20 साल की उम्र से पहले गर्भधारण हो जाना कम उम्र में प्रेग्नेंसी कहलाता है, जिसे टीनएज प्रेग्नेंसी भी कहते हैं। महिला या लड़कियों को जब पीरियड्स (मासिकधर्म) शुरू हो जाता है और ऐसे में वजायनल सेक्स करने से महिला आसानी से गर्भवती हो सकती है। एक रिसर्च के अनुसार भारत के शहरी क्षेत्रों में 5 प्रतिशत महिलाएं कम उम्र (Teen pregnancy) में गर्भवती हो जाती हैं वहीं भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ये आंकड़ा 9.2 प्रतिशत है। ऐसा नहीं है की कम उम्र में प्रेग्नेंसी सिर्फ भारतीय महिलाओं में ही देखी जाती है बल्कि सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार अमेरिका में साल 2017 में 1.94 लाख बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं की उम्र 15 साल से 19 साल थी। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार किशोरावस्था में गर्भवती होना शारीरिक और मानसिक दोनों पर ही नकारात्मक प्रभाव डालता है।
टीनएज प्रेग्नेंसी: कम उम्र में प्रेग्नेंसी के लक्षण क्या हैं?
मथुरा की रहने वाली 17 वर्षीय प्रिया मिश्रा से हमने प्रेग्नेंसी से जुड़े कुछ सवाल किए और जब उनसे यह जानना चाहा की कि गर्भवती होने के लक्षण क्या हो सकते हैं? उनका जवाब सीधा और सरल था “पीरियड्स बंद हो जाना या नहीं आना, अगर किसी पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध (वजायनल सेक्स) बनाया गया हो तो।” वैसे यही जवाब प्रायः महिलाएं देती भी हैं और अगर वजायनल ब्लीडिंग कम मात्रा में भी होने पर वह ऐसा मान लेती हैं कि वह गर्भवती नहीं है। लेकिन, रिसर्च के अनुसार यह मानना गलत है। क्योंकि गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में हल्की वजायनल ब्लीडिंग हो सकती है।
कम उम्र में प्रेग्नेंसी के लक्षण
- पीरियड्स का न आना या पीरियड्स हल्की ब्लीडिंग होना
- स्तन में कोमलता आना
- मतली की परेशानी होना जो प्रायः सुबह के दौरान होती है
- उल्टी होना
- हल्का सिरदर्द होना
- बेहोश होना
- वजन बढ़ना
- थका हुआ महसूस करना
- पेट में सूजन आना
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उपरोक्त लक्षणों के अलावा किशोरावस्था में प्रेग्नेंसी के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं।
टीनएज प्रेग्नेंसी: कम उम्र में प्रेग्नेंसी के कारण हो सकती हैं ये समस्याएं
कम उम्र में प्रेग्नेंसी के निम्नलिखित साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे-
प्रीनेटल केयर न हो पाना
कम उम्र में मां बनने से लड़कियों को प्रीनेटल केयर नहीं मिल पाती है। न ही ऐसी लड़कियों को पेरेंट्स का सपोर्ट मिल पाता है। प्रीनेटल केयर न हो पाने के कारण मां और होने वाले बच्चे की जरूर जांच नहीं हो पाती है। इस कारण से कॉम्प्लीकेशन बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है। प्रेग्नेंसी के पहले और प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को फोलिक एसिड की गोलियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। टीन एज प्रेग्नेंसी में अक्सर लड़किया अपनी प्रेग्नेंसी की बात छुपाती है और डॉक्टर से भी सलाह नहीं लेती है। ऐसे स्थिति में बच्चे को बर्थ डिफेक्ट होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
होने वाले बच्चे का वजन कम होना
नवजात का वजन कम होना टीन एज प्रेग्नेंसी का दुष्प्रभाव माना जाता है। ऐसे बच्चे को गर्भ में विकसित होने के लिए कम समय मिल पाता है, जिसके कारण बच्चा सही रूप से विकास नहीं कर पाता है। ऐसे बच्चे 3.3से 5.5 पाउंड वेट के होते हैं। ऐसे में बच्चे को वेंटिलेटर में रखने की जरूरत पड़ सकती है।कम वेट के बच्चों में सांस लेने की समस्या पैदा हो जाती है। वहीं कुछ केस में नवजात की मौत भी हो सकती है
प्रीमेच्योर बर्थ होना
समय से पहले शिशु का जन्म होना प्रीमेच्योर बर्थ कहलाता है। फुल टाइम प्रेग्नेंसी करीब 40 हफ्तों की होती है। जो बच्चे 37 वीक से पहले पैदा हो जाते हैं, उन्हें प्रीमेच्योर बेबी कहते हैं। कम उम्र में प्रेग्नेंसी के कारण प्रीमेच्योर लेबर की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में दवाओं का सहारा लेना पड़ता है। बच्चा जितना जल्दी पैदा होगा, उसे सांस लेने समस्या, डायजेशन संबंधि समस्या, देखने में समस्या या फिर अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
गर्भवती को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होना
कम उम्र में प्रेग्नेंसी के कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। इस हाइपर टेंशन भी कहा जाता है। ऐसे में प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia ) की संभावना भी बढ़ जाती है। जब हाई ब्लड प्रेशर के साथ ही यूरिन में अधिक प्रोटीन पहुंचने लगती है तो मां के हाथ, चेहरे में सूजन के साथ ही अन्य ऑर्गन डैमेज होने का खतरा भी बढ़ता है।
एनीमिया की समस्या
टीन एज प्रेग्नेंसी में एनीमिया की समस्या यानी शरीर में खून की कमी मुख्य दुष्रभाव के रूप में सामने आती है। शरीर में खून की कमी अन्य समस्याओं को भी जन्म देती है। डॉक्टर ऐसे में पौष्टिक आहार के साथ ही ऑयरन की दवा लेने की सलाह दे सकते हैं।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन की समस्या
बच्चे को जन्म देने के बाद कम उम्र की लड़कियों को ड्रिप्रेशन की समस्या भी हो सकती है। इस पोस्टपार्टम डिप्रेशन के रूप में भी जाना जाता है। इस कारण से मां के लिए न्यू बॉर्न की सही से केयर कर पाना भी मुश्किल हो जाता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचने के लिए घर वालों का सपोर्ट बहुत जरूरी है।
सेफलॉपेलविक डिसपोर्पोशन (Cephalopelvic disproportion)
सेफलॉपेलविक डिसपोर्पोशन (Cephalopelvic disproportion) कभी-कभी जन्म लेने वाले शिशु का सिर पेल्विस ओपनिंग से बड़ा होता है। ऐसी स्थिति में वजायनल डिलिवरी (नॉर्मल डिलिवरी) नहीं हो पाती है। यानी कम उम्र में प्रेग्नेंसी के कारण सी-सेक्शन की संभावन बढ़ जाती है।
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टीनएज प्रेग्नेंसी: कम उम्र में अगर हो जाए प्रेग्नेंसी
इन ऊपर बताई गई परेशानियों के साथ-साथ कम उम्र में प्रग्नेंसी महिला को शारीरिक और मानसिक रूप से भी परेशान कर सकते हैं। इसलिए कम उम्र में प्रेग्नेंसी से बचना चाहिए और इसे पेरेंट्स को भी समझना जरूरी होता है। कई ग्रामीण इलाके ऐसे हैं जहां लड़कियों की शादी 18 साल से पहले ही करवा दी जाती है। अगर किसी कारण किशोरावस्था में गर्भधारण हो जाता है, तो ऐसे में माता-पिता को गर्भधारण कर चुकी महिला या बेटी को निम्नलिखित बातों को बताना चाहिए या कम उम्र में प्रेग्नेंसी के कारण लड़की को भी अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। जैसे-
- बेबी डिलिवरी से पहले हमेशा ही डॉक्टर के संपर्क में रहें। ऐसा करने से कम उम्र में बनने वाली मां जन्म लेने वाले शिशु के सेहत पर डॉक्टर नजर बनायए रखते हैं। यह गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए लाभकारी होता है।
- सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शनस (STIs) की जांच अवश्य करवानी चाहिए।
- कम उम्र में प्रेग्नेंसी की वजह से महिला को फोलिक एसिड, कैल्शियम, आयरन और अन्य आवश्यक पौष्टिक तत्वों का सेवन करना चाहिए।
- गर्भधारण कर चुकी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान फिजिकली एक्टिव रहना चाहिए। ऐसा करने से बॉडी में एनर्जी लेवल बढ़ सकती है। अगर गर्भधारण कर चुकी महिला एक्सरसाइज करना चाहती हैं, तो वो गर्भावस्था के दौरान की जाने वाले एक्सरसाइज को कर सकती हैं। हालांकि डॉक्टर से अवश्य सलाह लें की आपको फिजिकल एक्टिविटी और वर्कआउट कितना करना चाहिए। क्योंकि कभी-कभी हेल्थ कंडीशन को देखते हुए गर्भवती महिला को बेड रेस्ट की भी सलाह दी जाती है।
- कम उम्र में प्रेग्नेंट होने पर भी वजन बढ़ना जरूरी है। यह गर्भ में पल रहे शिशु के लिए आवश्यक होता है। शिशु के जन्म के बाद महिला का वजन कम हो जाता है।
- एल्कोहॉल, तंबाकू या फिर किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन प्रेग्नेंसी के दौरान नहीं करना चाहिए। बिना डॉक्टर के सलाह के किसी भी तरह की दवाओं का सेवन न करें।
- प्रेग्नेंसी के दौरान टीनएज को प्रेग्नेंसी, चाइल्डबर्थ, ब्रेस्टफीडिंग और पेरेंट्स से जुड़ी जानकारी दी जाती है।
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टीनएज प्रेग्नेंसी: किन कारणों से कम उम्र में प्रेग्नेंसी हो सकती है?
कम उम्र में प्रेग्नेंसी (Teen pregnancy) के कई कारण हो सकते हैं। जैसे-
- सेक्शुअल हेल्थ और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में जानकारी की कमी होना
- परिवार और समाज की ओर से कम उम्र में शादी के लिए दवाब होना और जल्द शादी होने की वजह से कम उम्र में ही गर्भधारण हो जाना
- यौन हिंसा की वजह से भी गर्भधारण होना
- कम उम्र में असुरक्षित यौन संबंध बनना
उपरोक्त कारणों के अलावा किशोरावस्था में गर्भधारण के अन्य कारण भी हो सकते हैं। प्लान इंटरनेशनल द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार 90 प्रतिशत ऐसे केस देखे गए हैं जब लड़कियों की शादी उम्र से पहले करवा दी जाती है। ऐसी स्थिति में कम उम्र में गर्भ ठहरना सामान्य हो जाता है।
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प्रेग्नेंसी की सही उम्र क्या है?
वैसे अगर कोई भी कपल बेबी प्लानिंग के बारे में सोच रहा है, तो 25 साल की उम्र में गर्भवती होना बेहतर माना जाता है। इसलिए अगर आपकी शादी 20 साल से 25 साल की उम्र में होती है, तो किसी भी महिला के लिए 25 वर्ष की आयु मां बनने के लिए सही मानी जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार यह महिला के लिए गर्भधारण करने के लिए सबसे सही वक्त माना जाता है तो वहीं पुरुषों के स्पर्म की क्वॉलिटी भी अच्छी होती है। हालांकि, ऐसा नहीं है की अगर किसी कारण महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है तो वो फिर कभी प्रेग्नेंट नहीं हो सकती है। सेहत का ख्याल रखकर, लाइफस्टाइल में सकारात्मक बदलाव लाकर, एल्कोहॉल और सिगरेट का सेवन न कर अपने आपको स्वस्थ रख सकती हैं। वैसे ऐसा महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी अपने जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव लाना चाहिए।
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