हर रोज सुबह सड़कों पर चलते, लोकल ट्रेन के धक्के खाते और मेट्रो में सीट के लिए लड़ते लोग दिख जाते हैं। यह लोग हर सुबह ऑफिस पहुंचने के लिए मेहनत करते हैं। लेकिन, असली जंग ऑफिस पहुंचने के बाद शुरू होती है। हर रोज घंटों ऑफिस में काम करने के बाद ज्यादातर लोग खुद को बेहद थका हुआ महसूस करते हैं। हम में से लगभग हर किसी के साथ ये होता है कि हम एक समय के बाद खुद को मानसिक रुप से थका हुआ और इमोशनली एग्जॉस्टेड महसूस करते हैं। घंटों बैठकर काम करने का नतीजा ये होता है कि न हम सेहत का ख्याल रख पाते है और न ही दिमागी तौर पर शांत रह पाते हैं। इसी मानसिक थकान को तकनीकी भाषा में ‘बर्नआउट सिंड्रोम’ कहते हैं और ये हम नहीं कह रहे हैं, यह डब्लूएचओ (WHO) कहता है। जी हां, मानसिक थकान यानि ‘बर्नआउट सिंड्रोम’ इतना खतरनाक साबित हो सकता है कि आप बहुत अधिक बीमार हो सकते हैं।