कैंसर अपने आप में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या मानी जाती है। कैंसर के कई प्रकार हैं, जो व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। इसमें से एक गंभीर प्रकार है, मुंह का कैंसर, यानी कि ओरल कैंसर। ओरल कैंसर में मुंह के टिशूज में दिक्कतें पैदा होती हैं। यह होठों से शुरू होकर मुंह के अंतिम हिस्से, जिसे टॉन्सिल कहा जाता है, इसे प्रभावित करता है। ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द ट्रीटमेंट लेने की जरूरत पड़ती है। ओरल कैंसर में ऐसे में कई तरह के ट्रीटमेंट हैं, जो डॉक्टर आपको प्रिसक्राइब कर सकते हैं। इसमें से एक ट्रीटमेंट है, ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी। ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी (Targeted drug therapy in oral and oropharyngeal cancer), कई पेशेंट के लिए कारगर साबित हो सकती है। इसलिए इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। लेकिन इस ट्रीटमेंट के बारे में अधिक जानकारी लेने से पहले जान लेते हैं कि ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर क्या है।
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क्या है ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर? (Oral and oropharyngeal cancer)
ओरल कैंसर को ही ओरोफैरिंजीयल कैंसर कहा जाता है, जिसे आम भाषा में मुंह के कैंसर (Oral cancer) से भी जाना जाता है। ओरल कैंसर की स्थिति में मुंह के टिशूज में गड़बड़ी पैदा हो जाती है, जिसकी वजह से मुंह का कैंसर होता है। आमतौर पर ओरल कैंसर, होठों, जीभ, मसूड़े, मुंह की अंदरूनी परत, जबड़े, साइनस और गले में होता है, लेकिन आमतौर पर ओरल कैंसर मुंह, जीभ और होठों पर ही अधिक दिखाई देता है। इस कैंसर के शुरुआती लक्षण जल्दी समझ नहीं आते और जब यह कैंसर गले और लिंफ नोड तक फैल जाता है, तो मुंह में सूजन के साथ इसका पता चलता है। इसलिए इसके लक्षणों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं ओरल कैंसर के लक्षणों के बारे में।
ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर के लक्षण : पहचानिए इस बीमारी की आहट को! (Oral and oropharyngeal cancer Symptoms)
मुंह में होने वाली अन्य तकलीफों की ही तरह ओरल कैंसर (Oral cancer) की शुरुआत होती है, लेकिन इसके कुछ लक्षण अलग हो सकते हैं। इसलिए आपको इन लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत होती है –
- खाने में स्वाद ना आना
- मुंह में लाल या सफेद पैच बनना
- मुंह में सूजन, गांठ या मसूड़ों पर कट का निशान आना
- मुंह से खून आना
- मुंह में दर्द होना
- मुंह में बार-बार घाव होना
- गले में खराश होना
- आवाज में बदलाव होना
- चबाने, निगलने, बोलने और जीभ हिलाने में तकलीफ होना
- कान में दर्द होना
- अचानक वजन कम होना
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यह सभी लक्षण ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर की ओर इशारा करते हैं। ऐसी स्थिति में आपको जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाने की जरूरत होती है। लेकिन ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर के क्या कारण होते हैं, इस बारे में जानकारी होना भी बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं इसके कारणों के बारे में।
ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर के कारण : ध्यान देना है जरूरी! (Oral and oropharyngeal cancer Causes)
ओरल कैंसर (Oral cancer) डीएनए में हुए म्यूटेशन की वजह से कोशिकाओं में बढ़ोतरी के कारण होता है। ऐसी स्थिति में ये बढ़े हुए सेल्स अबनॉर्मल सेल्स या कैंसेरियस सेल्स की तरह माने जाते हैं। यह सेल्स एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं और धीरे-धीरे ट्यूमर का रूप ले लेते हैं। इस कारण व्यक्ति ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर की गिरफ्त में चला जाता है।
ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर के रिस्क फ़ैक्टर्स (Oral and oropharyngeal cancer risk factors)
जिस तरह जेनेटिक म्यूटेशन (Genetic mutation) की वजह से ओरल कैंसर होता है, उसी तरह इसके कई रिस्क फैक्टर भी मौजूद हैं। जो इस तरह है –
- तंबाकू का सेवन
- एल्कोहॉल का सेवन
- एचआईवी इनफेक्शन
- ज्यादा देर तक सूरज की रोशनी में रहना
- ओरल कैंसर की हिस्ट्री
यह सभी ओरल कैंसर के लिए रिस्क फैक्टर के तौर पर काम करते हैं। इसलिए ओरल कैंसर से जुड़ी इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। यह तो थी ओरल कैंसर के बारे में जानकारी, लेकिन अब बात करते हैं ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी (Targeted drug therapy in oral and oropharyngeal cancer) के बारे में।
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ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी : एक कारगर उपाय (Targeted drug therapy in oral and oropharyngeal cancer)
ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी कई लोगों के लिए बड़ी फायदेमंद साबित होती है। इसमें कई बार डॉक्टर टारगेटेड थेरेपी को कीमोथेरेपी के साथ जोड़कर ट्रीटमेंट देते हैं, वहीं ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी अकेले भी दी जाती है। इस थेरेपी की मदद से कैंसेरियस ट्यूमर को श्रिंक या सिकोड़ने में मदद मिलती है। ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी (Targeted drug therapy in oral and oropharyngeal cancer) के दौरान ट्यूमर पर दवाइयों से अटैक किया जाता है। कई लोगों को ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी इसलिए दी जाती है, क्योंकि वह कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स को झेल नहीं पाते। ऐसी स्थिति में टारगेटेड ड्रग का इस्तेमाल ओरल कैंसर के ट्रीटमेंट के तौर पर किया जाता है। आइए अब जानते हैं इन खास ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी के दौरान दी जाने वाली दवाओं के बारे में।
ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी : सेटिक्सिमौब (Cetuximab)
सेटिक्सिमौब, आमतौर पर ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी (Targeted drug therapy in oral and oropharyngeal cancer) में इस्तेमाल किया जाता है। इस ड्रग में एरबिटिक्स (ERBITIX) नामक दवा उपलब्ध है। यह ओरल कैंसर के असर को कम करने में मददगार साबित होता है। यह एक तरह के प्रोटीन, जिसे एपिडरमल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर के नाम से जाना जाता है, इस पर अटैक करता है। यह प्रोटीन ओरल कैंसर ट्यूमर में मौजूद होता है, जो कैंसर सेल्स को बढ़ने में मदद करता है। सेटिक्सिमौब (Cetuximab) इस प्रोटीन के काम को रोकता है और कैंसेरियस ट्यूमर को सिकोड़ता या श्रिंक करता है। यह मेडिकेशन इंट्रावेनस इन्फ्यूजन (आईवी) के द्वारा दिया जाता है। ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी के दौरान सेटिक्सिमौब (Cetuximab) का उपयोग आमतौर पर किया जाता है।
ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी : गेफीटिनिब (Gefitinib)
गेफीटिनिब (Gefitinib) भी ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी के दौरान दी जाने वाली एक चर्चित दवा है। इस ड्रग में जेफीटिनिबिस इरेसा (GEFITINIBIS IRESSA) नामक दवा उपलब्ध है। यह दवा उस स्थिति में दी जाती है, जब कैंसेरियस सेल्स, ट्यूमर के आसपास के हिस्सों को भी अपना शिकार बना लेते हैं। जिससे ट्यूमर के आसपास के टिशूज कैंसर से ग्रसित हो जाते हैं। गेफीटिनिब कैंसर ट्यूमर में मौजूद प्रोटीन को ब्लॉक करके इसे फैलने से रोकता है। यह दवा टेबलेट के तौर पर दी जाती है, जिसे एक गिलास पानी के साथ निगलना होता है। ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी (Targeted drug therapy in oral and oropharyngeal cancer) के दौरान गेफीटिनिब (Gefitinib) का इस्तेमाल सामान्य तौर पर किया जाता है। इससे मरीज को तकलीफ में राहत भी मिलती है और कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स से वह बचा रहता है।
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ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी एक कारगर थेरेपी साबित होती है, इसलिए मरीज की जरूरत के अनुसार ओरल कैंसर के इलाज में इस टारगेटेड ड्रग थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। ओरल और ओरोफैरिंजीयल कैंसर में टारगेटेड ड्रग थेरेपी (Targeted drug therapy in oral and oropharyngeal cancer) के अलावा कुछ अन्य थैरेपीज भी हैं, जो मुंह के कैंसर की स्थिति में कारगर साबित होती हैं, इन थैरेपीज में –
- रेडियोथैरेपी (Radiotherapy) – इससे ट्यूमर सेल्स को नष्ट किया जाता है
- कीमोथेरेपी (Chemotherapy) – ड्रग्स के माध्यम से ट्यूमर का इलाज
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इन थेरेपी का इस्तेमाल होता है। जब भी बात होती है कैंसर से जुड़े ट्रीटमेंट की, तो कहा जाता है कि कैंसर का इलाज जितना जल्दी शुरू किया जाए, उतना जल्दी व्यक्ति को इससे बाहर निकलने में मदद मिलती है। ओरल कैंसर के दौरान मुंह में हो रहे बदलाव पर ध्यान देकर इसे सही समय पर डायग्नोज किया जा सकता है, इसलिए मुंह के कैंसर (Oral cancer) से जुड़ी हुई किसी भी प्रकार की दुविधा होने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द मिलना बेहद जरूरी है।