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सरोगेट मां (surrogate mother) और सरोगेसी क्या होती है? क्या आप इसके बारे में जानते हैं?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/11/2023

    सरोगेट मां (surrogate mother) और सरोगेसी क्या होती है? क्या आप इसके बारे में जानते हैं?

    जो कपल पैरैंट्स बनना चाहते हैं, लेकिन किसी वजह से ऐसा नहीं हो पाता है तब सरोगेसी की मदद ली जाती है। सरोगेसी को किराए की कोख के नाम से भी जाना जाता है। यानी मां के एग और पिता के स्पर्म को किसी किराए की कोख (surrogacy) में डेवलप कराया जाता है। सरोगेट मां (surrogate mother) डोनर के बच्चे को जन्म देती है। सरोगेसी एक मेडिकल समस्या का चिकित्सीय समाधान है। इस विधि से गर्भधान किया जाता है। सरोगेसी के अधिकांश मामलों में कपल्स को कामयाबी मिलती है।

    कैसी होती है सरोगेट मां? (surrogate mother)

    सरोगेट मां (surrogate mother) कपल के परिवार की महिला भी हो सकती है। आमतौर पर सरोगेट मदर ऐसी औरत होती है, जिसके खुद के बच्चे भी होते हैं। सरोगेट मां बच्चे को पूरे नौ महीने अपनी कोख में रखती है। होने वाले बच्चे और सेरोगेट मदर की जिम्मेदारी कपल्स को उठानी पड़ती है। वकीलों की मौजूदगी में कई बातों को जरूरी बातों को डिस्कस किया जाता है। साथ ही सरोगेट मदर (surrogate mother) की शारीरिक, मानसिक जांच के साथ ही प्रजनन क्षमता को भी जांचा जाता है

    सरोगेट मां और सरोगेसी (Types of surrogacy)

    सरोगेसी के बारे में जब भी बात होती है तो हम सिर्फ किराए की कोख के बारे में ही सोचते हैं। सरोगेसी ट्रेडिशनल (traditional surrogacy) और आर्टिफिशियल (artificial surrogacy) तरह से की जाती है। इसमें महिला के एग के साथ पुरुष के स्पर्म का फर्टिलाइजेशन होता है। आर्टिफिशियल सरोगेसी में सरोगेट मां में स्पर्म का इंसेमिनेशन कराया जाता है। सरोगेसी का दूसरा टाइप होता है जेस्टेशनल सरोगेसी (gestational surrogac)। इसे एक ऑप्शन के रूप में अपनाया जाता है। इसमे सरोगेट मां डोनर के एग और डोनर के स्पर्म को कंसीव करती है। इस तरह की सरोगेसी में बच्चे से सरोगेट मां का कोई भी जेनेटिक कनेक्शन नहीं होता है।

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    सरोगेट मां और सरोगेसी इन देशों में लीगल नहीं

    अगर आपको लग रहा है कि ये सुविधा पूरे विश्व भर में है, तो ऐसा नहीं है। 50 देशों में सरोगेसी लीगल नहीं है। वहां की सरकार ने इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया हुआ है। वहीं, जहां भी ये लागू है वहां सरोगेसी के अलग नियम लागू होते हैं। आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में!

    सरोगेट मां का होता है ट्रायल (Trial of surrogate mother)

    सरोगेट मदर

    सरोगेट मां में भ्रूण इम्प्लांट करने से पहले उसका ट्रायल किया जाता है। इसे मॉक प्रेग्नेंसी भी कहते हैं। डॉक्टर सेरोगेट मां को कुछ मेडिसिन देता है। दो सप्ताह के लिए एस्ट्रोजन (estrogen) और प्रोजेस्ट्रॉन (progesterone) की कुछ मात्रा दी जाती है। इस दौरान ये चेक किया जाता है कि होने वाली मां का यूट्रस सही तरह से रिस्पॉन्स कर रहा है या फिर नहीं। इस दौरान यूट्रस (uterus) की लाइनिंग को थिक करने की कोशिश की जाती है। ये ट्रायल भविष्य में सरेगोट मां को समस्याओं से बचाने के लिए किया जाता है।

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    सरोगेट मां दूसरी बार भी अपना सकती है ये प्रॉसेस

    जो महिला एक बार सरोगट मदर (surrogate mother) बन चुकी है, वो दूसरी बार भी सरोगेट मां बन सकती है। इसके लिए जरूरी है कि मां का शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हो। साथ ही सरोगेट मां प्रेग्नेंसी के लिए पूरी तरह से तैयार होनी चाहिए। वैसे तो महिलाएं इसे करियर के तौर पर नहीं अपना सकती हैं, लेकिन कुछ महिलाएं इसे दो बार या अधिक बार करना चाहती हैं। ये बात राशि या भुगतान से जुड़ी हुई है।

    रियल कपल्स को भी करनी चाहिए कुछ तैयारी

    सरोगेसी ((surrogacy) के लिए अगर कोई भी कपल मन बना रहे हैं तो उसे कुछ बातों का ध्यान भी रखना पड़ता है। बिना प्लानिंग के सरोगेसी के बाद दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सरोगेसी (surrogacy) के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि सरोगेट मां बच्चे को जन्म देती है, ऐसे में बच्चे का अपीयरेंस कुछ अलग हो सकता है।

  • होने वाले बच्चे का चेहरा पेरेंट्स से मिलता है, लेकिन सरोगेसी (surrogacy) से पैदा होने वाले बच्चे का लुक पेरेंट्स के लुक से अलग हो सकता है। यह निर्भर करता है कि अगर कपल के ओवम और स्पर्म को फर्टिलाइज करवाकर सरोगेट मदर के यूट्रस में इम्प्लांट किया गया है या कोई और विकल्प अपनाया गया है।
  • सरोगेट मां की डिलिवरी के बाद स्तनों से दूध आएगा, ऐसे में बायोलॉजिकल मां को पहले से तय कर लेना चाहिए कि बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कैसे करानी है। इस बारे में डॉक्टर से राय लेने के बाद जो उचित हो वो फैसला लेना चाहिए।
  • जिस तरह से बेबी प्लानिंग (Baby planing) या प्रेग्नेंसी प्लानिंग (Pregnency Planing) की योजना बनाते हैं ठीक उसी तरह मिल्क फीडिंग के बारे में प्लानिंग करें।
  • कपल्स अपना स्वभाव नैचुरल रखें। भले ही बच्चा किसी और की कोख से जन्म ले रहा हो, लेकिन वो बॉयोलॉजिकली आपका ही है।
  • सरोगेसी प्लानिंग के साथ ही यह भी निर्णय लेना भी जरूरी होता है कि आपका स्वभाव सरोगेट मां के साथ कैसा रहना चाहिए। उनके साथ कपल को बैलेंस्ड स्वभाव को बनाए रखना जरूरी होता है। सेरोगेट मां भले ही केवल आपके बच्चे को जन्म दे रही है, लेकिन वो भी बच्चे के साथ भावनाओं में बंध सकती है। ऐसे में रियल पेरेंट्स को अपना स्वभाव सरोगेट मां के प्रति संयमित रखना चाहिए।
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    सरोगेट मां (Surrogate Mother) की भी होती है जिम्मेदारी

    गर्भावस्था के साथ ही सरोगेट मां (surrogate mother) को भी कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। अपनी भावनाओं को काबू रखने के साथ ही एक सेरोगेट मदर प्रेग्नेंसी के दौरान अपना ध्यान रखने के साथ ही होने वाले बच्चे की हेल्थ का भी पूरा ख्याल रखती है।

    सही समय पर मेडिसिन

    जिस तरह से एक सामान्य महिला को प्रेग्नेंसी में सप्लिमेंट्स (pregnancy supplements) लेने पड़ते हैं, ठीक वैसे ही सरोगेट मां भी प्रेग्नेंसी के दौरान जरूरी दवाइयां खाती है। सरोगेट मां के पास उसकी देखरेख करने के लिए कोई मौजूद भी हो सकता है।

    कपल के संपर्क में रहना

    सरोगेट मां का अगर कोई ध्यान रख रहा है तो वो समय- समय पर जरूरी जानकारी कपल को पहुंचाता रहता है। अगर ऐसा नहीं है तो जिस क्लीनिक की हेल्प से सरोगेट मां को सर्च किया गया था, वो जरूरी जानकारी देने का काम करता है। अगर सरोगेट मां (surrogate mother) कपल्स को जानती हैं और उनकी बातचीत होती है तो वह खुद भी कपल्स को जानकारी दे सकती है।

    इमोशनल न हो सरोगेट मां

    गर्भ में पल रहे शिशु के साथ इमोशनल न होना जन्म देने वाली मां के लिए बेहतर रहेगा क्योंकि डिलिवरी के बाद नवजात आपके पास नहीं रहेगा।

    कानूनी दस्तावेज संभालना

    सरोगेसी की पूरी प्रक्रिया के बाद कुछ जरूरी कानूनी दस्तावेज दिए जाते हैं। उन्हें संभालकर रखना भी जरूरी होता है।

    सरोगेसी के बारे में ऐसी बहुत सी बातें हैं, जो आपको डॉक्टर से बातचीत के दौरान ही पता चल पाएगी। अगर आप भी इस बारे में कुछ जानकारी चाहते हैं तो एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

    डिस्क्लेमर

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