परिभाषा
इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) जिसे मस्तिष्क ज्वर भी कहा जाता है मस्तिष्क के ऊतकों की सूजन है। आमतौर पर यह सजून वायरल इंफेक्शन (Viral infection) के कारण होती है। इंसेफेलाइटिस बेहद गंभीर हेल्थ कंडिशन है क्योंकि यह सीधा आपके दिमाग (Brain) पर असर डालता है यानी इससे आपका बाकी शरीर बुरी तरह से प्रभावित होता है। क्या है इंसेफेलाइटिस के कारण और उपचार जानिए इस लेख में।
इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) क्या है?
इंसेफेलाइटिस मस्तिष्क के ऊतकों की सूजन है। इंसेफेलाइटिस दो तरह के होते हैं प्राइमरी और सेकंडरी। प्राइमरी इंसेफेलाइटिस (Primary Encephalitis) तब होता है जब वायरस सीधे दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड (Spinal cord) को प्रभावित करता है। सेकंडरी इंसेफेलाइटिस (Secondary Encephalitis) तब होता है जब संक्रमण (Infection) शरीर के किसी अन्य हिस्से से शुरू होता है और मस्तिष्क (Brain) तक पहुंच जाता है। इंसेफेलाइटिस दुलर्भ और जानलेवा बीमारी है। इसलिए इसके लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
बच्चों में इंसेफेलाइटिस के कारण पर्सनैलिटी में बदलाव, सिजर्स, कमजोरी और अन्य लक्षण दिख सकते हैं, मगर यह इस बात पर निर्भर करता है दिमाग का कौन सा हिस्सा इंफेक्शन (Infection) से प्रभावित हुआ है। आमतौर पर बच्चे, बुज़ुर्ग और कमजोर इम्यून सिस्टम (Weak immune system) वाले लोगों को इसका खतरा अधिक होता है। चूकि यह वायरल इंफेक्शन के कारण होता है, इसलिए इसे वायरल इंसेफेलाइटिस (Viral Encephalitis) भी कहा जाता है। वैसे यदि सही उपचार मिले तो पीड़ित शख्स पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
और पढ़ें : मस्तिष्क संक्रमण क्या है?
लक्षण
इंसेफेलाइटिस के लक्षण क्या है? (Symptoms of Encephalitis)
इंसेफेलाइटिस के लक्षणों में शामिल हैः
गंभीर लक्षणों में शामिल हैः
- 103°F से अधिक बुखार
- उलझन
- नींद आना
- बुरे सपने आना
- गतिविधि का धीमा होना
- कोमा
- सिजर्स
- चिड़चिड़ापन (Irritation)
- प्रकाश से संवेदनशीलता
- बेहोशी की हालत
शिशु और छोटे बच्चों में इंसेफेलाइटिस के लक्षण अलग दिख सकते हैं। यदि बच्चों को निम्न समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करेः
- शरीर में अकड़न
- फोंटनेल का उभरा होना (खोपड़ी में नरम स्थान)
- लगातार रोना
- उल्टी आना
- भूख न लगना
और पढ़ें : ब्रेन ट्यूमर क्या है?
कारण
इंसेफेलाइटिस के कारण क्या है? (Cause of Encephalitis)
इंसेफेलाइटिस तब होता है जब वायरस, बैक्टीरियल और फंगस सीधे तौर पर मस्तिष्क को संक्रमित (Infection) करते हैं या इम्यून सिस्टम (Immune system) गलती से मस्तिष्क के ऊतकों पर अटैक कर देता है।
प्राइमरी इंसेफेलाइटिस (Primary Encephalitis) के लिए जिम्मेदार वायरस में शामिल हैः
- कॉमन वायरस (Virus) जैसे HSV (हर्प्स सिंप्लेक्स वायरस) और EBV (एपस्टिन बार वायरस)
- चाइल्डहूड वायरस में शामिल हैं मिसल्स और मंप्स
- अरबोवायरस (यह मच्छर, टिक और दूसरे कीटों द्वारा फैलाया जाता है) में शामिल है जापानी इंसेफेलाइटिस (Encephalitis), वेस्ट नाइल इंसेफेलाइटिस और टिक बॉर्न इंसेफेलाइटिस (Born Encephalitis)।
सेकंडरी इंसेफेलाइटिस वायरल इंफेक्शन की जटिलता के कारण होता है। इसमें लक्षण संक्रमण के कई दिनों या हफ्तों बाद दिखते हैं। ऐसे में मरीज का इम्यून सिस्टम (Immune system) हेल्दी ब्रेन सेल्स (Healthy brain cells) यानी मस्तिष्क के ऊतकों को बाहरी वस्तु समझकर अटैक कर देता है। इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) के 50 प्रतिशत मामलों में बीमारी के सही कारणों का पता नहीं चल पाता है।
इंसेफेलाइटिस से जुड़े जोखिम (Risk factor of Encephalitis)
इंसेफेलाइटिस का खतरा सबसे अधिक इन्हें होता हैः
- बुजुर्ग
- 1 साल से कम उम्र के बच्चे
- ऐसे लोग जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है
इसके अलावा जो लोग ऐसे इलाके में रहते हैं जहां मच्छरों और टिक की संख्या अधिक है तो ऐसे में इनके द्वारा संक्रमण (Infection) फैलता है। इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) आमतौर पर गर्मी के महीने में अधिक होता है, क्योंकि इसी समय कीट अधिक सक्रिय होते हैं।
हालांकि MMR (मिजल्स, मंप्स, रुबेला) वैक्सीन (Vaccine) लेने वाले बच्चों में यह दुर्लभ ही होता है। करीब 3 मिलियन में से एक बच्चे ही इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) से पीड़ित होते हैं, जबिक वैक्सीन नहीं लेने वाले बच्चों में ये आंकड़ा काफी ज्यादा है।
[mc4wp_form id=’183492″]
और पढ़ें : केमिकल निमोनिया क्या है?
निदान
इंसेफेलाइटिस का निदान क्या है? (Diagnosis of Encephalitis)
डॉक्टर सबसे पहले आपसे लक्षणों के बारे में पूछता है और यदि उसे इंसेफेलाइटिस का संदेह होता है तो वह निम्न टेस्ट करेगा।
- स्पाइनल टैप और लंबर पंक्चर
- CT स्कैन और MRI के साथ ब्रेन इमैजिंग
- इलेक्ट्रोनसेफैलोग्राफ (EEG)
- ब्लड टेस्ट (Blood test)
- ब्रेन बायोप्सी (Biopsy)
इंसेफेलाइटिस से बचाव (Prevention for Encephalitis)
इससे बचाव का सबसे अच्छा तरीका है संक्रमित करने वाले वायरस के संपर्क में आने से बचना इसके लिए इन बातों का ध्यान रखेः
- साफ-सफाई का ध्यान करें। टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद और खाने से पहले और बाद में हाथ अच्छी तरह धोएं। साबुन और पानी से हाथ धोना चाहिए।
- बर्तन, पेय पदार्थ आदि किसी के साथ शेयर करें।
- बच्चों को अच्छी आदतें सिखाएं। घर और स्कूल में भी हाइजीन का ध्यान रखना सिखाएं।
- बच्चों को सही समय पर टीके लगवाएं।
मच्छरों और टिक से बच्चों का बचाव
मच्छरों और टिक के काटने से बच्चों को बचाने के लिएः
- बाहर निकलने पर खुद और बच्चे को पूरी बांह के कपड़े पहनाएं। खासतौर पर जब आप लॉन या किसे ऐसी जगह जाते है जब घास अधिक हो, क्योंकि वहां औमतौर पर टिक रहते हैं।
- मॉस्किटो रिपेलेंट (Mosquito repellent) का इस्तेमाल करें। इसे कपड़ों और त्वचा पर दोनों जगह लगाया जा सकता है। इससे मच्छर आपके पास नहीं आते हैं।
- ऐसी किसी भी जगह पर जाने से बचें जहां मच्छरों के अधिक होने की संभावना हो।
- घर के आसपास गंदगी और पानी जमा होने न दें, क्योंकि इससे भी मच्छर और कीट पनपते हैं।
और पढ़ें : ब्रेन एन्यूरिज्म (मस्तिष्क धमनी विस्फार) क्या है?
उपचार
इंसेफेलाइटिस का उपचार क्या है? (Treatment for Encephalitis)
इंसेफेलाइटिस से गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं, इसलिए ऐसी स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत है। इसका इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज की उम्र और मेडिकल कंडिशन कैसी है साथ ही इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) किस कारण से हुए है। सबका इलाज एक तरह से नहीं किया जा सकता। यदि इंसेफेलाइटिस बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial infection) के कारण हुआ है, तो इंट्रावेनस एंटीबायोटिक (Intravenous antibiotic) से इलाज किया जाता है। हर्प्स से होने वाले इंसेफेलाइटिस के उपचार के लिए सपोर्टिव केयर और दवा के साथ इंट्रावेनस एंटीवायरल थेरेपी (Intravenous antiviral therapy) की जरूरत होती है।
सही उपचार से इंसेफेलाइटिस पूरी तरह से ठीक हो जाता है, लेकिन बच्चों और बुजुर्गों में इसकी वजह से स्थायी ब्रेन डैमेज का खतरा अधिक होता है। आमतौर पर इंसेफेलाइटिस के उपचार शामिल हैः
- आराम
- दर्दनिवारक दवाएं (Pain killer)
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड (मस्तिष्क की सूजन कम करने के लिए)
- मकैनिकल वेंटिलेशन (सांस लेने में मदद करने के लिए)
- गुनगुना पानी से स्पंज बाथ
- बेचैनी, आक्रामकता और चिड़चिड़ापन के लिए)
- तरल पदार्थ (कभी-कभी IV के जरिए दिया जाता है)
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
[embed-health-tool-vaccination-tool]