कम वजन के शिशु और उसकी मां को पहले हफ्ते में अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। इस स्थिति में महिला के परिवार को उसे स्तनपान के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। विशेष रूप से स्तनपान तब तक कराया जाना चाहिए जब तक कि बच्चा अपने आप स्तनपान ना करने लगे।
34 और 36 हफ्तों के बीच पैदा होने वाले बच्चों को स्तनपान करने में कोई दिक्कत नहीं होती। जिन बच्चों का वजन कम होता है उन्हें स्तनपान करने में परेशानी आती है। इन बच्चों के लिए ब्रेस्टफीडिंग एक चुनौती होती है। इन शिशुओं को दिन और रात में हर दो घंटे बाद स्तनपान कराया जाना चाहिए।
34 हफ्ते की अवधि में पैदा होने वाला शिशु यदि ठीक से दूध नहीं पीता है तो उसे विशेष कप से फीडिंग कराई जाए। अतिरिक्त कम वजन वाले शिशु भी यदि खुद से स्तनपान कर लेते हैं तो फिर भी उन्हें भी कप से अतिरिक्त दूध पिलाया जाना चाहिए। कप से दूध पीने वाले हर बच्चे को उनके प्रति किलो वजन के हिसाब से 60ml मिल्क पिलाया जाना चाहिए।
स्तनपान कराने का तरीका
कम वजन के शिशु को स्तनपान कराने से पहले उसके होंठ पर दूध की कुछ बूंदे टपकाएं। शिशु के मुंह में निप्पल लगाने के बजाय पूरा ब्रेस्ट उसके मुंह में लगाएं। ऐसा करने से उसका माउथफुल होगा। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बीच में थोड़ा गैप दें। इससे शिशु को आराम करने के लिए समय मिलेगा। कम वजन वाले शिशु के लिए ब्रेस्टफीडिंग करना थोड़ा मुश्किल होता है।
कई बार ब्रेस्टफीडिंग के वक्त शिशु को खांसी या उल्टी आती है। इस स्थिति में दोबारा ब्रेस्टफीडिंग कराने से पहले उसे ठीक से सांस लेने का समय दें। यदि शिशु खुद से ब्रेस्टफीडिंग नहीं कर पाता है तो मां को अपने हांथ से ब्रेस्टफीडिंग करानी चाहिए। इसके लिए महिला को हैंड ब्रेस्टफीडिंग की तकनीक के बारे में जानकारी रखना जरूरी है। कम वजन के शिशु की बॉडी के लिए मौसम के अनुसार उचित तापमान बनाए रखें। मई-जून के महीने में उन्हें किसी चादर या कपड़े में लपेटने की जरूरत नहीं है।
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कम वजन के शिशु की देखभाल के लिए जरूर बातें
- गर्दन, नैपी एरिया, उंगलियों और अंगूठों के आसपास हाइजीन का विशेष ध्यान रखें। शिशु की हल्की मसाज करें, लेकिन इसके एक घंटे बाद उन्हें नहला दें। ग्रामीण इलाकों में कुछ महिलाएं शिशु को बिना नहलाए प्रतिदिन सरसों के तेल से मालिश करती हैं। जो कि पूरी तरह से गलत है। इन बच्चों को रोजाना गुनगुने पानी से नहलाया जा सकता है।
- शिशु को बाहर की प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से बचाएं।
- शिशु के कमरे को साफ और तरोताजा रखें।
- कम से कम लोगों को शिशु के कमरे में आने दें।
- शिशु के लिए कंगारू मदर केयर को यूज करें पिता भी इस थेरिपी का यूज कर सकते हैं। शिशु के जन्म के बाद उसे तुरंत ही सीने से चिपकाएं। इस तकनीक को कंगारू मदर केयर के नाम से जाना जाता है।
- मां और शिशु को ढंकने के लिए अतिरिक्त चादर का इंतजाम होना चाहिए। शिशु के सिर को अच्छे से ढंका जाना चाहिए। कम वजन वाले शिशुओं के सिर को ना ढंकने से उनकी बॉडी की गर्माहट निकल जाती है।
- कमरे में इन शिशुओं के लिए अतिरिक्त तापमान को बनाए रखने के लिए हीटर का इंतजाम होना चाहिए।
- कम वजन के शिशु की डिलिवरी के दो दिन के बाद ही उन्हें नहलाना चाहिए। नहलाते वक्त हमेशा गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।