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प्रेग्नेंसी में अस्थमा की दवाएं खाना क्या बच्चे के लिए सुरक्षित है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/03/2021

    प्रेग्नेंसी में अस्थमा की दवाएं खाना क्या बच्चे के लिए सुरक्षित है?

    प्रति 100 गर्भवती महिलाओं में लगभग 4 से 8 फीसदी महिलाओं में प्रेग्नेंसी में अस्थमा होने की समस्या देखी जाती है। इसके अलावा ऐसी कई महिलाओं का सवाल भी रहता है कि, क्या अस्थमा होने पर वो गर्भवती हो सकती हैं, इसका बच्चे पर कैसे प्रभाव पड़ेगा, प्रेग्नेंसी में अस्थमा होने पर खुद की और बच्चे की देखभाल कैसे करें आदि। ऐसे में गर्भावस्था उनके लिए चिंताभरी हो सकती है। इसलिए अगर किसी महिला को अस्थमा है और वह प्रेग्नेंसी की प्लानिंग कर रही है, तो सबसे पहले इसके बारे में अपने चिकित्सक से जरूर संपर्क करना चाहिए। हालांकि, अगर आप अस्थमा में प्रेग्नेंट हो गई हैं, तो आपके कई सारे सवालों और सेहत से जुड़ी जरूरी बातों की जानकारी आप हैले स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में जान सकते हैं।

    प्रेग्नेंसी में अस्थमा क्या है?

    अस्थमा फेफड़ों से जुड़ा एक रोग होता है, जो जीवनभर रह सकता है। अस्थमा होने पर व्यक्ति को सांस लेने से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। अस्थमा प्रेग्नेंसी से पहले, प्रेग्नेंसी के दौरान और प्रेग्नेंसी से बाद भी हो सकता है। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही हो सकता है। हालांकि, खराब पर्यावरण में रहने और अधिक मोटापे से पीड़ित लोगों में अस्थमा होने का जोखिम अधिक रहता है। वहीं, प्रेग्नेंसी के दौरान खासकर प्रेग्नेंसी के पहले या प्रेग्नेंसी की तिमाही में महिलाओं को प्रेग्नेंसी में अस्थमा होने का जोखिम अधिक रहता है। वहीं, प्रेग्नेंसी के दौरान अस्थमा का अटैक किसी भी महिला के लिए एक बहुत बुरी अवस्था हो सकती है। नेशनल अस्थमा एजूकेशन ग्रुप फॉर द सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो गर्भावस्था के पड़ाव को मुश्किल भरा बना सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी की प्लानिंग करने से पहले ही महिलाओं को अस्थमा की जांच करा लेना चाहिए।

    गर्भावस्था में अस्थमा: अगर प्रेग्नेंसी से पहले अस्थमा का कंट्रोल न किया गया तो इसका क्या प्रभाव हो सकता है?

    अगर किसी महिला को गर्भवस्था से पहले ही अस्थमा की समस्या होती है और गर्भावस्था से पहले ही उसने इसका उपचार नहीं करवाया, तो महिला के खून में ऑक्सीजन का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है। जिसका सीधा मतलब है कि महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन नहीं मिलेगा। इसके अलावा प्रेग्नेंसी में अस्थमा होने या प्रेग्नेंसी से पहले ही अस्थमा पर जिसका नियंत्रण न किया गया हो, यह गर्भावस्था के जोखिम जैसे समय से पहले बच्चे का जन्म, जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना, बच्चे में हाइपरटेंशन की समस्या होना यानी गर्भ से ही बच्चे के हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होना, जिसे प्रीक्लेमप्सिया कहा जाता है,  आदि का जोखिम बढ़ जाता है।

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    क्या प्रेग्नेंसी अस्थमा की समस्या को और भी ज्यादा बढ़ा सकती है?

    अधिकांश मामलों में देखा जाता है कि, अगर समय रहते प्रेग्नेंसी में अस्थमा का उपचार न किया गया, तो प्रेग्नेंसी अस्थमा की समस्या को और भी ज्यादा बिगाड़ सकती है। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

    क्या प्रेग्नेंसी में मैं अपने एलर्जी अस्थमा के उपचार के लिए एलर्जी की दवाओं या शॉट्स का इस्तेमाल कर सकती हूं?

    प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह के एलर्जी से जुड़ी दवाओं या शॉट्स का इस्तेमाल करना गर्भावस्था को जोखिम में डाल सकता है। हालांकि, अगर आप एलर्जी अस्थमा के लिए फ्लू या अन्य शॉट्स लेने का विचार कर रही हैं, तो प्रेग्नेंसी से पहले ही इसके बारे में विचार करें। इसके लिए आपका डॉक्टर आपके लिए कुछ-कुछ अंतराल पर आपको दो से तीन एलर्जी शॉट्स देने के लिए एक कोर्स शुरू कर सकते हैं। हालांकि, इसके अलावा कुछ स्थितियों में आपका डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान आपको सिर्फ फ्लू वैक्सीन लगवाने की सिफारिश कर सकते हैं।

    क्या प्रेग्नेंसी में अस्थमा होने पर मैं इन्हेलर का इस्तेमाल कर सकती हूं?

    सबसे पहले तो कोशिश करें की गर्भ धारण करने से पहले ही अपनी अस्थमा की समस्या को नियंत्रित कर लें। आपकी अस्थमा को कंट्रोल करने वाली सारी दवाओं की निर्देशित मात्रा का इस्तेमाल निर्धारित समय पर करें, क्योंकि प्रेग्नेंसी में अस्थमा के लिए दवाओं का इस्तेमाल करना या इन्हेलर का इस्तेमाल करना बच्चे के जीवन को जोखिम भरा बना सकता है।

    हालांकि, प्रेग्नेंसी में अस्थमा के दौरान आपके लिए और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए निम्न इन्हेलर का इस्तेमाल करना सुरक्षित हो सकता है, जिनमें शामिल हैंः

    • लेवलब्युटेरोल (Levalbuterol)
    • पाइब्यूटेरोल (Pirbuterol)
    • इप्राट्रोपियम (Ipratropium)

    ऊपर बताए गए किसी भी तरह की दवा का इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। साथ ही, अगर आप प्रेग्नेंसी में किसी भी अन्य तरह की दवा या विटामिन्स का सेवन करती हैं, तो उसके बारे में भी अपने डॉक्टर को बताएं। उनसे पूछें की प्रेग्नेंसी की दवाओं के साथ इन्हेलर का इस्तेमाल करना कितना सुरक्षित है और यह किसी तरह के इंट्रैक्शन कर सकती हैं।

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    गर्भावस्था में अस्थमा:    प्रेग्नेंसी में अस्थमा का प्रभाव बच्चे पर कम करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

    प्रेग्नेंसी में अस्थमा की समस्या का प्रभाव आपके शिशु पर न हो, इसके लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिनमें शामिल हैंः

    • आपके अस्थमा की समस्या को बढ़ाने वाले कारकों की पहचान करें और उन कारकों को कम करने के तरीकों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
    • समय-समय पर अपने अस्थमा की जांच करवाते रहें।
    • अगर आपके अस्थमा (दमा) का कारण एलर्जी से संबंधित है, तो एलर्जी से दूर रहें। ऐसी स्थिति में आपको पालतू जानवरों, धूल और धुएं वाली जगहों में नहीं जाना चाहिए।

    प्रसव और ब्रेस्टफींडिग के दौरान अस्थमा की दवा का इस्तेमाल करना

    सामान्य तौर पर, प्रेग्नेंसी में अस्थमा की दवाएं ब्रेस्टफीडिंग के लिए सुरक्षित मानी जाती हैं। हालांकि, इसके बारे में आपका डॉक्टर आपको उचित सलाह दे सकते हैं। जैसे, अस्थमा की दवाओं का सेवन करने के कितनी देर बाद आप बच्चे को स्तनपान करवा सकती हैं।

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    प्रेग्नेंसी के दौरान अस्थमा होने के लक्षण क्या हैं?

    निम्न स्थितियां प्रेग्नेंसी के दौरान अस्थमा होने का लक्षण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः

    • प्रेग्नेंट महिला को सीने में जकड़न महसूस करना
    • सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ महसूस करना, साथ ही बहुत ज्यादा खांसी आने की समस्या होना
    • सामान्य दिनों के मुकाबले प्रेग्नेंसी में बहुत ज्यादा और बहुत जल्दी थकान महसूस करना।

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    प्रेग्नेंसी में अस्थमा का प्रभाव कम करने के लिए मुझे किस तरह के आहार खाने चाहिए?

    प्रेग्नेंसी और अस्थमा से जुड़े की शोधों में यह पाया गया है कि, विटामिन सी और विटामिन ई, बीटा-कैरोटीन, फ्लेवोनोइड्स, मैग्नीशियम, सेलेनियम और ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर आहार लेने वालों में अस्थमा होने का जोखिम बहुत कम होता है। साथ ही, इस तरह के आहार लेने से अस्थमा की दर को भी कम किया जा सकात है। इन पदार्थों में ऐसे कई एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो कोशिकाओं को अस्थमा के कारण होने वाले नुकसान से बचाते हैं। साल 2007 में किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया कि, ऐसे युवा जिनके आहार में विटामिन सी, ई और ओमेगा -3 फैटी एसिड की मात्रा बहुत कम होती है, उन्हें फेफड़े के फंक्शन होने की सबसे अधिक संभावना हो सकती है। इसके अलावा अस्थमा की दर को कम करने के लिए नट्स और अंगूर, सेब, टमाटर जैसे फलों का सेवन करना भी लाभकारी हो सकता है।

    क्या मेरे कारण मेरे बच्चे को भी अस्थमा हो सकता है?

    अस्थमा की समस्या एक बच्चे को अनुवांशिक स्थिति के तौर पर भी मिल सकती है। अगर बच्चे की मां या पिता को अस्थमा की समस्या है, तो इसकी संभवना अधिक होती है कि बच्चे को भी दमा की समस्या हो सकती है। हालांकि, ऐसे कई अध्ययनों में इसकी पुष्टि भी की गई है कि, अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी से पहले या प्रेग्नेंसी में अस्थमा की समस्या है, तो उसके बच्चे को अस्थमा होने की संभावना बहुत ही कम हो सकती है। बच्चे में अस्थमा की समस्या खासतौर पर पिता की स्थिति पर निर्भर करता है।

    उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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