सामान्य डिलिवरी या नॉर्मल डिलिवरी नैचुरल प्रॉसेस है जिसके अंतर्गत मां प्रसव पीड़ा को सहने के बाद वजायना के माध्यम से बच्चे को जन्म देती है। सामान्य डिलिवरी को लेकर अधिकतर महिलाओं के मन में डर बना रहता है। उन्हें लगता है कि सी-सेक्शन के दौरान दर्द नहीं होता है जबकि सामान्य डिलिवरी में बहुत दर्द सहना पड़ता है। ये बात सच है कि सामान्य प्रसव में दर्द होता है, लेकिन ये दर्द कुछ समय के लिए ही होता है। अगर आप कुछ समय तक धैर्य बनाए रखेंगी तो ये आपके लिए फायदेमंद साबित होगा। सामान्य प्रसव के दौरान कुछ बातों को लेकर मन में उलझन है तो आपके लिए ये आर्टिकल पढ़ना बेहतर होगा।
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नॉर्मल चाइल्ड बर्थ प्रॉसेस क्या है?
फर्स्ट स्टेज
फर्स्ट स्टेज में गर्भाशय ग्रीवा में फैलाव होता है। ऐसा एक घंटे से ज्यादा तक हो सकता है जब तक गर्भाशय ग्रीवा 3 सेमी. तक डाइलेटेड न हो जाए।
A. अर्ली फेज
इस स्टेज में महिला को संकुचन होने शुरू हो जाते हैं। संकुचन या फिर कॉन्ट्रैक्शन तीन से पांच मिनट के अंतर में आते हैं। ये समय अधिक भी हो सकता है।
आपको क्या महसूस होगा?
आपको महसूस होगा कि मुझे वॉशरूम जाना चाहिए। शुरुआती दर्द इस दौरान शुरू हो जाएगा।
क्या करना चाहिए?
अगर आपको दर्द शुरू हो चुका है तो तुरंत केयरटेकर को इस बारे में बताएं। आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
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B. एक्टिव फेज
एक्टिव फेज में सर्विक्स तीन से सात सेमी. तक फैल जाता है।
कैसा महसूस होगा?
इस दौरान आपको प्रेशर महसूस होगा। पीरियड्स के दौरान जिस तरह का दर्द महसूस होता है, उससे कुछ दर्द अधिक महसूस होगा। आपको पीठ में दर्द भी महसूस हो सकता है।
क्या करना चाहिए?
इस समय के लिए आपको पहले से तैयारी करनी होगी। अगर आप हॉस्पिटल में होगी तो आपको चिंता की जरूरत नहीं होगी क्योंकि सारी तैयारी पहले से ही हो चुकी होगी।
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C. ट्रांजिशन फेज
ट्रांजिशन फेस में गर्भाशय ग्रीवा सात सेमी से 10 सेमी तक फैल चुकी होती है।
मुझे क्या महसूस होगा?
इस दौरान आपको लोअर पेल्विक एरिया में प्रेशर महसूस होगा और इस समय वॉटर बैग के ब्रेक होने के चांस बढ़ जाते हैं। इस दौरान तीव्र संकुचन महसूस होने लगेंगे।
क्या करना चाहिए?
अगर आप हॉस्पिटल अभी तक नहीं पहुंची हैं तो तुरंत पहुंचने की कोशिश करें। वॉटर ब्रेक के दौरान कलर और ऑडर टाइम का ध्यान जरूर रखें। आपको ऐसे समय में ब्रीदिंग एक्सरसाइज शुरू कर देनी चाहिए। ऐसे समय में धैर्य की बहुत जरूरत होती है।
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सेकेंड स्टेज
सेकेंड स्टेज को एक्टिव स्टेज भी कहते हैं। इस दौरान वजायनल कैनाल से बच्चे को बाहर निकालने की कोशिश की जाती है।
क्या महसूस होगा?
इस दौरान आपके संकुचन का समय बढ़ सकता है। कॉन्ट्रैक्शन तेज होने की संभावना भी बढ़ जाती है। संकुचन 45 से 60 सेकेंड के हो सकते हैं। आपको कुछ देर की राहत भी मिलती है। ये टफेस्ट स्टेज होती है। इसके पूरा होते ही आप फिनिश लाइन के पास पहुंच जाते हैं।
मुझे क्या करना चाहिए?
इस स्टेज में तीन से पांच घंटे लग सकते हैं। आपको इस दौरान पुजिशन चेंज करने की जरूरत है। आप चाहे तो किसी से बैक मसाज करवा सकती हैं। इस दौरान आपको पेन से कहीं ज्यादा अपने बच्चे के बारे में सोचना चाहिए। आपको बेबी को पुश करने के लिए ताकत लगानी चाहिए।
थर्ड स्टेज
इस स्टेज में प्लेसेंटा बाहर आ जाता है। इसे चाइल्ड बर्थ की लास्ट और फाइनल स्टेज कहा जाता है। डिलिवरी के बाद इस प्रक्रिया में 15 से 20 मिनट लग सकते हैं। ये नैचुरल प्रॉसेस है।
सामान्य डिलिवरी के दौरान सात यूजफुल टिप्स
लें प्रीनेटल एज्युकेशन
पहली बार मां बनने जा रही है तो ये जरूरी है कि प्रीनेटल एज्युकेशन लें। सिंपल लेबर पेन मैनेजमेंट जैसे कि ब्रीदिंग, रिलैक्स करना और आखिरी अवस्था में खुद को तैयार करना आदि आप प्रीनेटल एज्युकेशन में सीख सकती हैं।
पेल्विक मसल्स को बनाएं स्ट्रॉन्ग
आप इस दौरान पेल्विक मसल्स को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए कुछ एक्सरसाइज कर सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान भारी वजन उठाने से बचें। पेल्विक स्ट्रेच और टिल्ट्स कर सकती हैं।
प्रॉपर खाना लें
प्रेग्नेंसी के दौरान पूर्ण पोषण पाने के लिए अच्छा न्यूट्रिशन लेना बहुत जरूरी है। आपको ओवर इटिंग से भी बचना होगा। ओवरवेट खाना वेट को बढ़ा देता है जिससे सामान्य डिलिवरी के चांसेस कम हो जाते हैं।
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स्ट्रेस को कहे बाय
अगर आपको स्ट्रेस फील हो रहा है तो उसे बाय कह दें। आप अच्छी बुक पढ़ कर या फिर पसंदीदा गाना सुन कर स्ट्रेस को दूर कर सकती हैं।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज
प्रॉपर ग्रोथ के लिए शरीर में ऑक्सिजन का सही मात्रा में पहुंचना बहुत जरूरी है। आप लेबर के दौरान टाइम टू टाइम ब्रीदिंग जरूर करें।
मसाज लें
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही के दौरान मसाज लेना आपके लिए अच्छा होगा। मसाज से मसल्स को रिलैक्स मिलता है और दर्द से भी राहत मिलती है।
न होने दें पानी की कमी
लेबर के दौरान पानी आपको एक्ट्रा स्टेमिना देने का काम करेगा। आप चाहे तो पानी के साथ ही फ्रेश जूस और एनर्जी ड्रिंक्स ले सकती हैं।
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नॉर्मल डिलिवरी के फायदे क्या हैं?
- सामान्य डिलिवरी बच्चे को जन्म देने की नैचुरल प्रॉसेस है। नॉर्मल डिलिवरी किसी भी अन्य तरीके से बेहतर मानी जाती है। जानिए क्यों इसे बेहतर माना जाता है?
- नॉर्मल डिलिवरी के कारण बच्चा वैक्यूम डिलिवरी के खतरे से बच जाता है।
- फॉरसेप्स डिलिवरी में फॉरसेप्स जिसकी आकृति चिमटे के आकार की होती है, बच्चे का सिर निकालने के लिए यूज होता है। सामान्य डिलिवरी में इसके उपयोग से भी बचा जा सकता है। इससे चोट लगने की संभावना होती है।
- सामान्य डिलिवरी मां और होने वाले बच्चे दोनों के लिए हेल्दी प्रॉसेस है। मां आसानी से बच्चे को अपना दूध पिलाने के लिए तैयार होती है।
- सामान्य डिलिवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क भी आसानी से बनने लगता है।
- ऐसा माना जाता है कि जो बच्चे सामान्य डिलिवरी के जरिए पैदा हुए हैं, उनका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
- नैचुरल प्रॉसेस डिलिवरी या नॉर्मल डिलिवरी के बाद मां जल्दी रिकवर करती है।
- सामान्य डिलिवरी के दौरान हॉस्पिटल में भी कम रहना पड़ता है।
सामान्य डिलिवरी से संबंधित मन में कोई भी प्रश्न है तो बेहतर होगा कि आप एक बार डॉक्टर से इस बारे में पूछें। डिलिवरी के समय की परिस्थितयां बहुत मायने रखती हैं। डॉक्टर शरीर में आ रहे बदलाव के अनुसार सुझाव दे सकते हैं।
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