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जानिए कैसे दो बेस्ट फ्रेंड के बीच हो जाती है भाइयों जैसी बॉन्डिंग

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/05/2021

    जानिए कैसे दो बेस्ट फ्रेंड के बीच हो जाती है भाइयों जैसी बॉन्डिंग

    ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ यह फिल्म भले ही आपने न देखी हो लेकिन, फिल्म की कहानी आपने जरूरी सुनी होगी। फिल्म में सगे भाइयों से भी ज्यादा एक-दूसरे से प्यार करने वाले दोस्तों की कहानी दिखाई गई है। एक ऐसा बेस्ट फ्रेंड, जो हर लड़के या लड़की के जीवन में होता है।

    ऐसा दोस्त, जिसे आप अपना बेस्ट फ्रेंड कम, भाई और जान पहले मानते हैं। ऐसे दोस्त ,जो आपके लिए कभी भी आपनी जान दे सकते हैं और आपके हर सुख-दुख में आपके साथ रहते हैं। लेकिन, आखिर ऐसी कौन-सी खास बात होती है, जो दो लड़को को पहले दोस्त फिर दोस्त से भाई बना देती है?

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    जानिए कैसे दोस्त बन जाते हैं भाई?

    आज के समय में जहां एक भाई दूसरे भाई को उसके मुश्किल समय में अकेला छोड़ सकता है वहीं, एक अंजान कैसे किसी दूसरे अंजान का मददगार बन सकता है? इसके पीछे कई कारण और वजह हो सकती हैं, जिसे आप लोगों के निजी अनुभव के आधार पर ही समझ सकते हैं। यह जानने के लिए हैलो स्वास्थ्य ने लोगों से उनके निजी अनुभव के बारे में बात की। इनकी बातें जानकर आप भी अपने जिगरी और मतलबी दोस्तों के बीच फर्क समझ सकते हैं।

    1.वह मेरा ख्याल रखता है

    हैलो स्वास्थ्य के साथ बात करते हुए उत्तराखंड के रहने वाले प्रमोद ने बताया कि उनका भी एक ऐसा दोस्त है, जो उनके लिए दोस्त से ज्यादा उनका भाई है। उनका दोस्त उनकी हर जरूरत का ख्याल रखता है। अगर उन्हें किसी भी चीज की जरूरत होती है, तो वह जरूरत उस दोस्त की मदद से पूरी हो जाती है।

    2.वह मेरा और मेरे परिवार का सम्मान करता है

    उन्होंने बताया कि उनका बेस्ट फ्रेंड उनका और उनके परिवार का सम्मान करता है। जिस तरह वह खुद के परिवार के लोगों की इज्जत करता है, ठीक वैसे ही वह उनके परिवार के सदस्यों की भी इज्जत करता है।

    3.सुख-दुख में साथ निभाता है

    प्रमोद का कहना है कि उनका बेस्ट फ्रेंड हर तरह की परिस्थिति में उनके साथ रहता है। फिर चाहे वो खुशी के पल हों या फिर मुश्लिक घड़ी ही। वो अपनी परेशानियों को किनारे रख सबसे पहले उनकी परेशानी दूर करने के बारे में बात करता है। उनकी लाइफ के ऐसे कई पल हैं, जब उन्हें उनके दोस्त का साथ मिला हो।

    4.अच्छा सलाहकार हो

    एक दोस्त होने का यह मतलब नहीं कि वो आपके साथ बस घूमे-फिरे या दिन भर की बातें शेयर करें। बल्कि, एक सच्चा दोस्त होने का मतलब है कि वो आपको सही सलाह और मशवरा भी दे। ऐसी सलाह दे, जो आपके भले के लिए काम करे न कि आपकी मुश्किलों को बढ़ाए।

    5.आपकी हर अच्छी-बुरी परिस्थिति को समझने की कोशिश करें

    आपको पास दोस्तों की एक-लंबी चौड़ी लिस्ट हो सकती है लेकिन, उनमें से कितने दोस्त आपकी अच्छी या बुरी परिस्थिति को समझने की कोशिश करते हैं? उनमें से ऐसे कितने दोस्त हैं, जो जरूरत पड़ने पर आपका सहारा बनते हैं? अगर आपके पास ऐसे दोस्त है, तो फिर यही आपका सच्चा दोस्त हो सकता है।

    नोएडा के रोहित सिंगल चाइल्ड हैं। उनके परिवार में भी उनके कोई चचेरे भाई-बहन नहीं हैं। हालांकि, रोहित के ममेरे भाई-बहन हैं, मगर उनसे इतना मिलना-जुलना नहीं होता है। रोहित की शुरूआती पढ़ाई नोएडा के ही एक कॉन्वेंट स्कूल में हुई, जहां पर उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन, फिर मुंबई से मास्टर्स की पढ़ाई और अब बेंगलूरू में जॉब करते हैं। रोहित ने बताया कि, स्कूल के शुरूआती दिनों से ही उनके घर के पड़ोस में रहने वाले अंकल-आंटी का बेटा उनका दोस्ता बना। उसके घर में वो और उनकी एक बड़ी बहन है। शुरू-शुूरू में दोनों सिर्फ एक साथ स्कूल जाते और आते थें। लेकिन, धीरे-धीरे वो एक-दूसरे के साथ अपना लंच भी शेयर करने लगे। इसके बाद एक साथ ही ट्यूशन जाना, फिर एक ही कॉलेज में एडमिशन लेना। हालांकि, फिलहाल उनका दोस्त दिल्ली में जॉब करता है, वो घर से दूर एक नए शहर में।

    रोहित के घर में उनका कोई भाई-बहन नहीं, तो उनका बेस्ट फ्रेंड ही उनके लिए भाई भी है और बेस्ट फ्रेंड भी। किसी भी त्योहार या मौके पर अगर रोहित के मां-पिता रोहित को शॉपिंग के लिए ले जाते हैं, तो वो उसके साथ-साथ उसके बेस्ट फ्रेंड को भी साथ लेकर जाते हैं और दोनों के लिए शॉपिंग करते हैं। ठीक इसी तरह उसके बेस्ट फ्रेंड के परिवार का भी व्यवहार रहता है। रोहित और उसके बेस्ट फ्रेंड की वजह से आज दोनों के पिता भी एक-दूसरे के अच्छे दोस्त माने जाते हैं।

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    7.मुझे अच्छा लगता है जब वो मेरे साथ होता है

    चेन्नई के मणी का कहना है कि जब भी उन्हें खानी रहने का समय मिलता है, वो अपने दोस्त के घर चले जाते हैं या उसे ही अपने घर पर बुला लेते हैं। इसके बाद दोनों मिलकर कहीं बाहर घूमने या घर में ही कोई मूवी देखने या गेम खेलने का प्लानिंग कर लेते हैं। इतना ही नहीं अगर लंच या डिनर का समय रहता है, तो वो एक-दूसरे के घर पर ही बिना किसी शर्म और हिचक के लंच-डिनर भी कर लेते हैं और उन दोनों की इस आदात को उनके परिवार वाले भी अच्छे से समझ गए हैं और बिना बताए ही वो उनका खाने की टेबल पर इंतजार भी नहीं करते। मणी जब भी अपने बेस्ट फ्रेंड के साथ होते हैं, तो वो खुद को सबसे खुश और सुरक्षित महसूस करते हैं। वो अपने बेस्ट फ्रेंड के साथ हर तरह की बात शेयर कर सकते हैं। कोई भी अजीबगरीब हरकत कर सकते हैं।

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    8.उसका परिवार बिना मेरे बताए मेरी पसंद जाना जाता है

    रवि का कहना है कि उनके बेस्ट फ्रेंड का परिवार उनकी पसंद और नपसंद के बारे में बहुत अच्छे से जानता है। जबकि, उन्होंने अपने बेस्ट फ्रेंड के परिवार से इसके बारे में कभी कोई बात भी नहीं की है।

    ऊपर बताई गईं ये सारी बातें सिर्फ आपके दोस्त पर ही नहीं, बल्कि आप पर भी लागू होती हैं। अगर आपका दोस्त आपकी परवाह करता है, आपकी और आपके परिवार की मदद करता है, तो यह आपका भी फर्ज है कि आप भी उसके लिए इसी तरह का व्यवहार और नजरिया रखें।

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    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

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