अधिकतर भारतीय महिलाओं का रोजमर्रा का जीवन अपने परिवार और नौकरी की जिम्मेदारियों को निभाने में ही निकल जाता है। वे अपनी सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने की काेशिश में लगी रहती हैं। हम यह भी कह सकते हैं कि उन्हें पब्लिक स्टैंडर्ड्स पर खरा उतरना होता है। इन सभी जिम्मदारियों को निभाते-निभाते माहिलाएं अक्सर अपने खानपान को ही अनेदखा कर देती हैं। अपनी उम्र के हिसाब से उन्हें जो पोषण लेना चाहिए, वो नहीं ले पाती हैं। जिसकी वजह से उनका शरीर कमजोर हाेने लगता है और बढ़ती उम्र के साथ कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इसके अलावा ज्यादातर महिलाएं आहार संबंधी विसंगतियों, अनुचित खान-पान, पोषण संबंधी जागरूकता की कमी, खाद्य पदार्थों में मिलावट आदि जैसे कारकों के कारण भी अच्छे पोषण वाली डायट लेने से पीछे रह जाती हैं। वे हेल्दी रहें इसलिए महिलाओं की हेल्दी डायट भी है जरूरी ।
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महिलाओं की हेल्दी डायट के लिए जरूरी हैं ये 8 बातें
1- महिलाएं समझें अपनी डायट को
महिलाओं की आहार संबंधी आवश्यकताएं पुरुषों से भिन्न होती हैं, खासकर जब उनका शरीर वयस्क होता है। यौवन के आगमन के साथ महिलाओं में शारीरिक और हार्मोनल संरचना में परिवर्तन के साथ अलग-अलग पोषण की आवश्यकता होती है। अक्सर यह देखा गया है कि महिलाओं को आमतौर पर पुरुषों की तुलना में कम कैलोरी कंटेंट की आवश्यकता होती है, लेकिन उन्हें आवश्यक खनिज और पोषक तत्वों की अधिकता चाहिए होती है। महिलाओं के हाॅर्मोन पैटर्न में परिवर्तन का अर्थ है महिलाओं को कैल्शियम, लौह तत्व, मैग्नीशियम, विटामिन बी 9, विटामिन डी, आदि जैसे पोषक तत्वों की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। महिलाओं की हेल्दी डायट के लिए ये सभी विटामिन लेना जरूरी है।
2- महिलाएं खुद के खानपान को न करें अनदेखा
महिलाएं आमतौर पर अपने प्रियजनों की जरूरतों को अधिक प्राथमिकता देती हैं और खुद की जरूरतों पर ध्यान नहीं दे पाती हैं, खासतौर पर माताएं। एक मां का ध्यान अपने बच्चों में ही लगा रहता है। जिसकी वजह से अधिकतर भातरीय महिलाओं में आहार संबंधी कमियों की उच्च प्रतिशत देखी गई है। ऐसे मामले भी हैं जहां महिलाएं अपने सपने के फिगर को हासिल करने के लिए कठोर आहारचर्या अपनाती हैं, जो कई बार उनके लिए अस्वास्थ्यकर साबित होता हैं। वैज्ञानिक समुदाय में भी बड़े पैमाने पर महिलाओं की जरूरतों की अनदेखी एक चर्चा का विषय है। इस वजह से ऐसे अध्ययनों का परिणाम अक्सर परिणामात्मक नहीं होता है और कभी-कभी महिलाओं के संबंध में भ्रामक होता है। इन सभी कारकों से महिलाओं की आबादी में पोषण स्तर पर गंभीर गिरावट हो सकती है
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3- उम्र के हिसाब से लें सभी जरूरी पोषण
प्रत्येक महिला की जीवनशैली और मेटाबॉलिज्म के आधार पर अलग-अलग पोषण संबंधी आवश्यकताएं होती हैं। अधिकतर महिलाएं हर उम्र में अपने एक ही डायट से चलती रहती हैं, जोकि सही नहीं है। उम्र के हिसाब से माहिलाओं को अपने खानपान में बदलाव करना चाहिए, क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ उनके अंदर आवश्यक पोषण की जरूरतें भी बदल जाती हैं। यह उल्लेख करना जरूरी है कि महिलाओं को एक या अधिक प्रकार के पूरक पोषाहार के सेवन के जरिये आहार संबंधी कमियों को दूर करने की सलाह दी जाती है। वहीं, संतुलित आहार और जीवन शैली का पालन करना भी बेहद आवश्यक है। प्रोसेस्ड और जंक फूड पर निर्भरता शहरी भारतीय मिलेनियल्स में अल्प पोषण का एक प्रमुख कारण है।
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ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचें
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा अधिक होता है, जो शरीर में कैल्शियम की कमी से होता है। कैल्शियम एक मजबूत और स्वस्थ कंकाल (स्केलेटल) सिस्टम बनाने में शरीर की मदद करता है। कमजोर हड्डियों के अलावा, कैल्शियम की कमी से चिड़चिड़ापन, चिंता, अवसाद और नींद से संबंधित विकार भी हो सकते हैं। इस वजह से पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम (1,000 मिलीग्राम/दिन और 50 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं के लिए 1,200 मिलीग्राम/दिन की सिफारिश की जाती है) के साथ मैग्नीशियम (320 – 400 मिलीग्राम / दिन) और विटामिन डी (600 इंटरनेशनल यूनिट्स) का संयोजन हड्डियों और दांतों की संरचना को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक है। महिलाओं की हेल्दी डायट में कैल्शियम-युक्त ऑर्गेनिक आहार के साथ-साथ कैल्शियम-बेस्ड सप्लीमेंट का सेवन भी करना चाहिए, खासकर 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए।
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महिलाओं की हेल्दी डायट से हाेता है एनीमिया का खतरा कम
शरीर में लौह तत्व (आयरन) की कमी से एनीमिया हो सकता है और रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर नीचे गिर सकता है। त्वचा, बाल और नाखूनों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए शरीर को लौह तत्व की भी आवश्यकता होती है। महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान बहुत अधिक खून की कमी होती है, विशेष रूप से प्रसव की उम्र और स्तनपान के दौरान महिलाओं को पुरुषों की तुलना में दोगुनी मात्रा में लौह तत्व की आवश्यकता होती है। दुर्भाग्य से, अधिकांश महिलाएं आयरन की दैनिक आवश्यकता को पूरा करने में असमर्थ हैं क्योंकि एनीमिया महिलाओं में सबसे अधिक होने वाली बीमारी है। महिलाओं की हेल्दी डायट में आयरन से भरपूर आहार के साथ आयरन सप्लीमेंट का सेवन करना भी जरूरी है।
महिलाओं की हेल्दी डायट में प्रोटीन है जरूरी
भारत में लगभग 70% महिलाएं प्रोटीन की कमी की वजह से हायर बॉडी फैट%, कम मेटाबॉलिज्म और मांसपेशियों के कम द्रव्यमान से जूझ रही हैं। प्रोटीन बालों, त्वचा और नाखूनों का बिल्डिंग ब्लॉक भी है। प्रोटीन की कमी वाले आहार से हड्डियों में फ्रेक्चर होने जोखिम अधिक हो जाता है। चूंकि, प्रोटीन एक महत्वपूर्ण मैक्रोन्यूट्रिएंट है और अधिकांश महिलाओं में इसकी कमी है, प्राकृतिक प्रोटीन को सामान्य आहार में शामिल करने की सिफारिश की जाती है। आपके शरीर के प्रतिकिलो वजन के मुकाबले प्रतिदिन 1-1.2 ग्राम प्रोटीन की सिफारिश की जाती है। इसलिए यदि आप 55 किलो की हैं और आपकी जीवनशैली मध्यम रूप से सक्रिय हैं तो दैनिक आधार पर कम से कम 60 ग्राम प्रोटीन लेना ही चाहिए।
महिलाओं की हेल्दी डायट में प्रोटीन की भी आवश्यक मात्रा बहुत जरूरी है। प्रोटीन का ही एक प्रकार के रूप में पूरक आहार है जिसे कोलेजन कहते हैं। कोलेजन शरीर में रेशेदार प्रोटीन का सबसे प्रचलित रूप है जो शरीर को साथ मिलाकर एक इकाई के रूप में एकजुट रखने को जिम्मेदार है। महिलाओं के लिए कोलेजन की खुराक के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। कोलेजन सेलुलर हेल्थ और सेल डेवलपमेंट को सपोर्ट देकर परफोरेटेड एलिमेंटरी कैनल की मरम्मत में मदद करता है। यह शरीर की नमी कायम रखने और लचीलेपन में वृद्धि के जरिये बालों और नाखूनों के समग्र अपीयरेंस को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। यह जॉइंट मोबिलिटी और हेल्दी इनफ्लैमेटरी रेस्पांस को सपोर्ट करने में भी मदद करता है। यह आर्टरी के फैट को कम कर हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में और सेल्स की मरम्मत में मदद करता है। यह बोन-मिनरल डेंसिटी को बढ़ाकर हड्डी के निर्माण और मरम्मत में भी सहायक होता है और यह महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करता है। महिलाओं की हेल्दी डायट से इस समस्या के होने का खतरा भी कम होता है।
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महिलाओं की हेल्दी डायट में सभी विटामिन भी हैं जरूरी
महिलाओं की हेल्दी डायट में एक और ऐसा महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जिसकी महिलाओं में अक्सर उपेक्षा होती है, खासकर प्रसव काल में, और वह है विटामिन बी9 जिसे फोलिक एसिड भी कहा जाता है। गर्भावस्था के पहले और बाद में निश्चित अंतराल में फोलेट लेने पर शिशु में न्यूरोलॉजिकल जन्म दोष के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। महिलाओं में हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर को रोकने में भी फोलेट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह उन महिलाओं में एस्ट्रोजेन का उत्पादन करने के लिए भी आवश्यक है जो रजोनिवृत्ति के करीब हैं। अमेरिकी एफडीए ने सिफारिश की है कि सभी महिलाएं और किशोरियां जो गर्भवती हो सकती हैं, वे रोजाना 400 एमसीजी (माइक्रोग्राम) फोलेट या फोलिक एसिड का सेवन करें। जो महिलाएं गर्भवती हैं उन्हें 600 एमसीजी लेना चाहिए, और जो स्तनपान करा रही हैं, उन्हें 500 एमसीजी।
महिलाओं की हेल्दी डायट के लिए जरूरी है कि वे अपने दैनिक दिनचर्या के हिस्से के रूप में पूरक आहार को तेजी से अपना रही हैं। बस यह सुनिश्चित करें कि आप प्राकृतिक, स्वच्छ पूरक आहार का चयन करें जो किसी भी कृत्रिम अवयवों से रहित हों और सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करने के लिए हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज करें।
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