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सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) के कारण व्यवहार में आता है बदलाव, जानिए इसके लक्षण

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Pawan Upadhyaya द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/04/2021

    सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) के कारण व्यवहार में आता है बदलाव, जानिए इसके लक्षण

    सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) आपके  सोचने, महसूस करने और किसी भी काम को करने का तरीका बदल देता है। यह आपके व्यक्तित्व को पूरी तरह से परिवर्तित कर देता है । यह बीमरी रोगी के सोचने और समझने की क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित करता है। आम धारणा के विपरीत, यह कोई स्प्लिट पर्सनालिटी डिसऑर्डर नहीं है। यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है जिसमें रोगी यह नहीं बता सकता कि क्या वास्तविक है और क्या कल्पना? इस वजह से व्यक्ति अपने आप को संभालने और स्वयं की देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है। सिजोफ्रेनिया के रोगियों में सबसे अधिक रोगी 16 से 30 साल तक के होते है। जानिए सिजोफ्रेनिया के लक्षण क्या हैं और कैसे बीमारी से निपटा जा सकता है।

    क्या कारण है सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) ?

    सिजोफ्रेनिया होने के किसी सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, विशेषज्ञ इस बात को मानते हैं कि बायोलॉजिकल आधार पर सिजोफ्रेनिया एक वास्तविक बीमारी है। यह खराब पालन-पोषण या किसी व्यक्तिगत कमजोरी की वजह से नहीं होती ।

    सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) के लक्षण :

    सिजोफ्रेनिया के रोगियों में कई तरह के लक्षण पाए जाते है। विशेषज्ञों द्वारा पहचाने गए कुछ लक्षण यहां निम्नलिखित हैं। 

    सिजोफ्रेनिया के लक्षण:   इमोशनल प्राब्लम्स

    सिजोफ्रेनिया के रोगियों में काफी उदासीनता देखने को मिलती है। उनका बाहरी दुनिया से संपर्क टूट जाता है, जिस कारण वे अपने आस पास रह रहे लोगो के प्रति भी उदासीन रहने लगते हैं। ऐसे लोगों में सुख दुःख की कोई भी भावना देखने को नहीं मिलती है। यानी कि वे आम लोगो की तरह सुख और दुःख का अनुभव नहीं कर पाते। जैसे कि उन्हें किसी के मरने का दुःख नहीं होता है और न ही किसी खुशी वाले अवसरों पर प्रसन्नता महसूस होती है। आसान शब्दों में कहे तो स्किज़ोफ्रेनिया के रोगियों में भावनाएं खत्म हो जाती। ऐसे लोगी घंटो अकेले बैठे रहते है और किसी से बातचीत करना पसंद नहीं करते। वे भूख प्यास के प्रति भी अनजान रहते है इसलिए ऐसे रोगियों का विशेष ध्यान रखना काफी जरुरी हो जाता है। 

    सिजोफ्रेनिया के लक्षण: हलूसिनेशन 

    हलूसिनेशन का अर्थ है किसी वस्तु की अनुपस्थिति में भी रोगी को उस चीज का दिखाई देना। सिजोफ्रेनियासे पीड़ित रोगी किसी वस्तु या व्यक्ति की अनुपस्थिति के बिना भी उसे देखता है। उस चीज की गंध न होते हुए भी रोगी को उसकी अनुभूति होती है और किसी आवाज की अनुपस्थिति में भी उसे वो आवाज सुनाई देती है।  

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    सिजोफ्रेनिया के लक्षण:  डिलूजन 

     डिलूजनका अर्थ है मन में गलत विश्वास का होना जिसके विरुद्ध प्रमाण होने के बाद भी रोगी इन्हें जारी रखते हैं। जैसे कि रोगी यह सोचता है कि उसके आस पास के लोग उसके विरुद्ध कोई साजिश रह रहे हैं। कई बार रोगी को यह वहम हो जाता है की लोग उसी के बारे में बात कर रहे है या उसका मजाक उड़ा रहे हैं या उसके ऊपर कीड़े रेंग रहे हैं। 

    सिजोफ्रेनिया के लक्षण:  सोचने समझने की शक्ति कम होना 

    सिजोफ्रेनिया  के रोगियों में सोचने और समझने की क्षमता में कमी देखने को मिलती है। जैसे कि रोगी अपने कपड़ो के बारे में बातचीत करते हुए ताज महल के बारे में बात करने लगता है। कई बार ऐसे रोगी अकेले में कुछ न कुछ बोलते रहते है।  

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    सिजोफ्रेनिया के लक्षण:  व्यवहार में बदलाव 

    सिजोफ्रेनिया  के रोगियों में व्यवहार संबंधित लक्षण भी शामिल है। सिजोफ्रेनिया के रोगी कई बार इम्पल्सिव हो जाते है और कई बार बिना बात पर हंसते रहते है। एक समय के बाद कई रोगियों को बैठने में कठिनाई होती है तो कई बार उठने में वो असहज महसूस करते है।

    सिजोफ्रेनिया के लक्षण: मूवमेंट में बदलाव 

    सिजोफ्रेनिया से व्यवहार में बदलाव आना स्वभाविक होता है। ऐसे व्यक्ति एक खास तरह का मूवमेंट करते हैं। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति खास तरह के मूवमेंट को दिन में कई बार दोहरा भी सकते हैं। इसे स्टीरियोटाइप्स भी कहा जा सकता है। वहीं कुछ व्यक्ति बात करते हुए अचानक से चुप भी हो सकते हैं। इसे रेयर कंडीशन यानी कैटेटोनिया (catatonia) कहा जाता है। यानी ऐसा जरूरी नहीं है कि सिजोफ्रेनिया से पीड़ित सभी अचानक से बातचीत करना बंद कर दें। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी परामर्श कर सकते हैं।

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    सिजोफ्रेनिया के लक्षण : कॉग्निटिव लक्षण

    कॉग्निटिव लक्षण को आसान तौर पर देखा नहीं जा सकता है, लेकिन ऐसे लक्षण पेशेंट को निजी तौर पर परेशान कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति जिनको सिजोफ्रेनिया की बीमारी है और साथ ही वो नौकरी करते हैं, उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार काम करने में दिक्कत होती होती है। कॉग्निटिव लक्षण में व्यक्ति को किसी भी निर्णय को लेने में दिक्कत हो सकती है। साथ ही किसी भी काम को सीखने के बाद उसे करने में समस्या हो सकती है। यानी कोई नई चीज सीखने के बाद ऐसे लोगों को उसे करने में दिक्कत होती है। वो या तो नए काम के तरीके को भूल जाते हैं या फिर डर की वजह से कर नहीं पाते हैं। साथ ही उन्हें किसी काम के दौरान एक ही पर ध्यान देने में भी परेशानी महसूस होती है। ये ऐसे लक्षण हैं, जो अन्य व्यक्ति को दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन पीड़ित व्यक्ति को परेशान करते हैं।

    सिजोफ्रेनिया से व्यवहार में बदलाव : हिंसा करना

    वैसे तो सिजोफ्रेनिया की बीमारी के दौरान पेशेंट हिंसात्मक नहीं होते हैं, लेकिन समय पर बीमारी का इलाज न कराने पर पेशेंट हिंसात्मक भी हो सकते हैं। अगर किसी कारणवश व्यक्ति को गुस्सा आता है और उसके मन का काम नहीं हो पाता है तो वो हिंसा करने लगता है। ऐसे में पेशेंट को संभालना मुश्किल हो जाता है। बेहतर होगा कि सिजोफ्रेनिया के लक्षण दिखते ही व्यक्ति का इलाज कराना चाहिए। कई बार हिंसात्मक प्रवृत्ति परिवार के सदस्यों को नुकसान भी पहुंचा सकती है।

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    टीनएज में सिजोफ्रेनिया के लक्षण

    टीनएज में भी वयस्कों की तरह ही सिजोफ्रेनिया के लक्षण होते हैं लेकिन इस उम्र में इस समस्या को पहचानना मुश्किल ज्यादा मुश्किल हो सकता है। कुछ बच्चों को टीनएज में सिजोफ्रेनिया होने की वजह से इसके लक्षण तब नहीं बल्कि आगे चलकर दिखाई देते हैं।

    परिवार से दूर होने के कारण, स्कूल छूटने, नींद आने में दिक्कत, डिप्रेशन महसूस होना और मोटिवेशन की कमी की वजह से सिजोफ्रेनिया हो सकता है।

    इसके अलावा मारिजुआना की वजह से भी सिजोफ्रेनिया जैसे लक्षण दिख सकते हैं। वयस्कों के मुकाबले बच्चों में मतिभ्रम कम होता है और इनमें अपनी इच्छा के चित्र या घटनाएं दिखने की समस्या ज्यादा होती है।

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    सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) का इलाज कैसे किया जाता है?

    सिजोफ्रेनिया  के किसी भी  उपचार का लक्ष्य लक्षणों को कम करना या दोबारा से इस रोग  वापसी की संभावना को कम करना है। सिजोफ्रेनिया के उपचार में निम्नलिखित चीजे शामिल हो सकती हैं: 

    • दवाएं
    • विशेष देखभाल (CSC)
    • मनोचिकित्सा 
    • गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती

    उपरोक्त दिए गए ट्रीटमेंट के साथ ही घरवालों का इमोशनल सपोर्ट भी पेशेंट को बहुत जरूरी होता है। इनके अलावा भी ऐसे कई लक्षण है जो अभी भी विशेषज्ञों द्वारा पहचाने नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें।

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    सिजोफ्रेनिया के मरीज की मदद कैसे करें

    अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसे सिजोफ्रेनिया हो तो उससे बारे में बात करें। आप किसी को प्रोफेशनल थेरेपिस्ट की मदद लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं। बस उन्हें किसी की मदद लेने के लिए प्रेरित करें और अपने करीबियों से बात करने के लिए कहें।

    यदि वह व्यक्ति खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है या अपने काम ठीक तरह से नहीं कर पाता है तो आपको उन्हें डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए। कुछ गंभीर मामलों में अस्पताल में भी भर्ती करवाना पड़ सकता है।

    सिजोफ्रेनिया में मन में सुसाइड करने के विचार भी आते हैं। अगर आपके किसी करीबी को ऐसे विचार आ रहे हैं तो हमेशा कोई न कोई उनके साथ रहे और उन्हें कभी भी अकेला न छोड़े।

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    आशा है कि आपको सिजोफ्रेनिया के कारण आने वाले बदलाव के बारे में सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अगर आपके घर में कोई भी व्यक्ति सिजोफ्रेनिया से पीड़ित है तो बेहतर होगा कि आप जांच कराएं और व्यक्ति का हर पल सहयोग करें। आप डॉक्टर से जरूर जानकारी लें ऐसे व्यक्ति की देखभाल कैसे की जाए।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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