लेस्बियन शब्द को सुनकर भारत देश में कई लोगों के मुंह बन जाते हैं। मुख्य वजह सिर्फ इतनी है कि भारत देश में आज भी कई स्थानों में लोगों को अपनी पसंद की शादी करने की इजाजत नहीं है। अपनी पसंद यानी लड़के-लड़की वाली पसंद। लेस्बियन और गे तो फिर भी इनसे बहुत दूर हैं। लेस्बियन होने का अर्थ है महिला का महिला के प्रति अट्रेक्शन, यानी किसी भी लड़की के मन में दूसरी लड़की के लिए सेक्शुअल अट्रेक्शन होना। जब एक औरत को एक और औरत से ही प्यार हो तो उन्हें ‘लेस्बियन’ कहते हैं। भले ही लेस्बियन दुनिया भर में रह रहीं हो, लेकिन भारत जैसे देश में ऐसे जोड़ों को स्वीकार करना समाज के लिए थोड़ा नहीं बल्कि बहुत ही मुश्किल काम है। इन कारणों से ही लेस्बियन जोड़ों को मानसिक और सामाजिक चुनौती का सामना करना पड़ता है।
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जब लेस्बियन के लिए आया था खुशी का दिन
आपको लेस्बियन का मतलब तो समझ आ ही गया होगा। हमारे देश में भले ही समान सेक्स के प्रति अट्रेक्ट होने वाले लोगों को अच्छी नजरों से न देखा जाता हो, लेकिन भारत सरकार ने समलैंगिकों की भावनाओं को समझा और ऐतिहासिक फैसला भी किया। साल 2018 में धारा 377 की संवैधानिक वैधता पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया। यानी समलैंगिकों के पक्ष में फैसला आने के बाद उनके मन में ये उम्मीद जाग गई थी कि वे किसी भी प्रकार का अपराध नहीं कर रहे हैं। साथ ही उन्हें भी समाज में पूरा सम्मान पाने और अच्छी जिंदगी जीने का हक है, लेकिन वाकई में ऐसा नहीं हो रहा है। समलैंगिगता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर देने के बावजूद लेस्बियन को समाज में रहते हुए कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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काम की जगह में होता है भेदभाव
समलैंगिको को न केवल अपने परिवार की नफरत का सामना करना पड़ता है बल्कि समाज में भी उनका बहिष्कार किया जाता है। भले ही विदेशों में लेस्बियन के लिए जीवन यापन करना आसान होता हो, लेकिन भारत देश में ये अभी भी टेढ़ी खीर के समान ही है। घर में, ऑफिस में और समाज में बहिष्कार के कारण सोशल चैलेंजेस का सामना करना पड़ता है। इसी कारण से मेंटल हेल्थ में भी बुरा प्रभाव पड़ता है। बिना वजह के ही लोग लेस्बियन कपल को उनकी च्वॉइस के लिए ताने देते रहते हैं। अक्सर ऐसी लड़कियों को लड़के डेट के लिए भी प्रपोज करते हैं। कुछ लड़कों का मानना होता है कि लेस्बियन लड़की अन्य लड़के के प्रति अट्रेक्ट नहीं होगी, ये बात उनको सेफ फील कराती है। किसी भी लड़की की मन की इच्छा को जाने बिना उस पर मर्जी थोपना कहीं न कहीं मेंटल प्रेशर को बढ़ाने का काम करता है। समाज में ऐसी बहुत सी लेस्बियन हैं जो भेदभाव के कारण अपनी इच्छा को पूरी तरह से जाहिर नहीं कर पाती हैं। फिर उन्हें उम्र भर तनाव में जीना पड़ता है कि वे अपनी इच्छा जाहिर नहीं कर पाई।
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छूट जाता है घर-परिवार
लेस्बियन को अपनी मन की इच्छा जाहिर करने पर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जब तक वे अपने मन की बात किसी को नहीं बताती हैं, तब तक सब ठीक है। जैसे ही लड़कियां अपनी सेक्स की इच्छा को लेकर घर में बात करती हैं तो सभी लोग नाराज हो जाते हैं। कई बार तो लड़कियों को घर में ही कैद कर दिया जाता है, जिसका बुरा असर उनकी मेंटल हेल्थ में भी पड़ता है। घर वाले आक्रामक हो जाते हैं और साथ ही लड़की की जबरदस्ती शादी करवाने की कोशिश भी कर सकते हैं। ऐसे में किसी भी लेस्बियन के लिए नॉर्मल रह पाना मुश्किल होता है। घर के बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है। जान-पहचान वाले भी नाता तोड़ देते हैं। साथ ही परिवार वाले भी साथ छोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। इन सब परिस्थितियों के कारण ही लेस्बियन का जीवन कई प्रकार की समस्याओं से घिर जाता है।
पेरेंट्स को करना चाहिए सपोर्ट
हर किसी के शरीर की चाहत एक जैसी नहीं होती है। अगर आपके घर में ऐसा कोई भी व्यक्ति या टीनएज है तो बेहतर होगा कि आप उसे सपोर्ट करें, न कि उसका बहिष्कार करें। अपने बच्चों के साथ गैरों जैसा बर्ताव करने पर आपका बच्चा डिप्रेशन का शिकार हो सकता है। बेहतर होगा कि उसकी भावनाओं को समझे और उसे सेफ सेक्स के बारे में जानकारी दें। ऐसा करने से लेस्बियन को सपोर्ट मिलेगा और वो भी समाज में आम लोगों की तरह जी सकेंगी। आपका तिरस्कार उन्हें मानसिक रूप से बीमार बना सकता है। बेहतर होगा कि ऐसा बिल्कुल न करें और उनकी भावनाओं को पूरी तरह से समझें।
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सपोर्टिव ग्रुप करें जॉइन
ये जरूरी नहीं है कि लेस्बियन की भावनाओं को कोई नहीं समझेगा। लेस्बियन्स को ऐसे ग्रुप के साथ जुड़ना चाहिए, जहां लोग उनकी भावनाओं को समझते हो और उन्हें पूरा सपोर्ट करते हो। सोशल मीडिया पर मौजूद ग्रुप को भी जॉइन कर सकते हैं, जो उन्हें सपोर्ट करने के साथ ही जिंदगी जीने के नए मायने सिखाते हों। लेस्बियन का शरीर, उनकी इच्छा आदि जरूरते बाकी लोगों की तरह ही होती हैं, बस उनका अट्रेक्शन केवल लड़कियों की ओर होता है। यानी ऐसी कोई भी लड़की जो लेस्बियन है, उससे दूर भागने की जरूरत नहीं है। आपको जानकर हैरानी होगी कि हम सब के बीच भी लेस्बियन मौजूद हो सकती हैं। यानी कुछ लड़कियों में सेम सेक्स के प्रति अट्रेक्शन होना आम बात होती है। अगर समाज के लोग ऐसे लोगों की भावनाओं को नहीं समझेगें तो लेस्बियन डिप्रेशन के साथ ही ड्रग और अनसेफ सेक्स का भी शिकार हो सकती हैं।
किसी भी इंसान के लिए उसका परिवार ही सबसे बड़ा सहारा होता है। ऐसे में परिवार का साथ छूट जाने पर लेस्बियन अक्सर डिप्रेशन के साथ अन्य बुरी आदतों का शिकार हो सकती हैं। बेहतर होगा कि जो जैसा है, उसे उसी रूप में स्वीकार किया जाए।
हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार मुहैया नहीं कराता है।
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