परिचय
हनटिंग्टन रोग (Huntington Disease) क्या है?
हनटिंग्टन रोग (एचडी) एक घातक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इस बीमारी की वजह से मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएं कमजाेर होकर धीरे-धीरे टूटने लगती हैं। हनटिंग्टन रोग का व्यक्ति के कार्य करने की क्षमता पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। यह एक वंशानुगत बीमारी है, जो विरासत में मिले खराब जीन की वजह से होती है। हनटिंग्टन रोग में विषैले प्रोटीन दिमाग में इक्कट्ठे हो जाते हैं और तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। हनटिंग्टन रोग चलने फिरने, व्यवहार और सोचने समझने की शक्ति को प्रभावित करता है। हनटिंग्टन रोग से पीढ़ित व्यक्ति को अक्सर फुल टाइम केयर की आवश्यकता पड़ती है। आमतौर पर इससे पैदा होने वाली जटिलताएं गंभीर होती हैं।
हनटिंग्टन रोग से पीढ़ित लोगों में इसके लक्षण 30 या 40 वर्ष की आयु में नजर आते हैं। हालांकि, यह लक्षण इससे पहले या बाद में नजर आ सकते हैं। 20 वर्ष की आयु से पहले यदि हनटिंग्टन रोग होता है तो इसे जुवेनाइल हनटिंग्टन रोग कहते हैं। कम उम्र में होने से इसके लक्षण अलग हो सकते हैं और यह तेजी से आगे बढ़ सकता है। हालांकि, हनटिंग्टन रोग को मैनेज करने के लिए दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन इलाज शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक बदलावों को रोक नहीं पाता है।
कितना सामान्य है हनटिंग्टन रोग होना?
हनटिंग्टन रोग एक समान्य और दुर्लभ समस्या हो सकती है। ज्यादातर मामलों में यह परिवार से मिले खराब जीन की वजह से होती है। इससे संबंधित बदलाव नजर आते ही चिकित्सा सहायता लेना अनिवार्य है।
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लक्षण
हनटिंग्टन रोग के क्या लक्षण है?
हनटिंग्टन रोग के निम्नलिखित लक्षण हैं:
- बाजुओं, पैरों, सिर, चेहरे और अपर बॉडी में अनियंत्रित मूवमेंट
- सोचने और तर्क शक्ति में कमी आना
- याद्दाश्त, ध्यान केंद्रित और निर्णय लेने की क्षमता में कमी आना
- योजना बनाने और संगठित रहने की क्षमता में कमी आना
- मूड में बदलावा आना जैसे डिप्रेशन, एंजाइटी और गुस्सा
- ओबसेसिव-कंपल्सिव बिहेवियर (obsessive-compulsive behavior) के लक्षण जैसे बार-बार एक ही सवाल पूछना
अति सक्रिय होना।
इन लक्षणों को तीन भागों में विभाजित किया गया है, जो निम्नलिखित हैं:
मूवमेंट डिसऑर्डर
- मूवमेंट करते वक्त अपने आप झटके लगना
- मांसपेशियों की समस्या जैसे कठोरता या मांसपेशियों का सिकुड़ना
- आंखों की गती धीमी या असामान्य होना
- पॉश्चर और चलने फिरने में असंतुलन
- बोलने या निगलने में परेशानी आना
ज्ञान संबंधी (Cognitive) समस्याएं
- संगठित रहने, प्राथमिकता और काम पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- लचीलेपन की कमी या विचारों में खोए रहने की आदत, व्यवहार या एक्शन में फंसे रहने की आदत
- अपने आप पर काबू न रख पाना, बिना सोचे समझे कार्य करना और यौन संकीर्णता
- अपनी खुद की योग्यताओं और व्यवहार के प्रति जागरुकता की कमी
- सोचने व समझने की गति का धीमा होना
- नई चीजों को सीखने में परेशानी
मनोवैज्ञानिक समस्याएं और लक्षण
- चिड़चिड़ापन, दुखी या उदासीनता का एहसास होना,
- सामाजिक रूप से कट जाना
- अनिद्रा
- थकावट और ऊर्जा की कमी
- बार-बार मृत्यु या आत्महत्या के विचार आना
उपरोक्त लक्षणों के अलावा भी हनटिंग्टन रोग के कुछ लक्षण हो सकते हैं।
जुवेनाइल हनटिंग्टन रोग के लक्षण
बच्चों और युवाओं में हनटिंग्टन रोग के लक्षण व्यस्कों से भिन्न हो सकते हैं। ऐसी परेशानियां या समस्याएं जो बीमारी के दौरान अक्सर जल्दी नजर आने लगती हैं, उनमें निम्नलिखित लक्षण शामिल हैं:
व्यवहार में परिवर्तन
- स्कूल में सिखायी गई बातों या फिजिकल स्किल्स को भूल जाना
- स्कूल की परफॉर्मेंस में तेजी से महत्वपूर्ण गिरावट आना
- व्यवहार में परिवर्तन व समस्याए
फिजिकल बदलाव
- अकड़ी और सिकुड़ी हुई मांसपेशियां, जो चाल को प्रभावित करती हों
- मोटर स्किल्स में बदलाव, जो लिखने (Handwriting) जैसे कौशल में स्पष्ट रूप से नजर आए
- दौरे पड़ना
- कंपकंपी या मामूली इनवेलेंट्री मूवमेंट्स
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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
यदि आपको हनटिंग्टन रोग के लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। शुरुआती चरण में इसके लक्षणों की पहचान करके उपचार शुरू किया जा सकता है।
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कारण
हनटिंग्टन रोग होने के कारण क्या है?
हनटिंग्टन रोग होने के कारण निम्नलिखित हैं:
एक जीन में दोष हनटिंग्टन बीमारी का कारण बनता है। इसे ऑटोसोमल डॉमिनेंट (autosomal dominant) डिसॉर्डर माना जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि असमान्य जीन की एक प्रतिलिप (कॉपी) इस बीमारी का कारण बनने के लिए काफी है। यदि आपके माता-पिता में से किसी एक के जीन में दोष है तो आपको वंशानुगत यह बीमारी होने की 50% संभावना होगी। यह बीमारी आपसे आपके बच्चों में भी फैल सकती है।
जेनेटिक म्युटेशन हनटिंग्टन रोग का कारण बनते हैं, जो अन्य म्युटेशन्स से अलग होते हैं। हनटिंग्टन रोग में जीन के दोषों को कॉपी कर लिया जाता है। वह जीन के भीतर का एक क्षेत्र होता है, जो कई बार कॉपी हो जाता है। हनटिंग्टन रोग में प्रत्येक पीढ़ी में जीन कॉपी की संख्या बढ़ जाती है।
आमतौर पर, हनटिंग्टन रोग के लक्षण उन लोगों में जल्दी नजर आने लगते हैं, जिनमें कॉपी किए गए जीन की संख्या ज्यादा होती है। बार-बार खराब जीन कॉपी होने से यह बीमारी तेजी से विकसित होती है।
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सामान्य भाषा में कारण
जीन की सामान्य कॉपी हनटिंग्टन को प्रोड्यूस करती है। यह एक प्रोटीन है। वहीं, खराब जीन इससे अधिक बड़े होते हैं। इनसे साइटोसाइन (cytosine), एडेनाइन (adenine) और गुएनाइन (guanine) (CAG) का अधिक उत्पादन होता है। यह तीनों ही डीएनए (DNA) के बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं। आमतौर पर, CAG की पुनरावृत्ति 10 और 35 के बीच होती है। हनटिंग्टन रोग में यह 36 और 120 के बीच में पुनरावृत (रिपीट) होते हैं। यदि यह 40 या इससे अधिक बार दोहराए जाते हैं तो हनटिंग्टन के लक्षण नजर आते हैं। इस नतीजे में बदलाव आने से एक बड़ा हनटिंग्टन बनता है, जो कि एक प्रोटीन है। यह विषैला होता है और मस्तिष्क में इक्कट्ठा होता है। यह दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
विशाल हनटिंग्टन प्रोटीन के प्रति कुछ मस्तिष्क कोशिकाएं संवेदनशील होती हैं। विशेषकर वह कोशिकाएं जो मूवमेंट, सोचने की शक्ति और याद्दाश्त से जुड़ी होती हैं। विशाल हनटिंग्टन इनके कार्यों को कम कर देता है और अक्सर इन्हें खत्म भी कर देता है। हालांकि, इस विषय पर वैज्ञानिकों के बीच एकमत नहीं है कि यह कैसे होता है।
जोखिम
हनटिंग्टन रोग के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
हनटिंग्टन रोग को विकसित होने से रोकने का कोई तरीका नहीं है। चूंकि, यह एक अनुवांशिक विकार है, जो परिवार से विरासत में मिलता है। हालांकि, हर मामले में इसके विकसति होने की रफ्तार अलग-अलग हो सकती है। यह पूरी तरह जीन की प्रतिलिपियों पर निर्भर करता है कि आपके भीतर रिपीटेड जीन कितने हैं। आमतौर पर इनकी संख्या कम होने पर हनटिंग्टन रोग का विकास धीमा होता है।
हनटिंग्टन रोग के व्यस्कों में लक्षण नजर आने के बाद वह सामान्यतः 15-20 साल जीवित रहते हैं। हालांकि कम उम्र में इसके लक्षण नजर आने पर यह बीमारी जल्दी विकसित होती है। इस प्रकार के लोग 10-15 साल तक ही जीवित रह पाते हैं। ज्यादातर मामलों में हनटिंग्टन रोग से जान का खतरा रहता है।
- हनटिंग्टन रोग से निमोनिया जैसे संक्रमण का जोखिम रहता है।
- हनटिंग्टन रोग से दिमाग में आत्महत्या के ख्याल आ सकते हैं।
- हनटिंग्टन रोग से मूवमेंट पर काबू न रहने पर आप गिर सकते हैं।
- हनटिंग्टन रोग से निगलने में परेशानी आ सकती है, जिसे इनवोलेंट्री मूवमेंट के नाम से जाना जाता है।
उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
हनटिंग्टन रोग का निदान कैसे किया जाता है?
आमतौर पर हनटिंग्टन रोग का पता परिवार की मेडिकल हिस्ट्री से लगाया जाता है। हालांकि, कई प्रकार के क्लीनिकल और लैब टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है।
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न्यूरोलॉजिकल टेस्ट
एक न्यूरोलॉजिस्ट निम्नलिखित टेस्ट कर सकता है:
- रिफ्लेक्सेस (reflexes)
- कॉर्डिनेशन (coordination)
- संतुलन
- मसल टोन (muscle tone)
- स्ट्रेंथ (strength)
- स्पर्ष का अहसास (sense of touch)
- सुनने
- दृष्टि
ब्रेन फंक्शन और इमेजिन टेस्ट
- दौरे पड़ने पर दिमाग में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी की जांच की जा सकती है।
- ब्रेन इमेजिन टेस्ट से दिमाग में आए फिजिकल बदलावों का पता लगाया जा सकता है।
- मेग्नेटिक रिसोएंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging)(एमआरआई) (MRI) स्कैन में मैग्नेटिक फील्ड्स का इस्तेमाल किया जाता है। इस जांच में दिमाग की तस्वीरें और उच्च स्तर की जानकारी इक्कट्ठा की जाती है।
- कंप्यूटेड टोमोग्राफी (Computed tomography) (सीटी स्कैन) में कई एक्स-रे के जरिए दिमाग के क्रॉस सेक्शन इमेज को लिया जाता है। आम भाषा में इस जांच को सीटी स्कैन के नाम से जाना जाता है।
मनोवैज्ञानिक जांच
आपका डॉक्टर किसी मनोवैज्ञानिक जांच की सलाह दे सकता है। इस जांच में आपके कोपिंग स्किल्स (Coping skills), भावुकता और व्यवहार के पैटर्न का आंकलन किया जा सकता है। मनोवैज्ञानिक दोषपूर्ण थिंकिंग (सोच) के लक्षण की जांच भी कर सकता है। आपके ऊपर नशीली दवाइयों का परीक्षण किया जा सकता है कि क्या यह दवाइयों आपके लक्षणों की जानकारी दे सकती हैं।
जेनेटिक टेस्ट
यदि आपके भीतर हनटिंग्टन रोग से जुड़े कई लक्षण नजर आते हैं तो जेनेटिक टेस्टिंग की सलाह दी जा सकती है। जेनेटिक टेस्टिंग से हनटिंग्टन रोग का पता लग सकता है। जेनेटिक टेस्टिंग से यह पता लगाने में भी मदद मिलेगी कि यह बीमारी आपके बच्चों को होगी या नहीं। हनटिंग्टन रोग से पीढ़ित कुछ ऐसे लोग होते हैं जो अपने बच्चों में दोषपूर्ण जीन जाने नहीं देना चाहते हैं।
हनटिंग्टन रोग का इलाज कैसे होता है?
हनटिंग्टन रोग का इलाज निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
दवाइयां
- दवाइयां हनटिंग्टन रोग में सामने आने वाले शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लक्षणों में राहत दे सकती हैं। बीमारी के प्रोग्रेस करने पर दवाइयों के प्रकार और इनकी मात्रा में बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है।
- इनवॉलेंट्री मूवमेंट (आंख का झपकना जैसी क्रियाएं) का इलाज टेट्राबेनाजाइन (tetrabenazine) और एंटीबायोटिक दवाइयों से किया जा सकता है।
- मांसपेशियों में कठोरता और इनवॉलेंट्री मसल कॉन्ट्रैक्शन को डिआजेपेम (diazepam) से ठीक किया जाता है।
- डिप्रेशन और अन्य मनोवैज्ञानिक लक्षण का डिप्रेशन और मूड को स्थिर करने वाली दवाइयों से इलाज किया जाता है।
थेरेपी
फिजिकल थेरेपी कॉर्डिनेशन, संतुलन और लोचशीलता (फ्लेक्सिबिलिटी) को सुधारने में मदद कर सकती है। इस ट्रेनिंग से मोबिलिटी में सुधार और शरीर को गिरने से बचाया जा सकता है। ऐसे में व्यावसायिक थेरेपी का इस्तेमाल प्रतिदिन की दिनचर्या का आंकलन करने के लिए किया जा सकता है। साथ ही इनमें मददगार डिवाइस या मशीन का इस्तेमाल करने का सुझाव भी दिया जा सकता है।
- मूवमेंट
- खाना और पीना
- नहाना
- कपड़े पहनना
स्पीच थेरेपी से आपको स्पष्ट रूप से बोलने में मदद मिलेगी। यदि आप बोल नहीं सकते तो आपको अन्य प्रकार के संचार के तरीकों के बारे में सिखाया जा सकता है। स्पीच थेरेपिस्ट आपको निगलने और खाने की समस्याओं में मदद कर सकते हैं। साइकोथेरिपी आपकी भावनात्मक और मानसिक समस्याओं में मदद कर सकती है। इससे आपको कोपिंग स्किल्स (Coping skills) को विकसित करने में भी मदद मिलेगी।
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घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे हनटिंग्टन रोग की रोकथाम में मदद कर सकते हैं?
- हनटिंग्टन रोग से पीढ़ित लोग इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि यह बीमारी बच्चों में न फैल जाए।
- ऐसे मामलों में हनटिंग्टन रोग की रोकथाम के लिए जेनेटिक टेस्टिंग और परिवार नियोजन के विकल्पों पर विचार करना चाहिए।
- यदि माता पिता में इस बीमारी का खतरा है तो जेनेटिक काउंसलर से सलाह अवश्य लें। जेनेटिक काउंसलर इसके संभावित खतरों के बारे में सलाह दे सकता है।
- ऐसे कपल्स को अतिरिक्त विकल्पों पर विचार करना चाहिए। यह कपल्स जीन के लिए प्रीनेटल टेस्टिंग करा सकते हैं।
- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) में डोनर से स्पर्म या एग्स ले सकते हैं।
- IVF में अंडाशय से एग्स को निकाल लिया जाता है और पिता के स्पर्म के साथ प्रयोगशाला में फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद भ्रूण में हनटिंग्टन जीन की जांच की जाती है। नेगिटिव रिजल्ट वाले भ्रूण को मां के गर्भाशय में डाला जाता है।
- यदि हनटिंग्टन रोग में आपको अपनी स्थिति का सामना करने में समस्या आती है तो किसी सपोर्ट ग्रुप की मदद लें। इसके लिए आप इनकी सदस्यता भी ले सकते हैं। इन ग्रुप के माध्यम से आप इस बीमारी से पीढ़ित अन्य लोगों से मिल सकते हैं। इन लोगों के साथ आप अपनी चिंताओं को साझा कर सकते हैं।
- यदि आपको दिनचर्या के कार्यों को पूरा करने में मदद की जरूरत है तो डॉक्टर से मदद लें। इसके अतिरिक्त, आप अपने क्षेत्र में सोशल सर्विस देने वाले समूहों से बात कर सकते हैं। इससे आपको डे-टाइम केयर में मदद मिल सकती है।
- हनटिंग्टन रोग के प्रोग्रेस करने पर डॉक्टर से सलाह लें। बीमारी के आगे बढ़ने पर डॉक्टर सहायता का प्रकार सुनिश्चित कर सकता है। संभवतः आपको इन-हाउस नर्सिंग की जरूरत पड़ सकती है।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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