किसी भी महिला के लिए गर्भावस्था का अहसास ही खुशी और उत्साह से भरने वाला होता है। जैसे ही किसी स्त्री को उसके गर्भवती होने की खबर मिलती है, तो उसके मन में कई इमोशन जन्म लेते हैं। इसके साथ ही दिमाग में पैदा होते हैं कई सवाल। अगर आप पहली बार मां बनने जा रही हैं, तो उत्साह और ढेरों खुशियों के साथ ही आपके मन में एक अजीब सा भय होना भी स्वाभाविक है। प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव (First Trimester) आपमें कई शारीरिक और मानसिक बदलाव भी ले कर आएगा। आज हम बात करने वाले हैं गर्भावस्था के पहले ट्रायमेस्टर के बारे में। अगर आपके मन में भी इस पहली तिमाही को लेकर कोई शंका है, तो उम्मीद है कि यह लेख पढ़ने के बाद वो दूर हो जाएगी।
प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव क्या है (What is First Trimester)
प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव (First Trimester) गर्भावस्था का शुरुआती फेज है। इसकी शुरुआत होती है, आपके लास्ट पीरियड के पहले दिन से। प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव (First Trimester) समाप्त होता है गर्भावस्था के 13th हफ्ते के खत्म होने पर। आसान भाषा में कहा जाए तो शिशु नौ महीने गर्भ में रहता है और इन नौ महीनों को तीन-तीन महीनों में बांटा गया है। पहले तीन महीनों को प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव (First Trimester) कहा गया है। इन पहले तीन महीनों में महिला के शरीर में बहुत अधिक बदलाव आता है यानी यह आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए परिवर्तन का समय है। इस दौरान आपके दिमाग में कुछ सवाल आना स्वाभाविक है, जैसे:
- मुझे क्या खाना चाहिए (What should I eat)?
- पहले ट्रायमेस्टर में आपको कौन से टेस्ट कराने चाहिए (Tests in the First Trimester)?
- गर्भावस्था में वजन कितना बढ़ेगा (Weight Gain during Pregnancy)?
- किन तरीकों से आपका शिशु स्वस्थ रहेगा (How to keep Baby Healthy)?
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पहले ट्रायमेस्टर में गर्भवती महिला के शरीर में क्या बदलाव आते हैं? (Changes in Pregnant Woman in the First Trimester)
गर्भावस्था का अनुभव हर महिला के लिए अलग होता है। कुछ महिलाएं पहले तीन महीनों में बिलकुल स्वस्थ महसूस करती हैं जबकि कुछ के लिए प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव (First Trimester) अच्छे अनुभव ले कर नहीं आता। जानिए, प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव (First Trimester) क्या शारीरिक और मानसिक बदलाव लेकर आता है।
कब्ज (Constipation)
पहले ट्रायमेस्टर में महिलाओं में हॉर्मोन परिवर्तन के कारण कई समस्याएं होती हैं, उन्हीं में से एक है कब्ज। इस दौरान कब्ज होना सामान्य है। इससे बचने के लिए अपने खाने-पीने का ध्यान दें और डॉक्टर की सलाह लें।
डिस्चार्ज (Discharge)
प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव (First Trimester) आपके लिए डिस्चार्ज संबंधी समस्याएं भी ले कर आता है। आप इस दौरान पतला, मिल्की वाइट डिस्चार्ज महसूस करती हैं। लेकिन अगर यह डिस्चार्ज दुर्गंध भरा, हरे या पीले रंग का या अधिक मात्रा में हो तो डॉक्टर से सही उपचार जरूरी है।
थकावट (Fatigue)
जैसा की बताया गया है कि प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव (First Trimester) अपने साथ कई बदलाव ले कर आता है। इस दौरान महिला का शरीर शिशु के विकास के लिए बहुत मेहनत कर रहा होता है। ऐसे में जल्दी थकना सामान्य है।
फूड क्रेविंग (Food Craving)
इस बारे में शहानी हॉस्पिटल की डायरेक्टर की डाॅक्टर संतोष शहानी का कहना है कि गर्भवती महिला के लिए उचित पोषण (Balance diet) लेना बहुत जरूरी है। केवल खुद के लिए ही नहीं, बल्कि शिशु के अच्छे स्वास्थ के लिए भी जरूरी है। उचित पोषण सेफ बाथ् सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। प्रेग्नेसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) से बचने के लिए जरूरी है कि आप चीनी का सेवन कम करते हुए भरपूर मात्रा में प्रोटीन और सब्जियां को अपने प्लेट में शामिल करें।
हालांकि, कई महिलाएं इस दौरान क्रेविंग को महसूस नहीं करती हैं। लेकिन, अधिकतर महिलाएं इस दौरान अलग-अलग खाद्य पदार्थों को खाने की इच्छा महसूस करती हैं।
अधिक मूत्र त्याग (Excessive Urination)
प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव (First Trimester) वो समय है, जब गर्भ में शिशु बहुत छोटा होता है। लेकिन, इस दौरान गर्भाशय का आकर बढ़ता है जिससे ब्लैडर पर दबाव पड़ता है। इसके कारण बार-बार बाथरूम जाना पड़ता है।
हार्टबर्न (Heart Burn)
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर अधिक प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन बनाता है। इस हॉर्मोन्स के कारण हार्टबर्न की समस्या हो सकती है। अगर आपको यह समस्या बहुत अधिक हो रही हो तो डॉक्टर से बात करें।
ब्लीडिंग (Bleeding)
ऐसा माना जाता है कई पहली तिमाही में पच्चीस प्रतिशत महिलाओं को ब्लीडिंग होती है। इस दौरान हल्की ब्लीडिंग होना सामान्य है। लेकिन, अगर यह ब्लीडिंग अधिक हो या पेट में दर्द हो, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
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ब्रेस्ट का कोमल होना (Breast Tenderness)
ब्रेस्ट का कोमल होना और उसमे दर्द भी इस समय होना सामान्य है। ऐसा हॉर्मोन्स में बदलाव के कारण होता है।
मॉर्निंग सिकनेस (Morning Sickness)
मतली या मॉर्निंग सिकनेस सबसे आम गर्भावस्था के लक्षणों में से एक है। 85% गर्भवती महिलाओं में समस्या होती है। ऐसा भी हॉर्मोन्स में बदलाव के कारण होता है और पूरे ट्रायमेस्टर में आप इस समस्या का सामना कर सकते हैं।
मूड स्विंग्स (Mood Swings)
अधिक थकावट और हॉर्मोन्स में बदलाव के कारण इमोशनल असंतुलन भी हो सकता है। हार्मोन परिवर्तन से आप मूडी या चिड़चिड़ा महसूस कर सकते हैं और शुरुआती महीनों में थकान होना भी आम है।
प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव : कैसे होता है शिशु का विकास? (Baby Growth in First Trimester)
प्रेग्नेंसी का पहला दिन आपके मेंस्ट्रुअल पीरियड का पहला दिन होता है। इसके लगभग दस से चौदह दिन के बाद एग रिलीज़ होता है और यह स्पर्म के साथ मिलता है। इसके बाद कन्सेप्शन होता है। पहली तिमाही में शिशु बहुत तेजी से बढ़ता है। इस दौरान गर्भ में भ्रूण का दिमाग और गर्भनाल बनने शुरू हो जाते हैं। इसके साथ ही पहले ट्रायमेस्टर के दौरान शिशु का दिल भी धड़कने लगता है।
पहले कुछ हफ्तों में बच्चे के बाजू और टांगों भी बननी शुरू हो जाती हैं। आठवें हफ्ते के अंत तक उसकी हाथों और पैरों की उंगलियां भी बननी शुरू हो जाती हैं। पहले ट्रायमेस्टर तक शिशु के सेक्स ऑर्गन का विकास होने लगता है। ऐसा भी माना जाता है कि पहली तिमाही के अंत तक भ्रूण तीन इंच लम्बा और लगभग 30 ग्राम के वजन का हो जाता है।
पहले ट्राइमेस्टर में कौन से टेस्ट कराने जरूरी हैं (Tests in First Trimester)
जैसे ही आपको यह पता चलता है कि आप प्रेग्नेंट हैं, उस समय आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना और सही सलाह लेनी चाहिए। अगर आप पहले से ही विटामिन नहीं ले रही हैं तो उसे भी लेना शुरू करना चाहिए। इस दौरान डॉक्टर के पास पहली बार जाने पर डॉक्टर आपसे आपकी पूरी हेल्थ हिस्ट्री जानेंगे और आपकी फिजिकल और पेल्विक जांच करेंगे। वो आपको कुछ टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं, जैसे:
- ह्यूमन कोरियोनिक गॉनाडोट्रोपिन ब्लड टेस्ट (Human Chorionic Gonadotropinblood Test)
- अल्ट्रासाउंड ताकि आपकी प्रेग्नेंसी कन्फर्म की जा सके ( Ultrasound to Confirm the Pregnancy)
- पैप टेस्ट (Pap Test)
- ब्लड प्रेशर की जांच (Blood Pressure)
- सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शंस, HIV, और हेपेटाइटिस (Test for Sexually Transmitted Infections, HIV, and Hepatitis)
- एनीमिया जैसे गर्भवस्था के रिस्क फैक्टर्स को जांचा जाएगा (Screen for Risk Factors like Anemia)
- थायराइड लेवल की जांच (Check Thyroid Levels)
- आपका वजन जांचा जाएगा (Check your Weight)
- ग्यारहवें हफ्ते में डॉक्टर आपको न्यूकल ट्रांसलूसेंसी (Nuchal Translucency) कराने के लिए कहेंगे। ताकि शिशु के सिर का माप और गले की थिकनेस को जांचा जा सके। इससे डाउन सिंड्रोम जैसे जेनेटिक डिसऑर्डर का पता चल सकता है।
Quiz: प्रेग्नेंसी के बारे में कितना जानते हैं आप?
पहले ट्रायमेस्टर में क्या खाएं और क्या न खाएं? (Diet in First Trimester)
अगर आप गर्भावस्था में खुद भी हेल्दी रहना चाहते हैं और अपने बच्चे को भी स्वस्थ रखना चाहते हैं। तो अपने आहार का खास ध्यान रखें। अब अपने आहार में पर्याप्त पोषक तत्वों को शामिल करें। ताकि, आपका बच्चा हेल्दी और आप स्ट्रांग रहें।
इस दौरान आपको यह सब खाना चाहिए (What to Eat)
गर्भावस्था के पूरे नौ महीने आपका सही और संतुलित आहार लेना जरूरी है। आपके द्वारा खाया गया भोजन शिशु की ग्रोथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस समय आपको इन चीजों को खाना चाहिए:
सब्जियां (Vegetables)
गर्भावस्था की पहली तिमाही में आपको रोजाना तरह-तरह की सब्जियां खानी चाहिए जैसे पालक जिसमें फोलिक एसिड पर्याप्त मात्रा में होता है। ब्रोकली जिसमे फोलिक एसिड होता है। जिससे रेड ब्लड सेल बनने में मदद मिलती है। इसके साथ ही मटर, टमाटर, शकरकंदी आदि खाने की भी सलाह दी जाती है।
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फल (Fruits)
इस दौरान आपको फलों को भी अपने आहार में शामिल करना चाहिए जैसे साइट्रस फल (Citrus Fruits) फोलिक एसिड का अच्छा स्त्रोत हैं। इसलिए संतरे, नींबू ,मौसमी आदि को खाएं। इसके साथ ही अन्य मौसमी फलों को भी खाएं जैसे सेब, तरबूज, केले, अनार आदि।
डेयरी उत्पाद (Dairy Products)
प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव शुरू होने पर आपको अपने आहार में डेयरी उत्पादों को शामिल करना जरूरी है। इसमें कैल्शियम होता है जो आपको हड्डियों और मसल्स के लिए जरूरी है। इसलिए दही, लौ फैट मिल्क, पनीर आदि खाएं।
साबुत अनाज (Whole Grain)
साबुत अनाज जैसे कॉर्न, ओट्स, ब्राउन राइस आदि को भी आप अपने पहला ट्राइमेस्टर में शामिल करना न भूलें। इससे आपको एनर्जी मिलेगी और यह गर्भनाल के विकास में भी जरूरी हैं।
प्रोटीन (Protein)
प्रोटीन का सेवन भी इस दौरान जरूरी है। इसलिए, अंडे, मछली, मेवे, दूध आदि का सेवन करें। अगर आप इस दौरान जी मचलना और मॉर्निंग सिकनेस जैसी समस्याओं से गुजर रहे हैं तो ऐसी चीजों का सेवन करें। जो इसे दूर करने में आपके लिए लाभदायक हो जैसे अदरक, नींबू आदि।
क्या न खाएं (What not to Eat)
प्रेग्नेंसी में फूड क्रेविंग सामान्य है। लेकिन, आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आपको क्या नहीं खाना है। इसलिए, इन चीजों के सेवन से बचे:
- फिश जिसमे मरकरी होती है जैसे स्वोर्डफ़िश, शार्क आदि (Fish containing Mercury, such as Swordfish, King Mackerel, and Shark)
- कच्चे और अधपके अंडे और मीट (Raw and Undercooked Eggs and Meats)
- दूध जो पाश्चराइजड न हो (Milk that is not Pasteurized)
- कच्चे स्प्राउट्स (Raw Sprouts)
- कैफीन युक्त पेय (Caffeinated Drinks)
- अधिक चीनी युक्त आहार (High Sugar Diet)
- तला हुआ, मसालेदार आहार Fried, Spicy Diet)
- एल्कोहॉल और धूम्रपान (Alcohol and Smoking)
पहली तिमाही में कौन से व्यायाम करने चाहिए? (Exercises for First Trimester)
प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव (First Trimester) जहां अपने साथ कुछ परेशानियां लाता हैं। वहीं, इस दौरान आपको अपना और अपने बच्चे का खास ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान यह बिलकुल न सोचें कि आपको पूरा समय केवल आराम करना है। बल्कि शारीरिक रूप से एक्टिव रहने से आप और आपका बच्चा दोनों स्वस्थ रहेंगे। इसके लिए आप कुछ व्यायाम भी कर सकते हैं। हालांकि, यह व्यायाम करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें और किसी एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में ही इन्हें करें।
वाकिंग और रनिंग (Walking and Running)
वाक और जॉगिंग कार्डियो के बेहतरीन प्रकार हैं। अगर आप गर्भवती हैं और आपका प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव (First Trimester) चल रहा है तो आपको सैर और हल्की जॉगिंग करनी चाहिए। इन दोनों कार्डियो को आप जितनी देर तक आप कर पाएं, करें।
स्विमिंग (Swimming)
अगर आप पूरे शरीर का व्यायाम करना चाहते हैं तो स्विमिंग एक अच्छा व्यायाम है। इससे आपके हाथों और पैरों का भी अच्छे से व्यायाम होगा। इसके साथ ही इससे गर्भावस्था में होने वाली हाथों, पैरों और एड़ियों की सूजन को दूर करने में भी मदद मिलेगी।
योग (Yoga)
कई गर्भवती महिलाएं योग करना पसंद करती हैं, जिससे मसल्स टोंड होती हैं और फ्लेक्सिबिलिटी सुधरती है। पहली तिमाही में योग करने से आपको लाभ होगा। लेकिन, किसी भी आसन को डॉक्टर की सलाह के बाद और योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करें।
प्रेग्नेंसी का पहले पड़ाव में किन बातों का ध्यान रखें (Things to Remember in First Trimester)
प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव बेहद स्पेशल होता है। इसमें आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। जानिए इन बातों के बारे में विस्तार से:
फोलिक एसिड और विटामिन डी (Do take Folic Acid and Vitamin D)
पहली तिमाही में शिशु में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स के जोखिम को कम करने के लिए फोलिक एसिड का सेवन अनिवार्य है। हालांकि, इन्हें आपको गर्भावस्था से पहले ही लेना शुरू कर देना चाहिए। विटामिन डी शिशु की हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों के विकास के लिए भी जरूरी है।
लक्षणों को कैसे मैनेज करें (Manage Your Symptoms)
पहली तिमाही में कुछ महिलाओं को कम या कुछ भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इस दौरान कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं जैसे थकावट, मूड स्विंग्स, कब्ज आदि मुख्य हैं। ऐसे में, आप इन लक्षणों को मैनेज करें। इसके लिए डॉक्टर की सलाह लें।
आराम करें (Take Rest)
प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव बेहद मुश्किल होता है और इस दौरान गर्भपात और अन्य जटिलताओं की संभावना भी रहती है। ऐसे में खुद का और अपने शिशु का ध्यान रखें व भरपूर आराम करें। इसके साथ ही सकारात्मक रहना भी जरूरी है।
हाइड्रेटेड रहें (Stay Hydrate)
हाइड्रेशन से प्रीटरम लेबर को रोकने में मदद मिलती है। इससे सिरदर्द, किडनी स्टोन, कब्ज आदि से भी छुटकारा मिलता है। इसलिए, पानी अधिक मात्रा में पीएं।
दूसरों की मदद लें (Take Other’s Help)
पहली तिमाही में आप अधिक थकावट और अन्य समस्याओं का सामना कर सकती हैं। ऐसे में अपने रिश्तेदारों और प्रियजनों की मदद से आपको आराम मिल सकता है। इसलिए दूसरों की मदद लेने से न शर्माएं।
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प्रेग्नेंसी का पहले पड़ाव (First Trimester) में कदम रखते ही आपको सबसे पहले अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए और इस पूरे सफर के दौरान आपको अपनी और अपने शिशु की ग्रोथ और सेहत को ट्रैक करना चाहिए। यही नहीं, इस दौरान आपको भरपूर आराम और सपोर्ट की भी जरूरत होती है। इसलिए, आप अपने परिवार, दोस्तों आदि की मदद लेना न भूलें। सही समय पर वैक्सीनेशन कराएं, खुश रहें और इस सुनहरे दिनों का भरपूर मजा लें।
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