ज्यादातर, वर्किंग मॉम्स अपनी योग्यता और अपने काम के प्रति कमिटमेंट के बावजूद भी और लोगों की तुलना में कम आंकी जाती हैं। ऐसे में महिलाओं में नौकरी से असंतुष्टि होने लगती है। इससे उनके मन में बुरा प्रभाव पड़ता है और कभी-कभी तो नौकरी छोड़ने की भी नौबत आ जाती है।
इंटीमेसी का अभाव भी है वर्किंग मदर्स की समस्याएं
वर्किंग महिलाओं की एक और बड़ी समस्या उनके जीवनसाथी के साथ अंतरंगता में कमी आना है। थकान, तनाव, घर और ऑफिस के कामों में उलझे रहने की वजह से सेक्स लाइफ भी फीकी होने लगती है। इसका प्रभाव रिश्ते पर भी दिखने लगता है।
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व्यक्तिगत रुचियों के लिए समय की कमी
व्यक्तिगत गतिविधियों के लिए समय निकालना, जैसे कि जिम जाना या दोस्तों के साथ समय बिताना, अपनी हॉबी के लिए समय निकालना आदि, वर्किंग मॉम्स के लिए काफी मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि अगर समय होता भी है तो उस समय महिलाएं नींद पूरी करने की सोचती हैं। घर और ऑफिस के कामों में जूझती कामकाजी माएं अक्सर डिप्रेशन और चिड़चिड़ेपन की शिकार हो सकती हैं।
वर्किंग मदर्स की समस्याएं बढ़ा सकता है अतिरिक्त खर्च
अगर माता-पिता दोनों ही कामकाजी हैं, तो इसका मतलब है कि बच्चे की परवरिश के लिए उन्हें किसी तीसरे व्यक्ति की मदद की आवश्यकता हो सकती है। आमतौर पर अपनी इस समस्या को सुलझाने के लिए लोग बच्चे की देखभाल करने के लिए आया के साथ-साथ ढेर सारे खिलौने और सुविधा जनक वस्तुएं खरीदते हैं। इन सुविधाओं में उनकी सैलरी का एक बड़ा हिस्सा भी खर्च होता है।
घर के काम-काज में परेशानी