परिचय
मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (Myelodysplastic Syndrome) क्या है?
मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (Myelodysplastic Syndrome) एक दुर्लभ समूह है जिसमें आपका शरीर पर्याप्त मात्रा में ब्लड सेल को नहीं बना पाता है, इसे “बोन मैरो विफलता विकार’ (bone marrow failure disorder) भी कहते हैं।
ज्यादातर 65 या उससे अधिक उम्र के लोग इस बीमारी से पीड़ित रहते हैं, हालांकि कम उम्र वालों को भी हो सकता है लेकिन ये बीमारी पुरुषों में बहुत ही आम है और सिंड्रोम एक प्रकार का कैंसर है।
माना की कुछ मामले गंभीर होते हैं, ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति से अलग होता है जो इसके प्रकार पर निर्भर है। MDS के शुरुआती दौर में, आपको कुछ मालूम भी नहीं चलेगा लेकिन आप थका हुआ और सांस की कमी महसूस कर सकते हैं।
वहीं स्टीम सेल ट्रांसप्लांट के अलावा MDS का कोई इलाज नही है। लेकिन इसके लक्षण को नियंत्रित किया जा सकता है जैसे उलझनों को रोकना और कई तरीके है जो जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
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लक्षण
मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम(Myelodysplastic Syndrome) को “प्री-ल्यूकेमिया’ “(pre-leukemia)” या “स्मोक्ड ल्यूकेमिया’ “smoldering leukemia” के नाम से भी जाना जाता है, MDS खून विकारों का एक समूह है जिसके कारण निम्न स्तर हो सकते हैं:
1-रेड ब्लड सेल
2-सफेद ब्लड सेल
स्मोक्ड ल्यूकेमिया या प्री-ल्यूकेमिया के लक्षण अलग-अलग होते हैं, जिसके आधार पर ब्लड सेल के प्रकार प्रभावित होते हैं। MDS से पीड़ित लोग पहले हल्के लक्षणों का अनुभव करते हैं।
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MDS लक्षणों में शामिल हैं:
1-थकान और सांस की तकलीफ– स्मोक्ड ल्यूकेमिया रेड ब्लड सेल के निम्न स्तर का कारण बन सकता है जिसे एनीमिया के रूप में जाना जाता है। रेड ब्लड सेल महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये पूरे शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाती हैं।
एनीमिया के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
1-पीला स्कीन
3-ठंडे हाथ और पैर
4-कमजोरी
6-सिरदर्द
2- चोट या पिन-पॉइंट स्पॉट–
यदि MDS थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (thrombocytopenia) या प्लेटलेट्स के निम्न स्तर से जूझ रहें है तो कुछ स्कीन से संबंधित लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं। प्लेटलेट्स आपके ब्लड का एक महत्वपूर्ण घटक है जिसमें आपको थक्का बनाता है। ब्लड के जमने की वजह से थक्का हुआ महसूस कर सकते हैं जिसमें आपके स्कीन में ब्लिडिंग का कारण बन सकता है, जिसके कारण लाल, भूरे या बैंगनी रंग के धब्बे हो सकते हैं, जिन्हें पुरपुरा (purpura) के नाम से भी जाना जाता है, या लाल या बैंगनी पिनपॉइंट स्पॉट को पेटीचिया (petechia) के नाम से भी जाना जाता है।
ये पिनपॉइंट स्पॉट स्कीन पर फैल सकता है लेकिन खुजली या दर्दनाक नहीं होता हैं, लेकिन ये लाल होता है।
3-ब्लीडिंग
कम प्लेटलेट की वजह से ब्लिडिंग हो सकता है यहां तक की नाक से खून या दांत से खून का अनुभव कर सकते हैं।
4-बार-बार संक्रमण और बुखार
बार-बार संक्रमण और बुखार सफेद ब्लड सेल के निम्न स्तर के कारण हो सकता है, जिसे न्यूट्रोपेनिया (neutropenia) भी कहा जाता है। कम सफेद ब्लड सेल की गिनती को ल्यूकोपेनिया (leukopenia) के नाम से भी जाता है। सफेद ब्लड सेल इम्यून सीसटम (immune system) का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो आपके शरीर को संक्रमण (infection) से लड़ने में मदद करता हैं।
5-हड्डियों का दर्द
जब MDS गंभीर हो जाता है तो हड्डियों में दर्द हो सकता है।
डॉक्टर को कब दिखाएं-
यदि आपको MDS के लक्षण का एहसास होता है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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कारण
मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम के कारण क्या हैं?
एक स्वस्थ व्यक्ति में नया बोन मैरो (Bone marrow) बनता है जो इमेच्योर ब्लड सेल को मेच्योर ब्लड सेल में बदल देता है। और मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (Myelodysplastic syndromes) तब होता है जब इस प्रक्रिया को बाधित करता है ताकि ब्लड सेल मेच्योर न हों।
ब्लड सेल सामान्य रुप से विकसित होने के जगह बोन मैरो या ब्लिडिंग में प्रवेश करने के बाद मर जाता है। स्वस्थ लोगों की तुलना में अधिक इम्च्योर डिफेक्टीव सेल होता है जिसमें दोषपूर्ण सेल होती हैं, जिससे एनीमिया के वजह से थकान, ल्यूकोपेनिया के कारण संक्रमण और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कारण होने वाले ब्लिडिंग जैसी समस्याएं होती हैं।
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कुछ मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (myelodysplastic syndromes) का कोई कारण नहीं होता। दूसरों को कैंसर उपचार जैसे किमोथेरिपी (chemotherapy) और विकिरण (radiation), या जहरीले रसायनों, जैसे तम्बाकू, बेंजीन और कीटनाशकों, या भारी धातुओं जैसे सीसे (Lead) के कारण होता है।
मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम के प्रकार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ब्लड सेल के प्रकार- रेड सेल, सफेद सेल और प्लेटलेट्स के आधार पर मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम को विभाजित किया गया है-
मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम में शामिल हैं:
मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम के साथ डिसप्लेसिया– ये एक ब्लड सेल का प्रकार जो सफेद ब्लड सेल, रेड ब्लड सेल या प्लेटलेट्स की कम संख्या होती है और माइक्रोस्कोप के नीचे असामान्य दिखाई देती है।
मल्टीलाइन माइप्लेसिया के साथ मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम- इस सिंड्रोम में दो या तीन ब्लड सेल के प्रकार असामान्य होते हैं।
रिंग साइडरोबलास्ट्स के साथ मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम- इसमें दो उपप्रकार होते हैं जिसमें एक या एक से अधिक ब्लड सेल की संख्या कम होती है। एक विशेषता यह भी है कि बोन मैरो में मौजूदा रेड ब्लड सेल में लोहे की एक अंगूठी होती है जिसे रिंग सिडरोबलास्ट ( Ring sideroblasts) कहा जाता है।
मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम डेल क्रोमोसोम असामान्यता के साथ जुड़ा हुआ है। इस सिंड्रोम वाले लोगों में रेड ब्लड सेल की संख्या कम होती है, और सेल के DNA में एक विशिष्ट प्रकार का परिवर्तन होता है।
अतिरिक्त धमाकों के साथ मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम– दो प्रकार के सिंड्रोम होते हैं 1 और 2, इन दोनों सिंड्रोमों में, किसी भी तीन प्रकार की ब्लड सेल में जैसे कि रेड ब्लड सेल, सफेद ब्लड सेल या प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं और दुरबीन के नीचे असामान्य दिखाई देता है। इमेच्योर ब्लड सेल खून और बोन मैरो में पाई जाती हैं।
मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम– इसमें तीन प्रकार के ब्लड सेल में एक की संख्या कम होती है या तो सफेद ब्लड सेल या दुरबीन के नीचे असामान्य दिखते हैं।
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मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम के जोखिम
मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (Myelodysplastic Syndrome) के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक हैं:
1-बढ़ती उम्र– मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम वाले अधिकांश लोग 60 से अधिक उम्र वाले होते हैं।
2- कीमोथेरेपी या विकिरण के साथ उपचार– कीमोथेरेपी या विकिरण चिकित्सा में कैंसर का इलाज किया जाता हैं जो मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ा सकती हैं।
3- कुछ रसायनों के संपर्क में रहता है- मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (Myelodysplastic Syndrome) से जुड़े रसायनों में बेंजीन जैसे तंबाकू का धुआं, कीटनाशक और औद्योगिक रसायन शामिल हैं।
4-भारी धातुओं के संपर्क में- मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम से जुड़ी भारी धातुओं में सीसा (lead) और पारा (Murcury) शामिल है।
उपचार
एलोजेनिक ब्लड और मैरो ट्रांसप्लांटेशन (BMT), जिसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट या स्टीम सेल ट्रांसप्लांट के नाम से भी जाना जाता है, MDS के लिए एकमात्र इलाज है। BMT में डोनर ब्लड और बोन मैरो के बाद उच्च-खुराक कीमोथेरेपी दवाओं का उपयोग करना होता है। यह एक खतरनाक प्रक्रिया है जो विशेष रूप से वयस्कों या सभी के लिए उपयुक्त नहीं है।
BMT एक विकल्प नहीं है ये अन्य उपचार लक्षणों को कम कर सकते हैं और तीव्र माइलॉयड ल्यूकेमिया (AML) के विकास में देरी कर सकते हैं। इनमें से हैं:
1-रेड ब्लड सेल और प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने के लिए चिकित्सा
2-संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स का प्रयोग करें। संक्रमण को रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स सबसे अच्छा है।
3- खून से अतिरिक्त आयरन को हटाने के लिए केलेशन थेरेपी (chelation therapy) अच्छा है।
4- बल्ड या सफेद सेल की संख्या बढ़ाने के लिए विकास कारक चिकित्सा की जरुरत होती है।
5- तेजी से बढ़ने वाली सेल की वृद्धि को खत्म करने या रोकने के लिए कीमोथेरेपी सबसे अच्छा है।
6- ट्यूमर-दमन जीन्स (tumor-suppression genes) को उत्तेजित करने के लिए एपिगेनेटिक थेरेपी सबसे अच्छा है।
7- रेड ब्लड सेल के उत्पादन में सुधार करने के लिए जैविक चिकित्सा, क्रोमोसोम 5 की लंबी आर्म (arm) को गायब कर देती है, वहीं 5q माइनस सिंड्रोम से भी जाना जाता है।
8-MDS और AML के लक्षण समान है, MDS वाले लोग AML का विकास करते हैं लेकिन MDS के लिए प्रारंभिक उपचार से AML की शुरुआत में देरी हो सकती है। कैंसर का शुरुआती चरणों में इलाज करना आसान है, इसलिए जितना जल्द हो सके उपचार करना सबसे अच्छा है।
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