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स्वाद और सूंघने की क्षमता में बदलाव
अधिकांश महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान स्वाद को पहचानने की क्षमता में बदलाव का अनुभव होता है। इस समय वे गैर-गर्भवती महिलाओं की तुलना में नमक वाले भोजन, चटकारी चीजें और मीठे खाद्य पदार्थों को अधिक पसंद करती हैं। डिस्गेशिया, स्वाद की क्षमता में कमी, गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान सबसे अधिक अनुभव किया जाता है। जो दूसरी तिमाही (Trimester 2) में भी जारी रहता है। हालांकि कई महिलाओं को प्रसव के बाद भी कुछ समय के लिए इसका अनुभव होता है। कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मुंह में धातु का स्वाद भी महसूस होता है।
त्वचा और नाखूनों में बदलाव
कई महिलाएं गर्भावस्था के दौरान त्वचा की शारीरिक बनावट में बदलाव का अनुभव करती हैं। हालांकि यह अस्थायी होता है। जैसे स्किन पर खिंचाव के निशान (स्ट्रेच मार्क्स) हमेशा रह सकते हैं। जो महिलाएं गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान इनका अनुभव करती हैं, उन्हें भविष्य में भी प्रेग्नेंसी या फिर हॉर्मोनल गर्भनिरोधक लेने के दौरान इन्हें वापस अनुभव करने की संभावना बढ़ जाती है।
स्ट्रेच मार्क्स रोका जा सकता है?
जैसे-जैसे वजन बढ़ता जाता है, त्वचा के कुछ हिस्से बेडौल हो सकते हैं। कई जगहों पर आप स्किन पर खिंचाव महसूस कर सकती हैं। इनसे यह स्ट्रेच मार्क्स आते हैं जो बेसिकली त्वचा पर लकीरें होती हैं। इनके पेट और स्तन पर होनी की संभावनाएं अधिक होती हैं।
सभी गर्भवती महिला को स्ट्रेच-मार्क्स के निशान नहीं होते हैं, लेकिन ये बहुत सामान्य हैं। उन्हें पूरी तरह से रोकने का कोई तरीका नहीं है। अपने वजन को कंट्रोल करने की कोशिश करें और चिकित्सक द्वारा सुझाए सुझावों को अनदेखा बिलकुल न करें। कुछ लोशन और तेल के इस्तेमाल से स्ट्रेच मार्क्स को घटाया जा सकता है। त्वचा को अच्छी तरह से मॉश्चराइज रखने और खुजली कम करने में मदद मिल सकती है।
सूखी त्वचा और खुजली का होना