कोविड-19 की शुरुआत दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से हुई और देखते ही देखते यह दुनियाभर में फैल गया। आज दुनियाभर में COVID-19 के लगभग 2.4 करोड़ से भी ज्यादा केसेज मौजूद हैं। कोरोना महामारी के चलते ज्यादातर लोग ‘वर्क फ्रॉम होम’ करने पर मजबूर हैं। लॉकडाउन में लंबे समय से घर पर रहते हुए हमारी लाइफस्टाइल में कई बदलाव आए हैं, जिनमें सबसे बड़ा बदलाव हमारी ईटिंग हैबिट्स में भी आया है। सभी की लॉकडाउन में ईटिंग हैबिट्स बदल गई हैं।
हमारे आस-पास हो रहे हर बदलाव का अच्छा और बुरा, दोनों ही प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ते हैं। पूरी दुनिया का कोरोना महामारी की चपेट में आना, हमारी लाइफ में कई बदलाव लेकर आया है। हम लोग अपने घर पर रहने के लिए मजबूर हो गए हैं और घर से काम यानी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। हालांकि, वर्क फ्रॉम की सुविधा हमे पहले भी मिलती थी पर अब यह सुविधा हमारी जिंदगी का एक हिस्सा बन चुकी है। इस नए हिस्से के साथ हमारी मौजूदा जीवनशैली में कई छोटे-बड़े बदलाव आए और सबसे बड़ा बदलाव हमारे खाने के तरीके में आया, जो कुछ लोगो के लिए सकारात्मक था तो कुछ लोगो के लिए नकारात्मक। इस लेख में हम इस पर एक नजर डालेंगे।
सकारात्मक पहलू
वर्क फ्रॉम होम में ईटिंग हैबिट्स का प्रभाव अलग-अलग लोगों पर अलग तरीके से पड़ रहा है। शादीशुदा जोड़े या फिर परिवारों पर इसका अच्छा प्रभाव देखने को मिला क्योंकि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति अब पहले से भी ज्यादा सतर्क हो गए हैं। जैसे-
लॉकडाउन में ईटिंग हैबिट्स : घर पर खाना बनाना
आमतौर पर ऑफिस में ही ब्रेकफास्ट और लंच करने वाले लोग अब घर पर खाना खाने लगे हैं। कोरोना संक्रमण के फैलने के डर से फूड डिलीवरी ऐप्प्स से ब्रेकफास्ट और डिनर ऑर्डर करने की आदत भी धीरे-धीरे कम हो गई है। आपने भी देखा होगा कि कैसे अचानक से सोशल मीडिया पर हर दिन हजारों होममेड डिशेस (homemade dishes) की तस्वीरें पोस्ट करने का चलन शुरू हो गया। डालगोना कॉफी से लेकर घर पर केक बनाना लोगों ने शुरू कर दिया। जहां एक तरफ यू ट्यूब पर मौजूदा कुकिंग चैनलों के व्यूज और सब्सक्राइबर्स बढ़ने लगे, वहीं खाना पकाने के शौकीन लोगों ने भी अपने चैनल बना डाले। आए दिन अलग-अलग व्यंजनों की रेसिपी के वीडियोज लोगों ने अपलोड करना शुरू कर दिया। जो लोग पहले सिर्फ चाय और मैगी बनाना ही जानते थे, उन्होंने भी सिंपल फूड रेसिपी से असली किचन की दुनिया में कदम रखा। हालांकि, परिवार के साथ रह रहे लोगों के इटिंग पैटर्न में ज्यादा बदलाव नहीं हुए।
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प्रतिरक्षा प्रणाली पर ध्यान
क्योंकि SARS-CoV-2 एक नया वायरस है और अभी तक इसकी कोई वैक्सीन नहीं आई है, इसलिए खुद को संक्रमण से बचाने के लिए घर पर रहना ही सबसे सही तरीका है। वहीं, संक्रमित होने की स्थिति में तेजी से ठीक होने के लिए स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली (Healthy immune system) की जरूरत है। इसलिए, अपनी इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए सदियों पुराने आयुर्वेदिक नुस्खों का इस्तेमाल करना लोगों ने शुरू कर दिया है। जैसे-सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन, सुबह-सुबह तुलसी, अदरक और शहद का काढ़ा आदि।
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पौष्टिक भोजन
लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम करते हुए हम लोगों को अपनी सेहत और फिटनेस पर भी ध्यान देने का मौका मिला। हर घर में कपल्स ने अपने अपने फिटनेस गोल्स के साथ ऑनलाइन वर्कआउट सेशंस ज्वाइन करने शुरू कर दिए हैं और साथ ही डाइटिंग भी शुरू कर दी।
फलों के सेवन में बढ़त
जैसे-जैसे हम सभी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं, हमारे फलों का सामान्य सेवन बढ़ रहा है। अपने दैनिक भोजन में फलों को शामिल करने के लिए पहले से अधिक मात्रा में आज ताजे फल खरीदे जाने लगे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की माने तो किसी भी फ्रूट जूस के मुकाबले उस फल को खाने से हमे ज्यादा लाभ मिलते हैं क्योंकि जूस निकालने की प्रक्रिया में कई सारे पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
फल कई आवश्यक पोषक तत्वों के स्रोत होते हैं, जैसे पोटैशियम, फाइबर, विटामिन सी और फोलेट (फोलिक एसिड)। आमतौर पर हमारे सामान्य भोजन में इन सब की कमी पाई जाती है। ये पोषक तत्व हमारी इम्युनिटी को बढ़ावा देने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर और हृदय प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने में हमारी मदद करते हैं।
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लॉकडाउन में ईटिंग हैबिट्स : सब्जियों के सेवन में बढ़त
जैसे ही लॉकडाउन शुरू हुआ और लोग कोरोना वायरस के बारे में जागरूक होने लगे, बाजार में सब्जियों की भारी मांग देखी गई। नॉन-वेजिटेरियन लोगों ने भी शाकाहार को अपनाया। बेहतर स्वास्थ्य लाभ और सुरक्षा के लिए शाकाहारी आहार लेना लोगों ने शुरू कर दिया। कई स्टडीज में देखने को मिला कि शाकाहारियों में कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल का स्तर, लो/हाई ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज की दर मांस खाने वालों की तुलना में कम होती है। साथ ही साथ, वेजिटेरियन लोगों में ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स (BMI), कैंसर दर और लम्बी बीमारियों का जोखिम भी कम होता है।
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सदियों पुराने सुपरफूड्स की ओर रुख
सदियों से हमारे किचन का अटूट हिस्सा रहे कई पोषक खाद्य पदार्थ (जवार, बाजरा, कुट्टू, गुड़ आदि) की जगह नए सुपरफूड्स (चिया सीड्स, गोजी बेरीज आदि) इस्तेमाल किए जाने लगे हैं। लेकिन, लॉकडाउन में निर्यात और आयात पर लगी पाबंदी से लोगों ने फिर से वही पुराने पोषक खाद्य पदार्थ को रसोई में जगह दे दी है। ये खाद्य पदार्थ आज आहार का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। ये फूड्स आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और फाइबर जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और आपकी शारीरिक और मानसिक हेल्थ के लिए जरूरी भी।
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लॉकडाउन में ईटिंग हैबिट्स : नकारात्मक पहलू
लॉकडाउन के कारण वर्क फ्रॉम होम करने वाले युवा लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव भी देखने को मिल रहे हैं। लॉकडाउन में स्लीप साइकिल बिगड़ने से देर रात तक जागना आम बात हो गई है। फिर ऐसे में कुछ-कुछ खाते हुए मूवीज या गेम्स के साथ समय गुजारना लोगों की जीवनशैली का हिस्सा बन गया है। संक्रमण फैलने के डर से लोगों ने बाई और कुक को भी घर में आने से मना कर दिया। नतीजन, युवा वर्ग के लोगों ने बाहर से खाना मंगाना या फिर घर पर ही पैक्ड फूड खाना शुरू कर दिया जिससे स्वस्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
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यह महामारी और लॉकडाउन हम सब के लिए एक सीख है कि हमें अपने इम्यून सिस्टम पर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही साथ यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हमारी जीवनशैली स्वस्थ हो। हमेशा समय पर खाना, समय पर सोना, योग और व्यायाम करना और तले, भुने या पैक्ड खाद्य पदार्थो का सेवन बंद करना ही हमारे स्वास्थ्य और ऐसी महामारियों के समय सुरक्षा को सुनिश्चित करने का एक मात्र तरीका है। अपने भोजन में ज्यादा से ज्यादा कलरफुल सब्जियां, कई प्रकार के फल और सुपरफूड्स को शामिल करके हम वजन और प्रतिरक्षा प्रणाली दोनों ही बेहतर कर सकते हैं।