पेट में जलन दूर करने वाली गोलियां यानी एंटासिड दवाइयों पर वार्निंग लेबल लगाना होगा। ओसिड (Ocid), पैंटॉप (Pantop) और लैंजॉल (Lanzol) जैसी ज्यादा बिकने वाली इन सारी एंटासिड दवाइयों पर वार्निंग लेबल देखने को मिलेगा, जिस पर लिखा होगा इन दवाईयोंं से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है।
सरकार ने सभी राज्य दवा नियामकों को प्रोटॉन पंप इनहिबिटर (पीपीआई) बनाने वाली कंपनियों को इसके बारे में जानकारी देने के लिए कहा है। ऐसी दवाएं , जो लंबे समय से पेट में पैदा होने वाले एसिड को खत्म करने के लिए इस्तेमाल की जा रही है, उन्हे अब अनिवार्य रूप से एंटासिड दवाइयों पर वार्निंग लेबल को शामिल करना होगा।
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पीपीआई श्रेणी की दवाओं में पेंटोप्राजोल, ओमेप्राजोल, लैंसोप्राजोल, एसोमप्राजोल और इनको मिलाकर बनने वाली गोलियां और सिरप शामिल हैं। ये भारत में 4,000 करोड़ से अधिक के दवा के बाजार में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली दवाओं में से हैं।
चेतावनी एंटासिड की उन श्रेणियों पर लागू नहीं होंगे जो पीपीआई नहीं है जैसे कि जेलुसील और डाईजिन।
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सभी पीपीआई निर्माताओं को देना जरुरी हुआ एंटासिड दवाइयों पर वार्निंग लेबल
डॉ वी.जी. सोमानी भारतीय ड्रग कंट्रोलर जनरल (DCGI) ने 4 नवंबर को सभी राज्य दवा नियामकों को चिट्टी, जिसमें कहा गया था कि भारत के फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम के लिए राष्ट्रीय समन्वय केंद्र (National co-ordination Center) ने ADR (Adverse Drug reaction) के आधार पर अपने प्रपोजल को आगे बढ़ा दिया है जिसमें पीपीआई दवाएं शामिल हैं।
यह प्रपोजल एक विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने दिया था, जिसने तब सुझाव दिया था कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को सभी राज्य दवा नियामकों को निर्देश देना चाहिए कि वे पीपीआई निर्माताओं को चेतावनी के बारे में बताएं।
डॉ सोमानी ने कहा कि प्रपोजल पर विचार किया गया है। उसके बाद एडीआर के रूप में एक्यूट किडनी इंजरी (acute kidney injury) का उल्लेख करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र के पीपीआई के निर्माताओं को निर्देशित किया गया है।
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पीपीआई ड्रग्स किडनी को नुकसान का कारण कैसे बन सकते हैं?
अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन ने प्रदर्शित किया था कि पीपीआई का उपयोग स्वतंत्र रूप से पुराने किडनी रोग के 20-50 प्रतिशत अधिक जोखिम के साथ किया गया था। अध्ययन में बताया गया है कि कैसे पीपीआई दवाएं गुर्दे को नुकसान पहुंचाती हैं और खून को प्रभावी ढंग से फिल्टर करने के लिए इसकी क्षमता को कम करती हैं। कई अन्य अध्ययनों ने इसी तरह से दिल के दौरे की बढ़ती संभावना, विटामिन बी 12 की कमी और अक्सर पीपीआई लेने वालों में हड्डी के फ्रैक्चर का कारण भी बनता है।
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पेट में जलन क्या है?
पेट में जलन को मेडिकली समझा जाए, तो इसे गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफलक्स डिजीज (GERD) के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे अम्ल पित्त कहते हैं
पेट में जलन होने के क्या कारण हैं?
पेट में “हाइड्रोक्लोरिक एसिड” (hydrochloric acid) नामक अम्ल होता है जो भोजन को टुकड़ों में तोड़ता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जब इसोफेगस की परत से होकर गुजरता है तो सीने या पेट मे जलन महसूस होने लग जाती है क्योंकि ये परत हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के लिए नहीं बनी है।
बार-बार होने वाली पेट में जलन की समस्या को गर्ड (एसिड भाटा रोग या GERD) कहा जाता है।
- हमारे अनियमित खान पान के कारण पेट में जलन हो सकती है।
- गर्भावस्था में भी एसिड रिफ्लक्स हो जाता है और अधिक खाने की वजह से भी पेट में जलन हो सकती है।
- अधिक तले हुऐ खाद्य पदार्थ भी पेट में जलन का कारण बन सकते हैं। वसा भोजन को आंतों तक जाने की गति को धीमा कर देती है। इससे पेट में अम्ल बनने लगता है और पेट में जलन हो जाती है।
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पेट में जलन होने के क्या लक्षण हैं?
- सीने या छाती में जलन और दर्द
- गले में लंबे समय से दर्द।
- निगलने में कठिनाई या दर्द।
- छाती या ऊपरी पेट में दर्द।
- ब्लैक स्टूल (काली पॉटी) या स्टूल में खून आना।
- लगातार हिचकी आना।
- बिना किसी कारण के वजन घटना।
- मुंह में खट्टा पानी आना
- उल्टी होना
- गले में जलन
- स्वाद खराब
- अपच
- कब्ज
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पेट में जलन का घरेलू इलाज क्या है?
पानी
रोजाना सुबह उठकर खाली पेट 2-3 ग्लास पानी पीने से भी इस समस्या को दूर रखा जा सकता हैं। सुबह खाली पेट पानी पीने के वैसे भी बहुत से फायदे हैं। यह शरीर में एसिड के स्तर को संतुलित रखता है साथ ही साथ पाचन क्रिया को भी सुधारता है।
तुलसी का पत्ता
तुलसी के एंटीबॉयोटिक गुण पेट में जलन से तुरंत राहत दिला सकते हैं। गैस की शुरुआत में ही अगर तुलसी के 4-5 पत्ते चबा लिए जाएं तो गैस की समस्या से तुरंत छुटकारा पाया जा सकता है। आप चाहें तो इन 4-5 पत्तों को एक कप पानी में उबालकर वह पानी भी पी सकते हैं। यह सबसे बढ़िया घरेलू उपचारों में से एक है।
पुदीना
पुदीना पेट में जलन को रोकने और खत्म करने में बेहद लाभदायक है। पेट में जलन को रोकने के लिए प्रसिद्ध ‘पुदीन हरा’ जैसी दवाइयां भी यही दावा करती हैं कि वे पुदीने के अर्क से बनी हैं। दरअसल पुदीना पेट में जलन पैदा करने वाले एसिड को सोख लेता है। इसके साथ यह पेट की गर्मी को भी शांत करता है । पेट में जलन होने पर पुदीने की कुछ पत्तियों को पानी में डालकर उबाल लें और दिनभर में थोड़ा- थोड़ा कर के इस पानी का इस्तेमाल करें।
गुड़
गुड़ हाजमे के लिए काफी लाभदायक है। यही कारण है कि हमारे बुजुर्ग खाने के बाद गुड़ खाना पसंद किया करते हैं। गुड़ शरीर में जाकर एसिड की मात्रा को कम करता है। जिससे पेट में जलन में राहत मिल सकती है। इसलिए आप भी भोजन के बाद थोड़ा गुड़ (10 से 15 ग्राम) खाने की आदत डाल लें।
सौंफ
पेट में जलन से बचने के लिए कई डॉक्टर खाने के बाद थोड़ी सी सौंफ चबाने की सलाह देते हैं। सौंफ के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फायदों की वजह से सौंफ की चाय भी पेट में जलन दूर भागाने के लिए एक बेहतर विकल्प है। दरअसल सौंफ के रस में पाए जाने मिनरल्स अपच और पेट फूलने जैसी समस्याओं को दूर करने में सक्षम हैं।
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