वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) की मानें तो जन्म के समय बच्चे की नाल (गर्भनाल Umbilical Cord) को देर से काटने (जन्म के बाद 1 मिनट से पहले नहीं) से नवजात शिशु को काफी फायदा होता है। दरअसल, स्टडीज से पता चलता है कि जन्म के बाद पहले मिनट में ही कॉर्ड काट देने से प्लेसेंटा से केवल 80 मिलीलीटर ही ब्लड बच्चे के शरीर में ट्रांसफर हो पाता है, जबकि तीन मिनट बाद तक 115 मिलीलीटर ब्लड ट्रांसफर होता है। बच्चे की नाल जल्दी काटने से रक्त की कुल आपूर्ति में कमी आ जाती है और आयरन की मात्रा कम हो जाती है।
एनआईसीई (National Institute for Clinical Excellence) सलाह देता है कि सभी मैटरनिटी यूनिट्स में जिन नवजात शिशुओं की हार्ट रेट 60 बीपीएम से कम या ज्यादा न हो तो उनकी कॉर्ड क्लैम्पिंग कम से कम एक से पांच मिनट के बीच होनी चाहिए। “हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में जानते हैं क्या है डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग (देर से गर्भनाल काटना), इसके फायदे और नुक्सान।
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क्या है डिलेड कॉर्ड क्लैम्पिंग (बच्चे की नाल देरी से काटना)?
पिछले 50- 60 वर्षों से जन्म के तुरंत बाद बच्चे की नाल काटने की प्रथा चली आ रही है लेकिन, रिसर्च बताती हैं कि जन्म के समय नवजात शिशु की गर्भनाल को देर से काटना शिशु के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। हालांकि, कॉर्ड क्लैंपिंग करने का समय शिशु की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। अंबिलिकल कॉर्ड में भारी मात्रा में लाल और सफेद रक्त कोशिकाएं पाई जाती हैं और कॉर्ड क्लैंपिंग में देरी करने से मतलब है कि उतने समय में ये शिशु तक पहुंच सकें।
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कितने समय के लिए बच्चे की नाल (कॉर्ड क्लैंपिंग) रोकी जा सकती है?
आमतौर पर शिशु के जन्म के 20 से 30 सेकंड के अंदर डॉक्टर अंबिलिकल कॉर्ड को काट देते हैं लेकिन, डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग में यह समय बढ़कर 5 मिनट हो जाता है। इतना ही नहीं वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) ने इस बात का सुझाव दिया है कि बच्चे के जन्म के कम से कम एक मिनट बाद या जब तक कॉर्ड पंप करना न बंद कर दे, तब ही कॉर्ड क्लैंपिंग की जाए।
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डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग (बच्चे की नाल देरी से काटना) के फायदे क्या हैं?
- बच्चों की क्लैंपिंग देर से होने से उनमें 60 प्रतिशत ज्यादा रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) पाई जाती हैं।
- डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग वाले बच्चे एनीमिया से बचे रहते हैं।
- डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग (delayed cord clamping) से बच्चों को स्वस्थ और बेहतर जीवन जीने में मदद मिलती है।
- देर से बच्चों की गर्भनाल काटने से प्लेसेंटल ट्रांसफ्यूजन (placental transfusion) में वृद्धि, आरबीसी में 60% वृद्धि और नवजात शिशु में रक्त की मात्रा में 30% की वृद्धि होती है।
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डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग (Delayed Cord Clamping) के क्या नुकसान हो सकते हैं?
बच्चे की नाल को देरी से काटने के अगर कुछ फायदे हैं तो इसके कुछ दुष्प्रभाव भी दिख सकते हैं। जैसे-
पॉलीसिथेमिया (polycythemia)
नवजात शिशु में ब्लड फ्लो ज्यादा होने से लाल रक्त कोशिकाओं की अधिकता होती है। इससे पॉलीसिथेमिया हो जाता है। इससे सांस लेने और सर्क्युलेशन की समस्या हो सकती है और हाइपरबिलिरुबिनमिया (hyperbilirubinemia) हो सकता है।
हाइपरबिलिरुबिनमिया (Hyperbilirubinemia)
बच्चे की नाल देरी से काटने से उनमें आयरन की मात्रा बढ़ जाने की वजह से हाइपरबिलीरुबिनमिया की शिकायत हो सकती है। नवजात शिशुओं में बिलीरुबिन (Bilirubin) की मात्रा बढ़ने की वजह से पीलिया हो सकता है। जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशुओं के अंग बिलीरुबिन को खुद से कम करने के लिए पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होते हैं, जिस वजह से न्यू बॉर्न बेबी को पीलिया हो जाता है।
सांस लेने में परेशानी
बच्चों की कॉर्ड क्लैंपिंग में देरी से शिशु को सांस लेने की समस्या का सामना कर पड़ सकता है।
नवजात शिशु की गर्भनाल की देखभाल कैसे करें?
बच्चे की नाल की साफ-सफाई के दौरान नीचे बताई गई बातों पर ध्यान दें-
- गर्भनाल सामान्यतौर पर शिशु के जन्म के पांच से दस दिनों के बीच मे अलग हो जाती है। लेकिन, कुछ बच्चों की गर्भनाल को हटने में तीन सप्ताह या उससे ज्यादा का समय लग सकता है। यदि बच्चे की नाल स्टंप खुद से चार सप्ताह में ना हटे तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
- पीडियाट्रिशियन के अनुसार स्टंप में हमेशा हवा लगने दें। इससे वह हिस्सा जल्दी सूखेगा। गर्मियों के मौसम में शिशु को कैसे कपड़े पहनाएं। इस पर ध्यान दें।
बच्चे के कपड़े ऐसे हों कि उनसे हवा पास हो सके।
- अंबिलिकल कॉर्ड को साफ और सूखा रखे। इसको साफ करने के लिए हमेशा उबले हुए ठन्डे पानी का इस्तेमाल करें। कॉटन बड को पानी में भिगाकर गर्भनाल की सफाई करें।
- बच्चे की नाल के आसपास थोड़ा रक्तस्त्राव होना सामान्य है। हालांकि, अगर लगातार ब्लीडिंग हो रही है, तो इस पर ध्यान दें।
- ध्यान दें नैपी को ज्यादा टाइट ना लपेटे। इसे गर्भनाल के नीचे ही रखें।
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इन लक्षणों के मिलते ही करें डॉक्टर से संपर्क:
बच्चे की नाल से जुड़े हुए कुछ लक्षण नीचे बताए गए हैं जिनके दिखने पर तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए जैसे-
- अगर बच्चे की नाल में बार बार इंफेक्शन हो रहा है जैसे नाल के आसपास के हिस्से में किसी तरह की गंध आना, लालिमा या पीप का जमा होना।
- बच्चे की नाल गिरने के बाद नाल के आसपास की जगह में उभार होना।
- अगर शिशु रो रहा है और नाल या उसके आसपास का भाग बाहर की ओर निकलता हुआ सा लगे।
- यदि बच्चे की नाल से अधिक खून बह रहा हो।
डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग (बच्चे की नाल देरी से काटना) प्रीमैच्योर शिशु और सामान्य शिशु दोनों के लिए फायदेमंद है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के हिसाब से जन्म के समय गर्भनाल से अगर शिशु थोड़ा ज्यादा समय तक जुड़ा रहे तो ऐसे शिशुओं में न्यूरोडेवलपमेंट अच्छा होता है। उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया होगा। इस आर्टिकल में बच्चे की नाल से जुड़ी हुई सारी जानकारी आप तक पहुंचाने की पूरी कोशिश की गई है फिर भी आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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