अनचाहे गर्भ से बचने के लिए महिलाएं कई तरह के गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं। इनमें से कुछ आसान तरीके हैं तो कुछ मुश्किल भी हैं। हर कोई ऐसे गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करना चाहता है जो जल्द से जल्द असर दिखाए। आज आपको ऐसे ही कुछ गर्भ निरोधकों के बारे में बताते हैं जो सुरक्षित होने के साथ जल्दी असर भी दिखाते हैं। गर्भनिरोधक का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है कि आप अपनी समय की प्लानिंग के अनुसार बच्चे को जन्म दें। आज विज्ञान की मदद से हमारे पास ऐसे कई उपाय मौजूद हैं जिनकी मदद से अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है।
गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन के तरीके (Ways to consume birth control pills)
गर्भनिरोधक गोलियों के प्रकार जानने से पहले जानिए कुछ इनका इस्तेमाल क्यों है जरूरी
गर्भनिरोधक गोलियां (contraceptive pills) क्या हैं?
गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन अनचाही गर्भावस्था से बचे रहने के लिए किया जा सकता है। जिनमें कुछ ओरल दवाओं के रूप में होती हैं, तो कुछ महिला योनि के अंदर इस्तेमाल की जाने वाली भी हो सकती हैं। ओरल दवाओं को ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स या ओ.सी.पी. भी कहा जाता है। इन दवाओं में महिलाओं के शरीर में पाए जाने वाले एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन नामक दोनों हार्मोन या फिर दोनों में से किसी एक की भी एक निश्चित मात्रा का मिश्रण होता है।
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कब करना होता है गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन (When to take birth control pills)
गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन कई तौर पर किया जा सकता है। जिनमें से कुछ की खुराक मासिक तौर प्रत्येक मासिक धर्म के दौरान हाॅर्मोनल स्तर में बदलाव करने के लिए तैयार करने के लिए किया जा सकता है, जो डिंबोत्सर्जन और गर्भावस्था को रोकने में मदद कर सकते हैं। तो वहीं, कुछ दवाओं का सेवन सेक्स करने के तुरंत बाद या 72 घंटों के अंदर भी किया जा सकता है। हालांकि, 72 घंटों के अंदर इस्तेमाल की जानें वाली दावओं को इमरजेंसी पिल्स के तौर पर जाना जाता है। इनका इस्तेमाल करना भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। इनके सेवन की सलाह आपके डॉक्टर सबसे आखिरी विकल्प के तौर पर ही दे सकते हैं।
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जानिए गर्भनिरोधक गोलियों के प्रकार (Types of birth control pills)
गर्भनिरोधक गोलियों के प्रकार निम्न हैं, जिनमें शामिल हैंः
डायाफ्राम (Diaphragm)
डायाफ्राम लेटेक्स या सिलिकॉन से बना हुआ एक लचीली रिम वाला कप होता है जो अलग-अलग आकारों में आता है। इसे चिकित्सकों की सलाह लेकर योनि के अंदर फिट किया जाता है ताकि अंडे फर्टिलाइज न हो सके। डायाफ्राम के साथ स्पर्मिसाइड (शंक्राणु नाषक) जेल का उपयोग किया जाता है जिसे कप के अंदर भरा जाता है। सेक्स के बाद डायाफ्राम को कम से कम 6 घंटों तक योनि के भीतर ही रखा जाना चाहिए।
इंट्रायूटरिन डिवाइस (Intrauterine device) (आई यू डी)
आई यू डी ‘T’ के आकार का प्लास्टिक से निर्मित अंतर्गर्भाशयी उपकरण होता है जिसे गर्भ में डाला जाता है। यह 5 से 10 साल तकक चलने वाला गर्भनिरोध है। आई यू डी को आसानी से हटाया जा सकता है क्योंकि यह स्थाई गर्भनिरोधक नहीं है। यह कॉपर और हार्मोनल दोनों प्रकार के होते हैं और तीन साल से बारह साल तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं। पर ध्यान दें कि आई यू डी यौन संक्रामक रोगों से सुरक्षा प्रदान नहीं करते।
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गर्भनिरोधक गोलियां (contraceptive pills)
गर्भनिरोधक गोलियां दो प्रकार की होती हैं। पहली होती है संयुक्त गोली। इसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजेन हार्मोन होते हैं। इसका सेवन दिन में एक बार किया जाता है। दूसरी होती है वह गोली जिसमें केवल प्रोजेस्टोजेन हार्मोन होता है और इसका सेवन भी दिन में एक बार किया जाता है। गर्भनिरोधक गोलियां काफी प्रभावशील होती है और यह मासिकधर्म से होने वाले दर्द, मुंहासे व एनीमिया की परिस्थितियों में भी सुधार लाती हैं।
गर्भनिरोधक इंजेक्शन (Contraceptive injection)
यह इंजेक्शन अकेले प्रोजेस्टोजेन या फिर प्रोजेस्टोजेन और एस्ट्रोजन हार्मोन के साथ लगाया जाता है। इसे एक महीने में या फिर तीन महीने में एक बार डॉक्टर की सलाह पर लगवाना पड़ता है। यह गर्भनिरोधक गोलियों की तरह ही काम करता है। इसका असर 8 से 13 सप्ताह तक बना रहता है। गर्भनिरोधक इंजेक्शन भी तीन प्रकार के होते हैं, जिसपर आप अपने चिकित्सक से विचार-विमर्श कर सकते हैं।
गर्भनिरोधक इंप्लांट (Contraceptive implant)
गर्भनिरोधक इंप्लांट (प्रत्यारोपण) छोटी और पतली प्लास्टिक से बनी रोड़ होती है, जिसे महिला की बांह अंदरूनी त्वचा में फिट किया जाता है। इसमें ईटोनोगेस्ट्रेल हार्मोन होता है जो धीरे-धीरे रक्त में मिलता जाता है। यह अधिकतर 4 साल तक के लिए गर्भावस्था से सुरक्षा प्रदान करता है और ज्यादा प्रभावशाली होता है।
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गर्भनिरोधक पैच (Contraceptive patch)
गर्भनिरोधक पैच को महिलाएं अपने पेट, पीठ, हाथ और कूल्हे पर लगा सकती हैं। इसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोजेन हार्मोन होते हैं जो अंडों को अंडाशय से बाहर नहीं निकलने देते। तीन सप्ताह के लिए हर हफ्ते एक नया पैच लगाना होता है। यह तरीका काफी प्रभावशाली है।
कंडोम (condom)
यह लेटेक्स या पॉलीयूरिथेन से बना हुआ पुरुष गर्भनिरोधक है। बर्थ कंट्रोल के साथ- साथ कंडोम यौन संचारित रोगों (जैसे एचआईवी/एड्स) से भी हमें सुरक्षित रखता है। यह भारत में सरकार द्वारा भी निरोध के नाम से उपलब्ध करवाया जाता है।
तो ये थे अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के अलग-अलग तरीके। आप इनके सेवन से अनचाहे गर्भ से बच सकत हैं और अपना समय लेते हुए गर्भधारण के बारे में सोच सकते हैं। तो हमें भी बताएं कि आप अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए क्या तरीके अपनाते हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन कैसे करना चाहिए? (How to take birth control pills?)
जन्म निरोधक या गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन हमेशा आपको अपने डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। आपके डॉक्टर आपके इनके सेवन के लिए उचित सलाह दे सकते हैं। जिसके तौर पर आपको दिन के किस समय और किसी मात्रा में कैसे इनका सेवन करना चाहिए इसकी पूरी जानकारी दे सकते हैं। जब तक आपके डॉक्टर सिफारिश न करें, तब तक खुद से इन दवाओं की खुराक या इनके इस्तेमाल करने की विधियों में किसी तरह का बदलाव नहीं करना चाहिए। न ही बिना डॉक्टर के सलाह के इनका सेवन करना बंद करना चाहिए।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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