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इन 6 तरीकों से हो सकती हैं डिलिवरी, जान लें इनके बारे में

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Bhawana Awasthi


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/10/2021

    इन 6 तरीकों से हो सकती हैं डिलिवरी, जान लें इनके बारे में

    जब बच्चे के पैदा होने का समय आता है तो पूरा परिवार बच्चे और मां की सुरक्षा की कामना करता है। बच्चे और मां की सुरक्षा को देखते हुए डॉक्टर्स डिलिवरी के तरीके (Delivery methods) या प्रसवा के तरीके अपनाते हैं। जिनमें नॉर्मल बर्थ, वजायनल बर्थ, सी-सेक्शन या सिजेरियन, फॉरसेप्स डिलिवरी, वैक्यूम डिलिवरी या वजायनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन (VBAC) शामिल हैं। पहले से ये तय कर पाना बहुत मुश्किल होता है कि बच्चा किस तरीके से जन्म लेगा। डॉक्टर लेबर के दौरान परिस्थितयों को देख कर डिलिवरी के तरीके या प्रसवा के तरीके अपनाते हैं जो बच्चे और मां के लिए उचित साबित हो।

    अगर कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान किसी तरह का कॉम्प्लिकेशन होता है तो डॉक्टर पहले से ही सिजेरियन की सलाह दे देते हैं। होने वाली मां को पहले से डिलिवरी के तरीके या प्रसवा के तरीके के बारे में पता चल जाता है तो वह खुद को आने वाले समय के लिए प्रिपेयर कर लेती है।

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    डिलिवरी के तरीके में सबसे पहले जान लें वजायनल बर्थ क्या होता है? (What is vaginal birth?)

    जब बच्चा मां के बर्थ केनाल से जन्म लेता है इस डिलिवरी के तरीके या प्रसवा के तरीके को वजायनल डिलिवरी कहते हैं। वजायनल डिलिवरी के दौरान एपिड्यूरल या दर्द निवारक मेडिसिन इस्तेमाल की जाती है। डिलिवरी के दौरान यदि बच्चे का सिर बाहर नहीं आता है तो वजायना और एनस के पास छोटा सा कट भी किया जा सकता है। कट में टांके लगा दिए जाते हैं जो कुछ दिनों बाद ठीक हो जाते हैं।

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    वजायनल बर्थ के फायदे (Benefits of vaginal birth)

  • हॉस्पिटल में कम समय बिताना पड़ता है।
  • इंफेक्शन का चांस कम हो जाता है।
  • जल्दी रिकवरी होती है।
  • बच्चे में सांस संबंधी समस्या का रिस्क कम हो जाता है।
  • डिलिवरी के तरीके में नॉर्मल बर्थ भी समझ लें (What is normal birth?)

    जब बिना किसी दर्द निवारक दवा के या बिना किसी कट के बच्चा मां की वजायना से बाहर आता है तो इसे नॉर्मल बर्थ कहते हैं। नॉर्मल बर्थ डिलिवरी घर में भी होती है। इस दौरान मां बच्चे को जन्म देने के कुछ समय बाद खुद को स्वस्थ्य महसूस कर सकती है। नैचुरल प्रॉसेस में डिलिवरी के दौरान कई पुजिशन अपनानी पड़ सकती है ताकि बच्चे का जन्म आसानी से हो जाए।

    आपने वॉटर बर्थ या फिर पूल बर्थ के बारे में सुना होगा। ये नैचुरल बर्थ प्रोसेस के अंदर ही आता है। नैचुरल बर्थ प्रॉसेस में बच्चे का मां से स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट जल्दी होता है, जबकि डिलिवरी के तरीके (Delivery methods) या प्रसवा के तरीके में अन्य विधियों के दौरान मां बच्चे के साथ संपर्क में कुछ समय बाद आती है। नेचुरल बर्थ के बाद हार्मोने चेंज होने के कारण मां के स्तन में तुरंत दूध बनने लगता है।

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    नॉर्मल बर्थ के फायदे (Benefits of Normal Birth)

    • दर्द निवारक दवा का नहीं होता है उपयोग
    • मां का बच्चे के साथ तुरंत संपर्क
    • तुरंत प्रोड्यूस होता है मिल्क
    • मां को नहीं रहना पड़ता है हॉस्पिटल में

    डिलिवरी के तरीके: सी-सेक्शन (What is C-Section delivery?)

    हम सभी जानते हैं कि बच्चे का बर्थ प्लानिंग के अनुसार नहीं हो सकता है। कुछ कॉम्प्लिकेशन के कारण डिलिवरी के अन्य तरीकों का प्रयोग किया जाता है। जब महिला का प्रसव सामान्य या फिर वजायनल तरीके से नहीं हो पाता है तो सी-सेक्शन की हेल्प लेनी पड़ती है। सी-सेक्शन के दौरान मां के पेट और यूट्रस में सर्जरी के माध्यम से चीरा लगाया जाता है। कुछ परिस्थितयों में सी-सेक्शन तुरंत प्लान किया जाता है। सी-सेक्शन के बाद महिला को तीन से पांच दिन के अंदर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। टांके लगे होने के कारण दर्द की समस्या और खिंचाव दो से तीन हफ्ते तक महसूस हो सकता है। कुछ महिलाओं को टांके लग जाने के बाद भी पेट में हल्का सा संकुचन महसूस हो सकता है, लेकिन ये हर किसी के साथ नहीं होता है।

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    सी-सेक्शन की जरूरत कब पड़ती है? (When do you need a C-section?)

    • मल्टिपल प्रेग्नेंसी में (Multiple pregnancy)
    • लॉर्ज बेबी होने के कारण (Due to being a large baby)
    • बेबी के ब्रीच पुजिशन में होने के कारण (Due to baby being in breech position)
    • किसी अन्य समस्या के कारण (Due to some other problem)

    डिलिवरी के तरीके में जानिए वैक्यूम एक्ट्रेक्शन क्या है? (What is vacuum extraction?)

    वजायनल बर्थ के दौरान वैक्यूम एक्सट्रेक्शन की जरूरत पड़ सकती है। हेल्थ केयर प्रोवाइडर वैक्यूम पंप को बेबी के हेड में हल्के हाथों से लगाता है। वैक्यूम पंप की सहायता से बच्चे को बर्थ कैनाल से निकाले की कोशिश की जाती है।

    वैक्यूम डिलिवरी के फायदे (Benefits of vacuum extraction)

    • वैक्यूम एक्ट्रेक्शन से सी-सेक्शन कई बार टल जाता है।
    • फॉरसेप्स की तुलना में इससे कम वजायनल टियरिंग होती है।
    • डिस्ट्रेस बेबी को तुरंत निकाल कर मेडिकल केयर दी जा सकती है।

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    डिलिवरी के तरीके में फॉरसेप्स डिलिवरी के बारे में भी समझ लें (What is forceps delivery?)

    डॉक्टर वजायनल डिलिवरी के दौरान डॉक्टर बच्चे को बाहर निकालने की कोशिश करेगा। ऐसा न होने पर वो एक इंस्ट्रूमेंट की सहायता से बच्चे को निकालने की कोशिश करेगा। इस इंस्ट्रूमेंट को फॉरसेप्स कहते हैं। इसे डिलिवरी के समय फीटस को बाहर निकालने के लिए यूज किया जाता है। अभी तक कई प्रकार के फॉरसेप्स को डिजाइन किया जा चुका है। ज्यादातर फॉरसेप्स टू मिरर इमेज मेटल इंस्ट्रूमेंट होते हैं। इसका यूज फीटल के हेड को पकड़ने के लिए किया जाता है। डिलिवरी के समय ये इंस्ट्रूमेंट बच्चे को बाहर निकालने में मदद करता है। इससे कई बार मां या बच्चे को हल्की चोट लगने का खतरा रहता है।

    और पढ़ें : डिलिवरी के दौरान कब और कैसे करें पुश?

    डिलिवरी के तरीके: वजायनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन (VBAC)

    अगर आपकी पहली डिलिवरी सी-सेक्शन के माध्यम से हुई है तो ज्यादातर मामलों में दूसरी बार वजायनल डिलिवरी की संभावना कम हो जाती है, लेकिन आज के समय में नई-नई टेक्नीक के कारण ऐसा संभव है। अगर पहला सी-सेक्शन और दूसरी डिलिवरी वजायनल होती है तो इसे वजायनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन कहा जाएगा। इस दौरान कई बातों पर ध्यान दिया जाता है जैसे कि मां और बच्चे का स्वास्थ्य और दोनों की मेडिकल कंडिशन।

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    आपने इस आर्टिकल के माध्यम से डिलिवरी के तरीके या प्रसवा के तरीके जानें। डिलिवरी कैसे होगी? ये डॉक्टर पर निर्भर करता है कि आपको किस तरह से ट्रीटमेंट देना है? डॉक्टर पहले आपकी कंडिशन चेक करता है और फिर निर्णय लेता है। अगर आपको इस विषय में कोई भी जानकारी चाहिए हो तो बेहतर होगा कि एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क करें। हमें उम्मीद है आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल है तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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