ज्यादातर बच्चों में जॉन्डिस अपने आप और पौष्टिक आहार (मां का दूध) से ठीक हो सकता है और इलाज की जरूरत नहीं पड़ सकती है। लेकिन, कभी–कभी बच्चों में जॉन्डिस की वजह से समस्या गंभीर भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में बिलीरुबिन की जांच लेवल जांच कर इलाज शुरू कर सकते हैं।
नवजात शिशु में जॉन्डिस न हो इसके लिए सबसे पहला उपाय है की शिशु को मां के दूध का सेवन करवाना चाहिए। यह ध्यान रखें की नवजात को जन्म से ही मां का दूध दें और एक दिन में कम से कम 8 से 12 बार शिशु को दूध पिलाना चाहिए। हर एक से दो घंटे के बीच में शिशु को दूध पिलाते रहें। अस्पताल से छुट्टी मिलने के पहले शिशु का चेकअप जरूर करवाना चाहिए। इससे शिशु में हो रही जॉन्डिस की समस्या के साथ-साथ अन्य शारीरिक परेशानी की जानकारी मिल सकती है। किसी भी बीमारी से बचने या बचाने के लिए साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। गन्दगी की वजह से भी जॉन्डिस का खतरा हो सकता है। वयस्कों में होने वाले जॉन्डिस के दौरान डॉक्टर विटामिन-सी से भरपूर फल जैसे नींबू, संतरा और कीवी जैसे अन्य रसीले फलों को खाने या इनके जूस को पीने की सलाह देते हैं।यह बहुत फायदेमंद होता है। हालांकि नवजात शिशु को इनसब का सेवन नहीं करवाया जा सकता है लेकिन, डॉक्टर आपको जो सलाह दें उसका पालन करना चाहिए। वैसे तो नवजात शिशु डॉक्टर के निरक्षण में रहता है। लेकिन, अगर बच्चे में ऊपर बताए गए लक्षण दिखें तो देरी किये बिना डॉक्टर को जल्द से जल्द इसकी जानकारी दें। ऐसा भ्रम न पालें की यह खुद ठीक हो ही जायेगा। इसके साथ ही अगर आप नवजात शिशु में जॉन्डिस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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