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Sporotrichosis: स्पोरोट्राइकोसिस क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और उपचार

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Kanchan Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/12/2021

Sporotrichosis: स्पोरोट्राइकोसिस क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और उपचार

परिभाषा

आपने फंगल इंफेक्शन के बारे में तो सुना ही होगा, स्पोरोट्राइकोसिस (Sporotrichosis) एक तरह का फंगल इंफेक्शन (Fungal Infection) है जो इंसानों और जानवरों दोनों को हो सकता है। इसे ‘रोज गार्डर्न्स डिसीज’ भी कहा जाता है। स्पोरोट्राइकोसिस किसे होता है और इसका क्या उपचार है जानिए इस आर्टिकल में।

स्पोरोट्राइकोसिस (Sporotrichosis) क्या है?

स्पोरोट्राइकोसिस त्वचा का एक संक्रमण है जो स्पोरोथ्रिक्स नामक फंगस (Fungus) के कारण होता है। यह फंगस ब्रेड के मोल्ड, बीयर बनाने में इस्तेमाल होने वाले यीस्ट से संबंधित है, जिसकी वजह से इंफेक्शन होता है। यह संक्रमण बागवानी करने वाले लोगों, किसान और मजदूरों के बीच आम हैं जो गुलाब के पौधों, घास और मिट्टी में काम करते हैं। यह दुलर्भ किस्म का फंगल इंफेक्शन (Fungal Infection) है जो इंसानों के साथ ही जानवरों को भी हो सकता है। यह फंगल कुछ खास तरह के पौधों और उसके आसपास के वातावरण में पाया जाता है।

हालांकि, स्पोरोट्राइकोसिस (Sporotrichosis) आमतौर पर जानलेवा नहीं होता है, लेकिन यह कुछ गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।

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लक्षण

स्पोरोट्राइकोसिस के लक्षण (Sporotrichosis Symptoms)

स्पोरोट्राइकोसिस के लक्षण संक्रमण होने के बाद शुरुआती कुछ हफ्ते तक बहुत कम दिखते हैं। इसके कारण त्वचा पर छोटे-छोटे लाल, गुलाबी या बैंगनी रंग की गांठ बन जाती है। यह गांठ आमतौर पर उस हिस्से में होती है जो फंगस के संपर्क में आता है जैसे हाथ, बांह आदि। इसे छूने पर दर्द भी नहीं होता है। स्पोरोट्राइकोसिस के लक्षण दिखने में 1 से 12 हफ्ते का समय लग सकता है। इंफेक्शन जैसे-जैसे बढ़ता है यह अल्सर में बदल जाता है। प्रभावित हिस्से के आसपास आपको गंभीर रैश हो सकते हैं, साथ ही और नई गांठ दिख सकती है, जिसमें तरल पदार्थ भरा होता है। कई बार रैश का असर आंखों पर भी होता है जिससे कन्जंक्टिवाइटिस (आंखों का लाल होना) की समस्या हो सकती है।

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स्पोरोट्राइकोसिस के कारण (Sporotrichosis Causes)

स्पोरोट्राइकोसिस

स्पोरोट्राइकोसिस का संक्रमण स्पोरोथ्रिक्स नामक फंगस के कारण होता है और यह दुनिया के कई हिस्सों में पाया जाता है, लेकिन मध्य और दक्षिण अमेरिका में यह बहुत आम है। यूएस सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, यह फंगस गुलाब की झाड़ियों, घास और काई में रहते हैं। कोई भी व्यक्ति जो इन जगहों के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं उन्हें स्पोरोट्राइकोसिस हो सकता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है रेग्युलर एक्सपोजर होने पर हर किसी को यह संक्रमण हो जाएगा। स्पोरोट्राइकोसिस दो प्रकार का हो सकता हैः

क्यूटेनियस स्पोरोट्राइकोसिस (Cutaneous sporotrichosis)

त्वचा पर खुला कट या घाव होने पर आपको क्यूटेनियस स्पोरोट्राइकोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है, यानी फंगस आपकी त्वचा में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं। फंगस वाले पौधों में लगे कांटे से कट जाने या छिल जाने पर कई लोगों को इंफेक्शन (Infection) हो जाता है, इसलिए गुलाब के कांटों को स्पोरोट्राइकोसिस (Sporotrichosis) के लिए जिम्मेदार माना जाता है

पल्मोनरी स्पोरोट्राइकोसिस (Pulmonary sporotrichosis)

दुर्लभ मामलों में ऐसा होता है जब आप बिजाणुओं को सांस के जरिए अंदर ले लेते हैं तो फंगस आपके फेफड़ों (Lungs) तक पहुंच जाता है। इसे पल्मोनरी स्पोरोट्राईकोसिस (Sporotrichosis) कहा जाता है। इसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत, छाती में दर्द, कफ, बुखार, थकान और अचानक वजन कम होने लगता है

स्पोरोट्राइकोसिस (Sporotrichosis) आपको संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से भी हो सकता है खासतौर पर बिल्ली। जानवरों के काटने ये खरोंचने की वजह से संक्रमण हो सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 16 से 30 साल के लोगों को स्पोरोट्राइकोसिस अधिक होता है।

कब जाएं डॉक्टर के पास?

जब आपको स्पोरोट्राइकोसिस का संदेह हो या स्किन पर लाल/गुलाबी गांठ जैसे दिखने लगे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। इसके अलावा यदि आपका पहले स्पोरोट्राइकोसिस का इलाज (Sporotrichosis treatment) हो चुका है, लेकिन नए गांठ फिर से दिखने लगें, तो भी डॉक्टर को दिखाना आवश्यक है। यदि गांठ अल्सर (Ulcer) में बदल जाता है और यह फैलने लगता है तो आपको तुरंत उपचार की जरूरत है।

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निदान व उपचार

स्पोरोट्राइकोसिस का निदान (Sporotrichosis Diagnosis)

स्पोरोट्राइकोसिस का सही तरीके से निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट की सलाह देगा। वह आपकी स्किन का सैंपल लेगा जिसे बायोप्सी कहते हैं और उसे लैब में टेस्ट के लिए भेजेगा। यदि डॉक्टर को पल्मोनरी स्पोरोट्राइकोसिस का संदेह होता है तो यह ब्लड टेस्ट (Blood test) के लिए भी बोल सकता है। कई बार ब्लड टेस्ट से गंभीर क्यूटेनियस स्पोरोट्राइकोसिस के डायग्नोस में भी मदद मिलती है। टेस्ट रिजल्ट आने के बाद ही डॉक्टर उपचार के तरीके तय करेगा।

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स्पोरोट्राइकोसिस का घर पर इलाज (Sporotrichosis Home treatment)

स्पोरोट्राइकोसिस जैसे फंगल इंफेक्शन का उपचार मेडिकल ट्रीटमेंट से ही किया जाता है तो फंगस को शरीर से हटा देते हैं, लेकिन कुछ आसान तरीकों से इंफेक्शन को फैलने से बचाया जा सकता है। स्किन इंफेक्शन (Skin infection) से बचने के लिए घाव को हमेशा साफ और बैंडेज से बांधकर रखें। इससे प्रभावित हिस्से पर भी चोट और खरोंच आकर स्थिति गंभीर होने की संभावना नहीं रहेगी, साथ ही प्रभावित हिस्से पर गलती से भी खुजली न करें।

स्पोरोट्राइकोसिस का उपचार (Sporotrichosis Treatment)

इस तरह के स्किन इंफेक्शन का उपचार एंटीफंगल्स के जरिए किया जाता है जैसे- ओरल इट्राकोनाजोल (स्पोरानॉक्स) और सुपरसैचुरेटेड पोटेशियम आयोडाइड। ये कई महीनों तक लिए जाते हैं जब तक कि संक्रमण पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता।

गंभीर स्पोरोट्राइकोसिस का उपचार इंट्रावेनस (IV) ट्रीटमेंट जैसे एम्फोटेरिसिन बी से किया जाता है। सीडीसीटी ट्रस्टेड सोर्स के मुताबिक, IV उपचार पूरा होने के बाद आपको एक साल तक इट्राकोनाजोल लेने की आवश्यकता होती है। ऐसा फंगस को पूरी तरह से खत्म करने के लिए जरूरी होता है।

यदि फेफड़ों में इंफेक्शन (Lung infection) हो गया है तो आपको सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। इस प्रक्रिया में संक्रमित लंग टिशू को काटकर हटा दिया जाता है।

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जोखिम

क्या स्पोरोट्राइकोसिस से किसी तरह का जोखिम? (Sporotrichosis Risk Factors)

आमतौर पर स्पोरोट्रइकोसिस बहुत खतरनाक नहीं होता है, लेकिन आप यदि संक्रमण का इलाज नहीं करवाते हैं तो मौजूदा गांठ और घाव कई सालों तक रह सकते हैं, कई मामलों में यह स्थाई बन जाते हैं। यदि स्पोरोट्राइकोसिस का उपचार नहीं कराया जाता है तो यह फैल जाता है और संक्रमण शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है जैस हड्डियों और सेंट्रल नर्वस सिस्टम में। इससे आपको निम्न परेशानी हो सकती हैः

  • जोड़ों का दर्द
  • गंभीर सिरदर्द
  • कन्फ्यूजन
  • सीजर्स
  • कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण स्पोरोट्राइकोसिस में इस तरह के जोखिम बढ़ जाते हैं, खासतौर पर तब जब आपको HIV हो। यदि आप प्रेग्नेंट हैं तो एंटीफंगल दवाएं आपके होने वाले बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए हमेशा डॉक्टर से परामर्श के बाद ही कोई भी एंटीफंगल दवा खाएं।

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