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पारंपरिक सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी क्या है?

पारंपरिक सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी क्या है?

शारीरिक कमी या किसी मेडिकल कंडीशन की वजह से जो महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती, वह मां बनने के लिए सरोगेसी का सहारा लेती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि सरोगेसी भी दो तरह की होती है पारंपरिक सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी (Traditional and gestational surrogacy)। अगर आप भी सरोगेसी के बारे में सोच रही हैं तो आपको पता होना चाहिए कि यह कितने तरह की होती है और इसके क्या फायदे और नुकसान हैं।

पारंपरिक सरोगेसी या ट्रेडिशनल सरोगेसी (Traditional and gestational surrogacy)

पारंपरिक सरोगेसी या ट्रेडिशनल सरोगेसी (Traditional and gestational surrogacy)

ट्रेडिशनल या पारंपरिक सरोगेसी में सरोगेट मदर के एग को पिता बनने की चाह रखने वाले पुरुष के स्पर्म के साथ लैब में फर्टिलाइज किया जाता है और फिर उसे सरोगेट मदर के गर्भाशय में डाल दिया जाता है। जहां भ्रूण का नौ महीने तक विकास होता है। जन्म के बाद सरोगेट मदर उस पुरुष या कपल को बच्चा सौंप देती है। इस स्थिति में महिला बच्चे की बायलॉजिकल मां होती है।

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जेस्टेशनल सरोगेसी (Gestational surrogacy)

यह एडवांस तकनीक है। पारंपरिक सरोगेसी में बच्चा चाहने वाले कपल में से सिर्फ पुरुष के शुक्राणुओं का इस्तेमाल होता है, लेकिन मां के अंडाणु का नहीं, यानी मां के जीन्स बच्चे में नहीं आते, इसलिए कुछ महिलाएं जेस्टशनल सरोगेसी करवाती हैं। इसमें मां के अंडाणु और पिता के स्पर्म को फर्टिलाइज करके सरोगेट मदर के गर्भाशय में डाला जाता है। इस तरह से सरोगेट मदर का बच्चे से कोई बायलॉजिकल कनेक्शन नहीं होता है। वह नौ महीने गर्भ में बच्चे को रखकर जन्म देती है और फिर माता-पिता को बच्चा सौंप दिया जाता है।

ट्रेडिशनल सरोगेसी या पारंपरिक सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी (Traditional and gestational surrogacy) में अंतर

इन दोनों में अंतर मां और पिता के जींस का है। पारंपरिक सरोगेसी में सिर्फ पिता के स्पर्म का इस्तेमाल होता है मां के अंडाणुओं का नहीं। जबकि जेस्टेशनल सरोगेसी में पिता के स्पर्म के साथ ही मां के अंडाणुओं का इस्तेमाल होता है यानी ये दोनों बच्चे के बायलॉजिकल माता-पिता होते हैं। बस कोख किसी और महिला की होती है। इसके अलावा भी इनमें कई अंतर हैं।

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एग डोनर

जेस्टेशनल सरोगेसी में एग डोनर के एग से भ्रूण तैयार किया जाता है और उसे सरोगेट मदर के गर्भ में डाला जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल समलैंगिक, सिंगल पुरुष या हेट्रोसेक्शुअल कपल कर सकते हैं। जबकि पारंपरिक सरोगेसी में एग डोनर की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इसमें सरोगेट मदर के ही अंडाणुओं का इस्तेमाल होता है, यानी वही डोनर भी होती है और बच्चे को जन्म देनी वाली मां भी। जबकि जेस्टेशनल सरोगेसी में सरोगेट मदर सिर्फ बच्चे को जन्म देती है।

मेडिकल प्रक्रिया

जेस्टेशनल सरोगेसी और पारंपरिक सरोगेसी के लिए अलग-अलग मेडिकल प्रोसिजर का इस्तेमाल होता है। जेस्टेशनल सरोगेसी में आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल होता है। डोनर एग (मां) और स्पर्म (पिता) को फर्टिलाइज करके सरोगेट मदर के गर्भ में डाला जाता है। पारंपरिक सरोगेसी में भी आईवीएफ तकनीक का इस्तेमाल हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इसमें आईयूआई यानी इंट्रायूट्राइन इन्सेमिनेशन तकनीक का इस्तेमाल होता है। आईयूआई प्रक्रिया सिंपल है और इसमें सरोगेट मदर को प्रक्रिया से पहले ढेर सारे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं होती है।

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सरोगेसी प्रोफेशनल

कुछ सरोगेसी विशेषज्ञों को पारंपरिक सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी (Traditional and gestational surrogacy) में विशेषज्ञता प्राप्त होती है। पारंपरिक सरोगेसी में कानूनी और भावनात्मक जटिलताएं अधिक होती हैं, जबकि जेस्टेशनल सरोगेसी में यह कम होती है। इसलिए जेस्टेशनल सरोगेसी के विशेषज्ञ आसानी से मिल जाते हैं। पारंपरिक सरोगेसी अपनाने वाले कपल्स के पास सरोगेसी प्रोफेशनल के बहुत कम विकल्प रहते हैं।

चूंकि जेस्टेशनल सरोगेसी में सरोगेट मदर का बच्चे से कोई बायलॉजिकल रिश्ता नहीं होता इसलिए बच्चे को देते समय भावनात्मक परेशानी नहीं होती, जबकि पारंपरकि सरोगेसी में सरोगेट मदर का बच्चे से बायलॉजिकल रिश्ता होता है ऐसे में उसके लिए बच्चे को जन्म के बाद दूसरे को देना मुश्किल हो जाता है। पारंपरिक सरोगेसी के लिए योग्य सरोगेट मदर ढूंढ़ने में कपल्स को अधिक समय लगता है।

सरोगेसी की लागत

पारंपरिक सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी (Traditional and gestational surrogacy) में एक अंतर ये है कि पारंपरिक सरोगेसी जेस्टेशनल से किफायती होती है, क्योंकि पारंपरिक सरोगेसी के लिए आईयूआई तकनीक का इस्तेमाल होता है जो आईवीएफ से सस्ती है।

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ट्रेडिशनल सरोगेसी या पारंपरिक सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी (Traditional and gestational surrogacy) के फायदे

  • जो महिला किसी कारणवश गर्भधारण नहीं कर सकती, उसके लिए सरोगेसी एक वरदान है। यदि उसके अंडाणुओं की क्वालिटी खराब है तो भी वह पारंपरिक सरोगेसी के जरिए मां बन सकती है।
  • यदि किसी हादसे में पति-पत्नी में से किसी की मौत हो जाए तो भी सरोगेसी के जरिए एक पार्टनर बच्चे की ख्वाहिश पूरी कर सकता है।
  • सिंगल पुरुषों या समलैंगिक जोड़े भी जेस्टेशनल सरोगेसी के सहारे माता-पिता बन सकते हैं।
  • जो लोग शादी नहीं करना चाहते, लेकिन बच्चा चाहते हैं उनके लिए भी सरोगेसी किसी वरदान से कम नहीं है। कई बॉलीवुड सेलिब्रिटी ने भी सरोगेसी का सहारा लिया है।
  • यदि कोई महिला सरोगेसी अपनाती है, लेकिन बच्चे में अपने जींस या गुण चाहती है तो जेस्टेशनल सरोगेसी का सहारा ले सकती है।

ट्रेडिशनल सरोगेसी या पारंपरिक सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी (Traditional and gestational surrogacy) के नुकसान

  • पारंपरिक सरोगेसी की तुलना में जेस्टेशनल सरोगेसी की प्रक्रिया अधिक जटिल और खर्चीली है।
  • पारंपरिक सरोगेसी के लिए सरोगेट मां ढूंढ़ना बहुत बड़ी चुनौती होती है।
  • जेस्टेशनल सरोगेसी में आपको एजेंसी के जरिए सरोगेट मां तो मिल जाती है, लेकिन इसकी कीमत बहुत अधिक होती है।
  • पारंपरिक सरोगेसी में सरोगेट मदर का बच्चे से भावनात्मक जुड़ाव होता है ऐसे में जन्म के बाद उसे बच्चे को कपल को सौंपने में परेशानी हो सकती है।
  • जहां तक कानूनी प्रक्रिया का सवाल है जो जेस्टेशनल सरोगेसी के लिए कानूनी प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श करें।

पारंपरिक सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी (Traditional and gestational surrogacy) कंसीव करने में असमर्थ मां और किसी फिजिकल चैलेंज से गुजर रहे कपल्स के लिए वरदान है। इस तकनीक का सहारा लेकर वे पेरेंट्स बनने की इच्छा पूरी कर सकते हैं। हालांकि इसका सहारा लेने से पहले कपल्स को अच्छी तरीके से जांच पड़ताल करनी चाहिए। ताकि एक बेहतर सरोगेट मदर मिल सके और यह प्रक्रिया बिना किसी रूकावट के पूरी हो सके। अगर पारंपरिक सरोगेसी का सहारा लिया जा रहा है तो सरोगेट मदर की हेल्थ का परीक्षण करना भी जरूरी होता है ताकि होने वाले बच्चे पर किसी प्रकार का कोई असर न हो। अगर आप पारंपरिक सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी के बारे में अधिक जानकारी लेना चाहते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें। वे आपके पारंपरिक सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी से जुड़े हर सवाल का सही तरीके से जवाब दे पाएंगे। ।

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डिस्क्लेमर

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https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6262674//(Accessed on 22nd December 2021)

Current Version

23/12/2021

Kanchan Singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Kanchan Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

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