डायइंडोएलमीथेन (DIM) एक कंपाउंड है यह तब क्रिएट होता है जब हम क्रूसीफेरस (cruciferous) वेजिटेबल्स को डायजेस्ट करते हैं। जिनमें ब्रोकली और फूल गोभी, पत्ता गोभी और ब्रसल्स स्प्राउट्स (जेमीफेरा ग्रुप ऑफ कैबेज का सदस्य) शामिल हैं। रिसर्चेस में दावा किया गया है कि डीआईएम यानी कि डायइंडोएलमीथेन बॉडी में एस्ट्रोजन हॉर्मोन के लेवल को प्रभावित करता है। इसके परिणामस्वरूप डायइंडोएलमीथेन सप्लिमेंट्स कुछ बीमारियों के उपचार के लिए पॉपुलर हुए हैं। जिनमें हॉर्मोन रिलेटेड कंडिशन्स, मुंहासे, मेनोपॉज के लक्षण, प्रोस्टेट से जुड़ी परेशानियां और कुछ प्रकार के कैंसर का इलाज शामिल है। हालांकि, ये कितना कारगर है इसको लेकर अच्छे साइंटिफिक एविडेंस मौजूद नहीं हैं। चलिए अब इन सप्लिमेंट्स के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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डायइंडोएलमीथेन सप्लिमेंट्स (डीआईएम सप्लिमेंट्स) क्या हैं और ये कैसे काम करते हैं?
जब आप क्रूसीफेरस (cruciferous) सब्जियां खाते हैं तो आपके स्टमक का एसिड एक कपाउंड जिसे इनडोल-3 कार्बिनॉल कहते हैं में ब्रेकडाउन होता है और एक नए कंपाउंड को प्रोड्यूस करता है जिसे डायइंडोएलमीथेन कहा जाता है। डायइंडोएलमीथेन कैंसर सेल्स को खत्म करने और स्वेलिंग को कम करने के लिए भी जाना जाता है। डीआईएम सप्लिमेंट्स (DIM Supplements) एस्ट्रोजन के लाभदायक फॉर्म को स्टिमुलेट कर सकते हैं जिसे 2-हायड्रॉक्सीइस्ट्रॉन कहते हैं। इसके साथ ही यह स्ट्रॉन्ग फॉर्म जिसे 16 अल्फा- हायड्रॉक्सीइस्ट्रॉन कहते हैं के प्रभाव को कम करते हैं जो कि वेट गेन और कुछ प्रकार के कैंसर के रिस्क को बढ़ाते हैं। जैसे कि ब्रेस्ट और यूटराइन कैंसर।
- इसके अलावा डीआईएम सप्लिमेंट्स (DIM Supplements) को एरोमाटेज नामक एंजाइम को बाधित करते हैं, जो टेस्टोस्टेरोन को एस्ट्रोजन में परिवर्तित करता है।
- जो लोग किसी विशेष कंडिशन जैसे कि मुंहासे या प्रोस्टेट ईशूज के लिए डीआईएम सप्लिमेंट्स (DIM Supplements) का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए अपने डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करना चाहिए। वैसे तो क्रूसीफेरस वेजिटेबल्स इसका प्राइमरी फूड सोर्स हैं, लेकिन इसके लिए आपको इन सब्जियों को प्रतिदिन कई सर्विंग्स में लेना होगा ताकि इस कंपाउंड के बेहतर फायदे मिल सकें।
- दिलचस्प रूप से कई स्टडीज में क्रूसीफेरस सब्जियों के इंटेक से कुछ प्रकार के कैंसर के रिस्क में कमी के लिंक मिले हैं। जिनमें ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेंट कैंसर शामिल हैं। हालांकि इसके पीछे क्या मैकेनिज्म काम करता है इसके बारे में कुछ पता नहीं चला है।
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डायइंडोएलमीथेन सप्लिमेंट्स के फायदे
ब्रेस्ट कैंसर
कुछ लेबोरेट्री स्टडीज के अनुसार डायइंडोएलमीथेन ब्रेस्ट कैंसर सेल्स की ग्रोथ को कम करता है। इस बारे में कुछ क्लिनिकल स्टडीज भी हैं। 2004 में न्यूट्रिशन एंड कैंसर में पब्लिश हुई पायलट स्टडीज में रिसर्चर्स ने पाया कि डायइंडोएलमीथेन सप्लिमेंट्स एस्ट्रोजन के मेटाबॉलजिल्म में परिवर्तन करते हैं। इस स्टडी में मेनोपॉज होने के बाद 19 महिलाओं को शामिल किया गया था जो ब्रेस्ट कैंसर की अर्ली स्टेज पर थीं।
फेमिलियल कैंसर में पब्लिश 2015 के एक अध्ययन में बीआरसीए 1 म्यूटेशन के साथ पंद्रह महिलाओं में चार से छह सप्ताह के लिए 300 मिलीग्राम प्रति दिन डायइंडोएलमीथेन का उपयोग किया गया। सप्लिमेंटेशन के बाद यूरिनरी एस्ट्रोजन रेशियो (ब्रेस्ट कैंसर के विकास के विपरीत एक बायोमार्कर) में महत्वपूर्ण रूप से बदलाव नहीं हुआ।
प्रोस्टेट से जुड़ी परेशानियों में लाभदायक है डायइंडोएलमीथेन सप्लिमेंट्स
डीआईएम सप्लिमेंट्स प्रोस्टेट इंलार्जमेंट और प्रोस्टेट कैंसर से बचाने में मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं यह PIN यानी प्रोस्टेटिक इंट्रापीथेलियल नियोप्लासिया (Prostatic intraepithelial Neoplasia) से सामना करने में मदद कर सकते हैं। यह एक कंडिशन है जिसमें प्रोस्टेट की सेल्स ग्रोथ होती हैं जिसे प्रोस्टेट कैंसर का कारण माना जाता है।
एक 12 महीने की स्टडी जिसमें 21 पुरुषों को शामिल किया गया था जिन्हें हाई ग्रेड पीआईएन थी। उन्हें एक प्लेसीबो (Placebo) या फिर हर दिन 900 एमजी डीआईएम दिया गया। जिन लोगों को डीआईएम (DIM) दिया गया उनकी प्रोस्टेट हेल्थ में सुधार देखा गया साथ ही पीआईएन में भी सुधार नजर आया।
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सर्वाइकल कैंसर
कुछ डेटा के अनुसार डायइंडोएलमीथेन सप्लिमेंट्स का उपयोग सर्वाइकल कैंसर के विकास को कम कर सकता है। चूहों पर किए अध्ययन में भी इस बात के सबूत मिले थे कि डीआईएम (DIM) सर्वाइकल कैंसर को रोकने में मदद करता है। हालांकि 551 महिलाएं जो सर्वाइकल एब्नार्मेलिटीज से ग्रसित पर 6 महीने किए गए अध्ययनों में ये बात सामने आई कि उन्हें रोज 150 एमजी डीआईएम सप्लिमेंट्स देने पर भी सर्वाइकल सेल में कोई परिवर्तन नहीं आया। डायइंडोएलमीथेन सप्लिमेंट्स सवाईकल सेल चेंजेज और एचपीवी (HPV) की उपस्थिति में प्रभाव दिखाने में असफल साबित हुए।
दूसरे कैंसर में भी उपयोगी?
इसके अलावा कुछ टेस्ट ट्यूब और एनिमल स्टडीज ऐसा इशारा करती हैं कि डीआईएम (DIM) ओवेरियन कैंसर और कोलोन कैंसर से सुरक्षा प्रदान करते हैं। हालांकि, इसके लिए ह्यूमन स्टडीज की जरूरत है। इस पर हुई कम रिसर्च के चलते यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि डायइंडोएलमीथेन इन कैंसर्स से लड़ने में मदद कर सकता है। इसलिए किसी भी बीमारी के लिए डीआईएम सप्लिमेंट्स का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें।
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वजन कम करने में सहायक
एस्ट्रोजन हॉमोर्न फैट को इकठ्ठा होने की प्रक्रिया को रेगुलेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डीआईएम सप्लिमेंट्स वजन कम करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि कोई ह्यूमन रिसर्च इस तथ्य का समर्थन नहीं करती। साथ ही कुछ स्टडीज एस्ट्रोजन के असंतुलन को महिलाओं और पुरुषों में वजन के बढ़ने से लिंक करती हैं। चाहे इसका लेवल बहुत कम हो या बहुत ज्यादा। चूहों पर की गई एक स्टडी में जिसमें चूहों को हाय फैट डायट पर रखा गया था में चूहों को एक किलोग्राम पर 50 एमजी डायइंडोएलमीथेन दिया गया तो उनमें न्यू फैट सेल्स का फॉर्मेशन बंद हो गया। हालांकि इसके लिए ह्यूमन स्टडीज की जरूरत है। बिना डॉक्टर की सलाह के वेट लॉस के लिए DIM Supplements का उपयोग न करें।
डीआईएम सप्लिमेंट्स के अन्य उपयोग:
- डीआईएम सप्लिमेंट्स ( DIM Supplements) हॉर्मोनल एक्ने से लड़ने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, अभी कोई भी रिसर्च इसके उपयोग का सपोर्ट नहीं करती।
- मेनोपॉज के दौरान होने वाले हॉर्मोनल चेंजेस की वजह से होने वाले हॉट फ्लैशेज की समस्या होती है। जबकि डीआईएम सप्लिमेंट्स हॉट फ्लैशेज को कम करते हैं, लेकिन इनके प्रभाव को किसी रिसर्च ने सपोर्ट नहीं किया है।
- पीएमएस सिम्पटम्स (PMS Symptoms)- प्री मेंस्ट्रुएल सिंड्रोम में कई प्रकार के लक्षण और संकेत नजर आते हैं। जिसमें मूड स्विंग, ब्रेस्ट में पेन, फूड क्रेविंग, थकान, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन शामिल है। ऐसा माना जाता है एस्ट्रोजन हॉर्मोन के लेवल में बदलाव के कारण पीएमएस सिम्पटम नजर आते हैं। कुछ लोग इन लक्षणों को कम करने के लिए डीआईएम सप्लिमेंट्स का उपयोग करते हैं, लेकिन रिसर्च इनकी प्रभावशीलता की पुष्टि नहीं करती।
- पुरुषों में एस्ट्रोजन के हाई लेवल के कारण ब्रेस्ट ग्रोथ, इरेक्टाइल डिसफंक्शन और इनफर्टिलिटी की समस्या होती है। इस समस्याओं के लिए डीआईएम सप्लिमेंट्स प्रभावकारी हो सकते हैं, लेकिन अब तक ह्यूमन पर इनके प्रभाव को लेकर स्टडी नहीं की गई है।
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डीआईएम सप्लिमेंट्स के साइड-इफेक्ट्स और इससे जुड़ी सावधानियां
मनुष्यों पर इसको लेकर हुईं कम रिसर्चेस की वजह से इसके साइड इफेक्ट्स के बारे में कम जानकारियां उपलब्ध हैं। जो थोड़ी बहुत जानकारियां उपलब्ध हैं उनके अनुसार डायइंडोएलमीथेन को जब फूड्स के रूप में लिया जाता है तो यह सेफ है। डायट में 2-24 एमजी डायइंडोएलमीथेन कंज्यूम किया जा सकता है। उन लोगों के लिए डीआईएम सप्लिमेंट्स संभवत: सुरक्षित है जब इन्हें मेडिसिनल पर्पज के लिए यूज किया जाता है। इसके साइड इफेक्ट्स निम्न हैं।
- इसके सबसे कॉमन साइड इफेक्ट्स सिर में दर्द, उल्टी, गैस, डार्क कलर की यूरिन और डायरिया है। अधिक मात्रा में इसका सेवन नुकसान पहुंचा सकता है।
- रोज 600 एमजी डायइंडोएलमीथेन का सेवन कुछ लोगों में सोडियम के लेवल को कम करने का कारण बन सकता है।
- डायइंडोएलमीथेन एस्ट्रोजन के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है इसलिए डायइंडोएलमीथेन सप्लिमेंट्स लेने से हॉर्मोन सेंसिटिव कंडिशन्स जिसमें हॉर्मोन आधारित कैंसर, यूटराइन फाइब्रॉएड और एंडोमेट्रियोसिस की परेशानी बढ़ सकती है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार एक स्वस्थ महिला ने लगातार दो महीने तक डीआईएम का अधिक मात्रा में सेवन करने के बाद सेंट्रल कोरियोरेटिनोपैथी की शिकायत की। यह एक ऐसी कंडिशन है जिसमें दिखाई देना कम हो जाता है। सप्लिमेंट्स को बंद करने के आठ हफ्ते के बाद उसके लक्षण अपने आप चले गए।
- इसके साथ ही डायइंडोएलमीथेन के उपयोग के बाद इओसिनोफीलिया के साथ स्किन रैशेज (ईसिनोफिल्स में वृद्धि अक्सर किसी एलर्जी की प्रतिक्रिया के रूप में होती है) के लक्षण भी पाए गए हैं। मसल्स और जॉइंट पेन जो मुख्य रूप से हिप्स और नी में होता है भी रिपोर्ट किया गया है।
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह बेहद जरूरी है कि डायइंडोएलमीथेन का उपयोग बिना डॉक्टर की सलाह के ना करें। चूंकि डायइंडोएलमीथेन एस्ट्रोजन की तरह काम करता है इसलिए यह चिंता का विषय है कि यह हॉर्मोन से रिलेटेड कंडिशन्स को और खराब कर सकता है। जिसमें ब्रेस्ट, यूट्रस और ओवेरियन कैंसर शामिल है। हालांकि स्टडीज में ये भी सामने आया है कि यह ब्रेस्ट कैंसर से बचाव करता है, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से आपको हॉर्मोन सेंसटिव कंडिशन में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
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प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान डायइंडोएलमीथेन सप्लिमेंट्स का उपयोग करना चाहिए?
डायइंडोएलमीथेन का उपयोग सेफ है अगर इसका उपयोग फूड में पाई जाने वाली मात्रा के रूप में किया जाता है। इस बारे में पर्याप्त अध्ययन मौजूद नहीं है जो इस बात की पुष्टि कर सकें कि प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिला के लिए अधिक मात्रा में इस सप्लिमेंट का उपयोग सेफ है या नहीं। सेफ साइड के लिए आप फूड के रूप में इसे लें। अधिक जानकारी के डॉक्टर से सलाह जरूर लें। छोटे बच्चों के लिए भी डायइंडोएलमीथेन सेफ है अगर इसे सब्जियों के रूप में लिया जाए। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से कसंल्ट जरूर करें।
डीआईएम की कितनी मात्रा आपको लेनी चाहिए?
सीमित रिसर्च के चलते डायइंडोएलमीथेन की प्रॉपर डोज की जानकारी उपलब्ध नहीं है। कैंसर और प्रोस्टेट इंलार्जमेंट के ट्रीटमेंट के लिए किए शोध के आधार पर इसकी टिपिकल रेंज 108–900 एमजी प्रतिदिन है। 24 स्वस्थ लोगों पर किए गए एक शोध के अनुसार 200 एमजी डीआईएम का उपयोग किया जा सकता है और यह किसी प्रकार के साइड इफेक्ट्स का कारण भी नहीं बनता। 300 एमजी डोज का उपयोग करने के बाद एक व्यक्ति को सिर में दर्द, उल्टी और जी मिचलाने का अनुभव हुआ था। इसके आधार पर कहा जा सकता है कि इसका हायर डोज साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है। इसलिए इसके सही डोज और उपयोग के लिए डॉक्टर से कंसल्ट करना ना भूलें।
ये बात हमेशा याद रखें कि नैचुरल प्रोडक्ट्स हमेशा सेफ नहीं होते और किसी भी दवा या सप्लिमेंट्स का डोज व्यक्ति की उम्र, उसकी हेल्थ और दूसरी कंडिशन पर निर्भर करता है। जो हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकती है। डीआईएम सप्लिमेंट्स के सही डोज के बारे में ज्यादा और सही जानकारी उपलब्ध न होने चलते इसको लेकर रिस्क और भी बढ़ जाते हैं। किसी भी नैचुरल प्रोडक्ट्स का यूज करते हुए लेबल पर दिए गए जरूरी डायरेक्शन को जरूर पढ़ें। साथ ही फार्मासिस्ट और डॉक्टर की राय भी लें।
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डीआईएम सप्लिमेंट्स किसी ड्रग से इंटरैक्ट कर सकते हैं?
कुछ दवाएं लिवर द्वारा ब्रेक डाउन कर दी जाती हैं। लिवर कितनी जल्दी दवा को ब्रेक डाउन करेगा डायइंडोएलमीथेन इसको बढ़ा सकता है। कुछ दवाओं के साथ डायइंडोएलमीथेन को लेना दूसरी दवाओं के प्रभाव को कम कर सकता है। डायइंडोएलमीथेन लेने से पहले डॉक्टर से जरूर कसंल्ट करें अगर आप नीचे बताई गईं मेडिसिन में से कोई भी ले रहे हैं ताकि ड्रग इंटरैक्शन को टाला जा सके।
- क्लोजापाइन (क्लोजारिल) clozapine (Clozaril)
- साइक्लोब्नजाप्रिन (फ्लेक्सीरिल) cyclobenzaprine (Flexeril)
- फ्लुवोक्सामाइन (ल्यूवोक्स) fluvoxamine (Luvox)
- हैलोपेरिडोल (हल्डोल) haloperidol (Haldol)
- इमिप्रामिन (टॉफ्रानिल) imipramine (Tofranil)
- मेक्सिटिल (Mexitil) आदि शामिल हैं।
जैसा कि हम इस लेख में पहले ही बता चुके हैं कि डायइंडोएलमीथेन का उपयोग अगर फूड के रूप में किया जाए तो यह सेफ होने के साथ-साथ बेहद लाभदायक भी है। यह कंपाउंड के रूप में क्रूसीफेरस वेजिटेबल्स में पाया जाता है। इनमें कैंसर फाइटिंग प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं। तो आइए अब इन सब्जियों के बारे में विस्तार से जानते हैं और ये भी जानते हैं कि इनका उपयोग कैसे किया जा सकता है?
क्रूसीफेरस वेजिटेबल्स
- अरूगुला Arugula
- ब्रोकली Broccoli
- ब्रूसल स्प्राउट्स Brussels sprouts
- पत्तागोभी
- मूली
- शलजम
क्रूसीफेरस सब्जियों के फायदे
आपको बता दें क्रूसीफेरस सब्जियों के फायदे एक नहीं अनेक हैं क्योंकि इनमें फोलेट, विटामिन सी, ई, के और फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो फाइबर बड़ा रोल प्ले करता है क्योंकि यह लंबे समय तक पेट फुल रखता है। इनके अन्य फायदे भी हैं :
- क्रूसीफेरस वेजिटेबल्स फाइटोन्यूट्रिएंट्स का अच्छा सोर्स होती हैं जो कि प्लांट बेस्ट कंपाउंड होता है। यह इंफ्लामेशन को कम करने और कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
- इसके साथ ही क्रूसीफेरस वेजिटेबल्स में सब्सेंटेंस का एक ग्रुप होता है जिसे ग्लूकोसाइनोलेट्स कहते हैं। यह सल्फर युक्त कैमिकल होता है, जो सब्जियों की तीखी सुगंध और उसके कड़वे टेस्ट के लिए जिम्मेदार होता है।
- भोजन तैयार करने, चबाने और पाचन के दौरान क्रूसीफेरस वेजिटेबल्स में पाया जाने वाला ग्लूकोसाइनोलेट्स जैविक रूप से एक्टिव कंपाउंड जैसे इंडोल्स, नाइट्राइल्स, थियोसायनेट़स और इसोथियोसायनेट में टूट जाता है। इंडोल-3 कार्बिनॉल और सल्फोराफेन को उनके एंटीकैंसर प्रभावों के लिए कई बार जांचा गया है।
इंडोल और आइसोथियोसाइनेट्स को चूहों में ब्लैडर, ब्रेस्ट, कोलोन, लिवर, लंग्स और स्टमक आदि अंगों के कैंसर के विकास को रोकने के लिए पाया गया है। जानवरों के ऊपर किए गए अध्ययन और प्रयोगशाला में विकसित कोशिकाओं के साथ प्रयोगों ने कई संभावित तरीकों की पहचान की है जिसमें ये कंपाउंड कैंसर को रोकने में मदद कर सकते हैं:
- वे कोशिकाओं को डीएनए डैमेज से बचाने में मदद करते हैं।
- वे कार्सिनोजेन्स को इनएक्टिव करने में मदद करते हैं।
- उनका एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल इफेक्ट है।
- इनका एंटी इंफ्लामेट्री इफेक्ट है।
- वे एपोप्टोसिस (एप्टोसिस सेल डेड होने की एक प्रॉसेस है। जिसमें बॉडी गैरजरूरी और एबनॉर्मल सेल से छुटकारा पाती है) को प्रेरित करते हैं।
- ये ट्यूमर ब्लड वेसल्स फॉर्मेशन (एंजियोजेनेसिस) और ट्यूमर सेल माइग्रेशन (मेटास्टेसिस के लिए आवश्यक) को रोकते हैं।
कितनी मात्रा में खा सकते हैं क्रूसीफेरस सब्जियां ?
यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के अनुसार, एक व्यस्क महिला को प्रतिदिन 2.5 कप सब्जी खाना चाहिए। वहीं पुरुषों को तीन कप। एक कप पकी हुई या रॉ ब्रोकली, ब्रूसल स्पाउट्स या पत्तागोभी को एक कप वेजिटेबल काउंट किया जाएगा। आपका टोटल वेजिटेबल इंटेक क्रूसीफेरस वेजिटेबल्स में से नहीं होना चाहिए ब्लकि इनका ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने के लिए रोज अपनी डायट में शामिल करना चाहिए। आइए अब जानते हैं कि इन सब्जियों का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए?
अरुगुला (Arugula)
अरुगुला पत्तेदार सब्जी है। इसका इस्तेमाल कई रेसिपीज में किया जा सकता है। यह पास्ता में उपयोग की जा सकती है। साथ ही इसे सलाद में भी डाला जा सकता है। अरुगुला तुलसी का सब्सिट्यूट है। इसका स्वाद तेज होता है।
ब्रोकली (Broccoli)
ब्रोकली को कच्चा सलाद के रूप में खाया जा सकता है। इसके अलावा इसे ऑलिव में हल्का फ्राई करके नमक और मिर्च डालकर खाया जा सकता है। इसकी सब्जी भी बनाई जा सकती है। ब्रोकली स्वाद अच्छा होता है। इसे आसानी से अपनी डायट में शामिल किया जा सकता है। फाइबर का अच्छा सोर्स होने के कारण यह कब्ज की परेशानी को भी दूर करने में मदद करती है।
ब्रेसल्स स्प्राउट्स (Brussels sprouts)
इस सब्जी का टेस्ट थोड़ा अलग होता है और खासकर बच्चे इसे पसंद नहीं करते। इसे ओवन में रोस्ट करके खाया जा सकता है। साथ ही इसकी सब्जी भी बनाई जा सकती है। इसे पराठे में भरकर भी यूज किया जा सकता है।
पत्तागोभी (cabbage)
पत्तागोभी भारतीय घरो में काफी लोकप्रिय है। इसकी सब्जी बनाना भी बेहद आसान होता है। इसके साथ आलू को मिलाकर सब्जी तैयार की जाती है। यह टेस्टी होने के साथ ही लाभदायक भी है। इसे भी अपनी डेली डायट में आसानी से शामिल किया जा सकता है।
मूली (radish)
मूली को कच्चा ही खाया जाता है। यह ज्यादातर सलाद में खाई जाती है, लेकिन आप इसे कई दूसरे तरीकों जैसे कि मूली के पराठे, मूली का अचार आदि रूप में खा सकते हैं।
शलजम (turnips)
शलजम आलू की तरह दिखाई देती है, लेकिन इसका फ्लेवर अलग होता है। इसका स्वाद थोड़ा तीखा और इसका कलर पर्पल होता है। इसे कई सब्जियों में आलू की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही शलजम की सब्जी भी बनाकर खाई जाती है।
ये सभी सब्जियां डायइंडोएलमीथेन का नैचुरल सोर्स हैं। इन्हें आप आसानी से अपनी डायट में शामिल करके डायइंडोएलमीथेन के फायदे ले सकते हैं। इसके लिए आपको डीआईएम सप्लिमेंट्स लेने की भी कोई जरूरत नहीं होगी, लेकिन हमेशा इन्हीं सब्जियों को ना खाएं। आप दूसरी सब्जियों को भी अपनी डायट का हिस्सा बनाएं। सब्जियों के नुकसान तो नहीं है, लेकिन अगर आप किसी हेल्थ कंडिशन का सामना कर रहे हैं या आपको किसी प्रकार के फूड से एलर्जी है तो किसी भी क्रूसीफेरस वेजिटेबल को अपने डायट का हिस्सा बनाने से पहले डायटीशियन या डॉक्टर से कंसल्ट कर लें।
उम्मीद हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और डायइंडोएलमीथेन सप्लिमेंट्स (डीआईएम सप्लिमेंट्स) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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