प्रेग्नेंसी में महिला कई परेशानियों से गुजरती है। लेकिन, अगर आपको ऐसा लगता है कि नौ महीने के बाद आपकी समस्याएं खत्म हो गई हैं, तो आप गलत हैं। इसके बाद भी आप दर्द और कई अन्य प्रॉब्लम्स का सामना कर सकती हैं। क्रैम्पिंग, डिलीवरी के बाद कुछ दिनों और हफ्तों तक रह सकती है। अक्सर इसका संबंध यूट्रस के अपनी सामान्य स्थिति में लौटने से होता है। लेकिन, यह चिंता का विषय भी हो सकती है। कुछ ऐसी चीजें हैं, जो पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps) के बारे में आपके लिए जानना बेहद जरूरी है। इस परेशानी के कारणों और उपचार के बारे में भी जानें। सबसे पहले जान लेते हैं क्या है पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps)?
पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps) किन्हें कहा जाता है?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि यह क्रैम्प्स की समस्या तब होती है जब डिलीवरी के बाद यूट्रस प्री-प्रेग्नेंसी साइज में वापस आता है। डिलीवरी के दो या तीन दिन में यह क्रैम्प्स बहुत अधिक इंटेंस होते हैं। लेकिन, डिलीवरी के बाद इस प्रॉब्लम को एक या दो हफ्ते में गायब हो जाना चाहिए। आप इन क्रैम्प्स को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अधिक इंटेंस पा सकते हैं क्योंकि नर्सिंग अक्सर यूट्रस के कॉन्ट्रैक्शन को उत्तेजित कर सकती है। इस स्थिति में ओवर-द-काउंटर पेन रिलीवर के साथ ही जेंटल मसाज और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइजेज भी इस समस्या से राहत पहुंचाने में मददगार हो सकती हैं। लेकिन, अगर आपको इस परेशानी के साथ ही गंभीर दर्द और फीवर व स्मेली डिस्चार्ज जैसी परेशानियां हो, तो तुरंत डॉक्टरों से बात करें। अब जानिए क्या हैं इसके कारण?
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पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps) के कारण क्या हैं?
शिशु के जन्म के बाद लोअर एब्डोमेन में क्रैम्पिंग का अनुभव करना सामान्य है। आखिरकार, गर्भावस्था के दौरान आपका यूट्रस अपने ओरिजनल साइज से कई गुना बढ़ जाता है। इसकी परत मोटी हो जाती है और इसके ब्लड वेसल्स प्लेसेंटा और शिशु को सहारा देने के लिए बड़े हो जाते हैं। जब शिशु जन्म ले लेता है, तो गर्भवती महिला का शरीर अपने शुरुआती बिंदु पर वापस आने की प्रक्रिया शुरू कर देता है। इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:
आफ्टरपेन्स (Afterpains)
पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps) का सबसे सामान्य कारण यह है कि शिशु के जन्म के बाद यूट्रस सिकुड़ कर अपने ओरिजनल साइज पर वापस आ जाता है। जब यह कॉन्ट्रैक्ट होता है, तो शरीर यूट्रस में ब्लड वेसल को कंप्रेस करने का काम करता है ताकि अधिक ब्लीडिंग से बचा जा सके। यह कॉन्ट्रैक्शंस, लेबर कॉन्ट्रैक्शंस का मिनी वर्जन जैसे होती हैं और इन्हें कई बार आफ्टरपेन कहा जाता है। क्योंकि,यह दर्द शिशु के जन्म के बाद होता हैं। यह क्रैम्प्स अधिकतर मेंस्ट्रुअल क्रैम्प्स जैसी होती हैं। डिलीवरी के बाद पहले कुछ दिनों में यह आफ्टरपेन्स अधिक अनकम्फर्टेबल हो सकती हैं। इसके बाद यह दर्द ठीक हो जाती हैं, लेकिन आप ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इन्हें नोटिस कर सकते हैं।
पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps): सिजेरियन डिलीवरी (Cesarean delivery)
वजाइनल बर्थ के बाद ही केवल महिलाएं आफ्टरपेन्स का अनुभव नहीं करती हैं। बल्कि, सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद भी यूट्रस कॉन्ट्रैक्ट हो जाता है। इसलिए, यह रूल यूट्रस पर भी अप्लाई होता है। ऐसे में, सिजेरियन डिलीवरी के बाद आप अपने लोअर एब्डोमिनल में एडिशनल डिस्कम्फर्ट का अनुभव कर सकते हैं। क्योंकि, यह मेजर डिलीवरी होती है। इन्सिजन (Incision) और आसपास के टिश्यूज के ठीक होने पर भी आपको क्रैम्पिंग और दर्द महसूस हो सकता है।
कब्ज (Constipation)
जी हां, कब्ज भी पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps) का कारण हो सकता है। इस बारे में बहुत कम लोग बात करते हैं। डिलीवरी के कुछ दिनों में हम फर्स्ट पोस्टपार्टम बॉवेल मूवमेंट का अनुभव कर सकते हैं, जो प्रेग्नेंसी में हाय प्रोजेस्टेरोन (Progesterone), डायट या लो एक्टिविटी के कारण होता है। कॉन्स्टिपेशन के साथ ही क्रैम्पिंग होना सामान्य है। इसके साथ ही आप ब्लोटिंग और प्रेशर का अनुभव भी कर सकती हैं।
इंफेक्शंस (Infections)
हालांकि, यह कम सामान्य कारण है लेकिन शिशु के जन्म के बाद इंफेक्शंस भी हो सकते हैं। कुछ तरह के इंफेक्शंस की संभावना इस दौरान अधिक रहती है। इसके साथ ही आप दर्द और क्रैम्पिंग का अनुभव भी कर सकते हैं। पोस्टपार्टम क्रैम्प्स का कारण बनने वाले इंफेक्शंस इस प्रकार हैं:
- एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis): यह गर्भाशय की वो इंफ्लेमेशन है जो इंफेक्शन के कारण हो सकती है।
- बैक्टीरियल वेजिनोसिस (Bacterial vaginosis)
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infection)
- अपेन्डिसाइटिस (Appendicitis)
यह तो थी पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps) के बारे में जानकारी। अब जानिए कि हमें पोस्टपार्टम क्रैम्पिंग को लेकर चिंता कब करनी चाहिए?
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पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps) के लिए डॉक्टर को सम्पर्क किन कंडिशंस में करें?
शिशु के जन्म के बाद क्रैम्पिंग सामान्य हैं और उन्हें घर पर आराम से मैनेज किया जा सकता है, लेकिन गंभीर स्थिति और अन्य लक्षणों में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। लोअर बेली में इंटेंस पेन यूट्रीन इंफेक्शन के कारण हो सकता है, जिसे एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) कहा जाता है। दर्द जो लोअर बेक से लेकर साइड तक फैलती है, वो यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infection) हो सकती है। इसके साथ ही सी-सेक्शन इन्सिजन और वजाइनल लैसरेशन (Vaginal laceration) के आसपास लगातार दर्द और रेडनेस होना भी सामान्य नहीं है। डॉक्टर से तुरंत सम्पर्क करें अगर आपको क्रैम्पिंग से कुछ दिनों में राहत न मिले या यह दर्द असहनीय हो। क्योंकि, यह इंफेक्शन या किसी अन्य मेडिकल अटेंशन का संकेत हो सकता है, जिसमें मेडिकल अटेंशन की जरूरत हो। इसके साथ ही अगर आपको निम्नलिखित लक्षण नजर आएं, तो भी तुरंत डॉक्टर की सलाह लें:
- बुखार (Fever)
- मूत्र त्याग के समय दर्द (Pain or burning when you pee)
- फाऊल-स्मेलिंग डिस्चार्ज (Foul-smelling discharge)
अब जानिए किस तरह से हो सकता है इस परेशानी का उपचार?
पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps) का ट्रीटमेंट कैसे संभव है?
क्रैम्पिंग होना सामान्य है, लेकिन इसे सहन करने की आपको जरूरत नहीं है। क्योंकि, इस समस्या के कारण आपको कई कामों को करने में समस्या हो सकती है। यही नहीं, इससे आप शिशु की देखभाल भी अच्छे से नहीं कर पाएंगी। इस परेशानी को मैनेज करने के तरीके इस प्रकार हैं:
- ओवर-द-काउंटर पेन रिलीवर दवाईयां लें, जैसे आइबूप्रोफेन, इससे दर्द से छुटकारा मिल सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर आपको पेन किलर दवाइयों के एक शार्ट कोर्स की सलाह भी दे सकते हैं। इसके साथ ही आप डिसकंफर्ट को कम करने के लिए इन टिप्स का पालन भी कर सकते हैं:
- दर्द से डिस्ट्रैक्ट होने के लिए डीप ब्रीदिंग और अन्य रिलैक्सेशन तकनीक को अपनाएं।
- जब भी आपकी इच्छा हो तुरंत मूत्र त्याग करें। फुल ब्लैडर गर्भाशय को पूरी तरह से सिकुड़ने से रोकता है और क्रैम्पिंग को तेज करता है। प्रसव के तुरंत बाद, ब्लैडर के भरे होने की आपकी फीलिंग बाधित हो सकती है, इसलिए नियमित रूप से बाथरूम जाने से क्रैम्प्स को कम करने में मदद मिलेगी।
- दिन में हर दो से तीन घंटे बाद और रात में तीन से चार घंटे के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराएं। इससे न केवल मिल्क सप्लाई में मदद मिलेगी। बल्कि, इससे कॉन्ट्रेक्शन के एनकरेज होने से ब्लड लॉस कम होने में भी सहायता मिलेगी और यूट्रस प्री-प्रेग्नेंसी साइज में वापस आने में भी हेल्प होगी।
- तकिए की तरफ मुंह कर के लेट जाएं और लोअर बेली के नीचे हीटिंग पैड रखें।
- अपनी लोअर बेली में मसाज करें।
- पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps) से राहत पाने के लिए जीवनशैली में बदलाव करें जैसे लाइट एक्सरसाइज करें, हाय फाइबर युक्त डायट लें, अधिक पानी पीएं आदि।
- इंफेक्शन की स्थिति में आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और सही दवा शुरू करनी चाहिए।
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यह तो थी जानकारी पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps) के बारे में। पोस्टपार्टम पीरियड एडजस्टमेंट और हीलिंग का समय होता है। यह समय नई मां के लिए फिजिकली, इमोशनली और मेंटली मुश्किल हो सकता है। इस दौरान पोस्टपार्टम क्रैम्प्स (Postpartum cramps) होना सामान्य है और इसके कई कारण हो सकते हैं। सामान्य रूप से यह समस्या कुछ दिनों में ठीक हो जाती है। लेकिन, अगर यह परेशानी गंभीर हो, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल हो, तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।
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