आईवीएफ (IVF) को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहते हैं, यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से ऐसी महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं, जिन्हें गर्भधारण में परेशानी आती है। दरअसल इस प्रॉसेस से महिला में दवाओं की मदद से फर्टिलिटी बढ़ाई जाती है जिसके बाद ओवम (अंडाणु/अंडों) को सर्जरी की मदद से निकाला जाता है और इसे लैब भेजा जाता है, जिससे आईवीएफ प्रेग्नेंसी के लक्षण (Symptoms of Pregnancy Through IVF) की जानकारी मिल सकती है। लैब में पुरुष के स्पर्म (शुक्राणु) और महिला के ओवम को एक साथ मिलाकर फर्टिलाइज किया जाता है। 3-4 दिनों तक लैब में रखने के बाद फर्टिलाइज्ड भ्रूण (Embryo) को जांच के बाद महिला के गर्भ में इम्प्लांट किया जाता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार IVF के इस प्रॉसेस में 2 से 3 सप्ताह का वक्त लगता है। यूट्रस (बच्चेदानी) में एम्ब्रियो इम्प्लांट होने के 2 सप्ताह बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट से महिला के गर्भवती होने की जांच की जाती है। प्रेग्नेंसी टेस्ट के अलावा आईवीएफ प्रेग्नेंसी के लक्षण (Symptoms of Pregnancy Through IVF) को भी समझा जा सकता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए आईवीएफ के बाद प्रेग्नेंसी के लक्षण क्या दिखाई दे सकते हैं।
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IVF प्रेग्नेंसी के लक्षण क्या हैं?
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के बाद महिला निम्नलिखित लक्षण से पॉजिटिव IVF प्रेग्नेंसी के लक्षण समझ सकतीं हैं। इनमें शामिल हैं-
1. आईवीएफ प्रेग्नेंसी के लक्षण :पीरियड्स नहीं आना
यह जरूरी नहीं की पीरियड्स (मासिक धर्म) न आने का कारण गर्भ ठहरना ही हो बल्कि ऐसी महिला जिन्होंने गर्भवती होने के लिए IVF का विकल्प चुना है उन्हें इस प्रोसेस के 2 हफ्ते के बाद स्पोटिंग या हल्की ब्लीडिंग हो सकती हैं।
2. आईवीएफ प्रेग्नेंसी के लक्षण :सिरदर्द होना
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के बाद सिरदर्द होना IVF प्रेग्नेंसी के लक्षण सबसे पहले समझ आते हैं।
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3.आईवीएफ प्रेग्नेंसी के लक्षण : जी मिचलाना
जी मिचलाना सामान्य प्रेग्नेंसी के साथ ही IVF प्रेग्नेंसी के लक्षण हैं। कभी-कभी इस दौरान ज्यादा उल्टी होने की परेशानी भी हो सकती है।
4. आईवीएफ प्रेग्नेंसी के लक्षण :ब्रेस्ट में बदलाव
IVF इम्प्लांट होने के बाद गर्भ ठहरने के बाद स्तन में बदलाव महसूस किए जा सकते हैं। स्तन सॉफ्ट होने के साथ ही निप्पल का रंग भी गहरा हो सकता है।
5. आईवीएफ प्रेग्नेंसी के लक्षण :थकान महसूस होना
सफल IVF के बाद महिला अत्यधिक थका हुआ महसूस कर सकती है। यह एक संकेत की तरह है कि अब गर्भावस्था प्रारंभ होने वाली है।
6.आईवीएफ प्रेग्नेंसी के लक्षण : प्यास लगना और ज्यादा यूरिन होना
गर्भवस्था की शुरुआत के साथ ही शरीर का मेटाबॉलिक रेट बढ़ जाता है। इस दौरान किडनी शरीर में मौजूद ज्यादा वेस्ट को फिल्टर करती है। इसी कारण प्यास ज्यादा लगती है और बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है।
7. आईवीएफ प्रेग्नेंसी के लक्षण :सलाइवा का ज्यादा बनना
हॉर्मोन में हो रहे बदलाव के कारण सलाइवा फॉर्मेशन ज्यादा होता है।
8. आईवीएफ प्रेग्नेंसी के लक्षण :एब्डॉमिनल क्रैंप
IVF प्रॉसेस के बाद जब भ्रूण (embryo) यूट्रस से अटैच होने लगता है तो ऐसी स्थिति में एब्डॉमिनल क्रैंप महसूस किया जा सकते हैं। इस दौरान ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो सकती है या नहीं भी हो सकती है।
9. आईवीएफ प्रेग्नेंसी के लक्षण : मूड स्विंग होना
गर्भावस्था के दौरान मूड स्विंग होना सामान्य है और यह सामान्य गर्भावस्था के लक्षणों के साथ-साथ IVF प्रेग्नेंसी के लक्षण भी हो सकते हैं। हालांकि, इन लक्षणों के साथ ही IVF प्रॉसेस को सफल बनाने के लिए कुछ बातों को ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
IVF को सक्सेसफुल बनाने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखें?
आईवीएफ को सफल बनाना है, तो ये सब न करें-
- भारी सामान नहीं उठाएं।
- एल्कोहॉल का सेवन न करें।
- स्मोकिंग न करें और स्मोकिंग जोन से दूरी बनाएं रखें।
- IVF को सफल बनाने के लिए गर्मी का मौसम सबसे बेहतर समय माना जाता है लेकिन, इसका यह अर्थ नहीं कि आप अत्यधिक हीट के संपर्क में रहें।
- पैक्ड फूड और पैक्ड जूस या फ्रोजन खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- तनाव से बचें।
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इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के बाद ऊपर बताए गए 9 लक्षण महसूस किए जा सकते हैं लेकिन, अगर आप IVF प्रेग्नेंसी के लक्षण से जुड़े किसी तरह के सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। आइए अब जानते हैं आइवीएफ से जुड़े कुछ फैक्ट्स।
27.5 मिलियन लोग भारत में इनफर्टिलिटी के शिकार
साल 2018 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार 27.5 मिलियन लोग भारत में इनफर्टिलिटी के शिकार हैं। इनफर्टिलिटी की समस्या के कारण प्रेग्नेंसी में समस्या होती है। हालांकि ऐसा नहीं है की इनफर्टिलिटी की समस्या होने पर गर्भधारण नहीं हो सकता है। बढ़ती टेक्नोलॉजी की मदद से पैरेंट्स बनना कुछ हद तक आसान हो गया है। इन्हीं तकनीकों में से एक है IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन)। अब जानते हैं आइवीएफ के कुछ फैक्ट्स।
1. गर्भावस्था की गारंटी नहीं होती
गर्भधारण करने में अगर परेशानी हो रही है तो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन की मदद से गर्भधारण किया जा सकता है लेकिन, यह कितना सक्सेसफुल होगा इसकी कोई गारंटी नहीं होती है। हालांकि IVF को सक्सेसफुल बनाया जा सकता है।
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2. इन विट्रो फर्टिलाइजेशन लंबी प्रक्रिया है
महिअलों में पीरियड्स (मासिक धर्म) साइकिल 28 दिनों का होता है लेकिन, IVF के बाद यह साइकिल बढ़ सकता है। इसलिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) से गर्भधारण करने के पहले फर्टिलिटी एक्सपर्ट से जरूर मिलना चाहिए। IVF के इस प्रॉसेस में 2 से 3 सप्ताह का वक्त लगता है। यूटरस (बच्चेदानी) में इम्ब्रियो इम्प्लांट होने के 2 सप्ताह बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट किट की सहायता से महिला के गर्भवती होने की जांच की जाती है। ऐसे कपल जो बहुत जल्द पैरेंट्स बनना चाहते हैं उनके लिए ये किसी लंबे इंतजार से कम नहीं होता है।
3. IVF की जरूरत नैचुरल तरह से कंसीव करने पर भी पड़ सकती है
कई बार कपल्स पहली प्रेग्नेंसी में के दौरान गर्भधारण बिना किसी परेशानी के करते हैं लेकिन, सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भधारण में समस्या आ सकती है। ऐसे में IVF का सहारा लिया जा सकता है, लेकिन फैक्ट्स के अनुसार नैचुरल प्रेग्नेंसी होने के बाद भी इस दौरान समस्या हो सकती है।
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4. IVF की मदद से प्रेग्नेंसी बनने वाले पिता पर भी प्रभाव डाल सकता है
वैसे यह सच है की महिलाओं को एक नहीं बल्कि कई सारे मेडिकल टेस्ट से गुजरना पड़ता है लेकिन, IVF की कई स्टेज में पिता पर भी इमोशनल हो जाते हैं।
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5. आप रिलैक्स नहीं करेंगे
जैसे ही पॉजिटिव प्रेग्नेंसी की जानकारी मिलती है आप (रिलैक्स) नहीं कर पाएंगे। दरअसल यहां रिलैक्स का मतलब अलग है क्योंकि आपकी प्रेग्नेंसी प्लानिंग के बाद भी गर्भ नहीं ठहर रहा था लेकिन, जिस वक्त आप इंतजार कर रहें थे वो अब आपके पास है और जल्द ही अब लाइफ पार्टनर के साथ-साथ पैरेंट्स भी बन जाएंगे।
ये हैं IVF फैक्ट्स लेकिन, अगर आप इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की मदद से माता-पिता बनना चाहते हैं और इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। आईवीएफ की सफलता महिला और पुरुष के स्वास्थ्य पर भी निर्भर करती है। कुछ लोगों में पहली बार में ही आईवीएफ की प्रोसेस सक्सेसफुल हो जाती है वहीं कुछ लोगों के साथ ऐसा नहीं हो पाता है। आईवीएफ की प्रोसेस में धैर्य की जरूरत भी पड़ सकती है इसलिए आपको घबराने की जरूरत नहीं है। अगर आपके मन में कुछ प्रश्न हो तो आप ऐसे कपल्स से भी संपर्क कर सकते हैं जो आईवीएफ की सहायता से पेरेंट्स बने हो।
उपरोक्त दी गई जानकारी मेडिकल एडवाइज का विकल्प बिल्कुल नहीं है। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
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