कैंसर रेमिशन यानी कैंसर की वह स्टेज जब कैंसर के लक्षण नजर नहीं आते। ब्लड रिलेटेड कैंसर जैसे कि ल्यूकेमिया (lukemia) में कैंसर रेमिशन का मतलब कैंसर कोशिकाओं की संख्या में कमी आना वहीं ट्यूमर्स (tumors) में रेमिशन का मतलब ट्यूमर के साइज में कमी से है। कैंसर रेमिशन तीन प्रकार (types of cancer remission) का होता हैं। पार्शियल (Partial) रेमिशन में 50 प्रतिशत तक ट्यूमर के साइज और कैंसर कोशिकाओं में कमी आ जाती है। वहीं कंप्लीट (complete) रेमिशन में कैंसर के सभी लक्षण चले जाते हैं। जब कैंसर थेरिपी के बिना कैंसर रेमिशन स्टेज में चला जाता है तो उसे स्पोटेनियस (Spontaneous) कहा जाता है। ऐसा फीवर, इंफेक्शन के बाद होता है, जो कि बेहद रेयर है। कैंसर रेमिशन का मतलब यह नहीं होता कि आप पूरी तरह से कैंसर पूरी तरह ठीक हो चुका है। यहां तक कि कंप्लीट रेमिशन में भी बॉडी में कुछ कैंसर सेल्स रह जाती हैं जो फिर से विकसित हो सकती हैं।
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कैंसर रेमिशन का पता कैसे चलता है?
कैंसर रेमिशन (Cancer remission) के बारे में ब्लड टेस्ट (blood tests), इमेजिंग टेस्ट ( imaging tests) और बायोप्सी (biopsy) के जरिए पता चलता है। ये टेस्ट कैंसर के प्रकार पर आधारित होते हैं। ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर मरीज को ध्यानपूर्वक मॉनिटर करते हैं जिससे उन्हें कैंसर के लक्षण कम होने के बारे में पता चलता है।
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रेमिशन और क्योर के बीच के अंतर को समझें (Difference Between Cure and Remission)
क्योर का मतलब होता है कि ट्रीटमेंट के बाद कैंसर पूरी तरह ठीक हो चुका है और वापस नहीं आएगा। वहीं रेमिशन यानी कि कैंसर के लक्षणों (symptoms of cancer) में कमी आई है। ये कमी पूरी तरह या आंशिक रूप से हो सकती है। अगर लक्षणों में कमी 5 साल या इससे ज्यादा समय के लिए होती है तो डॉक्टर आपको क्योर्ड घोषित कर सकते हैं। इसके बाद भी बॉडी में कुछ कैंसर सेल्स रह सकती हैं जो बाद में कैंसर का कारण बन सकती हैं। ज्यादातर समय कैंसर ट्रीटमेंट के बाद 5 साल के अंदर रिर्टन होता है, लेकिन इसके बाद भी इसके वापस आने के चांजेस रहते हैं। इसी कारण डॉक्टर आपसे ऐसा नहीं कहते कि आप पूरी तरह क्योर हो चुके हैं। वे कहते हैं कि इस समय आपके अंदर कैंसर के कोई लक्षण नहीं हैं। कैंसर वापस आने के आशंका के चलते डॉक्टर आपको कई सालों तक मॉनिटर करते हैं और समय समय पर कुछ टेस्ट करवाते रहते हैं ताकि कैंसर के लक्षणों के बारे में पता चल सके। इसके साथ ही वे कैंसर ट्रीटमेंट्स (cancer treatments) से होने वाले लेट साइड इफेक्ट्स पर भी नजर रखते हैं।
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कैंसर रेमिशन के दौरान ट्रीटमेंट क्यों जरूरी होता है? (Why you may need treatment while in remission?)
रेमिशन के दौरान भी बॉडी में कैंसर कोशिकाएं (cancer cells) होती हैं। इसलिए इस दौरान भी ट्रीटमेंट की जरूरत हो सकती है। ट्रीटमेंट से बची हुई कैंसर सेल्स के दोबारा विकसित होने की आशंका कम रहती है। डॉक्टर इस बात पर भी नजर रखते हैं कि कैंसर फिर से एक्टिव तो नहीं हो रहा। कैंसर रेमिशन के दौरान जो सबसे कॉमन ट्रीटमेंट दिया जाता है वो मेंटेनेंस कीमोथेरिपी (Maintenance chemotherapy) है। कीमो (chemo) थेरिपी कैंसर को फैलने से रोकने के लिए नियमित रूप से दी जाती है। मेंटेनेंस थेरिपी के दौरान आपको ज्यादा परेशानी नहीं होती। अगर मरीज को ऐसा लगता है कि इससे उसे साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ रहा है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वे थेरिपी को कुछ समय के लिए बंद कर सकते हैं। मेंटेनेंस थेरिपी कुछ समय बाद उतनी असरकारक नहीं रह जाती। ऐसे केस में डॉक्टर इस थेरिपी को बंद कर देते हैं ताकि कैंसर कीमो के प्रति रेजिस्टेंट (resistant ) ना हो जाएं।
कुछ लोगों में कैंसर रेमिशन (Cancer remission) का फेज जीवनभर रह सकता है वहीं कुछ लोगों में कैंसर वापस आ जाता है जिसे रिकरेंस (recurrence) कहते हैं। कैंसर रिकरेंस कई चीजों पर निर्भर करता है। जिसमें आपको किस प्रकार का कैंसर था, किस स्टेज पर कैंसर का पता चला और आपकी ओवरऑल हेल्थ आदि शामिल हैं। ट्रीटमेंट के दौरान ऐसा निश्चिता के साथ नहीं कहा जा सकता है कि आपका कैंसर वापस आएगा। जिन कैंसर का आखिरी स्टेज में (last stage of cancer) पता चलता है और जो कैंसर लिम्फ नोड (Lymph node) तक विकसित होते हैं वे सामान्यत: वापस आ जाते हैं। कैंसर रिकरेंस तीन प्रकार का होता है। जो निम्न हैं।
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लोकल रिकरेंस (Local recurrence)
इसमें कैंसर उसी जगह पर वापस आता है जहां पर यह पहले पाया गया था या उस जगह के बहुत करीब होता है। ये कैंसर लिम्फ नोड और बॉडी के दूसरे अंगों में नहीं फैला होता है।
रीजनल रिकरेंस (Regional recurrence)
इसमें कैंसर लिम्फ नोड्स या ओरिजनल केंसर के आसपास के टिशूज में रिकर होता है।
डिस्टेंट (Distant recurrence)
इसमें कैंसर बॉडी के किसी भी भाग में वापस आ सकता है।
क्या कैंसर रिकरेंस का उपचार किया जा सकता है? (Can cancer recurrences be treated?)
कई स्थितियों में लोकल और रीजनल रिकरेंस को ठीक किया जा सकता है। यहां तक कि अगर इसका पूरी तरह इलाज संभव ना हो भी ट्रीटमेंट कैंसर को शिरिंक कर सकता है या ग्रोथ को कम कर सकता है। यह पेन को कम करने के साथ ही दूसरे लक्षणों को भी कम कर सकता है। यह सर्वाइवल रेट भी बढ़ा सकता है। मरीज का ट्रीटमेंट उन्हीं फैक्टर्स पर आधारित होगा जिनके आधार पर पहली बार ट्रीटमेंट शुरू किया गया था। डॉक्टर इस आधार पर भी निर्णय लेंगे कि पहले पेशेंट को ट्रीटमेंट्स से क्या साइड इफेक्ट्स हुए थे और बॉडी ने ट्रीटमेंट के प्रति कैसे रिस्पॉन्ड किया था।
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मरीज को क्लिनिकल ट्रायल के लिए भी बुलाया जा सकता है। जहां लेटेस्ट ट्रीटमेंट और एक्सपेरिमेंटल मेडिकेशन की भी मदद ली जा सकती है। इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। आपको किस प्रकार का कैंसर है इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। रिकरेंस का जल्दी पता चलना जरूरी है। अगर इसके बारे में जल्दी पता चल जाता है तो लोकल रिकरेंस का इलाज हो सकता है। डिस्टेंड रिकरेंस के इलाज की भी संभावना होती है, लेकिन अर्ली डिटेक्शन इसको आगे फैलना से रोक सकता है।
कैंसर रेमिशन के दौरान हेल्दी रहने के तरीके
स्वस्थ रहकर रिकरेंस या सेकेंड कैंसर (second cancer) के रिस्क को कम किया जा सकता है। इसके लिए निम्न आदतों को अपनाएं।
- हेल्दी वेट (healthy weight) को मेंटेन रखें
- हेल्दी डायट (healthy diet) को चुनें। जिसमें फल, सब्जियां और साबुत अनाज को शामिल करें
- जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके उतना फिजिकली एक्टिव रहें
- अगर आप स्मोक करते हैं तो स्मोकिंग पूरी तरह छोड़ दें (quit smoking)
- एल्कोहॉल का सेवन भी बंद कर दें। अगर पीना ही चाहते हैं तो मॉडरेशन में पिएं यानी महिलाओं के लिए एक ड्रिंक और पुरुषों के लिए दो ड्रिंक्स काफी हैं।
- अपनी मेंटल हेल्थ का ध्यान रखें। चाहें तो उन चीजों को अपनी हॉबी बना लें जिन्हें आप एंजॉय करते हैं या कैंसर सपोर्ट ग्रुप (cancer support group) ज्वॉइन कर लें।
एक बाद याद रखें कि कैंसर रेमिशन (Cancer remission) का मतलब यह नहीं है कि आपका कैंसर जा चुका है या पूरी तरह ठीक हो चुका है, लेकिन रेमिशन एक जरूरी माइलस्टोन है। कुछ कैसेज में कैंसर रेमिशन के बाद कभी वापस नहीं आता तो कुछ वापस आ सकता है। अगर आप रेमिशन स्टेज में भी हैं तो डॉक्टर के निर्देशों का पूरी तरह पालन करें और कैंसर के लक्षणों पर पूरी तरह नजर रखें।
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