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आखिर क्यों मार्केट में आए फ्लेवर कॉन्डम? जानें पूरी कहानी

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/09/2020

    आखिर क्यों मार्केट में आए फ्लेवर कॉन्डम? जानें पूरी कहानी

    हर साल बढ़ती यौन संबंधी बीमारियों को देखते हुए ही कॉन्डम का व्यापक प्रसार किया जाता है। वहीं पाश्चात्य संस्कृति से जन्में ओरल सेक्स के कारण भी यौन जनित बीमारियों में इजाफा होने लगा है। यही वजह है कि मार्केट में फ्लेवर कॉन्डम की जरूरत को समझा गया। सेब, संतरा, केला, अंगूर तो छोड़िए आजकल पान, अदरक और अचारी फ्लेवर तक के कॉन्डम भी मार्केट में मिलने लगा है। फ्लेवर कॉन्डम की मार्केट में जितनी सेल है उतनी ही डिमांड भी है। बदलती लाइफस्टाइल के साथ लोगों की पसंद बदल रही है और लोग सेक्स को लेकर जागरूक हो रहे हैं। ऐसे में फ्लेवर कॉन्डम  को लेकर भी लोग काफी रूचि रखते हैं।

    ओरल सेक्स के लिए कॉन्डम का उपयोग क्यों सही है

    कॉन्डम केवल गर्भावस्था को ही नहीं रोकता बल्कि ये सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज को फैलने से भी रोकता हैं। आप जो भी चाहें सोच सकते हैं, उसकी परवाह किए बिना एसटीआई सभी प्रकार की यौन गतिविधियों के माध्यम से फैलता हैं जिसमें वेजायनल पेनिट्रेशन, एनल सेक्स, या बिना सुरक्षा के ओरल सेक्स शामिल हैं।

    कई एसटीआई ओरल सेक्स के माध्यम से फैल सकते हैं – क्लैमाइडिया, गोनोरिया, सिफलिस, एचपीवी और यहां तक कि एचआईवी भी – जिसके कारण प्रोटेक्शन का उपयोग करना बहुत जरूरी है। अगर आपके साथी में कोई लक्षण नहीं है तो भी एसटीआई फैल सकता है। संक्रमण की दरें वास्तव में बढ़ रही हैं। वास्तव में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की रिपोर्ट है कि हर साल रिपोर्ट किए गए एसटीआई के लगभग 20 मिलियन नई केस रजिस्टर होते हैं।

    ओरल सेक्स के दौरान प्रोटेक्टेड सोर्स का उपयोग करते समय, एसटीआई के संकुचन या प्रसार के आपके जोखिम को खत्म नहीं करता है, यह जोखिम को कम करता है जो बहुत महत्वपूर्ण है।

    और पढ़ेंः Oral Sex: ओरल सेक्स के दौरान इन सावधानियों को नजरअंदाज करने से हो सकती है मुश्किल

    फ्लेवर कॉन्डम से जुड़े फैक्ट

    विश्व स्वास्थ्य संगठन की बात की जाए तो करीब एक मिलियन लोग यौन संबंधी बीमारियों से ग्र​सित हैं। संगठन के अनुसार इनमें से हर साल करीब 500 मिलियन लोग क्लेमेडिया (chlamydia), सिफलिस (syphilis) से प्रभावित होते हैं। वहीं भारत की बात की जाए तो सन् 2002-03 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक स्टडी में पाया गया कि करीब छह प्रतिशत लोग यौन संबंधी बीमारियों से प्रभावित होते हैं। बता दें कि हर साल करीब 30 से 35 मिलियन नए यौन संबंधी बीमारियों के केस सामने आते हैं। फ्लेवर्ड कॉन्डम की जरूरत की बात की जाए तो इसकी खोज उन लोगों के लिए की गई जिन्हें ओरल सेक्स में दिलचस्पी है। सेक्स के तरीकों में बदलाव और दिलचस्पी बढ़ने के कारण ही कॉन्डम में फ्लेवर को लाया गया है।

    मुंह का स्वाद और मूड बरकरार रखने के लिए

    फ्लेवर्ड कॉन्डम की जरूरत का एक कारण यह भी है कि बिना फ्लेवर वाले कॉन्डम से जब ओरल सेक्स किया जाता है, तो वह काफी अटपटा लगता है। कई बार लेटेक्स रबर की महक भी लोगों को पसंद नहीं आती। माना जाता है कि इन्हीं बातों को ध्यान रखकर फ्लेवर्ड कॉन्डम को इजाद किया गया।

    हर रोज मिले एक अलग स्वाद

    फ्लेवर कंडोम के आते ही विभिन्न प्रकार के स्वाद भी इसमें जोड़ दिए गए हैं। आपको केला पसंद हो, तो बनाना फ्लेवर कॉन्डम, अंगूर पसंद हो तो ग्रेप फ्लेवर वाला कॉन्डम बाजार में उपलब्ध है। यही नहीं यदि आपको अचार पसंद है तो यह फ्लेवर भी आपको कॉन्डम में मिल जाएगा। विभिन्न प्रकार के फ्लेवर से हर बार आपको ओरल सेक्स में कुछ नया मिलता है। कई लोगों के लिए यह रोमांच का नया तरीका भी होता है।

    और पढ़ेंः सेफ सेक्स से अनचाही प्रेग्नेंसी तक : जानिए कंडोम के 5 फायदे

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    बीमारियों से रहते हैं दूर

    सेक्शुयली ट्रांसमिटेड डिजी​ज ओरल सेक्स से बहुत जल्दी और ज्यादा फैलती हैं। इसलिए लोगों को ओरल सेक्स के दौरान बीमारी ना हो इसलिए ही कॉन्डम में फ्लेवर को जोड़ा गया है। फ्लेवर कॉन्डम से ओरल सेक्स के खतरे को कम किया जा सकता है। टीवी में आने वाले विज्ञापन भी इसके बारे में जानकारी देते है। फ्लेवर कॉन्डम सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज के खतरे को कम कर सकते हैं।

    रोमांच बढ़ाने के लिए कलर भी देते हैं साथ

    फ्लेवर कॉन्डम की जरूरत को समझते हुए ही इनमें रंगों की जरूरत को भी समझा गया। फ्लेवर के अुनसार ही इनमें रंगों का भी प्रयोग किया जाता है। यदि स्ट्रॉबेरी है तो लाल रंग यदि काला-खट्टा है तो बैंगनी रंग का उपयोग किया जाता है। इन रंगों को देखकर भी कई लोगों में एक्साइटमेंट बढ़ती है। फ्लेवर कॉन्डम दोनों पार्टनर के बीच के रोमांच को बनाएं रखते हैं। इसकी खूशबु और कलर इसके नाम के हिसाब से होता है।

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    फ्लेवर कॉन्डम के इस्तेमाल में बरतें सावधानी

    यौन संबंधी बीमारियां हर तरह के सेक्शुयल संपर्क से हो सकती हैं। चाहे एनल सेक्स हो चाहे ओरल सेक्स या वजायनल सेक्स।

    • यह याद रखें कि बेशक ओरल सेक्स के लिए आप फ्लेवर कॉन्डम का इस्तेमाल करें लेकिन इंटरकोर्स के लिए फ्लेवर कॉन्डम का इस्तेमाल कम ही करें। यह आपकी योनि के पीएच बैलेंस को बिगाड़ सकता है। इसके कारण यीस्ट इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ता सकता है।
    •  वही फ्लेवर कॉन्डम लें जो सही से फिट हो जाए। यदि यह ज्यादा बड़ा या छोटा होगा तो इसके फटने का डर रहता है।
    •  यदि आपको लैटेक्स से एलर्जी है तो ऐसा कॉन्डम ना खरीदे जो लैटेक्स से बने हुए होते हैं।
    • यह याद रखना चाहिए कि फ्लेवर कॉन्डम ओरल सेक्स के लिए बनाए जाते हैं।
    • यदि पैकेट में लिखा ना हो तो इसका इस्तेमाल वजायनल या एनल सेक्स के लिए ना करें।
    • अगर कोई कॉन्डम ओरल और इंटरकोर्स दोनों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, तो भी दोनों चीजों के लिए अलग-अलग कॉन्डम यूज करें।
    • कई बार कपल्स पूरी तरह से फ्लेवर कॉन्डम पर निर्भर रहते हैं लेकिन ऐसा करने से पहले एक बार डॉक्टर से इसके फायदे और नुकसान के बारे में पूछ सकते हैं।
    • कॉन्डम का इस्तेमाल करने से पहले उसमें लिखी सावधानियों के बारे में जरूर पढ़ लें।

    ओरल सेक्स में यदि दिलचस्पी हो तो यह ना समझें कि इससे आपको कोई बीमारी नहीं होगी। फ्लेवर्ड कॉन्डम की जरूरत ना भी महसूस हो तो भी इसका इस्तेमाल करें। यह आपको कई यौन संबंधी रोगों से भी दूर रखेगा।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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