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बच्चे की प्लानिंग करने से पहले रखें इन जरूरी बातों का ध्यान

बच्चे की प्लानिंग करने से पहले रखें इन जरूरी बातों का ध्यान

बदलते वक्त में बहुत कुछ बदल चुका है। वैसे वक्त बदलने के साथ-साथ तकनीक भी बदल गई है। अब तो कपल डिलिवरी की डेट और टाइम भी कुछ हद तक अपने अनुसार तय कर लेते हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन की एक रिसर्च के अनुसार, 32 साल की कुछ महिलाओं पर किए गए शोध में पाया गया कि 73 प्रतिशत महिलाओं ने बच्चे की प्लानिंग की थी। ठीक वैसे ही जैसे हम सभी अपने जीवन के अहम फैसले लेते हैं। 24 प्रतिशत निर्णय नहीं ले पाईं कि उन्हें क्या करना चाहिए। वहीं तीन प्रतिशत महिलाओं ने अनजाने में गर्भ धारण कर लिया। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि लाडला या लाडली के आने के पहले किन-किन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है, जिससे परिवार को आगे बढ़ाने में कोई परेशानी न हो।

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बच्चे की प्लानिंग के लिए तैयारी

  •  बच्चे की प्लानिंग पति और पत्नी दोनों को आपस में बात करके करना चाहिए। ये सिर्फ अकेले का फैसला नहीं होना चाहिए क्योंकि बच्चे की परवरिश में मां और पिता दोनों का योगदान होता है।     
  • होने वाली मां को बहुत सतर्क रहने की जरूरत होती है क्योंकि घर या फिर ऑफिस का तनाव गर्भवती महिला और आपके आने वाले बच्चे पर बुरा प्रभाव डालेगा। 
  • अपने पार्टनर के साथ बैठ कर प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले खर्च को समझें और एक बजट तैयार करें। हेल्थ पॉलिसी की भी जानकारी हासिल करें क्योंकि ऐसी कई हेल्थ पॉलिसी उपलब्ध है जो खासकर गर्भावस्था के लिए ही होती है। 
  • प्रेग्नेंसी के पहले कपल को डॉक्टर से मिलना चाहिए। अगर दोनों (पति-पत्नी) में से किसी को भी कोई शारीरिक परेशानी होगी तो डॉक्टर समस्या का समाधान कर देंगे। कई बार महिलाएं प्रेग्नेंट होने के डर से गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल कर लेती हैं जिससे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 
  • बदलती लाइफस्टाइल का बुरा असर दम्पति पर पड़ता है इसलिए दोनों को ही प्रेग्नेंसी से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लेना चाहिए।

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  • ऐसा नहीं है कि सिर्फ महिलाओं को ही सिगरेट और एल्कोहॉल से दूरी बनाना चाहिए बल्कि पुरुषों को भी अपने आने वाले बच्चे की अच्छी सेहत के लिए सिगरेट या एल्कोहॉल के सेवन से बचना चाहिए।    
  • महिला अगर चाय या कॉफी की अधिक शौकीन हैं तो इन पे पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए क्योंकि इनमें कैफीन की मात्रा अधिक होती है, जो नुकसान पहुंचा सकती है। 
  • गर्भवती होने से पहले डेंटिस्ट से जरूर अपने दांतों और मसूड़ों की जांच करवाए क्योंकि बच्चे (भ्रूण) की सेहत स्वस्थ दांतों से जुड़ी होती है। दांतों से जुड़ी समस्या या परेशानी को गर्भावस्था शुरू होने के बाद करवाना ठीक नहीं होता है।
  • सही उम्र में प्रेग्नेंसी प्लान करना चाहिए। इससे जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं। 
  • जंक फूड और पैक्ड फूड का सेवन न कर पौष्टिक आहार जैसे दाल, हरी सब्जी, रोटी,सलाद, ताजे फल और जूस का सेवन सेहत के लिए बेहतर होगा।       
  • नियमित रूप से योग, व्यायाम और वॉक करने की आदत डालें। इससे फिट रहने में आसानी होगी। बैलेंस्ड वेट से डिलिवरी के वक्त परेशानी से बचा जा सकता है।  

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बच्चे की प्लानिंग के लिए महिलाओं की फिटनेस भी है जरूरी

बच्चे की प्लानिंग को लेकर डॉक्टर कहती हैं कि हेल्दी बच्चे के लिए प्रेग्नेंट महिला का हेल्दी होना भी उतना ही जरूरी है। बच्चे की प्लानिंग से पहले कपल को अपना हेल्थ चेकअप भी ठीक से करा लेना चाहिए। ऐसे में अगर कपल में कोई स्वास्थ्य समस्या निकलती है, तो कपल को पहले अपनी समस्याओं को लेकर डॉक्टर से बात करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस कारण प्रेग्नेंसी में कोई समस्या खड़ी न हो। इसके अलावा महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान थायरॉयड और हीमोग्लोबिन की भी समस्या हो जाती है। इसके लिए भी महिलाओं को सतर्क रहने की जरूरत होती है।

जो महिलाएं किसी हेल्थ कंडीशन से पीड़ित हैं, उन्हें प्रेग्नेंसी प्लानिंग के समय अधिक सावधानी की आवश्यकता होती है। किसी हेल्थ कंडीशन के होने पर डॉक्टर महिला को डायट के साथ ही कुछ ऐसी सावधानियों के बारें में भी बताते हैं, जो मां और बच्चे की सुरक्षा कर सकें। अगर महिला को किसी प्रकार की समस्या नहीं है तो उन्हें बिना स्ट्रेस लिए पौष्टिक आहार और एक्सरसाइज के साथ प्रेग्नेंसी एंजॉय करनी चाहिए।

यदि यह आपकी पहली प्रेग्नेंसी है या आप 35 वर्ष की उम्र के बाद प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं तो ऐसी स्थिति में समय पर गायनोकोलॉजिस्ट के पास जाना जरूरी है। विगत समय में एंडोक्राइन से जुड़ी समस्या या अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं गर्भधारण में परेशानी बन जाती हैं। इससे फर्टिलिटी भी प्रभावित हो सकती है। ऐसे में गायनेकोलॉजिस्ट गर्भधारण करने के सुरक्षित तरीके के बारे में बता सकतीं हैं।

प्रेग्नेंसी प्लानिंग से पहले फैमिली मेडिकल हिस्ट्री जानें

प्रेग्नेंट होने से पहले परिवार की मेडिकल हिस्ट्री जानना बेहद ही जरूरी होता है। इससे पता चलता है कि आपके परिवार में जेनेटिक डिसऑर्डर की पृष्ठभूमि तो नहीं है। यदि परिवार में किसी महिला को फर्टिलिटी से संबंधित कोई समस्या आई है तो उससे जानकारी मांगे कि उसने कैसे गर्भधारण किया। इसके साथ ही पिता के परिवार के बारे में भी जानकारी जुटाने की कोशिश करें।

बच्चे की प्लानिंग के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर भी दें ध्यान

बच्चे की प्लानिंग के लिए जरूरी है कि कपल शारीरिक ही नहीं मानसिक तौर पर भी तैयार रहें। ऐसे में पुरुष की तुलना में महिलाओं के लिए जरूरी है कि वे इसके लिए मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार हों क्योंकि मां बनने के दौरान महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा काफी कुछ सहना पड़ता है और कई अनचाही परिस्थितियों के लिए तैयार रहना पड़ता है। साथ ही महिलाओं को पूरी तरह सुनिश्चित होने की आवश्यकता होती है कि उन्हें बच्चा चाहिए या नहीं। इस तरह के सवालों का महिलाओं के जेहन में आना लाजमी है। ऐसे में वे अपने पार्टनर के अलावा अपने परिवार के अन्य सदस्यों से बात कर सकती है। साथ ही वे डॉक्टर से भी बात कर सकती है कि वे इसके लिए तैयार हैं कि नहीं।

कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के नाम से ही डर लगने लगता है। ये एक प्रकार का फोबिया होता है। अगर किसी महिला के साथ इस प्रकार की समस्या हो तो बेहतर होगा कि पहले उसे अपने आपको इस बात के लिए प्रिपेयर करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है तो महिला को प्रेग्नेंसी प्लानिंग के संबंध में डॉक्टर से बिना पूछें फैसला नहीं लेना चाहिए।

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बच्चे की प्लानिंग या प्रेग्नेंसी प्लानिंग से पहले फाइनेंशियल कंडीशन का भी रखें ख्याल

बच्चे की प्लानिंग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि प्रेग्नेंसी के दौरान समय-समय पर कई सारे टेस्ट कराने पड़ सकते हैं। इसके अलावा दवाओं का भी खर्च आता है। ऐसे में जरूरी है कि आप इस फैसले से पहले अपनी आर्थिक स्थिति का जायजा पहले ही ले लें। जान लें कि प्रेग्नेंसी के नौ महीनों के दौरान महिला और उसके बच्चे की देखरेख के लिए डॉक्टर्स की जरूरत होगी और जिसके लिए आपको डॉक्टर की फीस के साथ-साथ मेडिकल टेस्ट और दवाओं के खर्चे का भी इंतजान करना होता है।

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गर्भ कंट्रोल को निकलवा लें

प्रेग्नेंसी प्लानिंग करने से पहले यदि आपने हिडन बर्थ कंट्रोल जैसे आईयूडी लगवाई है तो ऐसे में सबसे बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर की मदद से इसे निकलवा दें। इन बर्थ कंट्रोल को निकालते वक्त हार्मोंस में भी बदलाव आ सकते हैं। यदि आपको इस दौरान कुछ असामान्य महसूस होता है तो तत्काल अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

क्या आप करती हैं जॉब ?

भले ही पहले के समय में महिलाओं को प्रेग्नेंसी के समय प्लान करने की जरूरत नहीं पड़ती थी लेकिन अब करियर के कारण महिलाएं प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले करियर में पड़ने वाले इफेक्ट यानी प्रभाव के बारें में भी सोचती हैं। अगर आप अपने करियर से ब्रेक लेकर प्रेग्नेंसी प्लानिंग के बारे में सोच रही हैं तो आपको अधिक सोचने की जरूरत नहीं है। कुछ महिलाएं जॉब को जारी रखते हुए प्रेग्नेंसी प्लानिंग करती हैं। अगर आप भी ऐसा करने के बारें में सोच रही हैं तो बेहतर होगा कि आप पहले ऑफिस में मैटरनिटी लीव के संबंध में जानकारी लें। ऐसा करने से आपकी जॉब भी नहीं छूटेगी और साथ ही आप प्रेग्नेंसी को भी एंजॉय कर पाएंगी। ज्यादातर महिलाएं प्रेग्नेंसी के आठवें महीने तक ऑफिस में काम करती हैं और इसके बाद लीव लेती है। ऐसा करने से बच्चे को भी आगे पर्याप्त समय मिल जाता है। आप ऑफिस में मैटरनिटी लीव के साथ ही अन्य छुट्टियों के बारे में भी जानकारी लें जो आप बच्चे की केयर के लिए भविष्य में ले सकें।

बच्चे की प्लानिंग या प्रेग्नेंसी प्लानिंग से पहले परिवार की सलाह भी है जरूरी

बच्चे की प्लानिंग के लिए परिवार की सलाह लेना भी जरूरी हो जाता है। जान लीजिए कि बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी सिर्फ मां-बाप की ही होती है। इसमें पूरे परिवार का साथ आना जरूरी होता है। ऐसे में परिवार के बड़े सदस्यों जैसे दादा-दादी और नाना-नानी की भी अहम भूमिका होती है। इसलिए जरूरी है कि आप बच्चे की प्लानिंग से पहले एक बार घर के अन्य सदस्यों से भी बात करना जरूरी होता है। बेबी के सही प्लानिंग और डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह को अपना कर प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली सभी तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और बेबी प्लानिंग से संबंधित जरूरी जानकारियां आपको मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

 

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Future perspective of planning child guidance services in India/https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/19823607/Accessed on 28/07/2020

Current Version

30/11/2020

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj

Updated by: Bhawana Awasthi


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr. Pooja Bhardwaj


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/11/2020

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