प्रेग्नेंसी के दौरान गभार्वती महिला को कई अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। फिर चाहें वो उनके शरीर में होना वाला शारीरिक बदलाव (Physical changes) हो, मानसिक बदलाव (Mental Changes) हो। इस दौरान प्रेग्नेंट विमेन में हेल्थ रिस्क काफी बढ़ जाता है, जिसमें से एक इंफेक्शन भी है। प्रेग्नेंसी में एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस इंफेक्शन का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है, यह यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infection) के कारण होता है। यूटीआई यानि कि मूत्रमार्ग में होना वाला संक्रमण, जो प्रेग्नेंसी में काफी गंभीर हो सकता है और एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस किड्नी में होने वाला इंफेक्शन है। प्रेग्नेंसी में एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस (Acute Pyelonephritis in Pregnancy) का समय रहते इलाज बहुत जरूरी है। इसके अलावा महिलाओं को और भी कई तरह के यूरिन इंफेक्शन हो सकते हैं। लेकिन आज हम यहा बात कर रहे हैं प्रेग्नेंसी में एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस (Acute Pyelonephritis in Pregnancy) की। लेकिन इससे पहले हम जानते हैं कि पायलोनेफ्राइटिस क्या है?
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पायलोनफ्राइटिस (Pyelonephritis) क्या है?
पायलोनफ्राइटिस (Pyelonephritis ) एक प्रकार का किड्नी में होने वाला इंफेक्शन है। जो कि यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) के कारण होता है। यह मूत्रमार्ग में होने वाला एक इंफेक्शन है। यह इंफेक्शन मूत्राशय या किड्नी कहीं पर भी हाे सकता है। समय पर इलाज न होने पर यह संक्रमण पूरे शरीर में फैल जाता है। इसमें यूरिन की दिक्कत के अलावा अन्य भी कई लक्षण नजर आ सकते हैं। इस स्थिति को बढ़ने से रोकने के लिए तुंरत उपचार की तरफ ध्यान देना चाहिए। इसके उपचार के लिए डाॅक्टर आपको एंटीबायोटिक्स (pyelonephritis is antibiotics) दे सकते हैं। गंभीर स्थिति में मरीज को अस्पताल में भी भर्ती होने की जरूत पड़ सकती है। यदि समय रहते इलाज न किया जाए, तो इंफेक्शन आपके रक्त प्रवाह तक पहुंच जाता है, इस घातक स्थिति को ब्लड पॉइजिंग (blood poisoning) भी कहते हैं। आइए जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस क्या और आपस में संबंध।
प्रेग्नेंसी में एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस (Acute Pyelonephritis in Pregnancy)
प्रेग्नेंसी में एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस की बात करें, तो यह किड्नी में होने वाला एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो प्रेग्नेंसी के दाैरान महिलाओं को प्रभावित करता है। अधिकतर मामलों में यह इंफेक्शन सबसे पहले लोअर यूरिनरी ट्रेक्ट (lower urinary tract) में विकसित होता है। यदि समय रहते इसका इलाज न हो पाए, तो यह जननांग क्षेत्र से मूत्राशय (bladder) तक और फिर किड्नी (Kidney) तक फैल जाता है।
यूनिर्वसिटी ऑफ कैलिफोर्निया,इरविन, स्कूल ऑफ मेडेसिन के स्त्री रोग और प्रसूति विभाग (Department of Obstetrics and
Gynecology, University of California, Irvine, School of Medicine) की रिसर्च के अनुसार महिलाओं की तुलना में प्रेग्नेंट विमेन में इसके होने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसा उनमें होने वाले शारीरिक परिर्वतन के कारण होता है। आम तौर पर, मूत्रमार्ग के माध्यम से यूरिन शरीर से बहार निकलता है। प्रेग्नेसी के दाैरान प्रोजेस्टेरोन (progesterone) हॉर्मोन का लेवल शरीर में बढ़ जाता है, जो नलिकाओं के संकुचन को रोक सकती है। यह मूत्रवाहिनी को संकुचित (compress the ureters) कर सकता है।
इस कारण मूत्राशय में बैक्टीरिया बाहर निकालने के बजाय गुर्दे को प्रभावित करने लगते हैं। (Escherichia) बैक्टीरिया इसके होने का सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा अन्य बैक्टीरिया, जैसे क्लेबसिएला निमोनिया (Klebsiella pneumoniae), प्रोटीस स्पाइस (Proteus species), और स्टैफिलोकोकस Staphylococcus, भी गुर्दे के संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
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एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस के लक्षण (Symptoms of Pyelonephritis)
प्रेग्नेंसी में एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस की समस्या होने पर इस तरह के कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे कि:
- 102 ° F (38.9 ° C) से अधिक बुखार (fever greater than 102°F (38.9°C)
पेट, पीठ, बाजू या कमर में दर्द (pain in the abdomen, back, side, or groin)
- दर्द और जलन के साथ यूरिन होना (painful or burning urination)
- यूरिन के रंग में बदलाव (cloudy urine)
- यूरिन से ब्लड और पस आना (pus or blood in the urine)
- बहुत जल्दी-जल्दी पेशाब आना (urgent or frequent urination)
- पेशाब से मछली जैसी बदबू आना (fishy-smelling urine)
कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- जी मिचलाना (Nausea)
- उल्टी (Vomiting)
- शरीर में हल्का दर्द लगना (general aching or ill feeling)
- थकान महसूस होना (Fatigue)
- त्चचा में नमी (Moist skin)
वैसे तो इसके लक्षण सभी में अलग-अलग नजर आ सकते हैं। लेकिन प्रेग्नेंसी में एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस के बुखार के अलावा ये दिक्कते भी ज्यादा दिख सकती हैं, जैसे कि:
- बहुत ज्ल्दी-जल्दी पेशाब लगना (Urinary frequency)
- कई बार पेशाब को रोकने की क्षमता न होना (Urinate immediately)
- यूरिन पास होने के साथ बहुत तेज दर्द होना (painful urination)
- हेमट्यूरिया, यूरिन से रक्त आना (Hematuria, or blood in the urine)
इसके अलावा और भी बहुत से लक्षण नजर आ सकते हैं। इसकी शिकार सभी महिलाओं में इसके ट्रीटमेंट भी अलग-अलग होंगे। जो इस बात पर निर्भर करता है कि आपके शरीर में इंफेक्शन कितन फैला है।
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प्रेग्नेंसी में एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस के दौरान होने वाली जटिलताएं (Complications of pyelonephritis)
पायलोनेफ्राइटिस का सही समय पर उपचार होने से आप होने वाली गंभीर स्थित से भी बच सकते हैं। यदि इसका इलाज नहीं हाे पाता है, तो सेप्सिस नामक बैक्टीरिया आपके रक्तप्रवाह में प्रेवश कर जाता है। फिर यह धीरे-धीरे शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। जो आगे जाकर गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है।
एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस का सही समय पर इलाज न होने पर रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम (Respiratory distress) भी हो सकती है। यह संक्रमण रक्त प्रवाह के द्वारा फेफड़ों को भी प्रभावित कर सकता हे। जो मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। प्रेग्नेंसी में एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस डिलिवरी के दौरान भी आपके लिए रिक्स बढ़ा सकता है। आपके और बच्चे के लिए गंभीर जटिलताओं (serious complications)और यहां तक कि मृत्यु के जोखिम को भी बढ़ा सकता है। इसलिए इसका समय रहते इलाज बहुत जरूरी है।
पायलोनफ्राइटिस के खतरे को बढ़ाने वाले रिस्क फैक्ट (Risk factors of Pyelonephritis)
कई कारक प्रेग्नेंसी में एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस के खतरे को बढ़ा सकते हैं, जैसे कि यूरिनरी ट्रेक्ट के आकार में बदलाव। जिससे एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इसक अलावा , महिलाओं का मूत्रमार्ग पुरुषों की तुलना में छोटा है, इसलिए बैक्टीरिया के लिए उनके शरीर में प्रवेश करना आसान होता है। इससे महिलाओं को किडनी में संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है और उन्हें एक्यूट पायलोनेफ्राइटिस कर रिस्क अधिक रहता है।
इसके अलावा अन्य जोखिमों के कारकों में शामिल हैं:
- किड्नी की कोई क्रॉनिक डिजीज (Chronic disease), पत्थरी की समस्या या ब्लैडर की काेई प्रॉब्लम
- डायबिटीज पेशेंट में (Diabetes)
- कैंसर के मरीजों मेंं (Cancer)
- एचआईवी के मरीजों में (HIV)
- प्रोस्टेट प्रॉब्लम होने पर (Prostate problem)
अन्य कारक जो आपको संक्रमण की चपेट में ले सकते हैं उनमें शामिल हैं:
- कैथेटर का उपयोग (Catheter use)
- सिस्टोस्कोपी एग्जामिनेशन (Cystoscopic examination)
- यूरिनरी ट्रेक्ट सर्जरी (Urinary tract surgery)
- कुछ दवाएं (Certain medications)
- तंत्रिका या रीढ़ की हड्डी में डैमेज (Nerve or spinal cord damage)
पायलोनफ्राइटिस का निदान (Diagnosis of Pyelonephritis)
आपके लक्षणों के देखते हुए डॉक्टर आपको यूरिन टेस्ट की सलाह दे सकते हैं, ताकि आपके गुर्दे तक तो इंफेक्शन नहीं पहुंचा यह जानने के लिए। यूरिन में श्वेत रक्त कोशिकाओं और बैक्टीरिया की उपस्थिति, दोनों की इसके इंफेक्शन का संकेत है। डॉक्टर आपको यूरिन की बैक्टीरियल क्लचर की जांच के लिए भी बोल सकते हैं।
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