दिल की धडक्कन तेज होना (Rapid heartbeat)
गर्भावस्था के दौरान हार्ट बीट (Heart Beat) में मामूली असामान्यताएं होना आम हैं। वे आमतौर पर चिंता का कारण नहीं होती हैं। यदि आपको अतालता के लिए उपचार की आवश्यकता है, तो आपको संभवतः दवा दी जाएगी। लेकिन यदि समस्या कोई बड़ी है, तो इसका उपचार पेशेंट और कितनी महीने की प्रेग्नेंसी है, इस बात पर निर्भर करता है।
प्रेग्नेंसी में हार्ट प्रॉब्लम (Pregnancy and Heart Problem): हार्ट वाल्व की समस्या (Heart valve problem)
यदि किसी महिला को हार्ट वाल्व से संबंधित कोई समस्या है, तो गर्भावस्था के दौरान (During Pregदancy) जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। यदि आपके वाल्व ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, तो आपको गर्भावस्था के दौरान, बढ़े हुए रक्त प्रवाह जोखिम को और भी बढ़ा सकता है।
कोंजेस्टिव हार्ट फेल्योर (Congestive heart failure)
जैसे-जैसे रक्त की मात्रा के साथ ब्लड पम्प तेजी से होता है। उसी के साथ दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ता जाता है। यदि आपको जन्मजात हृदय दोष है, तो आपके बच्चे को भी किसी प्रकार के हृदय दोष के विकसित होने का अधिक जोखिम होता है। आपको गर्भावस्था के दौरान होने वाले दिल की समस्याओं का भी खतरा हो सकता है।
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क्या हार्ट डिजीज (Heart disease) के साथ के असानी से डिलिवरी की जा सकती है?
हार्ट पेंशेट महिलाएं भी सेफ डिलिवरी कर सकती हैं। बस इसके लिए जरूरत होती है रेग्युलर चेकअप, प्रोपर गाइडेंस और पॉजिटिव एट्टीयूट की।
वहीं फोर्टिस हॉस्पिटल में असोसिएट डायरेक्टर और कॉर्डियोलॉजिस्ट विनय सांघी कहते हैं कि प्रेग्नेंसी में कोई प्रॉब्लम नहीं आती, अगर समय रहते यह पता चल जाए कि लेडी को हार्ट प्रॉब्लम है। इसमें सबसे पहले हार्ट की कंडिशन को चेक कर लिया जाता है और फिर उसके अर्कोडिंग उसे ट्रीटमेंट दिया जाता है। लेडी को सांस लेने में प्रॉब्लम, पांवों में स्वेलिंग, सिर पर दर्द जैसी दिक्कतें इस दौरान आती हैं, जो आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर की वजह से होती हैं। बस, इसमें जरूरत होती है पूरी तरह डॉक्टर के टच में रहने की।