हमारा हार्ट जितनी अमाउंट में पंप करता है और आर्टरीज में ब्लड फ्लो के रेजिस्टेंस की मात्रा, दोनों से ब्लड प्रेशर निर्धारित होता है। ऐसा पाया गया है कि हायपरटेंशन जल्दी मृत्यु का भी एक बड़ा कारण है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) के अनुसार अधिकतर एडल्ट्स का नार्मल ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg होता है। इसमें इसके पहले नंबर को सिस्टोलिक प्रेशर के नाम से जाना जाता है, जो आर्टरीज में ब्लड का वो प्रेशर होता है जब हार्ट बीट करता है या शरीर में ब्लड को पुश करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट होता है। दूसरा नंबर डायास्टोलिक प्रेशर है, यह वो बीट्स के बीच का आर्टरीज का प्रेशर है।
अगर किसी का ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg और 139/89 mmHg के बीच में है तो इसे प्रीहायपरटेंशन (Prehypertension) कहा जाता है। इस कंडिशन में ब्लड प्रेशर को सही रखने के लिए अधिक एक्सरसाइज करें और हेल्दी फूड्स का सेवन करें। अगर किसी का ब्लड प्रेशर 140/90 mmHg और 159/99 mmHg है, तो यह स्टेज 1 हायपरटेंशन (Stage 1 Hypertension) और माइल्ड हायपरटेंशन (Mild Hypertension) है और इसमें उपचार की जरूरत होती है। 160/100 mmHg और इससे अधिक ब्लड प्रेशर को स्टेज 2 हायपरटेंशन कहा जाता है। लेकिन, अगर किसी का ब्लड प्रेशर 180/110 mmHg से अधिक है, तो आपको उसे एमरजेंसी केयर की जरूरत हो सकती है।
डॉक्टर यह जानते हैं कि 160/100 mmHg या इससे अधिक ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को सही उपचार देने से उनमें डेथ का रिस्क कम हो सकता है। लेकिन, अभी इस बारे में जानकारी नहीं है कि माइल्ड हायपरटेंशन (Mild Hypertension) यानी स्टेज 1 हायपरटेंशन (Stage 1 Hypertension) से पीड़ित लोगों के लिए भी यह जरूरी है या नहीं? लेकिन, एक ट्रायल यानी मेटा एनालिसिस (Meta-analysis), में ऐसा पाया गया है कि माइल्ड हायपरटेंशन (Mild Hypertension) यानी स्टेज 1 हायपरटेंशन (Stage 1 Hypertension) से पीड़ित लोगों में दवाईयों के इस्तेमाल से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और डेथ का रिस्क कम सकता है। हाय ब्लड प्रेशर प्रीमेच्योर डेथ का सबसे बड़ा रिस्क है।
ब्लड प्रेशर कम करने वाली थेरेपी से ग्रेड 1 हायपरटेंशन वाले रोगियों में स्ट्रोक और मृत्यु को रोकने की संभावना है। ब्लड प्रेशर को कम करने वाली अधिकांश दवाएं तीन क्लासेज में से एक में आती हैं जो इस प्रकार हैं एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (Angiotensin-converting enzyme inhibitors), कैल्शियम-चैनल ब्लॉकर्स (Calcium-channel blockers), या डाययूरेटिक्स (Diuretics)। ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए यह तीन प्रकार की दवाएं अलग-अलग काम करती हैं। स्टडीज में यह भी पाया गया कि रोगी का अपने ब्लड प्रेशर को कम करना, वो किस दवा का उपयोग करता है, इससे अधिक महत्वपूर्ण है। अब जान लेते हैं इसके लक्षणों के बारे में।