शादी के बाद हर कपल फैमिली प्लानिंग के बारे में सोचता है। ऐसे में उन्हें अनचाहे गर्भ की चिंता सबसे ज्यादा सताती है। इससे बचने के लिए वह गर्भनिरोध के ऐसे तरीको को ढूंढ रहे होते हैं, जो उन्हें इस चिंता से निकाल सकें। गर्भनिरोध के विभिन्न तरीकों में कॉपर टी भी एक ऑप्शन है, जिसका उपयोग करके अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है। कॉपर टी एक अंतरगर्भाशय उपकरण है, जो काफी प्रभावी होता है। इससे 5 साल तक आपको गर्भवती होने के तनाव से राहत मिल जाएगी।
कॉपर टी (Copper T) क्या है?
कॉपर टी प्लास्टिक की एक छोटी पिननुमा चीज होती है, जिसपर तांबे का तार लिपटा होता है। यह एक अंतरगर्भाशय उपकरण है, जिसे महिलाएं गर्भ निरोधक की तरह इस्तेमाल करती हैं। आमतौर पर यह विधि उन महिलाओं के लिए होती हैं, जिन्होंने कुछ समय पहले ही बच्चे को जन्म दिया होता है। इसको इस्तेमाल करने की प्रक्रिया काफी संवेदनशील होती है। इसे डॉक्टरों द्वारा ही करवाया जाना चाहिए। इस डिवाइस को महिला के गर्भ में डाला जाता है। इसमें लगा धागा योनि के बाहर लटका होता है।
कॉपर टी अंग्रेजी अक्षर T के आकार की होती है। इसको झुकाकर महिला के गर्भ में डाला जाता है। एक बार जब कॉपर टी सही तरह से डाल लिया जाए, तो फिर यह युग्मनज और गर्भाशय की दीवारों के बीच बाधा के रूप में कार्य करने लगता है। इससे महिला गर्भ धारण नहीं कर पाती है। कॉपर टी डलवाने के बाद प्लास्टिक आसपास तांबे के आयन निकालने लग जाती है। यह तांबे के आयन गर्भाशय से निकलने वाले तरल पदार्थ के साथ मिल जाते हैं। इस तरह महिलाएं गर्भवती होने से बची रहती हैं।
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क्या इसका उपयोग सुरक्षित है? (is copper T safe)
बहुत सारी महिलाओं में इसे लेकर कंफ्यूजन रहता है कि उनके लिए यह सुरक्षित होगा या नहीं। उनके दिमाग में यह सवाल आना लाजमी भी है। इसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भ को टालने की यह तकनीक बेहद प्रभावशाली है। इसे गर्भाशय में आसानी से फिट किया जा सकता है। यह गर्भाशय में बनने वाले एग को स्पर्म से फर्टिलाइज नहीं करने देती है। बस इसके लिए एक बात का खास ख्याल रखना चाहिए और वो यह है कि गर्भ को रोकने के लिए आप जिस कॉपर टी को लगवा रहे हैं, उसकी क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए। यदि कुछ समय बाद आपका मूड बदल जाता है और आप प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, तो आप इसे कभी भी निकलवाकर गर्भधारण कर सकती हैं। कॉपर टी में खास बात यह है कि यह किसी भी तरह से हॉर्मोन को प्रभावित नहीं करता है। जिस वजह से इसका इस्तेमाल करने से महिलाओं के मासिक धर्म चक्र पर भी कोई असर नहीं पड़ता है। जबकि गर्भ नियंत्रण के कुछ तरीकों से मासिक धर्म में अनियमितता की परेशानी होती है।
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कॉपर टी (Copper T) की कीमत क्या है?
कॉपर टी की कीमत की बात करें, तो यह उसकी क्वालिटी पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर कॉपर टी 300 से 500 रुपये में मिल जाती है। इसे आप मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं। इसको लेने से पहले डॉक्टरों की सलाह जरूर लें। कॉपर टी 10 साल तक प्रभावशाली रहती है। यह कॉपर टी की गुणवत्ता पर भी निर्भर करता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल 5 साल तक के लिए किया जाता है। जब भी महिला गर्भधारण करना चाहे, तो वो इसे डॉक्टर से हटवा सकती है। कॉपर टी को निकालने का तरीका साधारण होता है। योनि से बाहर लटके हुए धागे को खींचने से ये आसानी से बाहर निकल आती है। इसे निकालते समय कुछ महिलाओं को दर्द होता है और रक्त स्त्राव भी हो सकता है। ये आम बात है और कुछ दिनों में अपने आप ठीक भी हो सकता है। इसे निकालने के 1 महीने के अंदर आपका शरीर 30 फीसदी गर्भधारण करने लायक हो जाता है।
कैसे काम करता है बर्थ कंट्रोल का यह तरीका? (How copper T works)
कॉपर टी के चारों तरफ कॉपर लिपटा रहता है, जो गर्भाशय को प्रभावित करता है। इसी के कारण महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है। इस पर लगा कॉपर गर्भाशय के तरल पदार्थ के साथ मिलकर गर्भाशय में तांबे की मात्रा को बढ़ाता है। जब कॉपर की मात्रा बढ़ जाती है, तो यह फ्ल्यूइड एंटीस्पर्म के रूप में काम करता है। गर्भाशय में जो शुक्राणु पहुंचते हैं, वो इसके संपर्क में आकर नष्ट हो जाते हैं। इससे ओव्युलेशन के दौरान भी एग फर्टिलाइज नहीं हो पाता है। ऐसा करके कॉपर टी का इस्तेमाल करने वाली महिलाएं प्रेग्नेंट होने से बचती हैं।
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कॉपर टी (Copper T) को लगाने का तरीका
कॉपर टी एक T के आकार में होती है। इसके दोनों छोरों को एक पतले पाइप में डाला जाता है। इसके बाद इस पाइप को महिला की योनि से गर्भाशय में पहुंचाकर इसको वहां छोड़ दिया जाता है। इसके बाद पाइप बाहर आ जाता है। जैसे ही पाइप बाहर आता है, तो कॉपर टी के दोनों छोर खुलकर अपना आकार ले लेते हैं और फिट हो जाता हैं।
इसके साइड इफेक्ट क्या हैं? (side effects of Copper T)
कॉपर टी के फायदों के साथ कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को कॉपर टी लगवाने के बाद योनि से असमय ही खून आने लगता है। कुछ महिलाओं को पेट में दर्द की शिकायत भी रहती है। यह दर्द पीरियड्स के दर्द से थोड़ा अलग होता है। लेकिन समय के साथ खून बहना कुछ कम हो जाता है। कुछ लोगों को इससे एलर्जी भी हो जाती है। इससे योनि के आसपास खुजली की समस्या होने लगती है। ऐसी स्थिति में कॉपर टी को तुरंत हटा देना चाहिए। कुछ मामलों में देखा गया है कि यह इंस्टॉल होने के बाद अपने आप निकल जाता है। इसे सही तरीके से डाला जाना जरूरी है। वर्ना महिलाओं के गर्भ में घाव हो सकता है। कुछ ऐसे केस भी देखने को मिले हैं, जिसमें महिला के गर्भाशय की दीवारों में छेद हो जाता है और खून बहने लगता है। ऐसा होने पर इसको तुरंत निकलवा देना चाहिए, वरना संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
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बर्थ कंट्रोल के अन्य तरीके (Other methods of birth control)
बर्थ कंट्रोल के लिए कॉपर टी सिर्फ एक ऑप्शन है और आप इसके अलावा दूसरे ऑप्शन को भी अपना सकते हैं। आइए अन्य ऑप्शंस के बारे में भी थोड़ा जान लेते हैं।
प्राकृतिक तरीके (Natural ways of birth control)
ब्रह्मचर्य (Brahmacharya) : ब्रह्मचर्य भी बर्थ कंट्रोल का एक तरीका है, जिसे अपनाकर अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है। हालांकि, इस तरीके को कपल्स के लिए अपनाना थोड़ा अस्वाभाविक हो सकता है।
पुल-आउट मेथड (Pull-out method) : भारत में कई कपल्स इस मेथड को अपनाते हैं। इस मेथड में स्पर्म निकलने से पहले मेल पार्टनर अपनी पीनस फीमेल पार्टनर की वजायना से निकाल लेता है। हालांकि, यह तरीका पूर्ण रूप से प्रभावशाली नहीं है और इसमें चूक की कुछ आशंका हो सकती है। क्योंकि, गर्भवती होने के लिए पीनस का वजायना में होना जरूरी नहीं है। अगर स्पर्म किसी तरह भी वजायना तक पहुंच जाता है, तो अनचाहे गर्भ की आशंका हो सकती है।
कॉन्डोम (Condom) : बर्थ कंट्रोल के लिए कॉन्डोम काफी सुरक्षित और प्रभावशाली ऑप्शन है। अधिकतर एक्सपर्ट और डॉक्टर भी इसका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। क्योंकि यह न सिर्फ अनचाहे गर्भ का डर खत्म कर देता है बल्कि इसके साथ ही यौन संचारित रोगों से भी सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा कॉन्डोम को आप किसी भी कैमिस्ट स्टोर से आसानी से खरीद सकते हैं और इसको इस्तेमाल करना भी काफी आसान है। आपको यह भी बता दें कि कॉन्डोम सिर्फ पुरुषों के लिए ही नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए भी आता है।
स्पॉन्ज (Sponge): बर्थ कंट्रोल के विकल्पों में यह भी एक ऑप्शन है। एक कॉन्ट्रासेप्टिव स्पॉन्ज वजायना के अंदर इंसर्ट किया जाता है। इसमें एक डिप्रेशन होता है, जो सर्विक्स के ऊपर इसे आसानी से रोक लेता है। इसके बाद एक एप्लीकेटर की मदद से वजायना के अंदर फोम इंसर्ट की जाती है, जो कि स्पर्मिसाइड होती है और मेल स्पर्म को नष्ट कर देती है और स्पॉन्ज स्पर्म को एग तक पहुंचने से रोकता है। हालांकि, जो महिलाएं एक बार मां बन चुकी हैं, उनमें इसके प्रभावशीलता काफी कम रहती है।
कॉन्ट्रासेप्टिव इंजेक्शन (Contraceptive injection) : कॉन्ट्रास्पेटिव इंजेक्शन को ‘द शॉट’ भी कहा जाता है, जिसमें प्रोजेस्टिन हॉर्मोन होता है। इस इंजेक्शन को डॉक्टर की मदद से हर 3 महीने में लगवाया जा सकता है। यह इंजेक्शन महिलाओं में एग बनने की प्रक्रिया को रोक देता है। हालांकि, इससे यौन संचारित रोगों से बचाव नहीं होता है।
आईयूडी (IUD) : आईयूडी का मतलब इंट्रायूटेराइन डिवाइस होता है। यह एक टी-शेप डिवाइस होता है, जो कि महिलाओं के गर्भ में इंस्टॉल किया जाता है। कॉपर टी भी इसी का एक प्रकार है। इसका दूसरा प्रकार हॉर्मोनल आईयूडी है, जिसमें प्रोजेस्टिन हॉर्मोन होता है। यह स्पर्म को एग तक पहुंचने और फर्टिलाइज करने से रोकता है।
कॉन्ट्रासेप्टिव पिल ((Contraceptive Pills) : बर्थ कंट्रोल के लिए कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का भी काफी उपयोग किया जाता है। इसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन नामक दो हॉर्मोन होते हैं। यह हॉर्मोन एग को बनने और ओव्युलेशन की प्रक्रिया को रोक देते हैं।
इन ऑप्शंस के अलावा, कॉन्ट्रासेप्टिव पैच, वजायनल रिंग, एमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स, द इंप्लांट, सर्वाइकल कैप व डायफ्राम भी अन्य विकल्प के रूप में मौजूद होते हैं।
हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में महिलाओं में गर्भनिरोध के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली कॉपर टी से जुड़ी हर जानकारी दी गई है। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं, तो अपना सवाल हमसें कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा, यह भी आप हमें कमेंट कर बता सकते हैं।
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