फूड सेंसिटिविटीज (Food sensitivity) को पहचानें
फूड डायरी (Food diary) या फूड जर्नल बनाने से आप फूड सेंसिटिविटी को भी आयडेंटिफाय कर सकते हैं। जैसे अगर आपको इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (irritable bowel syndrome) की समस्या ,है तो कुछ खास फूड्स डायजेस्टिव इशूज जैसे स्टमक पेन, गैस, ब्लोटिंग या डायरिया को ट्रिगर कर सकते हैं। ऐसे ही अन्य कंडिशंस जैसे फूड एलर्जी, एसिड रिफ्लक्स और नॉन-सेलिएक ग्लूटेन सेंसिटिविटी आदि कुछ फूड्स या ड्रिंक्स से बदतर हो सकती है। अब जानते हैं कि फूड डायरी (Food diary) मेंटेन रखते हुए किन चीजों का रखना चाहिए ख्याल?
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फूड डायरी (Food diary) मैंटेन करने के लिए पाएं कुछ टिप्स
हालांकि, फूड डायरी या फूड जर्नल मैंटेन करना न तो मुश्किल है और न ही टाइम कंज्यूमिंग है। लेकिन, शुरुआत में इसे मैंटेन करने में आपको थोड़ी समस्या हो सकती है। इसे मेंटेन रखते हुए आपको इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए:
इसमें सब कुछ नोट करें
चाहे बात फुल मील की हो या स्नैक की या किसी ड्रिंक की। अपनी फूड डायरी (Food diary) में आपको सब कुछ नोट करना है। अगर आपको किसी चीज से एलर्जी हो रही है, तो यह बेहद जरूरी है। कुछ खास फूड्स की छोटी सी मात्रा से भी आपके लक्षण प्रभावित हो सकते हैं। इसी तरह से पूरे दिन की स्नैकिंग से आपकी कैलोरीज, कार्ब्स और शुगर में भी बदलाव आ सकता है। अगर आप वजन कम कर रहे हैं या कैलोरीज को मॉनिटर कर रहे हैं, तो इसे कंसीडर करना बेहद जरूरी है।
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स्पेसिफिक रहें
अगर आप फूड इंटेक को ट्रैक कर रहे हैं, तो जितना हो सके स्पेसिफिक रहें और अधिक से अधिक डिटेल्स को नोट करें। इसमें फूड के इंग्रीडिएंट्स, मसाले और सीजनिंग आदि को नोट करना न भूलें। इसके साथ ही पोरशन साइज को भी नोट करें।
एप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं
स्मार्टफोन फूड जर्नल ऍप्स, पेन और पेपर के इस्तेमाल से नोट करने की जगह बेहतरीन विकल्प है। इन ऍप्स में फूड्स और ड्रिंक्स के एक्सटेंसिव लाइब्रेरी भी होती है और इसके साथ ही न्यूट्रिशनल कंटेंट और इंग्रीडिएंट्स की पूरी जानकारी होती है। इससे आपका समय भी बच जाएगा। यानी, अगर आप चाहें तो एप में भी अपनी फूड डायरी (Food diary) को मैंटेन रख सकते हैं।

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अपने मूड भी मॉनिटर करें
हालांकि, फूड डायरी (Food diary) को मेंटेन रखते हुए केवल अपने खाने या पीने का ही ध्यान न रखें। बल्कि, दिन में आपका मूड चेंज कैसे होता है, इसे भी ट्रैक करें। वास्तव में, कुछ खाद्य पदार्थ खाने से पहले या बाद में आप कैसा महसूस करते हैं, इसकी पहचान करने से पैटर्न की पहचान करना और यह समझना आसान हो जाता है कि आपका आहार आपके मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर रहा है। विशेष रूप से, स्टडीज से यह पता चलता है कि डिप्रेशन, एंग्जायटी और तनाव जैसी नकारात्मक भावनाएं आपकी ईटिंग हैबिट्स को प्रभावित कर सकती हैं और हो सकता है कि इनके कारण आप अधिक खाएं। अगर आप अपनी मानसिक स्थिति में कुछ बदलाव नोटिस करते हैं तो ऐसे में फूड डायरी (Food diary) में इसे भी अवश्य नोट करें।
फूड डायरी (Food diary) को मेंटेन रखते हुए आपको ध्यान रखें कि इसमें आप सब कुछ सच लिखें। क्योंकि, चीटिंग करने से आपको कोई फायदा नहीं होगा। इस फूड डायरी को अपने डॉक्टर के साथ शेयर करें। वो इसे रिव्यु करेंगे और इससे उन्हें हेल्दी लाइफस्टाइल को प्लान करने में मदद मिलेगी।
यह तो थी फूड डायरी (Food diary) के बारे में जानकारी। आप यह जान ही गए होंगे कि फूड डायरी (Food diary) का इस्तेमाल पूरे दिन में खाने और पीने को ट्रैक करने में इस्तेमाल किया जाता है। आपको यह सब नोट करना है कि आपको क्या और कब खाना है। इसके साथ ही इसमें यह भी लिखें कि हर मील के पहले, दौरान और बाद में आपको कैसा महसूस होता है। उससे आपको हेल्दी हैबिट्स अपनाने, फूड सेंसिटिविटीज को पहचानने और वजन को सही रखने में मदद मिलेगी। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो आप हमारे फेसबुक पेज पर कमेंट कर के पूछ सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट से इसका उत्तर देने की पूरी कोशिश करेंगे।