इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन (IUI) गर्भधारण की एक कृत्रिम तकनीक है। इसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के नाम से भी जाना जाता है। आईयूआई (IUI) में पुरुष के स्पर्म को महिला के यूटरस में डाला जाता है, जिससे फर्टिलाइजेशन हो सके। आईयूआई करने का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा संख्या में स्पर्म को फैलोपियन ट्यूब में पहुंचाने का होता है, जिससे फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, आईयूआई का प्रयोग उन कपल्स में किया जाता है, जिन्हें अनएक्सप्लेन फर्टिलिटी की समस्या होती है। इस स्थिति में पुरुष इनफर्टिलिटी के लिए ज्यादा जिम्मेदार नहीं होते हैं और महिला की गर्भाशय ग्रीवा में म्युकस की दिक्कत होती है।
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आईयूआई करने से पहले अक्सर ऑव्युलेशन को बढ़ाने वाली दवाइयां दी जाती हैं। इस तकनीक में आपके पार्टनर या किसी डोनर के स्पर्म का इस्तेमाल किया जाता है। आईयूआई (IUI) करने से पहले महिला की संपूर्ण चिकित्सा जांच होती है, जिससे उसकी बॉडी में हाॅर्मोन के असंतुलन, संक्रमण या अन्य किसी समस्या का पता चल सके। ऑव्युलेशन के समय इनसेमिनेशन किया जाता है। यह समान्यतः ल्युटिजाइन हार्मोन का पता चलने के 24-36 घंटों बाद या एचसीजी के ट्रिगर इंजेक्शन देने के बाद किया जाता है। ऑव्युलेशन हुआ है या नहीं इसका पता यूरिन टेस्ट किट से लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है।
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Rh फैक्टर में आईयूआई
कुछ कपल्स में महिला का ब्लड ग्रुप आरएच नेगेटिव होता है और पुरुष का पॉजिटिव। ऐसी स्थिति में महिलाओं का शरीर एक विशेष प्रकार की एंटीबॉडी विकसित कर लेता है। जो पुरुष के आरएच पॉजिटिव स्पर्म को गर्भाशय के ऊपर नहीं पहुंचने देती हैं। जैसे ही पुरुष के स्पर्म वजायना से होते हुए गर्भाशय ग्रीवा में प्रवेश करते हैं, यह एंटीबॉडी उन्हें यूटरस के ऊपर बढ़ने से पहले ही नष्ट कर देती हैं। इससे स्पर्म एग्स तक नहीं पहुंच पाते, जिससे फर्टिलाइजेशन नहीं हो पाता।
इसकी वजह से महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कत आती है। इस स्थिति से निपटने के लिए आईयूआई किया जाता है। आईयूआई से स्पर्म को यूटरस के मुंह को बाइपास कराते हुए सीधे ऊपर की तरफ पहुंचाया जाता है। इससे एग्स और स्पर्म के बीच की दूरी कम हो जाती है और वो एग्स के संपर्क में आकर उन्हें फर्टिलाइज कर देते हैं।
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आईयूआई की प्रक्रिया क्या है? (What is the process of IUI?)
आईयूआई की प्रक्रिया कई चरणों से होकर गुजरती है। इसमें सबसे पहले ऑव्युलेशन को बढ़ाने के लिए आपको कुछ दवाइयां दी जाती हैं। इसके बाद ही यह आगे बढ़ती है।
आईयूआई से पहले ऑव्युलेशन टेस्ट (Ovulation test before IUI)
इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन को शुरू करने से पहले आपका डॉक्टर अल्ट्रासाउंड, ऑव्युलेशन किट और ब्लड टेस्ट कर सकता है। इससे यह पता चलेगा कि आपकी ओवरी में एग्स प्रॉड्यूस हो रहे हैं या नहीं।
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स्पर्म का सैंपल लेना (Collect sperm sample)
इस चरण में आपके पार्टनर से स्पर्म का सैंपल लिया जाता है या डोनर के रखे हुए फ्रोजन स्पर्म को आईयूआई के लिए तैयार किया जाता है। स्पर्म में कुछ कैमिकल्स भी हो सकते हैं, जो महिला की बॉडी में जाकर फर्टिलाइजेशन में हस्तक्षेप कर सकते हैं। इन्हें कत्रिम तरीके से धोया जाता है ताकि कैमिकल्स अलग हो जाएं।
इसके बाद ज्यादा गति वाले, सामान्य गति वाले और कम गति वाले स्पर्म को अलग-अलग कर लिया जाता है। गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने के लिए ज्यादा गति वाले स्पर्म का इस्तेमाल किया जाता है। स्पर्म काउंट हाई रखने के लिए डॉक्टर आपके पार्टनर को आईयूआई करने के दो से पांच दिन पहले तक सेक्स न करने की सलाह दे सकता है।
ऑव्युलेशन की मॉनिटरिंग (Monitoring of Ovulation)
आईयूआई की टाइमिंग काफी महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में इसकी मॉनिटरिंग करना जरूरी होता है। इसका पता लगाने के लिए ऑव्युलेशन प्रीडिक्टर किट का इस्तेमाल किया जाता है। यह ल्युटिजाइनिंग हार्मोन (एलएच) का पता लगाती है। इसके अतिरिक्त, ट्रांसवजायनल अल्ट्रासाउंड के जरिए ओवरी को देखा जाता है। इस टेस्ट से पहले आपकी ओवरी में एक से अधिक एग को प्रॉड्यूस करने के लिए ह्यूमन क्रॉनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) हार्मोन या अन्य दवाइयां दी जाती हैं। ओव्युलेशन होने का पता चलने के एक या दो दिन बाद आईयूआई की जाती है।
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इनसेमिनेशन की स्टेज (Stage of insemination)
ऑव्युलेशन का पता चलने के बाद इस चरण में डॉक्टर सबसे पहले आपकी गर्भाशय ग्रीवा को कॉटन के कपड़े से साफ करेंगे। इसके बाद एक पतली और खोखली ट्यूब को वजायना और गर्भाशय ग्रीवा से होते हुए यूटरस में डाला जाता है। इस दौरान आपको थोड़ा दर्द का अहसास हो सकता है लेकिन, यह कुछ ही मिनटों में बंद हो जाता है। इस ट्यूब के जरिए स्पर्म को यूटरस में डाला जाता है।
रेस्टिंग स्टेज (Resting stage)
आईयूआई (IUI) के पूरा होने के बाद डॉक्टर आपको 10-15 मिनट तक बेड पर लेटे रहने के लिए कहेगा। इससे स्पर्म को एग्स तक पहुंचने में मदद मिलती है, जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ती है। आईयूआई कराने के बाद आप अपना रूटीन शुरू कर सकती हैं। हालांकि, आईयूआई होने के बाद आपको हल्की ब्लीडिंग और क्रैंपिंग हो सकती है।
इस तकनीक को अपनाकर कपल पैरेंटस बनने की इच्छा को पूरा कर सकते हैं। प्रेग्नेंसी के लिए किसी भी तकनीक को समझने के लिए डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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आईयूआई के जोखिम क्या हैं? (What are the risks off IUI)
आईयूआई अपेक्षाकृत कम जोखिम वाली प्रक्रिया है। संक्रमण का बहुत कम जोखिम है। फर्टिलिटी की दवाएं इस्तेमाल करने से आईयूआई प्रक्रिया के दौरान रिस्क हो सकता हैं। अगर आप गोनैडोट्रॉपिंस (Gonadotropins) का उपयोग कर रहे हैं, तो आपको ओवेरियन हाइपरस्टीमुलेशन सिंड्रोम (OHSS) के विकास के का खतरा हो सकता है।
गोनैडोट्रॉपिंस लेने के दौरान गर्भ धारण करने वाली महिलाओं को (जुड़वाँ, तीन या अधिक) बच्चे होने का खतरा अधिक होता है। यही कारण है कि इसकी निगरानी जरूरी है।
अगर बहुत अधिक संभावित फॉलिकल हैं, तो चक्र को रद्द किया जा सकता है और एक बार फिर से कोशिश की जा सकती है। अगर आपका डॉक्टर आपके चक्र को रद्द कर देता है क्योंकि बहुत अधिक फॉलिकल हैं, तो वह आपको सेक्स करने से परहेज करने की संभावना भी बताएगा। यह जरूरी है कि आप डॉक्टर के निर्देश को गंभीरता से लें। कुछ लोग डॉक्टर की सलाह को नहीं मानते हैं और साइकिल के दौरान सेक्स करते हैं। हालांकि, अगर आप सेक्स और गर्भ धारण करते हैं तो आप अपने और अपने भविष्य के बच्चों को खतरे में डाल सकते हैं। इसलिए इसके बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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