“जन्म के बाद शुरूआत के छह से आठ महीनों में शिशु को दिन में दो से तीन बार, नौ से 11 महीनों में दिन में तीन से चार बार और 12-24 महीनों के बीच में शिशु को दिन में एक से दो बार ब्रेस्ट मिल्क के अलावा कुछ पौष्टिक स्नैक्स देने चाहिए।” यह कहना है लखनऊ के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. आर. के. ठाकुर (आर. के. क्लिनिक) का। ऐसे ही कुछ न्यू बॉर्न केयर टिप्स “हैलो हेल्थ” के इस आर्टिकल में बताए गए हैं, जो नवजात शिशु की देखरेख के दौरान न्यू पेरेंट्स को अपनाने चाहिए।
- नवजात शिशु की देखरेख कैसे करें?
- नवजात शिशु को कैसे पकड़ें?
- नवजात शिशु का पालन पोषण कैसे करें?
- नवजात शिशु की देखरेख के लिए स्वैडलिंग है जरूरी।
- डायपर बदलते समय क्या करें और क्या नहीं?
- नवजात शिशु की देखरेख के लिए कैसे ध्यान रखें गर्भनाल की सफाई का?
- नवजात शिशु को स्तनपान कराते समय किन बातों का रखें ध्यान?
नवजात शिशु की देखरेख से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
नवजात शिशु की देखरेख कैसे करें? (Newborn baby care tips)
शिशु के जन्म के तुरंत बाद सबसे पहले फीडिंग एक्सपर्ट से सलाह लें और समझें कि नवजात शिशु को कैसे दूध पिलाना है? स्तनपान कराते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना है इस बारे में घर के बड़े लोग भी आपकी मदद कर सकते हैं। ज्यादा लोगों से नवजात शिशु को दूर रखें क्योंकि इससे इंफेक्शन का खतरा रहता है।
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न्यू बोर्न बेबी केयर टिप्स: नवजात शिशु को कैसे पकड़ें? (Handling Tips for Newborn baby)
- नवजात शिशु को छूते समय यह सुनिश्चित करें कि हाथ हमेशा साफ हों क्योंकि छोटे बच्चे का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है। गंदे हाथों से शिशु को पकड़ने से उसे संक्रमण (Infection) होने का डर रहता है।
- शिशु को जब भी उठाएं या लेटाएं, ध्यान से उसकी गर्दन को संभालें क्योंकि जन्म के कुछ महीने बाद ही नवजात शिशु की गर्दन का विकास अच्छे से होता है। गर्दन को सहारा न देने से उसकी गर्दन में चोट आ सकती है।
- शिशु को जोर से न हिलाएं इससे मस्तिष्क में रक्तस्राव हो सकता है। यदि शिशु को जगाने की जरुरत है, तो उसे हिलाकर मत उठाएं।
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न्यू बोर्न बेबी केयर टिप्स: नवजात शिशु का पालन पोषण
- नवजात शिशु की देखरेख के समय याद रखें कि शिशु को मां के पास ही रहने दें क्योंकि मां के शरीर से बच्चे को गर्मी मिलती है।
- जन्म के आधे घंटे के अंदर शिशु को मां का दूध पिलाना चाहिए। मां का पहला पीला दूध जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं, शिशु को कई बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है। जन्म के बाद के छह महीने तक बच्चे के लिए मां का दूध (Mother’s milk) ही संपूर्ण आहार है। शुरूआती छह महीनों तक स्तनपान करने वाले शिशु अच्छी तरह से विकसित होते हैं। संक्रमण से उनका बचाव होता है।
- न्यू बोर्न बेबी केयर टिप्स के दौरान इस बात का ख्याल रखें कि शिशु को पहले 6 महीने में पानी नहीं पिलाना चाहिए। यह लोगों के बीच गलत धारणा है कि स्तपान के बाद भी बच्चों को प्यास लगती है।
- छह महीने से ऊपर के बच्चे को मां के दूध के अलावा ऊपरी आहार भी देना चाहिए।
- जन्म के तुरंत बाद शिशु को पोलियो की दवा, बीसीजी और हेपेटाइटिस का टीका लगवाना चाहिए।
- सभी नवजात शिशुओं की बेबी मसाज ऑयल से मालिश करना चाहिए। इससे शिशु की मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं। मालिश करते समय ध्यान रखें कि हल्के-हल्के हाथों से ही मालिश करें।
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न्यू बोर्न बेबी केयर टिप्स: नवजात शिशु की देखरेख के लिए स्वैडलिंग (Swaddling) भी है जरूरी
- शिशु के जन्म के पहले कुछ सप्ताह उन्हें कपड़े में अच्छे से लपेट कर रखना चाहिए। शिशु को कपड़े में लपेटकर (Swaddling) रखना ही स्वैलडलिंग कहलाता है। स्वैडलिंग से नवजात शिशुओं को गर्माहट, सुरक्षा और आराम मिलता है।
- सबसे पहले एक मोटे तौलिए को बिछा दें और उसके एक कोने को थोड़ा-सा ऊपर की ओर मोड़ें।
- उसके बाद शिशु के सिर को उस मोड़े हुए भाग पर रखकर लेटा दें। फिर दोनों तरफ के कपड़े को मोड़कर बच्चे को लपेट दें। (जैसा कि 2 नंबर की फोटो में दिखाया गया है।)
- नीचे के कपड़े को सीधे शिशु के मुंह की सिधाई में आराम से मोड़ कर फंसा दें। (तीसरा और चौथा फोटो देखें)
- याद रखें कपड़े को ज्यादा टाइट न बांधें क्योंकि इससे बच्चे के पैरों को फैलाने में मुश्किल होगी।
- स्वैडलिंग दो महीने से कम उम्र की शिशु के लिए ही की जाना चाहिए।
नवजात शिशु की देखरेख: डायपर बदलते समय क्या करें और क्या नहीं? (Diapering Tips for Newborn babies)
- डायपरिंग के लिए कॉटन के कपड़े या डिस्पोजेबल डायपर का इस्तेमाल किया जा सकता हैं। दिन में कम से कम 10 बार और सप्ताह भर में 70 बार नवजात शिशु की नैपी बदलने की जरुरत पड़ती ही है। इसलिए अपने पास कॉटन नैप्पी या डायपर, गुनगुना पानी, साफ करने के कपड़ा, रुई आदि रखें।
- नवजात शिशु की देखरेख करते समय पेरेंट्स याद रखें कि शिशु का एक बार डायपर गंदा होने पर उसे तुरंत बदल दें। इसके लिए गुनगुने पानी में रुई को डुबोकर शिशु के नीचे के भाग को सावधानी से साफ करें और सूखे कपड़े से अच्छे से पोछें।
- उसके बाद नया डायपर पहनाएं। डायपर रैशेज (Daiper rash) न पड़ें इसके लिए एंटीबैक्टीरियल पाउडर का भी आप उपयोग कर सकते हैं।
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नवजात शिशु की देखरेख के लिए ध्यान रखें गर्भनाल (Umbilical cord) की सफाई का
- गर्भनाल की देखभाल नवजात शिशु के लिए महत्वपूर्ण होती है। ध्यान रखें कि अम्बिलिकल कॉर्ड (umbilical cord) खिंचे नहीं। बच्चे के शरीर से गर्भनाल जब तक जुड़ी रहे, शिशु को स्पंज बाथ ही दें।
- जन्म के लगभग दो से तीन हफ्ते तक कॉर्ड शिशु के शरीर से जुड़ी रहती है। गर्भनाल को साफ करने से पहले अपने हाथ की सफाई कर लें। ध्यान रखें कि कॉर्ड हमेशा सूखी रहे, उसे नैपी या डायपर से कवर न करें।
- कॉर्ड स्टंप को अपने आप शरीर से अलग होने दें उसके साथ जबरदस्ती न करें।
- अगर कॉर्ड स्टंप से पस निकले या खून बहे तो डॉक्टर को दिखाएं।
नवजात शिशु की देखरेख: नवजात शिशु को कैसे नहलाएं? (Bathing Tips for Newborn babies)
- नवजात शिशु को तभी नहलाना चाहिए जब उसकी गर्भनाल शरीर से अलग हो जाए और नाभि ठीक से सूख जाए। (लगभग एक से चार हफ्ते तक)।
- पहले तीन हफ्ते में शिशु को सिर्फ स्पंज बाथ दें। एक बार गर्भनाल हट जाने पर शिशु को सप्ताह में दो से तीन दिन नहला सकते हैं।
- शिशु को नहलाते समय ध्यान दें उसके कानों या आंखों में पानी न जा पाए।
- शिशु के थोड़ा बड़े होने पर बेबी को टब बाथ दिया जा सकता है। उसके लिए एक टब में दो से तीन इंच तक गुनगुना पानी लें और उसमें शिशु को बैठा कर नहलाएं। याद रहे टब में शिशु को तभी नहलाएं जब वह बैठने में सक्षम हो जाए।
- बच्चे को जल्दी नहलाने ले जाना मां-बच्चे की बॉन्डिंग, मां-बच्चे का स्किन टू स्किन टच और स्तनपान करवाने में बाधा डाल सकता है। एक स्टडी के अनुसार, पहले दो घंटों के अंदर नवजात शिशु को नहलाने की तुलना में जिन बच्चों को 12 घंटों के बाद स्नान कराया गया है, वे आसानी से स्तनपान कर पाए।
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नवजात शिशु को स्तनपान कराते समय किन बातों का रखें ध्यान? (Breastfeeding tips for newborn babies)
नवजात शिशु की देखरेख के दौरान शिशु को स्तनपान कराते समय कुछ बातों का ध्यान देना बहुत जरूरी होता है।
- न्यूबॉर्न बेबी को चाहे स्तनपान कराना या बोतल से दूध पिलाना हो, हमेशा शिशु की भूख के हिसाब से ही दूध पिलाएं।
- नवजात शिशु को लगभग तीन से चार घंटे में एक बार दूध पिलाना जरूरी होता है। अगर शिशु को स्तनपान करा रही हैं तो एक ब्रेस्ट से 10-15 मिनट तक फीडिंग कराएं और दूसरे में 10-15 मिनट। यदि फॉर्मूला-फीडिंग करा रही हैं, तो शिशु को हर फीडिंग में 60 या 90 मिली लीटर दूध दें।
- लगभग सभी शिशु ब्रेस्टफीडिंग के समय मुंह से हवा खींचते हैं जिसकी वजह से उनका पेट फूल जाता है। इसलिए, हर बार बच्चे को दूध पिलाने के बाद शिशु को अपनी पीठ से सटाकर पांच से 10 मिनट के लिए थपथपाना चाहिए। इससे शिशु के पेट की गैस बाहर निकल जाती है।
- अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (American Academy of Pediatric) के अनुसार नवजात शिशुओं में सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) के जोखिम को कम करने के लिए उन्हें पीठ के बल सुलाना चाहिए।
- नवजात शिशु दिन में 16 घंटे से भी ज्यादा सोता है और हर तीन से चार घंटे में सोता-जागता रहता है। उनके सोने का कोई निश्चित समय नहीं होता है। तीन से चार घंटे के बाद भी शिशु न उठे तो उसे स्तनपान के लिए उठाना जरूरी है।
- शिशु को एक ही तरफ हमेशा सोने न दें, थोड़े-थोड़े समय में उसकी स्लीपिंग पुजिशन बदलें।
नवजात शिशु की देखरेख बड़े ध्यान से करनी चाहिए। जन्म के बाद शिशु को कैसे दूध पिलाना है? कैसे सुलाना है? क्या खिलाना है? आदि सब जानना नए माता-पिता के लिए आवश्यक है। साथ ही शिशु को सभी टीके (Vaccine) समय से लगवाने चाहिए। इससे शिशु गंभीर बीमारियों से बचा रहता है।
बच्चों के लिए मां का दूध सर्वोत्तम माना जाता है। नीचे दिए वीडियो लिंक पर क्लिक करें और हेल्थ एक्सपर्ट से जानिए ब्रेस्टमिल्क एवं फॉर्मूला मिल्क (Breast milk and formula milk) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।
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