के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
ब्रेकियल प्लेक्सस नर्व इंजरी या ब्रेकियल प्लेक्सस न्यूरोपैथी तब होती है जब ऊपरी कंधे के हिस्से में चोट लगती है। इसके कारण कंधे और बाजुओं नर्व की समस्या यानी गंभीर दर्द हो सकता है। ब्रेकियल प्लेक्सस नसों का नेटवर्क है जो रीढ़ की हड्डी से हमारे कंधे, और हाथ तक सिग्नल भेजता है। ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी तब हो सकती है जब ये नसें फैली हुई होती हैं, संकुचित होती हैं, या गंभीर मामलों में, रीढ़ की हड्डी से अलग हो जाती है या फट जाती है। छोटी ब्रेकियल प्लेक्सस नर्व इंजरी को बर्नर्स कहा जाता है और यह उन लोगों में होना सामान्य है जो कोई खेल जैसे फुटबॉल आदि खेलते हैं। जन्म के समय कुछ नवजात शिशुओं को भी यह समस्या हो जाती है।
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ब्रेकियल प्लेक्सस नर्व इंजरी सीधी चोट का परिणाम है। इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:
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ब्रेकियल प्लेक्सस नर्व इंजरी से कंधों, बाजू और हाथ के सुन्न होने की समस्या हो सकती है। यही नहीं, गंभीर मामलों में इससे बहुत अधिक नुकसान हो सकता है। शरीर के अंगों के सुन्न होने से आपको पता नहीं चल पायेगा कि दर्द कहा है। यदि आप उन क्षेत्रों में दर्द का पता लगाने में असमर्थ हैं, तो आप उन अंगों की जटिलताओं पर ध्यान नहीं देते हैं।
कई बार ब्रेकियल प्लेक्सस नर्व इंजरी होने से आपको पेट में गुदगुदी या जलन हो सकती है।
हाथों में कमजोरी आना इस समस्या का लक्षण है। इस से आप अपनी कलाई को हिलाने में असमर्थ हो सकते हैं।
होर्नर सिंड्रोम बहुत ही दुर्लभ है। लेकिन, अगर ऐसा होता है तो यह ब्रेकियल प्लेक्सस नर्व इंजरी का लक्षण हो सकता है।
होर्नर सिंड्रोम के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
आप एक गंभीर ब्रोक्सियल प्लेक्सस चोट से कितनी अच्छी तरह से उबरते हैं, यह आपकी उम्र और चोट के प्रकार, स्थान और गंभीरता सहित कई कारकों पर निर्भर करता है। यहां तक की सर्जरी के बाद, कुछ लोग मांसपेशियों की कमजोरी या पक्षाघात का भी अनुभव करते हैं।
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डॉक्टर सबसे पहले आपके हाथ और बाजू को जांचेंगे। उसके बाद इस इंजरी को जांचने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट करा सकते हैं:
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इस समस्या से जल्दी राहत पाने के लिए आपको रोजाना अपनी प्रोग्रेस को जांचना चाहिए।
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ब्रेकियल प्लेक्सस नर्व इंजरी में सर्जरी कौन सी करनी चाहिए यह आपके डॉक्टर निर्धारित करते हैं। चोट के अनुसार सर्जरी की जाती है। यह सर्जरी इस प्रकार हो सकती हैं।
नर्व ग्राफ्ट : इस प्रक्रिया में ब्रेकियल प्लेक्सस से प्रभावित और ख़राब हिस्से को निकाल और बदल दिया जाता है, जिससे बाजू अच्छे से काम कर पाती है
नर्व ट्रांसफर: जब रीढ़ की हड्डी से नस की जड़ को निकल दिया जाता है तो सर्जन अक्सर उस कम महत्वपूर्ण तंत्रिका लेते हैं जो अभी भी काम कर रही है और इसे उस तंत्रिका से जोड़ देते हैं जो अधिक महत्वपूर्ण है लेकिन काम नहीं कर रहा है।
मसल ट्रांसफर: यह वो प्रक्रिया है जब सर्जन रोगी के शरीर के अन्य हिस्से की कम महत्वपूर्ण मसल को निकाल देते हैं। जैसे जांघों से निकल कर, इसे आपकी बाजुओं में डाल देते हैं।
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हालांकि ब्रेकियल प्लेक्सस नर्व इंजरी की रोकथाम नहीं हो सकती लेकिन यह समस्या हो जाए तो इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। ऐसे में आप खुद का ध्यान इस प्रकार रख सकते हैं।
वयस्क : अगर आप अस्थायी रूप से इस रोग से पीड़ित हैं तो जल्दी ठीक होने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज और फिजिकल थेरिपी का प्रयोग करें ताकि जोड़ों की अकड़न को रोका जा सके। अगर आप एक एथलिट हैं और आपको पहले भी यह समस्या हो चुकी है तो डॉक्टर आपको खेलते हुए खास पेंडिंग पहनने की सलाह दे सकते हैं।
बच्चों के लिए : अगर आप ऐसे बच्चे के माता-पिता हैं जिन्हे ब्रेकियल प्लेक्सस नर्व इंजरी है, तो आप अपने बच्चे के जोड़ों और मसल्स के सही से काम करने के लिए उसे रोजाना एक्सरसाइज कराएं। इसकी शुरुआत तब करें जब बच्चा कुछ हफ़्तों का हो जाए। इससे बच्चे के जोड़ नहीं अकड़ेंगे और स्वस्थ व मजबूत रहेंगे। इससे बच्चे को जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी।
। बेहतर जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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