वेट और कैंसर रिस्क (Weight and Cancer Risk) का भी संबंध हो सकता है। कहा जाता है कि शरीर के लिए कम वजन या फिर ज्यादा वजन दोनों ही ठीक नहीं होते हैं। अगर आपका शरीर फिट है, तो इसका मतलब यह है कि ना तो आपका वजन ज्यादा है और ना ही कम। आजकल का खानपान ऐसा हो गया है कि लोगों का वेट अचानक से बढ़ जाता है। एक्सरसाइज ना करने से और खराब लाइफ स्टाइल अपनाने से वेट तेजी से बढ़ता है।
बढ़ा हुआ वेट कैंसर के रिस्क को बढ़ाने का काम करता है। अगर आपको पहले भी कैंसर की समस्या हो चुकी है और ठीक होने के बाद आपका वजन तेजी से बढ़ रहा है, तो यह कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकता है। कैंसर की बीमारी सही समय पर डायग्नोज न हो पाने पर मृत्यु भी हो सकती है। अगर कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए, तो कैंसर की बीमारी से दूर रहा जा सकता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको वेट और कैंसर रिस्क ( Weight and Cancer Risk) के बारे में जानकारी देंगे। आइए पहले जानते हैं कैंसर क्या होता है?
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कैंसर क्या है (What is cancer?)
हमारा शरीर कोशिकाओं यानी सेल्स से मिलकर बना है। यह कोशिकाएं वृद्धि करती हैं और शरीर की विभिन्न क्रियाओं में भाग लेते हैं। जब कोशिकाएं किसी कारण से डैमेज हो जाती है, तो उसके स्थान पर नई कोशिकाओं का जन्म होता है। यह प्रोसेस चलता रहता है यानी कि पुरानी कोशिकाओं का नष्ट होना और नई सेल्स का बनना साधारण बात है। लेकिन जब किन्हीं कारणों से कोशिकाओं में तेजी से वृद्धि होती है और यह अनियंत्रित हो जाती है, तो यही कैंसर की बीमारी का कारण बनती है। कैंसर की बीमारी में कोशिकाओं में तेजी से वृद्धि होती है और सर ट्यूमर का निर्माण होता है। यह ट्यूमर शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैलने लगता है।
अगर कैंसर की शुरुआती स्टेज में इसे डायग्नोज कर लिया जाए, तो इस बीमारी को रोका जा सकता है। शुरुआती समय में इस बीमारी का ट्रीटमेंट किया जा सकता है। कई केसेज में कैंसर के लक्षणों के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है, जिसके कारण कैंसर आखिरी स्टेज में पहुंच जाता है। ऐसी अवस्था में पेशेंट का इलाज करना मुश्किल हो जाता है। इस कारण से पेशेंट की मृत्यु हो जाती है। अगर कैंसर को सही समय पर डायग्नोज कर लिया जाए और साथ ही कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो कैंसर के साथ लाइफ बिताई जा सकती है। जानिए वेट और कैंसर रिस्क (Weight and Cancer Risk) का क्या है संबंध?
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वेट और कैंसर रिस्क (Weight and Cancer Risk)
वेट और कैंसर रिस्क (Weight and Cancer Risk) एक-दूसरे से संबंधित हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि अधिक वजन होने या मोटापा होने से 13 प्रकार के कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। कैंसर के रिस्क को कम करने के लिए एक नहीं बल्कि कई बातों पर ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। अगर तंबाकू का सेवन बंद कर दिया जाए और साथ ही वेट कंट्रोल में रखा जाए, तो काफी हद तक कैंसर की बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है। अगर आपकी बीएमआई 25 से 29 है, तो आपका वेट अधिक है। अगर किसी व्यक्ति की बीएमआई 30 से अधिक है, तो वह मोटापे का शिकार हो चुका है। मोटापे से कई प्रकार के कैंसर के रिस्क बढ़ने की संभावना होती है। इसमें कुछ कैंसर जैसे कि,
- स्तन कैंसर (Breast Cancer)।
- मलाशय कैंसर।
- गर्भाशय का कैंसर।
- पित्ताशय का कैंसर।
- अपर स्टमक।
- गुर्दे का कैंसर।
- लिवर का कैंसर।
- अंडाशय का कैंसर।
- अग्न्याशय का कैंसर।
- थायरॉइड का कैंसर।
- मेनिंगियोमा।
- मायलोमा।
जैसे कि हमने आपको पहले भी बताया कि वेट के अधिक होने से या फिर मोटापा होने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है लेकिन यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि जो लोग मोटे हैं या फिर जिनका वजन अधिक है उन्हें कैंसर जरूर हो। कैंसर की समस्या के लिए अन्य रिस्क फैक्टर्स भी काम करते हैं। कुछ रिस्क फैक्टर्स जैसे कि हॉर्मोनल लेवल में बदलाव होना, जीन म्यूटेशन, लंबे समय से कोई इंफेक्शन, तंबाकू या शराब का सेवन करना आदि कैंसर के खतरे को बढ़ाने का काम करते हैं।
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बढ़े हुए वजन और कैंसर रिस्क कैसे हैं एक-दूसरे से संबंधित?
वेट और कैंसर रिस्क (Weight and Cancer Risk) के संबंध में कई शोध हो चुके हैं। ये शोध वेट बढ़ने से कैंसर के रिस्क के बारे में जानकारी देते हैं।
- अधिक वजन आपके हॉर्मोन इंसुलिन और इंसुलिन ग्रोथ फैक्टर -1 (IGF-1) के स्तर को बढ़ाता है। इस हॉर्मोन की बहुत अधिक मात्रा कुछ कैंसर को विकसित करने में मदद कर सकती है।
- फैट टिशू भी एस्ट्रोजन हॉर्मोन (Estrogen hormone) का अधिक उत्पादन करते हैं। एस्ट्रोजन हॉर्मोन स्तन कैंसर (Breast cancer) जैसे कुछ कैंसर को डेवलप करने में मदद कर सकता है।
- मोटे लोगों में हल्की सूजन की संभावना बनी रहती है। यह सूजन कैंसर से जुड़ी हुई हो सकती है।
- फैट सेल्स आपके शरीर की कैंसर कोशिका वृद्धि को नियंत्रित करने के तरीके को प्रभावित कर सकते हैं।
- जन्म के समय अधिकांश शिशुओं से अधिक वजन होना, एक वयस्क के रूप में वजन बढ़ाना, वजन कम करना और इसे बार-बार बढ़ाना आदि कैंसर के रिस्क फैक्टर को बढ़ाने का काम करते हैं।
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वेट और कैंसर रिस्क: कमर की माप पर भी दें ध्यान!
कैंसर की बीमारी को संतुलित आहार खाने से, वजन को ना बढ़ने देने से, तंबाकू का सेवन ना करके आदि बातों का ध्यान रखकर आप कैंसर जैसी बीमारी से बच सकते हैं। अगर आपको एक बार कैंसर हो चुका है, तो बेहतर होगा कि अपने वेट पर ध्यान दे और उसे मेंटेन रखें क्योंकि कैंसर दोबारा भी हो सकता है। कुछ बातों का ध्यान रख आप कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से दूर रह सकते हैं।
एक स्वस्थ बीएमआई आमतौर पर 18.5 और 24.9 के बीच होता है। 25 और 29.5 के बीच बीएमआई को अधिक वजन माना जाता है। 30 या उससे अधिक के बीएमआई को मोटा माना जाता है। अगर आप बीएमआई के बारे में नहीं जानते हैं, तो डॉक्टर से इस बारे में जानकारी प्राप्त करें। रिसर्च से ये जानकारी मिलती है कि बड़ी कमर की माप वाले लोगों में हार्ट डिजीज और कैंसर सहित कुछ बीमारियों का खतरा अधिक होता है। पुरुषों के लिए एक कमर का माप 40 इंच (101.6 सेमी) से कम और महिलाओं के लिए 35 इंच (88.9 सेमी) से कम मानी जाती है। अगर आपकी कमर की माप ज्यादा है, तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है।
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इस आर्टिकल में हमने आपको वेट और कैंसर रिस्क (Weight and Cancer Risk) लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।