हार्ट डिजीज की शिकार महिलाओं के मन में अक्सर यह सवाल होता है कि क्या वो हार्ट प्रॉब्लम होने पर प्रेग्नेसी प्लान कर सकती हैं? हम समझ सकते हैं कि आपका सवाल और डर दोनों ही बड़ा है। हां, दिल के रोग होने पर प्रेग्नेंसी प्लान की जा सकती है, लेकिन डॉक्टर की गाइडेंस में बहुत सारे बचाव और सावधानियों को ध्यान में रखते हुए। क्योंकि प्रेग्नेंसी के दाैरान शरीर में कई तरह के बदलाव वैसे भी आते है। तो ऐसे में प्रेग्नेंसी में हार्ट प्रॉब्लम (Pregnancy and Heart Problem) का खतरा और भी बढ़ जाता है। हार्ट प्रॉब्लम के अलावा और भी कई समस्याएं देखने को मिल हैं। जानिए प्रेग्नेंसी में हार्ट प्रॉब्लम (Pregnancy and Heart Problem) होने पर किन बातों का रखें ध्यान।
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प्रेग्नेंसी और हार्ट प्रॉब्लम में संबंध (Relation between the Pregnancy and Heart Problem)
हमारे पास बहुत से ऐसी महिलाएं पेशेंट आती हैं, जिन्हें पहले से ही हायपरटेंशन और हार्ट की समस्या होती है, लेकिन उन्हें पता नहीं हाेता है, जिसका पता उन्हें कंसीव करने के बाद पता चलता है। कुछ दिलों पहले ही मेरे पास एक मरीज आई थीं, जिनका नाम हेमा ( बदला हुआ नाम ) है और उस समय उनकी दो महीने की प्रेग्नेंसी थी। कुछ ब्लड टेस्ट और मेडिकल हिस्ट्री के बाद पता चला कि उन्हें लंबे समय से हायपरटेंशन की शिकार थीं। लेकिन इसके बारे में उन्हें पता नहीं था और न ही उनका कोई मेडिकशन चल रहा था। जब, उन्होंने कंसीव कर लिया तो साथ में अधिक चक्कर और पसीना आने जैसी कई और भी दिक्कतें बढ़ी। जब एक बार कार्डियोलॉजिस्ट से भी चेकअप करवाने को कहा तो पता चला कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर यानि की हायपरटेंशन की समस्या बढ़ चुकी है। इसके बाद अब उनकी दोनों मेडिकेशन चल रहे हैं, हार्ट पोजिशन को स्टेबल रखने के लिए उन्हें सबसे पहले कुछ माइल्ड दवाएं भी कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा दी गई है। उसके बाद पूरे नौ महीने उनके दिल की धड़कनों स्टेटस और ब्लड प्रेशर पर नजर रखी गई और आज अनिता एक हेल्दी बच्चे की मां हैं। इसके अलावा अब उनकी हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए रेग्यूलर चेकअप के साथ न्यूटि्शस डायट और वर्कआउट भी फॉलो करने की सलाह दी गई ताकि डिलिवरी में कई प्रकार की दिक्कत न आए। प्रेग्नेंसी में हार्ट प्रॉब्लम (Pregnancy and Heart Problem) होने पर बहुत सावधानी की जरूरत होती है।
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गर्भावस्था हृदय को कैसे प्रभावित करती है (How pregnancy affects the heart)?
गर्भावस्था आपके दिल और रक्त संचार के फंक्शन पर जोर देती है। गर्भावस्था के दौरान, बढ़ते हुए बच्चे को पोषण देने के लिए शरीर में रक्त की मात्रा 30 से 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है, ऐसे में आपका हृदय हर मिनट तेजी से रक्त पंप करता है और हृदय की गति बढ़ने लगती है। ऐसे में हायपरटेंशन की समस्या हो तो जटिलताएं और भी बढ़ जाती हैं। प्रसव के दौरान, आपको रक्त प्रवाह और दबाव में अचानक परिवर्तन होगा। प्रसव के बाद हृदय पर तनाव के स्तर पर लौटने में कई सप्ताह लगते हैं, जो आपके गर्भवती होने से पहले थे। प्रेग्नेंसी में हार्ट प्रॉब्लम के खतरों के बारे में जानें।
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प्रेग्नेंसी में हार्ट प्रॉब्लम के खतरे (Risk Factor) हैं?
इसके जोखिम आपके हृदय की स्थिति और उसकी गंभीरता पर निर्भर करते हैं। उदाहरण के लिए:
दिल की धडक्कन तेज होना (Rapid heartbeat)
गर्भावस्था के दौरान हार्ट बीट (Heart Beat) में मामूली असामान्यताएं होना आम हैं। वे आमतौर पर चिंता का कारण नहीं होती हैं। यदि आपको अतालता के लिए उपचार की आवश्यकता है, तो आपको संभवतः दवा दी जाएगी। लेकिन यदि समस्या कोई बड़ी है, तो इसका उपचार पेशेंट और कितनी महीने की प्रेग्नेंसी है, इस बात पर निर्भर करता है।
प्रेग्नेंसी में हार्ट प्रॉब्लम (Pregnancy and Heart Problem): हार्ट वाल्व की समस्या (Heart valve problem)
यदि किसी महिला को हार्ट वाल्व से संबंधित कोई समस्या है, तो गर्भावस्था के दौरान (During Pregदancy) जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। यदि आपके वाल्व ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, तो आपको गर्भावस्था के दौरान, बढ़े हुए रक्त प्रवाह जोखिम को और भी बढ़ा सकता है।
कोंजेस्टिव हार्ट फेल्योर (Congestive heart failure)
जैसे-जैसे रक्त की मात्रा के साथ ब्लड पम्प तेजी से होता है। उसी के साथ दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ता जाता है। यदि आपको जन्मजात हृदय दोष है, तो आपके बच्चे को भी किसी प्रकार के हृदय दोष के विकसित होने का अधिक जोखिम होता है। आपको गर्भावस्था के दौरान होने वाले दिल की समस्याओं का भी खतरा हो सकता है।
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क्या हार्ट डिजीज (Heart disease) के साथ के असानी से डिलिवरी की जा सकती है?
हार्ट पेंशेट महिलाएं भी सेफ डिलिवरी कर सकती हैं। बस इसके लिए जरूरत होती है रेग्युलर चेकअप, प्रोपर गाइडेंस और पॉजिटिव एट्टीयूट की।
वहीं फोर्टिस हॉस्पिटल में असोसिएट डायरेक्टर और कॉर्डियोलॉजिस्ट विनय सांघी कहते हैं कि प्रेग्नेंसी में कोई प्रॉब्लम नहीं आती, अगर समय रहते यह पता चल जाए कि लेडी को हार्ट प्रॉब्लम है। इसमें सबसे पहले हार्ट की कंडिशन को चेक कर लिया जाता है और फिर उसके अर्कोडिंग उसे ट्रीटमेंट दिया जाता है। लेडी को सांस लेने में प्रॉब्लम, पांवों में स्वेलिंग, सिर पर दर्द जैसी दिक्कतें इस दौरान आती हैं, जो आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर की वजह से होती हैं। बस, इसमें जरूरत होती है पूरी तरह डॉक्टर के टच में रहने की।
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प्रेग्नेंसी में हार्ट प्रॉब्लम (Pregnancy and Heart Problem): क्या कुछ हृदय स्थितियों में दूसरे की तुलना में अधिक जटिलताएं (Risk Factors) होती हैं?
हृदय की कुछ स्थितियां, विशेष रूप से माइट्रल वाल्व या महाधमनी वाल्व का संकुचित होना, मां या बच्चे के लिए जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है। परिस्थितियों के आधार पर, कुछ हृदय स्थितियों में प्रमुख उपचार की आवश्यकता होती है – जैसे कि हृदय शल्य चिकित्सा । इससे पहले कि आप गर्भ धारण करने का प्रयास करें। इसके अलावा उन महिलाओं के लिए गर्भावस्था की सलाह नहीं दी जाती है, जिनके पास दुर्लभ जन्मजात स्थिति ईसेन मेंजर सिंड्रोम या उच्च रक्तचाप है जो फेफड़ों में धमनियों और दिल के दाहिने हिस्से (फुफ्फुसीय उच्च रक्तचाप) को प्रभावित करता है।
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प्रेग्नेंसी में हार्ट प्रॉब्लम का मेडिकेशन (Medication for heart problems in pregnancy)
गर्भावस्था के दौरान आप जो दवाएं लेती हैं, उनका असर आपके बच्चे पर पड़ सकता है। हालांकि इसका इलाज और दवाएं मरीज की स्थिति पर निर्भर करती है। इसके अलावा रेग्यूलर चैकअप जरूरी है। प्रेग्नेंट और हार्ट प्रॉब्लम से जूझ रही महिलाओं को प्रेग्नेंसी प्लानिंग के शुरूआत के साथ ही अपना रेग्युलर चेकअप करवाना चाहिए। ताकि आपकी पूरी हेल्दी प्रेग्नेंसी निकल जाए। मां और शिशु दोनाें ही हेल्दी रहें। रेग्यूलर चेकअप करवाने से सही कंडिशन के बारे में पता चलता रहेगा और जरूरनुसार ट्रीटमेंट भी दिया जा सकता है।पके बच्चे के विकास को ट्रैक करने के लिए नियमित अल्ट्रासाउंड परीक्षाओं का उपयोग किया जा सकता है, और विशेष अल्ट्रासाउंड का उपयोग भ्रूण के दिल की असामान्यताओं का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। आपके बच्चे को प्रसव के बाद भी निगरानी या उपचार की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा इन बातों का रखें ध्यान।
- अपनी अच्छी देखभाल करना अपने बच्चे की देखभाल करने का सबसे अच्छा तरीका है। उदाहरण के लिए:
- अपनी डायट का विशेष रूप से ध्यान रखें। खाने में सभी पोषक तत्व लें। डायट में सूखे मेवे, हरी सब्जियों और फल को विशेषतौर पर शामिल करें।
- अपनी डॉक्टर द्वारा दवा निर्धारित अनुसार लें।
- अच्छी नींद लें, जोकि प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत जरूरी है।
- अपने वजन बढ़ने की निगरानी करें। बच्चे के विकास के साथ वजन बढ़ना सही है, लेकिन फैट का अधिक बढ़ना नहीं।
- तनाव बिल्कुल भी न लें।
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इससे पहले कि आप प्रेग्नेंसी प्लान करें, अपने हृदय रोग विशेषज्ञ और गाइनैकोलॉजिस्ट की सलाह जरूर लें। ऐसा करने से डॉक्टर यह चेक कर पाएंगे कि क्या आपके लिए उस दौरान प्रेग्नेंसी सेफ है। या प्रेग्नेंसी के दौरान कौन-कौन से रिस्क फैक्टर आपके लिए बढ़ सकते हैं। यदि कोई जटिलताएं है भी तो डॉक्टर मेडिकेशन द्वारा ठीक करेंगे। फिर आगे प्रेग्नेंसी की सलाह देंगे। प्रेग्नेंसी में हार्ट प्रॉब्लम (Pregnancy and Heart Problem) के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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