सरोगेट मां का होता है ट्रायल (Trial of surrogate mother)
सरोगेट मां में भ्रूण इम्प्लांट करने से पहले उसका ट्रायल किया जाता है। इसे मॉक प्रेग्नेंसी भी कहते हैं। डॉक्टर सेरोगेट मां को कुछ मेडिसिन देता है। दो सप्ताह के लिए एस्ट्रोजन (estrogen) और प्रोजेस्ट्रॉन (progesterone) की कुछ मात्रा दी जाती है। इस दौरान ये चेक किया जाता है कि होने वाली मां का यूट्रस सही तरह से रिस्पॉन्स कर रहा है या फिर नहीं। इस दौरान यूट्रस (uterus) की लाइनिंग को थिक करने की कोशिश की जाती है। ये ट्रायल भविष्य में सरेगोट मां को समस्याओं से बचाने के लिए किया जाता है।
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सरोगेट मां दूसरी बार भी अपना सकती है ये प्रॉसेस
जो महिला एक बार सरोगट मदर (surrogate mother) बन चुकी है, वो दूसरी बार भी सरोगेट मां बन सकती है। इसके लिए जरूरी है कि मां का शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हो। साथ ही सरोगेट मां प्रेग्नेंसी के लिए पूरी तरह से तैयार होनी चाहिए। वैसे तो महिलाएं इसे करियर के तौर पर नहीं अपना सकती हैं, लेकिन कुछ महिलाएं इसे दो बार या अधिक बार करना चाहती हैं। ये बात राशि या भुगतान से जुड़ी हुई है।
रियल कपल्स को भी करनी चाहिए कुछ तैयारी
सरोगेसी ((surrogacy) के लिए अगर कोई भी कपल मन बना रहे हैं तो उसे कुछ बातों का ध्यान भी रखना पड़ता है। बिना प्लानिंग के सरोगेसी के बाद दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सरोगेसी (surrogacy) के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि सरोगेट मां बच्चे को जन्म देती है, ऐसे में बच्चे का अपीयरेंस कुछ अलग हो सकता है।