कहते हैं मृत्यु के कई रास्ते हो सकते हैं, लेकिन जन्म के लिए सिर्फ एक मां चाहिए। और आज इस आर्टिकल में हम किसी हेल्थ कंडिशन के बारे में नहीं, बल्कि बच्चे का जन्म (Giving birth story) देना एक मां के लिए कैसा अनुभव है यह समझेंगे। बच्चे का जन्म (Giving birth story) वजायनल या जरूरत पड़ने पर सी-सेक्शन से किया जा सकता है। बेबी डिलिवरी के इस विषय पर हमने बात की प्रिया चतुर्बेदी से। प्रिया के बच्चे का जन्म और उनका एक्सपीरियंस जानेंगे, लेकिन सबसे पहले वजायनल बर्थ और सी-सेक्शन डिलिवरी (Vaginal birth and C-Section delivery) के बारे में समझ लेते हैं।
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बच्चे का जन्म : वजायनल बर्थ और सी-सेक्शन डिलिवरी (Vaginal birth and C-Section delivery)
यूनिसेफ (UNICEF) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिदिन 67,385 बच्चे का जन्म होता है। वहीं नैशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (National Statistical Office) द्वारा पब्लिश्ड साल 2017-18 की रिपोर्ट में 92 प्रतिशत बच्चे का जन्म सी-सेक्शन से हुआ। ज्यादातर डॉक्टर्स वजायनल बर्थ ही करवाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कभी-कभी किसी कॉम्प्लिकेशन के कारण सी-सेक्शन का सहारा लिया जा सकता है। खैर सी-सेक्शन (C-Section) यानी सिजेरियन डिलिवरी प्रोसेस से घबराय नहीं और डॉक्टर द्वारा दिए गए सलाह का पालन करें।
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बच्चे का जन्म (Giving birth story)
सवाल: आपका नाम, उम्र और आप क्या करती हैं?
जवाब: मेरा नाम प्रिया चतुर्बेदी है। मेरी उम्र 33 है और मैं केरल के एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हूं।
सवाल: बच्चे के जन्म के बारे में जानने से पहले आप अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में बताएं।
जवाब: प्रिया अपनी पॉजिटिव स्माइल के साथ अपनी प्रेग्नेंसी स्टोरी शुरू करती हैं और कहती हैं मैं भगवान का दिल से शुक्रिया अदा करती हूं कि मैं एक बेटी की मां हूं। और वो हमारी जीवन का एक अहम हिस्सा है। वैसे मुझसे जबभी मेरी प्रेग्नेंसी या डिलिवरी के बारे में पूछा जाता है, तो मुझे बेहद खुशी होती है और इसके लिए तो मैं हैलो स्वास्थ्य का दिल से थैंक्यू बोलना चाहती हूं।
सवाल: अपनी बेबी डिलिवरी के बारे में बताएं।
जवाब: मुझे नॉर्मल डिलिवरी हुई जबकि जबतक मैं डॉक्टर से नहीं मिली थी तबतक मैंने सिजेरियन डिलिवरी (Cesarean delivery) ही प्लान किया था। हालांकि प्रेग्नेंसी के 35वें हफ्ते में मैं डॉक्टर से कंसल्टेशन ले रही थी, तो मेरे गायनोकोलॉजिस्ट ने बच्चे का जन्म नॉर्मल डिलिवरी (Normal delivery) से ही होने की बात कही। हालांकि मैं प्रेग्नेंसी के दौरान की जाने वाली एक्सरसाइज तो नहीं की लेकिन मैं घर के काम और आसान योग कर रही थी। मेरी गायनोकोलॉजिस्ट ने मुझसे मेरे डेली रूटीन के बारे में पूछा तो उनके अनुसार और मेरे हेल्थ कंडिशन (Health condition) को देखते हुए उन्होंने में वजायनल बर्थ के लिए पूरी तरह मेंटली प्रिपेयर कर दिया। मैं एक बात यहां जरूर बताना चाहूंगी की मुझे प्रीनेटल-पोस्टनेटल यहां तक की कॉन्ट्रेक्शन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। फिर मैंने प्रेग्नेंसी से जुड़ी किताबे, अपनी मां से बात की और डॉक्टर से अपने मन में आने वाले सवाल किये।
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सवाल: बच्चे का जन्म जब होने वाला था तो उस वक्त को आपने कैसे हैंडल किया?
जवाब: मेरी यह पहली प्रेग्नेंसी थी और लेबर पेन के एक्स्पीरियस को शेयर करना मेरे लिए थोड़ा डिफिकल्ट है, क्योंकि मुझे ये नहीं पता था की कॉन्ट्रेक्शन क्या है लेबर पेन के दौरान इतना दर्द होता है। मैं इस दौरान बहुत ज्यादा घबरा गई और अंदर ही अंदर डर भी गई थी की ये मेरे साथ क्या हो रहा है। लेकिन डॉक्टर्स, नर्स और डोला (Doula) की मौजूदगी मेरे लिए और मेरी फेमली के लिए बेबी डिलिवरी के दौरान सबसे ज्यादा सपोर्टिव रही। इस दौरान मुझे ये समझ आया कि अगर प्रेग्नेंसी वीक पूरे होने वाले हैं और लोअर एब्डॉमेन में दर्द हो रहा है, तो ऐसे में देरी नहीं करनी चाहिए और जल्द से जल्द हॉस्पिटल पहुंचना चाहिए।
सवाल: क्या डिलिवरी डेट के पहले आपने हॉस्पिटल के लिए पैकिंग या ऐसी कोई तयारी भी की थी?
जवाब: ऑफकोर्स यस, पहले महीने से 7वें महीने तक प्रेग्नेंसी सफर थोड़ा अलग था, जब मैं अपनी डायट जिससे बेबी को पोषण मिले और अपने कपड़ों को लेकर कॉन्सस रहती थी, लेकिन जैसे ही मेरी प्रेग्नेंसी 8वें महीने पहुंची तो मुझे लगा अब तो डिलिवरी होने वाली है, तो बच्चे के लिए कपड़े और डिलिवरी के दौरान हॉस्पिटल में अपनी कुछ पर्सनल चीजों के लिए शॉपिंग की। मैंने दो बैग रेडी किया जिसमें मेरे कपड़े बच्चे के कपड़े वहीं अपने लाइफ पाटर्नर के लिए भी कपड़े पैक किये। ये वक्त मुझे आज भी भावुक कर देता है। क्योंकि इस समय इमोशन, खुशी, डर सब एकसाथ काम करती हैं। खैर आई एम हैप्पी और सबको प्रेग्नेंसी पीरियड और मदरहुड को एन्जॉय करना चाहिए।
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सवाल: बच्चे का जन्म होने से पहले कोई खास बात जो आप शेयर करना चाहें!
जवाब: देखिये सबकी प्रेग्नेंसी एक जैसी नहीं होती है और हर लेडी में अलग-अलग प्रेग्नेंसी लक्षण (Pregnancy symptoms) दिखाई देते हैं। मैं बच्चे का जन्म जैसे-जैसे करीब आ रहा था वैसे-वैसे मुझे सिर्फ इस बात का डर था की मैं कोई गलती ना करूं और बॉडी वेट इतना बढ़ जाता है कि मुझे डर लगता था की मैं कहीं गिर ना जाऊं। हालांकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ मैं पूरी तरह से फिट एंड फाइन (Fit and fine) थी। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेस ना लें और अपने आपको बीमार ना समझें।
सवाल: क्या बेबी डिलिवरी डॉक्टर के बताये डेट पर हुई?
जवाब: बेबी डिलिवरी डेट से दो दिन पहले हुई। मुझे लेबर पेन (Labor pain) हल्का-हल्का पहले शुरू हुआ लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगा की ये लेबर पेन। ज्यादा देर से पेन महसूस करने की वजह से मैं हॉस्पिटल गई। डॉक्टर ने डिलिवरी में वक्त बताया लेकिन मुझे एडमिट कर लिया गया। इनसबके बीच लेबर पेन (Labor pain) इतना बढ़ गया कि मैं बहुत घबराई हुई थी कि क्या होने वाला है। इस वक्त की फीलिंग बहुत अलग होती है एक तो पेन इतना ज्यादा होता है, तो वहीं दूसरी ओर आप जिसका इंतजार कर रहे होते हैं बस वो आने वाला या आने वाली होती है। डॉक्टर इस दौरान मेरा कॉन्ट्रेक्शन चेक रहे थें और एडमिट होने के बाद से तीसरे दिन 4 बजे मेरी बेबी का जन्म हुआ।
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सवाल: कोई स्पेशल नोट जो आप शेयर करना चाहती हों?
जवाब: जी हां, जैसा की मैंने पहले कहा की हर किसी का प्रेग्नेंसी एक्सपीरियंस अलग होता है। इसलिए अगर आप गर्भवती हैं और शरीर में कुछ अलग बदलाव महसूस कर रहीं हैं, इसे इग्नोर ना करें। आप अपने पाटर्नर से या डॉक्टर से इस बारे में बात करें। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान आपको डॉक्टर की ओर से जो सलाह दी गई है उसी ठीक तरह से फॉलो करें और खुश रहें। प्रेग्नेंसी भी जीवन में किसी तरक्की से कम नहीं।
तो ये रही प्रिया के बच्चे की जन्म की स्टोरी। अगर आपभी अपनी प्रेग्नेंसी स्टोरी या डिलिवरी स्टोरी शेयर करना चाहती हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में शेयर करें। हैलो स्वास्थ्य की टीम आपसे संपर्क करने की पूरी कोशिश करेगी।
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