नाक में पिंपल होने से न केवल काफी दर्द होता है, बल्कि इससे झुंझलाहट का अहसास भी होता है। यह नाक में होने वाले एक प्रकार के इंफेक्शन का संकेत है। नाक में पिंपल कैसे अन्य पिंपल से अलग है। वही इसकी किस प्रकार से देखभाल करनी चाहिए। इन बातों को जानने के साथ आइए इस आर्टिकल में जानने की कोशिश करते हैं कि यदि यह संक्रमण फैल गया तो उस कारण किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
आखिर क्यों होती है नाक में पिंपल की समस्या?
कई बार स्किन की सतह अतिरिक्त तेल का इस्तेमाल करने के कारण या फिर डेड स्किन सेल्स की वजह से ब्लॉक हो जाती हैं। जब यह डेड स्किन सेल्स या ऑयल ग्रोथ करने लगते हैं तो उस स्थिति में पिंपल निकलता है। सामान्य तौर पर पिंपल चेहरे पर निकलता है। वहीं समय के साथ धीरे-धीरे यह नाक की ओर चला जाता है।
अत्यधिक तेल स्किन की सतह पर तेजी से उभरता है। वहीं स्किन की सतह पर बैक्टीरिया भी असर डाल सकते हैं। इस वजह से लालीपन, जलन और काफी दर्द का एहसास होता है। इन बैक्टीरिया की वजह से इंफेक्शन, नेसल वेस्टीबल्टीज (Nasal vestibulitis) और नेसल फुरुनसेल्स (Nasal furuncles) भी हो सकती है।
क्या है नेसल वेस्टीबल्टीज
नाक में पिंपल की बात करें तो नेसल वेस्टीबल्टीज को जानना जरूरी है। इसे फॉलीकल्टिस (Folliculitis) के नाम से जाना जाता है। 2015 में किए शोध में पता चला कि ऐसे लोग जो कैंसर की बीमारी से बचाव के लिए दवा का सेवन कर रहे हैं वैसे लोगों में यह होने की संभावना काफी ज्यादा रहती है। इस समस्या के होने के कारण नाक के मुहाने पर ही लालीपन, उभार बन जाता है, जिसमें जलन भी होती है। उस उभार में लाल व सफेद रंग का पदार्थ होता है। स्टेफैलोकोकोकस या स्टैफ (staphylococcus) नाम के बैक्टीरिया के कारण फॉलीकल्टिस की समस्या होती है। बार बार नाक को उठाने के कारण या बार बार छींकने की वजह से इस प्रकार की समस्या हो सकती है।
क्या है नेसल फुरुनसेल्स या सेल्यूलिटिस
नेसल फुरुनसेल्स एक प्रकार की फुंसी है, जो नाक के अंदर होती है। यह समस्या काफी चिंताजनक होती है, क्योंकि इससे सेल्यूलिटिस हो सकता है। यदि समय पर इसका इलाज न किया गया तो स्किन इंफेक्शन की समस्या हो सकती है, जो हमारे रक्त कोशिकाओं में होते हुए शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है। यदि ऐसा हो जाए तो त्वचा का पतला होने के साथ, सूजन, लालीपन के साथ जलन हो सकती है। कुछ मामलों में तो यह समस्या जानलेवा साबित हो सकती है।
जहां तक नेसल वेस्टीबुलर फुरुलक्लोसिस की बात है तो यह बैक्टीरियल स्किन इंफेक्शन की श्रेणी में आता है। सामान्य लोगों की तुलना में यह व्यस्कों व बच्चों में ज्यादा देखने को मिलता है।
सामान्य पिंपल नहीं करते परेशान
नाक में पिंपल या फिर फेस में कहीं पर भी सामान्य रूप से दिखने वाले पिंपल के कारण कोई खास दिक्कत नहीं होती है, लेकिन ऐसे पिंपल जो नाक में बाल के अच्छे से न उगने के कारण, नेसल कोल्ड सोर या नेसल इंफेक्शन के कारण होते हैं यह काफी दर्द भरे होते हैं। यदि किसी को ऐसा हो तो उन्हें डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
बाल न बढ़ पाने की वजह से नाक में पिंपल
नाक में पिंपल की समस्या नाक में मौजूद बाल के न बढ़ पाने के कारण भी सकती है। वहीं कुछ लोगों को नाक में पिंपल की समस्या तब होती है जब वो नाक के बाल को नोचकर या किसी अन्य तरीके से निकाल देते हैं।
नाक में पिंपल को न करें इग्नोर, लें डॉक्टरी सलाह
यदि किसी को भी नाक में पिंपल की समस्या हो तो उसे डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। यदि इलाज न किया गया तो परिणाम और घातक हो सकते हैं। इन समस्या का करना पड़ सकता है सामना:
- देखने में परेशानी, डबल दिखना
- सिर चकराना
- लालीपन, सूजन के कारण होने वाले दर्द से बुखार आना
- अचानक भ्रम की स्थिति
- असामान्य पुतलियां
केवरनस साइनस थ्रोमबोयसिस की हो सकती है परेशानी
नाक में पिंपल की समस्या होने की वजह से कई प्रकार की परेशानी हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे नाक के अंदर मौजूद कई ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो सीधे दिमाग तक जाती हैं। यदि उससे संबंधित कोई परेशानी होती है तो उस वजह से केवरनस साइनस थ्रोमबोयसिस (cavernous sinus thrombosis) की समस्या हो सकती है। केवरनस साइनस थ्रोमबोयसिस बड़ी कोशिका है जो हमारी सिर के नीचे तक जाती है। नाक में पिंपल के कारण यदि इस कोशिका में ब्लड क्लोट हो जाए, तो उस स्थिति में थ्रोमबोसिस की समस्या हो सकती है। इस समस्या के होने से व्यक्ति में खास लक्षण देखने को मिलते हैं। यदि ऐसे लक्षण दिखे तो डॉक्टरी सलाह लेना चाहिए। लक्षणों पर एक नजर:
- नाक में दर्द व सिर दर्द
- देखने में परेशानी
- नींद न आना
- उभरी हुई आंखें
- डबल दिखाई देने के साथ आंख में दर्द
- उभरी हुई पुतलियां
- असामान्य तेज बुखार
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नाक में पिंपल का किस प्रकार लगाया जाता है पता
नाक में पिंपल की समस्या को जानने के लिए डॉक्टर सामान्य तौर पर कुछ सवाल करते हैं, जिनमें डॉक्टर पूछते हैं कि :
- पहले किस प्रकार पिंपल दिखता था, समय के साथ यह कैसा दिखने लगा?
- नाक में पिंपल होने पर आपको किस प्रकार के लक्षण महसूस होते हैं?
- आपने पहली बार पिंपल को कब नोटिस किया?
- क्या आपको पिंपल से खून या पस का रिसाव हुआ?
जरूरत पड़ने पर आपका डॉक्टर फिजिकल एग्जामिनेशन कर सकता है। इसके अलावा इमेजिंग स्टडी जैसे एमआरआई, सिर का सीटी स्कैन की जांच कर साइनस से इंफेक्शन की जांच की जाती है। कई केस में डॉक्टर आपको ब्लड सेंपल की जांच या फिर पिंपल के तरल की जांच की सलाह दे सकता है। इन सैंपल की लैब में जांच कर यह पता लगाया जाता है कि कहीं इनमें कोई बैक्टीरिया तो नहीं, यदि बैक्टीरिया है तो उसकी प्रजाति के बारे में पता किया जाता है। तमाम जानकारी के बार एंटीबायटिक देकर मरीज का इलाज किया जाता है। जरूरी है कि ऐसे लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह जरूर ली जाए।
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नाक में पिंपल का यह है इलाज
कारणों की जानकारी हासिल करने के बाद ही नाक में पिंपल का इलाज किया जाता है। प्राकृतिक तौर पर होने वाले एक्ने पिंपल घरेलू उपचार से ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन बैक्टीरियल इंफेक्शन का इलाज करने के लिए एंटीबायॉटिक दवा दी जाती है। दवाओं में एंटीबाॅयटिक ओएंटमेंट्स जैसे बैक्टेरीसिन (bacitracin), मरफिरोसिन (murpirocin) दवा देकर इलाज किया जाता है। कुछ इंफेक्शन इतने गंभीर हैं कि उसका इलाज करने के लिए मरीज को अस्पताल में एडमिट तक करना पड़ सकता है। कुछ रेयर मामलों में सूजन को कम करने के लिए पिंपल को सर्जिकली ट्रीटकर पस बहाया जाता है।
नाक की फुंसी को फोड़ने के दुष्प्रभाव
नाक में पिंपल को यदि आप फोड़ दें तो उसके कारण जान भी जा सकती है, सुनने में भला ही यह आपको अजीब लगे, लेकिन हकीकत में ऐसा हो सकता है। क्योंकि इंफेक्शन नाक से होते हुए शरीर में जा सकता है जिसके कारण बीमारी का रिस्क बढ़ जाता है। वहीं स्किन को फोड़ने पर आपको आराम का एहसास हो सकता है, लेकिन रिस्क है कि कुछ इंफेक्शन स्किन की निचली सतह पर ही बच जाए। वहीं इसके कारण नए पिंपल भी आ सकते हैं। कई मामलों में यह भद्दा दिखता है। वहीं ऐसा करने से आपका चेहरे में हमेशा के लिए दाग बन जाते हैं। वहीं स्किन में लंबे समय तक डार्क धब्बा बन जाता है।
नाक में फुंसी के उपचार
नाक में पिंपल का उपचार करने के लिए कई प्रकार के उपाय हैं। पेन रिलीवर लेकर भी दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आईब्रूफेन (Ibuprofen,Advil) यह एक प्रकार का नॉन स्टोराइडल एंटी इंफ्लमेंटरी ड्रग्स की श्रेणी में आता है। एसे में नाक में पिंपल की समस्या हो तो आईब्रूफेन या एडविल और एस्टेमाइनोफिन (Acetaminophen) या थेनॉल (Tylenol) दवा डॉक्टरी सलाह के बाद ली जा सकती है।
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गर्म सेक हो सकता है फायदेमंद
नाक में फुंसी की समस्या होने पर गर्म कपड़ा कर सेक देने से आराम महसूस हो सकता है। यदि कोई दिन में तीन बार 15-20 मिनटों तक गर्म सेक अप्लाई करता है तो उसे काफी आराम महसूस होता है।
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कुछ तेल भी पहुंचा सकते हैं फायदा
नाक में फुंसी की समस्या से निजात दिलाने या फिर दर्द कम करने के मामले में कुछ तेल फायदा दिला सकते हैं, लेकिन तेल का इस्तेमाल करने के पूर्व आप इस बात पर ध्यान दें कि कहीं आपको उस तेल का इस्तेमाल करने से एलर्जी तो नहीं, यदि नहीं तभी उसका इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है। इन तेल का कर सकते हैं इस्तेमाल :
- अजवायन के फूल का तेल
- दालचीनी का तेल
- रोजमैरी का तेल
- चाय पत्ती का तेल
- नीम का तेल
- ऑलिव ऑयल या नारियल तेल
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पिंपल न हो इसके लिए जरूरी है कि जितना संभव हो नाक को हाथ से न छुएं। नाक में उंगली न करें, बार बार न छींके। गंदे हाथ से नाक को न छुएं जैसे उपाय अपनाकर नाक की इस समस्या से बचा जा सकता है। यदि नाक में ज्यादा इरीटेशन हो तो संभव है कि यह कोई समस्या हो। विटामिन डी की ज्यादा से ज्यादा मात्रा लेकर एक्ने से बचा जा सकता है। वहीं स्ट्रेस के कारण नाक में इंफेक्शन नहीं होता बल्कि यदि आप तनाव से जूझ रहे हों तो उस स्थिति में नाक में फुंसी की समस्या को ठीक होने में काफी समय लग सकता है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाक्टरी सलाह लें। ।