गर्भावस्था के नौ महीने महिलाओं के लिए बहुत संवेदनशील होते हैं। इस दौरान महिलाओं को बहुत समझदारी से जीवन जीने की आवश्यकता होती थी। इस दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रहना भी जरूरी होता है। मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए यह बहुत जरूरी है। कई बार महिलाओं को प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज (Exercise in pregnancy) या गर्भावस्था में व्यायाम और योग करने की भी सलाह दी जाती है। कई महिलाएं इसे लेकर संशय में रहती हैं कि प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज (Exercise in pregnancy) या योग करना चाहिए या नहीं ? आज हम आपको बता रहे हैं कि प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज किस हद तक सही है।
प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज (Exercise in pregnancy) : मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन (NCBI) के अनुसार, प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे और मां दोनों के लिए योग या फिर व्यायाम फायदेमंद होता है। प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज (Exercise in pregnancy) करने से इम्यूनिटी पावर ठीक होती है और डिलिवरी के वक्त लेबरपेन भी कुछ हद तक कम होता है। व्यायाम भी गर्भवती महिला और भ्रूण दोनों के लिए सेफ माना गया है। प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज (Exercise in pregnancy) या गर्भावस्था में व्यायाम से नॉर्मल डिलिवरी के चांस बढ़ जाते हैं। लेकिन याद रखें कि प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज और योग दोनों ही एक्सपर्ट्स की सलाह लेने और समझने के बाद ही करें। क्योंकि आपकी एक भी गलती आपके और बच्चे दोनों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव
- वजन बढ़ना
- शरीर, कमर और पैरों में दर्द होना
- मसूड़ों में सूजन होना
- चेहरे, होंठ, ब्रेस्ट और पैरों में सूजन होना
- गर्भावस्था के दौरान यूटेरस का दबाव यूरेनरी ब्लैडर पर ज्यादा पड़ने लगता है। ऐसे में गर्भवती महिला को बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में हो रहे हॉर्मोनल बदलावों की वजह से होते हैं।
प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज करते समय किन बातों पर रखें ख्याल
- कोई भी व्यायाम शुरू करने के पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें और फिर व्यायाम शुरू करें।
- एक्सरसाइज करने के पहले वॉर्मअप करें। वॉर्मअप करने से शरीर एक्टिव होता है और इसके बाद एक्सरसाइज करें। सीधे एक्सरसाइज करने से शरीर में मांसपेशियों का खिंचाव हो सकता है।
- भारी-भारी वेट नहीं उठाना चाहिए। इससे आपके पेट पर दवाब पड़ेगा, सांस लेने में परेशानी होगी और इसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ेगा।
- आसान एक्सरसाइज करें और ज्यादा टफ एक्सरसाइज न करें।
- कम से कम आधे घंटे रोज एक्सरसाइज करें या फिर हफ्ते में 5 दिन जरूर करें।
- एक्सरसाइज वही करें जो आपके डॉक्टर ने आपको करने की सलाह दी हो। अपने मर्जी से व्यायाम न करें।
- ऐसा कोई भी व्यायाम न करें, जिसके करने से थकावट महसूस हो।
- गर्भावस्था के दौरान सुबह-शाम टहलने से ताजी हवाएं मिलती हैं, जो आपके और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए लाभकारी होता है।
- ध्यान लगाने की मुद्रा में बैठें। इससे शांति मिलेगी और एनर्जेटिक फील करेंगी।
- धीरे-धीरे अनुलोम-विलोम करें। ऐसा करने से दूषित पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है।
- शरीर को हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के खतरे को कम करता है।
ऐसा नहीं है कि आप सिर्फ योग या व्यायाम ही कर सकती हैं। गर्भावस्था में आप स्विमिंग भी कर सकती हैं। स्विमिंग एक्सपर्ट्स आपको प्रेग्नेंसी में तैरने का तरीका बताएंगे। कई जगहों पर स्विमिंग क्लासेस सिर्फ प्रेग्नेंट लेडी के लिए भी चलाए जाते हैं। लेकिन, अगर आपके डॉक्टर ने आपको कंप्लीट बेड रेस्ट की सलाह दी है, तो फिर आपको आराम करने की बेहद जरूरत है। प्रेग्नेंसी में हर महिला का शरीर अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देता है। ऐसे में किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें।
प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज (Exercise in pregnancy) करना चाहती हैं, तो ये हैं विकल्प
तेज-तेज चलना (Brisk walking)
अगर प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज (Exercise in pregnancy) या गर्भावस्था में व्यायाम करने के लिए विकल्प तलाश रहे हैं, तो आस-पास टहलना एक अच्छा तरीका साबित हो सकता है। यह घुटनों और टखनों पर बहुत अधिक प्रभाव डाले बिना एक कार्डियोवस्कुलर एक्सरसाइज के लाभ दे सकता है। इसे मुफ्त में, लगभग कहीं भी और गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय किया जा सकता है।
सेफ्टी टिप: जैसे-जैसे गर्भावस्था आगे बढ़ती है, आपके गुरुत्वाकर्षण का केंद्र बदलता है और आप संतुलन और समन्वय की अपनी भावना खो सकते हैं।
चिकनी सतहों को चुनें, गड्ढों, चट्टानों और अन्य बाधाओं से बचें और स्पोटर्स शूज पहनें।
तैरना (Swimming)
प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज (Exercise in pregnancy) या गर्भावस्था में व्यायाम करने का एक बेहतर विकल्प पानी में तैरना और व्यायाम करना भी हो सकता है। ऐसे में जोड़ों पर दबाव डाले बिना आपको बेहतर एक्सरसाइज मिलती है। पानी के उछाल से आपको अतिरिक्त वजन के लिए कुछ राहत मिल सकती है।
तैरना, पानी में चलना और एक्वा एरोबिक्स पूरे गर्भावस्था में प्रेग्नेंसी के दौरान लाभकारी साबित होते हैं।
सेफ्टी टिप: ऐसा स्ट्रोक चुनें जो आरामदायक लगे, और जो आपकी गर्दन, कंधे या पीठ की मांसपेशियों को तनाव या चोट पहुंचाए। उदाहरण के लिए ब्रेस्टस्ट्रोक। एक किकबोर्ड पैर और नितंब की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
स्टेशनरी साइकिलिंग (Stationery cycling)
स्टेशनरी साइकिल एक स्थिर बाइक को कहते हैं। इस तरह की साइकिल को चलाना प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज (Exercise in pregnancy) या गर्भावस्था में व्यायाम का एक अच्छा ऑपशन साबित हो सकता है। साथ ही पहली बार व्यायाम कर रहे लोगों के लिए भी यह सुरक्षित माना जाता है। इस एक्सरसाइज से जोड़ों पर बहुत ज्यादा न डालकर भी यह हार्ट रेट को बढ़ाता है। बाइक बॉडी वेट को सपोर्ट करती है और क्योंकि यह एक जगह स्थिर होती है, तो गिरने की आशंका भी काफी कम होती है।
स्क्वाट (Squat)
गर्भावस्था में स्क्वाट करने की सलाह दी जाती है। ये शरीर के निचले हिस्से को मजबूत बनाने में मदद करता है। स्क्वाट्स करने से ग्रोइन क्षेत्र को मजबूत बनने में मदद मिलती है और यह डिलीवरी के दर्द को कम करने में मदद करता है। गर्भवती महिलाएं सप्ताह में लगभग 3 दिन इसे 10-15 बार कर सकती हैं।
स्विमिंग (Swimming)
गर्भवती महिला के लिए स्विमिंग बेहद फायदेमंद मानी जाती है। ये स्ट्रेस को दूर करने में भी मदद करती है। गर्भवती महिलाएं सप्ताह में लगभग 4 बार स्विमिंग कर सकती हैं।
जॉगिंग (Jogging)
गर्भावस्था की पहली तिमाही के लिए जॉगिंग ही सबसे सही एक्सरसाइज है। गर्भावस्था बढ़ने पर आप जॉगिंग के बजाय तेजी से वॉक भी कर सकती हैं। गर्भवती महिलाएं सप्ताह में 3 बार जॉगिंग करें।
योग (Yoga)
प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज (Exercise in pregnancy) या योग करने से यह जोड़ों को आराम पहुंचाता है और लचीला बनाए रखने में मदद करता है। योग मांसपेशियों को मजबूत करता है, रक्त परिसंचरण को उत्तेजित करता है, और राहत देता है। ये गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ ब्लड प्रेशर को बनाए रखने में मदद कर सकता है। योग कक्षा में सीखी गई तकनीकें आपको प्रसव के दौरान शांत रहने और नियंत्रण रखने में मदद कर सकती हैं।
सेफ्टी टिप: जैसे-जैसे गर्भावस्था आगे बढ़ती है, ऐसे पदों को छोड़ें जो आपको असंतुलित कर सकते हैं।
दूसरे सेमेस्टर से, ऐसे पोज से बचना बेहतर है जिसमें पेट के बल लेटना या पीठ पर सपाट होना शामिल है।
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