ड्रिंक्स लीं।

    इस अध्ययन से पता चला कि प्री-मैच्योर बर्थ, कम वजन या छोटे आकार के बच्चे और प्री-एक्लम्पसिया-एक संभावित जानलेवा स्थिति जिसमें एक गर्भवती महिला को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो जाती है। यह स्थितियां एल्कोहॉल का सेवन करने वाली महिलाओं में भी समान रूप से पाई गईं।

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    दिग्गज संस्थानों की राय अलग

    पिछले कुछ दशकों से महिलाओं को एल्कोहॉल का सेवन न करने की सलाह दी जाती हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी और यूनाइटेड किंगडम का रॉयल कॉलेज ऑफ ओब्स्ट्रेटिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट दोनों ही महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान एल्कोहॉल का सेवन न करने की सलाह देते हैं।

    इसके पीछे वजह है प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक मात्रा में एल्कोहॉल का सेवन करने से भविष्य में ऐसी बीमारियां हो सकती हैं, जिनका इलाज संभव नहीं है। इन्हें फेटल एल्कोहॉल सिंड्रोम (एफएएस) के नाम से जाना जाता है। इनके अलावा बच्चों में अन्य असामान्यताएं भी हो सकती हैं।

    एल्कोहॉल पीने से बच्चे का ऊपर का होठ पतला, आंख खुलने में परेशानी जैसी असामान्यताएं हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त बच्चे का सिर छोटा रह सकता है। शिशु अपनी औसत लंबाई से छोटा हो सकता है। उसका वजन भी कम हो सकता है। साथ ही उसका व्यवहार हायपर एक्टिव हो सकता है। दिमागी रूप से ध्यान केंद्रित करने में दिक्कतें आ सकती हैं।

    उसकी सोचने समझने की क्षमता कमजोर हो सकती है। देखने और सुनने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा शिशु के दिल, गुर्दों और हड्डियों में परेशानी हो सकती है।

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    शिशु को हो सकती हैं लाइलाज बीमारियां

    अमेरिकन प्रेग्नेंसी एसोसिएशन के अनुसार प्रेग्नेंट महिला के एल्कोहॉल पीने से यह प्लेसेंटा द्वारा भ्रूण तक पहुंच जाती है। इससे कई बार मिसकैरिज, गर्भ में शिशु की मृत्यु तक हो सकती है। इसके साथ ही बच्चा व्यवहारिक और मानसिक रूप से अपंग हो सकता है। इन बीमारियों को फेटल एल्कोहॉल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एफएडी) के नाम से जाना जाता है। प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल पीने से शिशु में एफएडी होने से उसके नाक-कान, आंख और मुंह में असामान्यता हो सकती है।

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    सीडीसी की हिदायत

    सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, ‘प्रेग्नेंसी के दौरान एल्कोहॉल के सेवन के लिए कोई भी समय सुरक्षित नहीं है। एल्कोहॉल प्रेग्नेंसी की पूरी अवधि के दौरान समस्या पैदा कर सकती है।

    यहां तक कि जब तक महिला को पता नहीं चलता कि वह प्रेग्नेंट है तब भी यह नुकसानदायक है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीनों में एल्कोहॉल का सेवन करने से शिशु का चेहरा असामान्य हो सकता है। प्रेग्नेंसी की किसी भी अवधि के दौरान एल्कोहॉल का सेवन करने से शिशु का विकास और उसका सेंट्रल नर्वस सिस्टम प्रभावित हो सकता है।’

    सीडीसी के अनुसार पूरी गर्भावस्था के दौरान शिशु के मस्तिष्क का विकास होता है और इस अवधि के दौरान एल्कोहॉल के संपर्क में आने से यह प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। यदि कोई महिला प्रेग्नेंसी के दौरान एल्कोहॉल का सेवन करती है तो जितनी जल्दी हो सके वह इसे बंद कर दे।

    अब तो आप समझ ही गईं होगीं कि प्रेग्नेंसी के दौरान शराब का सेवन खतरनाक हो सकता है। एल्कोहॉल का सेवन वैसे भी नुकसान पहुंचाता है तो प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल तो पूरी तरह छोड़ ही देना आपके और शिशु के लिए बेहतर होगा क्योंकि इस दौरान आप जो भी खाती हैं उसका सीधा असर बच्चे पर होता है। सुरक्षा के लिहाज से प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल का सेवन बिल्कुल न करना ही शिशु के लिए सबसे सुरक्षित होता है। उम्मीद है यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा अगर आपका कोई और सवाल है तो कमेंट बॉक्स में आप हमसे पूछ सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।

    डिस्क्लेमर

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